< المَزامِير 64 >
لِقَائِدِ الْمُنْشِدِينَ. مَزْمُورٌ لِدَاوُدَ يَا اللهُ اسْمَعْ صَوْتِي حِينَ أَشْكُو إِلَيْكَ أَمْرِي، وَاحْفَظْ حَيَاتِي مِنْ رَهْبَةِ عَدُوِّي. | ١ 1 |
१प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन हे परमेश्वर, जब मैं तेरी दुहाई दूँ, तब मेरी सुन; शत्रु के उपजाए हुए भय के समय मेरे प्राण की रक्षा कर।
اسْتُرْنِي مِنْ مُؤَامَرَةِ الأَشْرَارِ، وَمِنْ هِيَاجِ جُمْهُورِ فَاعِلِي الإِثْمِ، | ٢ 2 |
२कुकर्मियों की गोष्ठी से, और अनर्थकारियों के हुल्लड़ से मेरी आड़ हो।
الَّذِينَ سَنُّوا أَلْسِنَتَهُمْ كَالسَّيْفِ، وَصَوَّبُوا سِهَامَ كَلامِهِمِ الْمُرِّ، | ٣ 3 |
३उन्होंने अपनी जीभ को तलवार के समान तेज किया है, और अपने कड़वे वचनों के तीरों को चढ़ाया है;
لِيَرْمُوا الْبَرِيءَ مِنْ مَكَامِنِهِمْ. يَرْمُونَهُ فَجْأَةً وَمِنْ غَيْرِ رَادِعٍ. | ٤ 4 |
४ताकि छिपकर खरे मनुष्य को मारें; वे निडर होकर उसको अचानक मारते भी हैं।
يُشَدِّدُونَ عَزَائِمَهُمْ فِي أَمْرٍ شِرِّيرٍ، وَيَكِيدُونَ لِنَصْبِ الْفِخَاخِ خُفْيَةً، قَائِلِينَ: «مَنْ يَرَانَا؟» | ٥ 5 |
५वे बुरे काम करने को हियाव बाँधते हैं; वे फंदे लगाने के विषय बातचीत करते हैं; और कहते हैं, “हमको कौन देखेगा?”
يُدَبِّرُونَ الْمَكَائِدَ ثُمَّ يَقُولُونَ: «نَحْنُ عَلَى أُهْبَةِ الاسْتِعْدَادِ فَقَدْ أَحْكَمْنَا الْخُطَّةَ». فَمَا أَعْمَقَ مَا يُضْمِرُهُ قَلْبُ الإِنْسَانِ مِنْ أَفْكَارٍ! | ٦ 6 |
६वे कुटिलता की युक्ति निकालते हैं; और कहते हैं, “हमने पक्की युक्ति खोजकर निकाली है।” क्योंकि मनुष्य के मन और हृदय के विचार गहरे है।
لَكِنَّ اللهَ يُطْلِقُ عَلَيْهِمْ سَهْماً فَيُصَابُونَ فَجْأَةً بِجِرَاحٍ. | ٧ 7 |
७परन्तु परमेश्वर उन पर तीर चलाएगा; वे अचानक घायल हो जाएँगे।
كَلِمَاتُ أَلْسِنَتِهِمْ تَرْتَدُّ عَلَيْهِمْ، وَكُلُّ مَنْ يَرَاهُمْ يَهُزُّ رَأْسَهُ احْتِقَاراً، | ٨ 8 |
८वे अपने ही वचनों के कारण ठोकर खाकर गिर पड़ेंगे; जितने उन पर दृष्टि करेंगे वे सब अपने-अपने सिर हिलाएँगे
فَيَخَافُ جَمِيعُ الْبَشَرِ وَيُذِيعُونَ مَا فَعَلَهُ اللهُ، مُعْتَبِرِينَ بِصَنَائِعِهِ. | ٩ 9 |
९तब सारे लोग डर जाएँगे; और परमेश्वर के कामों का बखान करेंगे, और उसके कार्यक्रम को भली भाँति समझेंगे।
يَفْرَحُ الْبَارُّ بِالرَّبِّ وَيَحْتَمِي بِهِ، وَيَبْتَهِجُ جَمِيعُ أَصْحَابِ الْقُلُوبِ الْمُسْتَقِيمَةِ. | ١٠ 10 |
१०धर्मी तो यहोवा के कारण आनन्दित होकर उसका शरणागत होगा, और सब सीधे मनवाले बड़ाई करेंगे।