< المَزامِير 138 >
لِدَاوُدَ أُسَبِّحُكَ مِنْ كُلِّ قَلْبِي، وَأَشْدُو لَكَ أَمَامَ الْمَلائِكَةِ. | ١ 1 |
मैं पूरे दिल से तेरा शुक्र करूँगा; मा'बूदों के सामने तेरी मदहसराई करूँगा।
أَسْجُدُ فِي هَيْكَلِ قُدْسِكَ، وَأَحْمَدُ اسْمَكَ مِنْ أَجْلِ رَحْمَتِكَ وَحَقِّكَ، لأَنَّكَ عَظَّمْتَ كَلِمَتَكَ وَاسْمَكَ فَوْقَ كُلِّ شَيْءٍ | ٢ 2 |
मैं तेरी पाक हैकल की तरफ़ रुख़ कर के सिज्दा करूँगा, और तेरी शफ़क़त औए सच्चाई की ख़ातिर तेरे नाम का शुक्र करूँगा। क्यूँकि तूने अपने कलाम को अपने हरनाम से ज़्यादा 'अज़मत दी है।
يَوْمَ دَعَوْتُكَ اسْتَجَبْتَ لِي، وَشَجَّعْتَنِي إِذْ زِدْتَنِي قُوَّةً فِي دَاخِلِي. | ٣ 3 |
जिस दिन मैंने तुझ से दुआ की, तूने मुझे जवाब दिया, और मेरी जान की ताक़त देकर मेरा हौसला बढ़ाया।
يَحْمَدُكَ جَمِيعُ مُلُوكِ الأَرْضِ يَا رَبُّ، مَتَى سَمِعُوا وُعُودَكَ. | ٤ 4 |
ऐ ख़ुदावन्द! ज़मीन के सब बादशाह तेरा शुक्र करेंगे, क्यूँकि उन्होंने तेरे मुँह का कलाम सुना है;
وَيُشِيدُونَ بِكُلِّ أَعْمَالِكَ لأَنَّ مَجْدَكَ عَظِيمٌ. | ٥ 5 |
बल्कि वह ख़ुदावन्द की राहों का हम्द गाएंगे क्यूँकि ख़ुदावन्द का जलाल बड़ा है।
فَمَعَ تَعَالِيكَ، تَلْتَفِتُ إِلَى الْمُتَوَاضِعِينَ، أَمَّا الْمُتَكَبِّرُ فَتَعْرِفُهُ مِنْ بَعِيدٍ. | ٦ 6 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द अगरचे बुलन्द — ओ — बाला है, तोभी ख़ाकसार का ख़याल रखता है; लेकिन मग़रूर को दूर ही से पहचान लेता है।
وَلَوْ سَلَكْتُ فِي وَسَطِ الضِّيقِ فَإِنَّكَ تُحْيِينِي، إذْ بِيَدِكَ تَدْفَعُ عَنِّي غَضَبَ أَعْدَائِي وَيَمِينُكَ تُخَلِّصُنِي. | ٧ 7 |
चाहे मैं दुख में से गुज़रूं तू मुझे ताज़ादम करेगा, तू मेरे दुश्मनों के क़हर के ख़िलाफ़ हाथ बढ़ाएगा, और तेरा दहना हाथ मुझे बचा लेगा।
الرَّبُّ يُنْجِزُ مَقَاصِدَهُ لِي. رَحْمَتُكَ يَا رَبُّ إِلَى الأَبَدِ تَدُومُ، فَلَا تَتَخَلَّ عَنِّي لأَنِّي صُنْعُ يَدَيْكَ. | ٨ 8 |
ख़ुदावन्द मेरे लिए सब कुछ करेगा; ऐ ख़ुदावन्द! तेरी शफ़क़त हमेशा की है। अपनी दस्तकारी को न छोड़।