< المَزامِير 134 >

تَرْنِيمَةُ الْمَصَاعِدِ هَيَّا بَارِكُوا الرَّبَّ يَا جَمِيعَ عَبِيدِهِ الْقَائِمِينَ عَلَى خِدْمَةِ بَيْتِهِ فِي اللَّيَالِي. ١ 1
ऐ ख़ुदावन्द के बन्दो! आओ सब ख़ुदावन्द को मुबारक कहो! तुम जो रात को ख़ुदावन्द के घर में खड़े रहते हो!
ارْفَعُوا أَيْدِيَكُمْ نَحْوَ الْمَقْدِسِ وَبَارِكُوا الرَّبَّ. ٢ 2
हैकल की तरफ़ अपने हाथ उठाओ, और ख़ुदावन्द को मुबारक कहो!
يُبَارِكُكَ الرَّبُّ مِنْ صِهْيَوْنَ، صَانِعُ السَّمَاوَاتِ وَالأَرْضِ. ٣ 3
ख़ुदावन्द, जिसने आसमान और ज़मीन को बनाया, सिय्यून में से तुझे बरकत बख़्शे।

< المَزامِير 134 >