< المَزامِير 27 >
لِدَاوُدَ الرَّبُّ نُورِي وَخَلاصِي، مِمَّنْ أَخَافُ؟ الرَّبُّ حِصْنُ حَيَاتِي مِمَّنْ أَرْتَعِبُ؟ | ١ 1 |
१दाऊद का भजन यहोवा मेरी ज्योति और मेरा उद्धार है; मैं किस से डरूँ? यहोवा मेरे जीवन का दृढ़ गढ़ ठहरा है, मैं किसका भय खाऊँ?
عِنْدَمَا هَجَمَ فَاعِلُو الإِثْمِ، خُصُومِي وَأَعْدَائِي، لِيَلْتَهِمُوا لَحْمِي، تَعَثَّرُوا وَسَقَطُوا. | ٢ 2 |
२जब कुकर्मियों ने जो मुझे सताते और मुझी से बैर रखते थे, मुझे खा डालने के लिये मुझ पर चढ़ाई की, तब वे ही ठोकर खाकर गिर पड़े।
إِنِ اصْطَفَّ ضِدِّي جَيْشٌ، لَا يَخَافُ قَلْبِي. إنْ نَشَبَتْ عَلَيَّ حَرْبٌ، أَظَلُّ فِي ذَلِكَ مُطْمَئِنّاً. | ٣ 3 |
३चाहे सेना भी मेरे विरुद्ध छावनी डाले, तो भी मैं न डरूँगा; चाहे मेरे विरुद्ध लड़ाई ठन जाए, उस दशा में भी मैं हियाव बाँधे निश्चित रहूँगा।
أَمْراً وَاحِداً طَلَبْتُ مِنَ الرَّبِّ وَإِيَّاهُ فَقَطْ أَلْتَمِسُ: أَنْ أُقِيمَ فِي بَيْتِ الرَّبِّ كُلَّ أَيَّامِ حَيَاتِي، لأُشَاهِدَ جَمَالَ الرَّبِّ وَأَتَأَمَّلَ فِي هَيْكَلِهِ. | ٤ 4 |
४एक वर मैंने यहोवा से माँगा है, उसी के यत्न में लगा रहूँगा; कि मैं जीवन भर यहोवा के भवन में रहने पाऊँ, जिससे यहोवा की मनोहरता पर दृष्टि लगाए रहूँ, और उसके मन्दिर में ध्यान किया करूँ।
لأَنَّهُ يَحْمِينِي فِي يَوْمِ الشَّرِّ تَحْتَ سَقْفِ بَيْتِهِ وَيَحْرُسُنِي آمِناً فِي خِبَاءِ خَيْمَتِهِ. إِذْ عَلَى صَخْرَةٍ عَالِيَةٍ يَرْفَعُنِي. | ٥ 5 |
५क्योंकि वह तो मुझे विपत्ति के दिन में अपने मण्डप में छिपा रखेगा; अपने तम्बू के गुप्त स्थान में वह मुझे छिपा लेगा, और चट्टान पर चढ़ाएगा।
حِينَئِذٍ أَفْتَخِرُ عَلَى أَعْدَائِي الْمُحِيطِينَ بِي، وَأُقَدِّمُ لَهُ فِي خَيْمَتِهِ ذَبَائِحَ هُتَافٍ، فَأُغَنِّي بَلْ أُرَنِّمُ حَمْداً لِلرَّبِّ. | ٦ 6 |
६अब मेरा सिर मेरे चारों ओर के शत्रुओं से ऊँचा होगा; और मैं यहोवा के तम्बू में आनन्द के बलिदान चढ़ाऊँगा; और मैं गाऊँगा और यहोवा के लिए गीत गाऊँगा।
اسْمَعْ يَا رَبُّ نِدَائِي لأَنِّي بِمِلْءِ صَوْتِي أَدْعُوكَ! ارْحَمْنِي وَاسْتَجِبْ لِي. | ٧ 7 |
७हे यहोवा, मेरा शब्द सुन, मैं पुकारता हूँ, तू मुझ पर दया कर और मुझे उत्तर दे।
قُلْتَ: اطْلُبُوا وَجْهِي! فَوَجْهَكَ يَا رَبُّ أَطْلُبُ. | ٨ 8 |
८तूने कहा है, “मेरे दर्शन के खोजी हो।” इसलिए मेरा मन तुझ से कहता है, “हे यहोवा, तेरे दर्शन का मैं खोजी रहूँगा।”
لَا تَحْجُبْ وَجْهَكَ عَنِّي. لَا تَطْرُدْ بِغَضَبٍ عَبْدَكَ، فَطَالَمَا كُنْتَ عَوْنِي. لَا تَرْفُضْنِي وَلَا تَهْجُرْنِي يَا اللهُ مُخَلِّصِي. | ٩ 9 |
९अपना मुख मुझसे न छिपा। अपने दास को क्रोध करके न हटा, तू मेरा सहायक बना है। हे मेरे उद्धार करनेवाले परमेश्वर मुझे त्याग न दे, और मुझे छोड़ न दे!
إِنَّ أَبِي وَأُمِّي قَدْ تَرَكَانِي، لَكِنَّ الرَّبَّ يَتَعَهَّدُنِي بِرِعَايَتِهِ. | ١٠ 10 |
१०मेरे माता-पिता ने तो मुझे छोड़ दिया है, परन्तु यहोवा मुझे सम्भाल लेगा।
عَلِّمْنِي يَا رَبُّ طَرِيقَكَ، وَقُدْنِي فِي طَرِيقٍ مُسْتَقِيمَةٍ لِئَلّا يَشْمَتَ بِي أَعْدَائِي. | ١١ 11 |
११हे यहोवा, अपना मार्ग मुझे सिखा, और मेरे द्रोहियों के कारण मुझ को चौरस रास्ते पर ले चल।
لَا تُسَلِّمْنِي إِلَى مَرَامِ مُضَايِقِيَّ، لأَنَّهُ قَدْ قَامَ عَلَيَّ شُهُودُ زُورٍ يَنْفُثُونَ الظُّلْمَ فِي وَجْهِي. | ١٢ 12 |
१२मुझ को मेरे सतानेवालों की इच्छा पर न छोड़, क्योंकि झूठे साक्षी जो उपद्रव करने की धुन में हैं मेरे विरुद्ध उठे हैं।
غَيْرَ أَنِّي قَدْ آمَنْتُ بِأَنْ أَرَى جُودَ الرَّبِّ فِي أَرْضِ الأَحْيَاءِ. | ١٣ 13 |
१३यदि मुझे विश्वास न होता कि जीवितों की पृथ्वी पर यहोवा की भलाई को देखूँगा, तो मैं मूर्छित हो जाता।
انْتَظِرِ الرَّبَّ. تَقَوَّ وَلْيَتَشَجَّعْ قَلْبُكَ. وَانْتَظِرِ الرَّبَّ دَائِماً. | ١٤ 14 |
१४यहोवा की बाट जोहता रह; हियाव बाँध और तेरा हृदय दृढ़ रहे; हाँ, यहोवा ही की बाट जोहता रह!