< المَزامِير 20 >
لِقَائِدِ الْمُنْشِدِينَ. مَزْمُورٌ لِدَاوُدَ لِيَسْتَجِبْ لَكَ الرَّبُّ فِي يَوْمِ ضِيقِكَ. لِيَحْرُسْكَ اسْمُ إِلَهِ يَعْقُوبَ. | ١ 1 |
मुसीबत के दिन ख़ुदावन्द तेरी सुने। या'क़ूब के ख़ुदा का नाम तुझे बुलन्दी पर क़ाईम करे!
لِيُرْسِلْ لَكَ عَوْناً مِنْ مَقْدِسِهِ، وَمُسَانَدَةً مِنْ صِهْيَوْنَ. | ٢ 2 |
वह मक़दिस से तेरे लिए मदद भेजे, और सिय्यून से तुझे क़ुव्वत बख़्शे!
لِيَتَذَكَّرْ جَمِيعَ تَقْدِمَاتِكَ، وَيَتَقَبَّلْ مُحْرَقَاتِكَ. | ٣ 3 |
वह तेरे सब हदियों को याद रख्खे, और तेरी सोख़्तनी क़ुर्बानी को क़ुबूल करे! (सिलाह)
لِيُعْطِكَ بُغْيَةَ قَلْبِكَ، وَيُتَمِّمْ لَكَ كُلَّ مَقَاصِدِكَ. | ٤ 4 |
वह तेरे दिल की आरज़ू पूरी करे, और तेरी सब मश्वरत पूरी करे!
نَهْتِفُ مُبْتَهِجِينَ بِخَلاصِكَ، وَبِاسْمِ إِلَهِنَا نَرْفَعُ رَايَتَنَا، لِيُحَقِّقْ لَكَ الرَّبُّ كُلَّ مَا تَسْأَلُهُ. | ٥ 5 |
हम तेरी नजात पर ख़ुशी मनाएंगे, और अपने ख़ुदा के नाम पर झंडे खड़े करेंगे। ख़ुदावन्द तेरी तमाम दरख़्वास्तें पूरी करे!
الآنَ أَدْرَكْتُ أَنَّ الرَّبَّ يُخَلِّصُ مَسِيحَهُ، وَيَسْتَجِيبُ مِنْ سَمَاوَاتِهِ الْمُقَدَّسَةِ، بِقُدْرَةِ يَمِينِهِ الْمُخَلِّصَةِ. | ٦ 6 |
अब मैं जान गया कि ख़ुदावन्द अपने मम्सूह को बचा लेता है; वह अपने दहने हाथ की नजात बख़्श ताक़त से अपने पाक आसमान पर से उसे जवाब देगा।
يَتَّكِلُ هَؤُلاءِ عَلَى مَرْكَبَاتِ الْحَرْبِ، وَأُولَئِكَ عَلَى الْخَيْلِ. أَمَّا نَحْنُ فَنَتَّكِلُ عَلَى اسْمِ الرَّبِّ إِلَهِنَا. | ٧ 7 |
किसी को रथों का और किसी को घोड़ों का भरोसा है, लेकिन हम तो ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा ही का नाम लेंगे।
هُمْ خَرُّوا وَسَقَطُوا، أَمَّا نَحْنُ فَنَهَضْنَا وَانْتَصَبْنَا. | ٨ 8 |
वह तो झुके और गिर पड़े; लेकिन हम उठे और सीधे खड़े हैं।
خَلِّصْ يَا رَبُّ! لِيَسْتَجِبِ الْمَلِكُ حِينَ نَدْعُوهُ. | ٩ 9 |
ऐ ख़ुदावन्द! बचा ले; जिस दिन हम पुकारें, तो बादशाह हमें जवाब दे।