< المَزامِير 100 >
مَزْمُورُ اعْتِرَافٍ بِحَمْدِ الرَّبِّ اهْتِفُوا لِلرَّبِّ يَا سُكَّانَ الأَرْضِ جَمِيعاً. | ١ 1 |
ऐ अहले ज़मीन, सब ख़ुदावन्द के सामने ख़ुशी का ना'रा मारो!
اعْبُدُوا الرَّبَّ بِبَهْجَةٍ، وَامْثُلُوا أَمَامَهُ مُتَرَنِّمِينَ. | ٢ 2 |
ख़ुशी से ख़ुदावन्द की इबादत करो! गाते हुए उसके सामने हाज़िर हों!
اعْلَمُوا أَنَّ الرَّبَّ هُوَ اللهُ. هُوَ صَنَعَنَا وَنَحْنُ لَهُ، نَحْنُ شَعْبُهُ وَقَطِيعُ مَرْعَاهُ. | ٣ 3 |
जान रखों ख़ुदावन्द ही ख़ुदा है! उसी ने हम को बनाया और हम उसी के है; हम उसके लोग और उसकी चरागाह की भेड़े हैं।
ادْخُلُوا أَبْوَابَهُ حَامِدِينَ، دِيَارَهُ مُسَبِّحِينَ. اشْكُرُوهُ وَبَارِكُوا اسْمَهُ. | ٤ 4 |
शुक्रगुज़ारी करते हुए उसके फाटकों में और हम्द करते हुए उसकी बारगाहों में दाख़िल हो; उसका शुक्र करो और उसके नाम को मुबारक कहो!
فَإِنَّ الرَّبَّ صَالِحٌ، إِلَى الأَبَدِ رَحْمَتُهُ وَأَمَانَتُهُ دَائِمَةٌ مِنْ جِيلٍ إِلَى جِيلٍ. | ٥ 5 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द भला है, उसकी शफ़क़त हमेशा की है, और उसकी वफ़ादारी नसल दर नसल रहती है।