< المَزامِير 3 >
مَزْمُورٌ لِدَاوُدَ بِمُنَاسَبَةِ فِرَارِهِ مِنِ ابْنِهِ أَبْشَالُومَ رَبُّ مَا أَكْثَرَ خُصُومِي! كَثِيرُونَ يَقُومُونَ عَلَيَّ. | ١ 1 |
दाऊद का ज़बूर जब वह अपने बेटे अबीसलोम के सामने से भागा गया था। ऐ ख़ुदावन्द मेरे सताने वाले कितने बढ़ गए, वह जो मेरे ख़िलाफ़ उठते हैं बहुत हैं।
كَثِيرُونَ يَقُولُونَ عَنِّي: لَا خَلاصَ لَهُ بِإِلَهِهِ. | ٢ 2 |
बहुत से मेरी जान के बारे में कहते हैं, कि ख़ुदा की तरफ़ से उसकी मदद न होगी। (सिलाह)
وَلَكِنَّكَ أَنْتَ يَا رَبُّ تُرْسِي. إِنَّكَ مَجْدِي وَرَافِعُ رَأْسِي. | ٣ 3 |
लेकिन तू ऐ ख़ुदावन्द, हर तरफ़ मेरी सिपर है। मेरा फ़ख़्र और सरफ़राज़ करने वाला।
بِمِلْءِ صَوْتِي أَدْعُو إِلَى الرَّبِّ فَيُجِيبُنِي مِنْ جَبَلِهِ الْمُقَدَّسِ. | ٤ 4 |
मैं बुलन्द आवाज़ से ख़ुदावन्द के सामने फ़रियाद करता हूँ और वह अपने पाक पहाड़ पर से मुझे जवाब देता है। (सिलाह)
رَقَدْتُ فَنِمْتُ، ثُمَّ اسْتَيْقَظْتُ مِنْ غَيْرِ أَنْ يُصِيبَنِي شَرٌّ، لأَنَّ الرَّبَّ يَسْنِدُنِي. | ٥ 5 |
मैं लेट कर सो गया; मैं जाग उठा, क्यूँकि ख़ुदावन्द मुझे संभालता है।
لَنْ أَخْشَى عَشَرَاتِ الأُلُوفِ مِنَ البَشَرِ الْمُلْتَفِّينَ حَوْلِي، الْمُحْتَشِدِينَ لِمُحَارَبَتِي. | ٦ 6 |
मैं उन दस हज़ार आदमियों से नहीं डरने का, जो चारों तरफ़ मेरे ख़िलाफ़ इकठ्ठा हैं।
قُمْ يَا رَبُّ. خَلِّصْنِي يَا إِلَهِي! فَإِنَّكَ قَدْ ضَرَبْتَ جَمِيعَ أَعْدَائِي عَلَى فُكُوكِهِمْ، فَهَشَّمْتَ أَسْنَانَ الأَشْرَارِ. | ٧ 7 |
उठ ऐ ख़ुदावन्द, ऐ मेरे ख़ुदा, मुझे बचा ले! क्यूँकि तूने मेरे सब दुश्मनों को जबड़े पर मारा है। तूने शरीरों के दाँत तोड़ डाले हैं।
أَنْتَ وَحْدَكَ الْمُخَلِّصُ يَا رَبُّ. فَلْتَفِضْ بَرَكَتُكَ عَلَى شَعْبِكَ. | ٨ 8 |
नजात ख़ुदावन्द की तरफ़ से है। तेरे लोगों पर तेरी बरकत हो!