< المَزامِير 25 >
لِدَاوُدَ إِلَيْكَ أَيُّهَا الرَّبُّ أَرْفَعُ نَفْسِي. | ١ 1 |
ऐ ख़ुदावन्द! मैं अपनी जान तेरी तरफ़ उठाता हूँ।
عَلَيْكَ يَا إِلَهِي تَوَكَّلْتُ فَلَا تُخْزِنِي، وَلَا تَدَعْ أَعْدَائِي يَشْمَتُونَ بِي. | ٢ 2 |
ऐ मेरे ख़ुदा, मैंने तुझ पर भरोसा किया है, मुझे शर्मिन्दा न होने दे: मेरे दुश्मन मुझ पर ख़ुशी न मनाएँ।
فَإِنَّ كُلَّ مَنْ يَرْجُوكَ لَنْ يَخِيبَ. أَمَّا الْغَادِرُونَ بِغَيْرِهِمْ مِنْ غَيْرِ عِلَّةٍ، فَسَيَخْزَوْنَ. | ٣ 3 |
बल्कि जो तेरे मुन्तज़िर हैं उनमें से कोई शर्मिन्दा न होगा; लेकिन जो नाहक़ बेवफ़ाई करते हैं वही शर्मिन्दा होंगे।
يَا رَبُّ عَرِّفْنِي طُرُقَكَ، عَلِّمْنِي سُبُلَكَ. | ٤ 4 |
ऐ ख़ुदावन्द, अपनी राहें मुझे दिखा; अपने रास्ते मुझे बता दे।
دَرِّبْنِي فِي حَقِّكَ وَعَلِّمْنِي، فَإِنَّكَ أَنْتَ الإِلَهُ مُخَلِّصِي، وَإِيَّاكَ أَرْجُو طَوَالَ النَّهَارِ. | ٥ 5 |
मुझे अपनी सच्चाई पर चला और ता'लीम दे, क्यूँकि तू मेरा नजात देने वाला ख़ुदा है; मैं दिन भर तेरा ही मुन्तज़िर रहता हूँ।
رَبُّ، اذْكُرْ مَرَاحِمَكَ وَإِحْسَانَاتِكَ لأَنَّهَا مُنْذُ الأَزَلِ. | ٦ 6 |
ऐ ख़ुदावन्द, अपनी रहमतों और शफ़क़तों को याद फ़रमा; क्यूँकि वह शुरू' से हैं।
لَا تَذْكُرْ خَطَايَا صِبَايَ الَّتِي ارْتَكَبْتُهَا، وَلَا مَعَاصِيَّ، بَلِ اذْكُرْنِي وَفْقاً لِرَحْمَتِكَ وَمِنْ أَجْلِ جُودِكَ يَا رَبُّ. | ٧ 7 |
मेरी जवानी की ख़ताओं और मेरे गुनाहों को याद न कर; ऐ ख़ुदावन्द, अपनी नेकी की ख़ातिर अपनी शफ़क़त के मुताबिक मुझे याद फ़रमा।
الرَّبُّ صَالِحٌ وَمُسْتَقِيمٌ لِذَلِكَ يَهْدِي الضَّالِّينَ الطَّرِيقَ. | ٨ 8 |
ख़ुदावन्द नेक और रास्त है; इसलिए वह गुनहगारों को राह — ए — हक़ की ता'लीम देगा।
يُدَرِّبُ الْوُدَعَاءَ فِي سُبُلِ الْحَقِّ وَيُعَلِّمُهُمْ طَرِيقَهُ. | ٩ 9 |
वह हलीमों को इन्साफ़ की हिदायत करेगा, हाँ, वह हलीमों को अपनी राह बताएगा।
مَسَالِكُ الرَّبِّ كُلُّهَا رَحْمَةٌ وَحَقٌّ لِمَنْ يَحْفَظُونَ عَهْدَهُ وَشَهَادَاتِهِ. | ١٠ 10 |
जो ख़ुदावन्द के 'अहद और उसकी शहादतों को मानते हैं, उनके लिए उसकी सब राहें शफ़क़त और सच्चाई हैं।
فَمِنْ أَجْلِ اسْمِكَ أَيُّهَا الرَّبُّ اصْفَحْ عَنْ إِثْمِي فَإِنَّهُ عَظِيمٌ. | ١١ 11 |
ऐ ख़ुदावन्द, अपने नाम की ख़ातिर मेरी बदकारी मु'आफ़ कर दे क्यूँकि वह बड़ी है।
مَنْ هُوَ الإِنْسَانُ الَّذِي يَخَافُ الرَّبَّ؟ إِيَّاهُ يُدَرِّبُ فِي الطَّرِيقِ الَّتِي يَخْتَارُهَا لَهُ، | ١٢ 12 |
वह कौन है जो ख़ुदावन्द से डरता है? ख़ुदावन्द उसको उसी राह की ता'लीम देगा जो उसे पसंद है।
فَتَنْعَمُ نَفْسُهُ فِي الْخَيْرِ وَتَمْتَلِكُ ذُرِّيَّتُهُ الأَرْضَ. | ١٣ 13 |
उसकी जान राहत में रहेगी, और उसकी नसल ज़मीन की वारिस होगी।
يُطْلِعُ الرَّبُّ خَائِفِيهِ عَلَى مَقَاصِدِهِ الْخَفِيَّةِ، وَيَتَعَهَّدُ تَعْلِيمَهُمْ. | ١٤ 14 |
ख़ुदावन्द के राज़ को वही जानते हैं जो उससे डरते हैं, और वह अपना 'अहद उनको बताएगा।
تَتَّجِهُ عَيْنَايَ دَائِماً نَحْوَ الرَّبِّ، لأَنَّهُ يُحَرِّرُ رِجْلَيَّ مِنْ فَخِّ الشِّرِّيرِ. | ١٥ 15 |
मेरी आँखें हमेशा ख़ुदावन्द की तरफ़ लगी रहती हैं, क्यूँकि वही मेरा पाँव दाम से छुड़ाएगा।
الْتَفِتْ نَحْوِي وَارْحَمْنِي، فَأَنَا وَحِيدٌ وَمِسْكِينٌ. | ١٦ 16 |
मेरी तरफ़ मुतवज्जिह हो और मुझ पर रहम कर, क्यूँकि मैं बेकस और मुसीबत ज़दा हूँ।
قَدْ تَكَاثَرَتْ مَتَاعِبُ قَلْبِي، فَأَنْقِذْنِي مِنْ شَدَائِدِي. | ١٧ 17 |
मेरे दिल के दुख बढ़ गए, तू मुझे मेरी तकलीफ़ों से रिहाई दे।
انْظُرْ إِلَى مَذَلَّتِي وَمُعَانَاتِي، وَاصْفَحْ عَنْ جَمِيعِ خَطَايَايَ. | ١٨ 18 |
तू मेरी मुसीबत और जॉफ़िशानी को देख, और मेरे सब गुनाह मु'आफ़ फ़रमा।
انْظُرْ كَيْفَ تَكَاثَرَ عَلَيَّ أَعْدَائِي وَهُمْ يُبْغِضُونَنِي ظُلْماً. | ١٩ 19 |
मेरे दुश्मनों को देख क्यूँकि वह बहुत हैं और उनको मुझ से सख़्त 'अदावत है।
صُنْ نَفْسِي وَأَنْقِذْنِي، وَلَا تَدَعْنِي أَخِيبُ، فَإِنِّي عَلَيْكَ تَوَكَّلْتُ. | ٢٠ 20 |
मेरी जान की हिफ़ाज़त कर, और मुझे छुड़ा; मुझे शर्मिन्दा न होने दे, क्यूँकि मेरा भरोसा तुझ ही पर है।
يَحْفَظُنِي الْكَمَالُ وَالاسْتِقَامَةُ، لأَنِّي إِيَّاكَ انْتَظَرْتُ. | ٢١ 21 |
दियानतदारी और रास्तबाज़ी मुझे सलामत रख्खें, क्यूँकि मुझे तेरी ही आस है।
افْدِ إِسْرَائِيلَ يَا اللهُ مِنْ جَمِيعِ ضِيقَاتِهِ. | ٢٢ 22 |
ऐ ख़ुदा, इस्राईल को उसके सब दुखों से छुड़ा ले।