< المَزامِير 47 >
لِقَائِدِ الْمُنْشِدِينَ لِبَنِي قُورَحَ. مَزْمُورٌ يَا جَمِيعَ الأُمَمِ صَفِّقُوا بِالأَيَادِي، وَاهْتِفُوا للهِ هُتَافَ الابْتِهَاجِ. | ١ 1 |
ऐ सब उम्मतों, तालियाँ बजाओ! ख़ुदा के लिए ख़ुशी की आवाज़ से ललकारो!
لأَنَّ الرَّبَّ عَلِيٌّ مَخُوفٌ، مَلِكٌ عَظِيمٌ عَلَى كُلِّ الأَرْضِ. | ٢ 2 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द ता'ला बड़ा है, वह पूरी ज़मीन का शहंशाह है।
يُخْضِعُ الشُّعُوبَ لَنَا، وَيَطْرَحُ الأُمَمَ تَحْتَ أَقْدَامِنَا. | ٣ 3 |
वह उम्मतों को हमारे सामने पस्त करेगा, और क़ौमें हमारे क़दमों तले हो जायेंगी।
يَخْتَارُ لَنَا مِيرَاثَنَا، فَخْرَ يَعْقُوبَ الَّذِي أَحَبَّهُ. | ٤ 4 |
वह हमारे लिए हमारी मीरास को चुनेगा, जो उसके महबूब या'क़ूब की हश्मत है। (सिलाह)
ارْتَفَعَ اللهُ وَسَطَ الْهُتَافِ، ارْتَفَعَ الرَّبُّ وَسَطَ دَوِيِّ نَفْخِ الْبُوقِ. | ٥ 5 |
ख़ुदा ने बुलन्द आवाज़ के साथ, ख़ुदावन्द ने नरसिंगे की आवाज़ के साथ सु'ऊद फ़रमाया।
رَنِّمُوا لِلهِ، رَنِّمُوا. رَنِّمُوا لِمَلِكِنَا، رَنِّمُوا. | ٦ 6 |
मदहसराई करो, ख़ुदा की मदहसराई करो! मदहसराई करो, हमारे बादशाह की मदहसराई करो!
لأَنَّ اللهَ هُوَ مَلِكُ الأَرْضِ كُلِّهَا. رَنِّمُوا لَهُ قَصِيدَةَ حَمْدٍ. | ٧ 7 |
क्यूँकि ख़ुदा सारी ज़मीन का बादशाह है; 'अक़्ल से मदहसराई करो।
مَلَكَ اللهُ عَلَى الأُمَمِ، اللهُ جَلَسَ عَلَى عَرْشِهِ الْمُقَدَّسِ. | ٨ 8 |
ख़ुदा क़ौमों पर सल्तनत करता है; ख़ुदा अपने पाक तख़्त पर बैठा है।
رُؤَسَاءُ الأُمَمِ اجْتَمَعُوا مَعَ شَعْبِ إِلَهِ إِبْرَاهِيمَ. لأَنَّ لِلهِ حُمَاةَ الأَرْضِ وَهُوَ مُتَعَالٍ جِدّاً. | ٩ 9 |
उम्मतों के सरदार इकट्ठे हुए हैं, ताकि अब्रहाम के ख़ुदा की उम्मत बन जाएँ; क्यूँकि ज़मीन की ढालें ख़ुदा की हैं, वह बहुत बुलन्द है।