< المَزامِير 100 >
مَزْمُورُ اعْتِرَافٍ بِحَمْدِ الرَّبِّ اهْتِفُوا لِلرَّبِّ يَا سُكَّانَ الأَرْضِ جَمِيعاً. | ١ 1 |
एक स्तोत्र. धन्यवाद के लिए गीत याहवेह के स्तवन में समस्त पृथ्वी उच्च स्वर में जयघोष करे.
اعْبُدُوا الرَّبَّ بِبَهْجَةٍ، وَامْثُلُوا أَمَامَهُ مُتَرَنِّمِينَ. | ٢ 2 |
याहवेह की आराधना आनंदपूर्वक की जाए; हर्ष गीत गाते हुए उनकी उपस्थिति में प्रवेश किया जाए.
اعْلَمُوا أَنَّ الرَّبَّ هُوَ اللهُ. هُوَ صَنَعَنَا وَنَحْنُ لَهُ، نَحْنُ شَعْبُهُ وَقَطِيعُ مَرْعَاهُ. | ٣ 3 |
यह समझ लो कि स्वयं याहवेह ही परमेश्वर हैं. हमारी रचना उन्हीं ने की है, स्वयं हमने नहीं; हम पर उन्हीं का स्वामित्व है. हम उनकी प्रजा, उनकी चराई की भेड़ें हैं.
ادْخُلُوا أَبْوَابَهُ حَامِدِينَ، دِيَارَهُ مُسَبِّحِينَ. اشْكُرُوهُ وَبَارِكُوا اسْمَهُ. | ٤ 4 |
धन्यवाद के भाव में उनके द्वारों में और स्तवन भाव में उनके आंगनों में प्रवेश करो; उनकी महिमा को धन्य कहो.
فَإِنَّ الرَّبَّ صَالِحٌ، إِلَى الأَبَدِ رَحْمَتُهُ وَأَمَانَتُهُ دَائِمَةٌ مِنْ جِيلٍ إِلَى جِيلٍ. | ٥ 5 |
याहवेह भले हैं; उनकी करुणा सदा की है; उनकी सच्चाई का प्रसरण समस्त पीढ़ियों में होता जाता है.