< المَزامِير 141 >
مَزْمُورٌ لِدَاوُدَ يَا رَبُّ إِلَيْكَ دَعَوْتُ، فَأَسْرِعْ لإِغَاثَتِي. أَصْغِ إِلَى صَوْتِي عِنْدَمَا أَصْرُخُ إِلَيْكَ. | ١ 1 |
ऐ ख़ुदावन्द! मैने तेरी दुहाई दी मेरी तरफ़ जल्द आ! जब मैं तुझ से दुआ करूँ, तो मेरी आवाज़ पर कान लगा!
لِتَكُنْ صَلاتِي أَمَامَكَ كَالْبَخُورِ، وَرَفْعُ يَدَيَّ مِثْلَ تَقْدِمَةِ الْمَسَاءِ. | ٢ 2 |
मेरी दुआ तेरे सामने ख़ुशबू की तरह हो, और मेरा हाथ उठाना शाम की कु़र्बानी की तरह!
أَقِمْ يَا رَبُّ حَارِساً لِفَمِي، وَاحْفَظْ بَابَ شَفَتَيَّ. | ٣ 3 |
ऐ ख़ुदावन्द! मेरे मुँह पर पहरा बिठा; मेरे लबों के दरवाजे़ की निगहबानी कर।
لَا تَدَعْ قَلْبِي يَتَعَلَّقُ بِشَيْءٍ رَدِيءٍ، فَيُمَارِسَ أَعْمَالَ الشَّرِّ مَعَ فَاعِلِي الإِثْمِ. وَلَا تَدَعْنِي آكُلُ مِنْ أَطَايِبِهِمْ. | ٤ 4 |
मेरे दिल को किसी बुरी बात की तरफ़ माइल न होने दे; कि बदकारों के साथ मिलकर, शरारत के कामों में मसरूफ़ हो जाए, और मुझे उनके नफ़ीस खाने से दूर रख।
لِيَضْرِبْنِي الصِّدِّيقُ فَذَلِكَ رَحْمَةٌ، وَلْيُوَبِّخْنِي فَذَلِكَ زَيْتٌ عَاطِرٌ لِرَأْسِي. أَمَّا الأَشْرَارُ فَإِنِّي أُصَلِّي دَائِماً (كَي تَحْفَظَنِي مِنْ أَفْعَالِهِمِ الأَثِيمَةِ). | ٥ 5 |
सादिक़ मुझे मारे तो मेहरबानी होगी, वह मुझे तम्बीह करे तो जैसे सिर पर रौग़न होगा। मेरा सिर इससे इंकार न करे, क्यूँकि उनकी शरारत में भी मैं दुआ करता रहूँगा।
عِنْدَمَا يُلْقَى بِقُضَاتِهِمِ الظَّالِمِينَ مِنْ عَلَى الصَّخْرَةِ، آنَئِذٍ يَسْمَعُونَ لِكَلِمَاتِي إِذْ يُوْقِنُونَ أَنَّهَا حَقٌّ. | ٦ 6 |
उनके हाकिम चट्टान के किनारों पर से गिरा दिए गए हैं, और वह मेरी बातें सुनेंगे, क्यूँकि यह शीरीन हैं।
تَتَنَاثَرُ عِظَامُهُمْ عِنْدَ فَمِ الْقَبْرِ كَشَظَايَا الْحَطَبِ الْمُشَقَّقَةِ الْمُبَعْثَرَةِ عَلَى الأَرْضِ. (Sheol ) | ٧ 7 |
जैसे कोई हल चलाकर ज़मीन को तोड़ता है, वैसे ही हमारी हड्डियाँ पाताल के मुँह पर बिखरी पड़ी हैं। (Sheol )
لَكِنَّ نَحْوَكَ أَيُّهَا الرَّبُّ السَّيِّدُ رَفَعْتُ عَيْنَيَّ، وَبِكَ لُذْتُ، فَلَا تَتْرُكْ نَفْسِي عُرْضَةً لِلْمَوْتِ. | ٨ 8 |
क्यूँकि ऐ मालिक ख़ुदावन्द! मेरी आँखें तेरी तरफ़ हैं; मेरा भरोसा तुझ पर है, मेरी जान को बेकस न छोड़!
احْفَظْنِي مِنَ الْفَخِّ الَّذِي نَصَبُوهُ لِي، وَمِنْ أَشْرَاكِ فَاعِلِي الإِثْمِ. | ٩ 9 |
मुझे उस फंदे से जो उन्होंने मेरे लिए लगाया है, और बदकिरदारों के दाम से बचा।
لِيَسْقُطِ الأَشْرَارُ فِي أَشْرَاكِهِمْ حَتَّى أَنْجُوَ تَمَامَ النَّجَاةِ. | ١٠ 10 |
शरीर आप अपने जाल में फंसें, और मैं सलामत बच निकलूँ।