< المَزامِير 122 >

تَرْنِيمَةُ الْمَصَاعِدِ فَرِحْتُ بِالْقَائِلِينَ لِي: لِنَذْهَبْ مَعاً إِلَى بَيْتِ الرَّبِّ. ١ 1
मैं ख़ुश हुआ जब वह मुझ से कहने लगे “आओ ख़ुदावन्द के घर चलें।”
تَقِفُ أَقْدَامُنَا الآنَ دَاخِلَ أَبْوَابِكِ يَا أُورُشَلِيمُ. ٢ 2
ऐ येरूशलेम! हमारे क़दम, तेरे फाटकों के अन्दर हैं।
أُورُشَلِيمُ الْمَبْنِيَّةُ كَمَدِينَةٍ مُتَمَاسِكَةٍ مُتَّحِدَةٍ. ٣ 3
ऐ येरूशलेम तू ऐसे शहर के तरह है जो गुनजान बना हो।
إِلَيْهَا صَعِدَتِ الأَسْبَاطُ، أَسْبَاطُ الرَّبِّ لِتَرْفَعَ الشُّكْرَ لَهُ بِحَسَبِ أَوَامِرِهِ. ٤ 4
जहाँ क़बीले या'नी ख़ुदावन्द के क़बीले, इस्राईल की शहादत के लिए, ख़ुदावन्द के नाम का शुक्र करने को जातें हैं।
هُنَاكَ نُصِبَتْ عُرُوشُ الْقَضَاءِ، عُرُوشُ آلِ دَاوُدَ. ٥ 5
क्यूँकि वहाँ 'अदालत के तख़्त, या'नी दाऊद के ख़ान्दान के तख़्त क़ाईम हैं।
صَلُّوا لأَجْلِ سَلامِ أُورُشَلِيمَ. لِيُفْلِحْ مُحِبُّوكِ وَيَطْمَئِنُّوا. ٦ 6
येरूशलेम की सलामती की दुआ करो, वह जो तुझ से मुहब्बत रखते हैं इकबालमंद होंगे।
لِيَكُنِ السَّلامُ دَاخِلَ أَسْوَارِكِ، وَالأَمَانُ دَاخِلَ قُصُورِكِ. ٧ 7
तेरी फ़सील के अन्दर सलामती, और तेरे महलों में इकबालमंदी हो।
مِنْ أَجْلِ إِخْوَتِي وَأَصْحَابِي أَقُولُ: لِيَسُدْ فِيكِ سَلامٌ. ٨ 8
मैं अपने भाइयों और दोस्तों की ख़ातिर, अब कहूँगा तुझ में सलामती रहे!
مِنْ أَجْلِ الرَّبِّ إِلَهِنَا أَلْتَمِسُ لَكِ خَيْراً. ٩ 9
ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के घर की ख़ातिर, मैं तेरी भलाई का तालिब रहूँगा।

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