< المَزامِير 67 >
لِقَائِدِ الْمُنْشِدِينَ عَلَى الآلاتِ الْوَتَرِيَّةِ. لِيَتَرَأَّفِ اللهُ عَلَيْنَا وَلْيُبَارِكْنَا، وَلْيُضِئْ بِوَجْهِهِ عَلَيْنَا | ١ 1 |
ख़ुदा हम पर रहम करे और हम को बरक़त बख़्शे; और अपने चेहरे को हम पर जलवागर फ़रमाए, (सिलाह)
لِكَيْ يُعْرَفَ فِي الأَرْضِ طَرِيقُكَ، وَبَيْنَ جَمِيعِ الأُمَمِ خَلاصُكَ. | ٢ 2 |
ताकि तेरी राह ज़मीन पर ज़ाहिर हो जाए, और तेरी नजात सब क़ौमों पर।
تَحْمَدُكَ الشُّعُوبُ يَا اللهُ، تَحْمَدُكَ الشُّعُوبُ كُلُّهَا. | ٣ 3 |
ऐ ख़ुदा! लोग तेरी ता'रीफ़ करें; सब लोग तेरी ता'रीफ़ करें।
تَفْرَحُ وَتَبْتَهِجُ الأُمَمُ لأَنَّكَ تَدِينُ الشُّعُوبَ بِالاسْتِقَامَةِ، وَتَهْدِي أُمَمَ الأَرْضِ. | ٤ 4 |
उम्मते ख़ुश हों और ख़ुशी से ललकारें, क्यूँकि तू रास्ती से लोगों की 'अदालत करेगा, और ज़मीन की उम्मतों पर हुकूमत करेगा (सिलाह)
تَحْمَدُكَ الشُّعُوبُ يَا اللهُ، تَحْمَدُكَ الشُّعُوبُ كُلُّهَا. | ٥ 5 |
ऐ ख़ुदा! लोग तेरी ता'रीफ़ करें; सब लोग तेरी ता'रीफ़ करें।
أَعْطَتِ الأَرْضُ غَلَّتَهَا الْوَفِيرَةَ. | ٦ 6 |
ज़मीन ने अपनी पैदावार दे दी, ख़ुदा या'नी हमारा ख़ुदा हम को बरकत देगा।
يُبَارِكُنَا اللهُ إِلَهُنَا، فَتَخَافُهُ كُلُّ أَقَاصِي الأَرْضِ. | ٧ 7 |
ख़ुदा हम को बरकत देगा; और ज़मीन की इन्तिहा तक सब लोग उसका डर मानेंगे।