< المَزامِير 148 >
هَلِّلُويَا! سَبِّحُوا الرَّبَّ مِنَ السَّمَاوَاتِ. سَبِّحُوهُ فِي الأَعَالِي. | ١ 1 |
ख़ुदावन्द की हम्द करो! आसमान पर से ख़ुदावन्द की हम्द करो, बुलंदियों पर उसकी हम्द करो!
سَبِّحُوهُ يَا جَمِيعَ مَلائِكَتِهِ. سَبِّحُوهُ يَا جَمِيعَ أَجْنَادِهِ. | ٢ 2 |
ऐ उसके फ़िरिश्तो! सब उसकी हम्द करो। ऐ उसके लश्करो! सब उसकी हम्द करो!
سَبِّحِيهِ يَا شَمْسُ وَيَا قَمَرُ. سَبِّحِيهِ يَا جَمِيعَ الكَوَاكِبِ المُشْرِقَةِ. | ٣ 3 |
ऐ सूरज! ऐ चाँद! उसकी हम्द करो। ऐ नूरानी सितारों! सब उसकी हम्द करो
سَبِّحِيهِ يَا سَمَاءَ السَّمَاوَاتِ، وَيَا أَيَّتُهَا السُّحُبُ الَّتِي فَوْقَ الجَلَدِ. | ٤ 4 |
ऐ फ़लक — उल — फ़लाक! उसकी हम्द करो! और तू भी ऐ फ़ज़ा पर के पानी!
لِتُسَبِّحْ هَذِهِ اسْمَ الرَّبِّ، لأَنَّهَا بِأَمْرِهِ خُلِقَتْ، | ٥ 5 |
यह सब ख़ुदावन्द के नाम की हम्द करें, क्यूँकि उसने हुक्म दिया और यह पैदा हो गए।
وَثَبَّتَهَا إِلَى الدَّهْرِ وَالأَبَدِ، وَاضِعاً لَهَا حَدّاً لَا تَتَجَاوَزُهُ. | ٦ 6 |
उसने इनको हमेशा से हमेशा तक के लिए क़ाईम किया है; उसने अटल क़ानून मुक़र्रर कर दिया है।
سَبِّحِي الرَّبَّ مِنْ عَلَى الأَرْضِ يَا وُحُوشَ الْبَحْرِ وَيَا كُلَّ اللُّجَجِ. | ٧ 7 |
ज़मीन पर से ख़ुदावन्द की हम्द करो ऐ अज़दहाओं और सब गहरे समन्दरो!
أَيَّتُهَا النَّارُ وَالْبَرَدُ، وَالثَّلْجُ والضَّبَابُ، الرِّيحُ الْعَاصِفَةُ الْمُنَفِّذَةُ لأَمْرِهِ، | ٨ 8 |
ऐ आग और ओलो! ऐ बर्फ़ और कुहर ऐ तूफ़ानी हवा! जो उसके कलाम की ता'लीम करती है।
الْجِبَالُ وَالتِّلالُ جَمِيعاً، الأَشْجَارُ الْمُثْمِرَةُ وَالأَرْزُ كُلُّهُ، | ٩ 9 |
ऐ पहाड़ो और सब टीलो! ऐ मेवादार दरख़्तो और सब देवदारो!
الْحَيْوَانَاتُ الْبَرِّيَّةُ وَالْمَوَاشِي كُلُّهَا، الزَّوَاحِفُ وَالطُّيُورُ. | ١٠ 10 |
ऐ जानवरो और सब चौपायो! ऐ रेंगने वालो और परिन्दो!
مُلُوكُ الأَرْضِ وَجَمِيعُ الشُّعُوبِ وَحُكَّامُ الأَرْضِ وَجَمِيعُ الرُّؤَسَاءِ، | ١١ 11 |
ऐ ज़मीन के बादशाहो और सब उम्मतों! ऐ उमरा और ज़मीन के सब हाकिमों!
الْفِتْيَانُ وَالْفَتَيَاتُ وَالشُّيُوخُ وَالشُّبَّانُ، | ١٢ 12 |
ऐ नौजवानो और कुंवारियो! ऐ बूढ़ों और बच्चो!
لِيُسَبِّحُوا اسْمَ الرَّبِّ، لأَنَّهُ وَحْدَهُ مُتَعَالٍ. مَجْدُهُ فَوْقَ الأَرْضِ وَالسَّمَاوَاتِ. | ١٣ 13 |
यह सब ख़ुदावन्द के नाम की हम्द करें, क्यूँकि सिर्फ़ उसी का नाम मुम्ताज़ है। उसका जलाल ज़मीन और आसमान से बुलन्द है।
يَرْفَعُ رَأْسَ شَعْبِهِ إِكْرَاماً لِكُلِّ أَتْقِيَائِهِ، لِبَنِي إِسْرَائِيلَ الشَّعْبِ الْمُقَرَّبِ إِلَيْهِ. هَلِّلُويَا. | ١٤ 14 |
और उसने अपने सब पाक लोगों या'नी अपनी मुक़र्रब क़ौम बनी इस्राईल के फ़ख़्र के लिए, अपनी क़ौम का सींग बुलन्द किया। ख़ुदावन्द की हम्द करो!