< المَزامِير 141 >
مَزْمُورٌ لِدَاوُدَ يَا رَبُّ إِلَيْكَ دَعَوْتُ، فَأَسْرِعْ لإِغَاثَتِي. أَصْغِ إِلَى صَوْتِي عِنْدَمَا أَصْرُخُ إِلَيْكَ. | ١ 1 |
दावीद का एक स्तोत्र. याहवेह, मैं आपको पुकार रहा हूं, मेरे पास शीघ्र ही आइए; जब मैं आपको पुकारूं, मेरी पुकार पर ध्यान दीजिए.
لِتَكُنْ صَلاتِي أَمَامَكَ كَالْبَخُورِ، وَرَفْعُ يَدَيَّ مِثْلَ تَقْدِمَةِ الْمَسَاءِ. | ٢ 2 |
आपके सामने मेरी प्रार्थना सुगंधधूप; तथा मेरे हाथ उठाना, सान्ध्य बलि समर्पण जैसा हो जाए.
أَقِمْ يَا رَبُّ حَارِساً لِفَمِي، وَاحْفَظْ بَابَ شَفَتَيَّ. | ٣ 3 |
याहवेह, मेरे मुख पर पहरा बैठा दीजिए; मेरे होंठों के द्वार की चौकसी कीजिए.
لَا تَدَعْ قَلْبِي يَتَعَلَّقُ بِشَيْءٍ رَدِيءٍ، فَيُمَارِسَ أَعْمَالَ الشَّرِّ مَعَ فَاعِلِي الإِثْمِ. وَلَا تَدَعْنِي آكُلُ مِنْ أَطَايِبِهِمْ. | ٤ 4 |
मेरे हृदय को किसी भी अनाचार की ओर जाने न दीजिए, मुझे कुकृत्यों में शामिल होने से रोक लीजिए, मुझे दुष्टों की संगति से बचाइए; मुझे उनके उत्कृष्ट भोजन को चखने से बचाइए.
لِيَضْرِبْنِي الصِّدِّيقُ فَذَلِكَ رَحْمَةٌ، وَلْيُوَبِّخْنِي فَذَلِكَ زَيْتٌ عَاطِرٌ لِرَأْسِي. أَمَّا الأَشْرَارُ فَإِنِّي أُصَلِّي دَائِماً (كَي تَحْفَظَنِي مِنْ أَفْعَالِهِمِ الأَثِيمَةِ). | ٥ 5 |
कोई नीतिमान पुरुष मुझे ताड़ना करे, मैं इसे कृपा के रूप में स्वीकार करूंगा; वह मुझे डांट लगाए, यह मेरे सिर के अभ्यंजन तुल्य है. इसे अस्वीकार करना मेरे लिए उपयुक्त नहीं, फिर भी मैं निरंतर दुष्टों की बुराई के कार्यों के विरुद्ध प्रार्थना करता रहूंगा.
عِنْدَمَا يُلْقَى بِقُضَاتِهِمِ الظَّالِمِينَ مِنْ عَلَى الصَّخْرَةِ، آنَئِذٍ يَسْمَعُونَ لِكَلِمَاتِي إِذْ يُوْقِنُونَ أَنَّهَا حَقٌّ. | ٦ 6 |
जब उनके प्रधानों को ऊंची चट्टान से नीचे फेंक दिया जाएगा तब उन्हें मेरे इस वक्तव्य पर स्मरण आएगा कि वह व्यर्थ न था, कि यह कितना सांत्वनापूर्ण एवं सुखदाई वक्तव्य है:
تَتَنَاثَرُ عِظَامُهُمْ عِنْدَ فَمِ الْقَبْرِ كَشَظَايَا الْحَطَبِ الْمُشَقَّقَةِ الْمُبَعْثَرَةِ عَلَى الأَرْضِ. (Sheol ) | ٧ 7 |
“जैसे हल चलाने के बाद भूमि टूटकर बिखर जाती है, वैसे ही हमारी हड्डियों को टूटे अधोलोक के मुख पर बिखरा दिया जाएगा.” (Sheol )
لَكِنَّ نَحْوَكَ أَيُّهَا الرَّبُّ السَّيِّدُ رَفَعْتُ عَيْنَيَّ، وَبِكَ لُذْتُ، فَلَا تَتْرُكْ نَفْسِي عُرْضَةً لِلْمَوْتِ. | ٨ 8 |
मेरे प्रभु, मेरे याहवेह, मेरी दृष्टि आप ही पर लगी हुई है; आप ही मेरा आश्रय हैं, मुझे असुरक्षित न छोड़िएगा.
احْفَظْنِي مِنَ الْفَخِّ الَّذِي نَصَبُوهُ لِي، وَمِنْ أَشْرَاكِ فَاعِلِي الإِثْمِ. | ٩ 9 |
मुझे उन फन्दों से सुरक्षा प्रदान कीजिए, जो उन्होंने मेरे लिए बिछाए हैं, उन फन्दों से, जो दुष्टों द्वारा मेरे लिए तैयार किए गए हैं.
لِيَسْقُطِ الأَشْرَارُ فِي أَشْرَاكِهِمْ حَتَّى أَنْجُوَ تَمَامَ النَّجَاةِ. | ١٠ 10 |
दुर्जन अपने ही जाल में फंस जाएं, और मैं सुरक्षित पार निकल जाऊं.