< المَزامِير 110 >

مَزْمُورٌ لِدَاوُدَ قَالَ الرَّبُّ لِرَبِّي: «اجْلِسْ عَنْ يَمِينِي حَتَّى أَضَعَ أَعْدَاءَكَ مَوْطِئاً لِقَدَمَيْكَ». ١ 1
यहोवा ने मेरे ख़ुदावन्द से कहा, “जब तक कि मैं तेरे दुश्मनों को तेरे पाँव की चौकी न कर दूँ।”
يَجْعَلُ الرَّبُّ صِهْيَوْنَ مُنْطَلَقاً لِسُلْطَانِكَ، وَيَقُولُ: «احْكُمْ فِي وَسَطِ أَعْدَائِكَ». ٢ 2
ख़ुदावन्द तेरे ज़ोर का 'असा सिय्यून से भेजेगा। तू अपने दुश्मनों में हुक्मरानी कर।
فِي يَوْمِ مُحَارَبَةِ أَعْدَائِكَ يَتَطَوَّعُ شَعْبُكَ. يَجِيءُ شَبَابُكَ إِلَى التِّلالِ الْمُقَدَّسَةِ كَالنَّدَى فِي قَلْبِ الْفَجْرِ. ٣ 3
लश्करकशी के दिन तेरे लोग ख़ुशी से अपने आप को पेश करते हैं; तेरे जवान पाक आराइश में हैं, और सुबह के बत्न से शबनम की तरह।
أَقْسَمَ الرَّبُّ وَلَنْ يَتَرَاجَعَ: «أَنْتَ كَاهِنٌ إِلَى الأَبَدِ عَلَى رُتْبَةِ مَلْكِيصَادَقَ». ٤ 4
ख़ुदावन्द ने क़सम खाई है और फिरेगा नहीं, “तू मलिक — ए — सिद्क के तौर पर हमेशा तक काहिन है।”
الرَّبُّ وَاقِفٌ عَنْ يَمِينِكَ. فِي يَوْمِ غَضَبِهِ يُحَطِّمُ مُلُوكاً. ٥ 5
ख़ुदावन्द तेरे दहने हाथ पर अपने कहर के दिन बादशाहों को छेद डालेगा।
يَقْضِي بَيْنَ الأُمَمِ، فَيَمْلَأُ الأَرْضَ الرَّحْبَةَ بِجُثَثِ رُؤَسَائِهَا. ٦ 6
वह क़ौमों में 'अदालत करेगा, वह लाशों के ढेर लगा देगा; और बहुत से मुल्कों में सिरों को कुचलेगा।
يَشْرَبُ الْمَلِكُ مِنَ النَّهْرِ الْمُجَاوِرِ لِلطَّرِيقِ، لِذَلِكَ يَشْمَخُ بِرَأْسِهِ مُنْتَصِراً. ٧ 7
वह राह में नदी का पानी पिएगा; इसलिए वह सिर को बुलन्द करेगा।

< المَزامِير 110 >