< الأمثال 1 >

هَذِهِ هِيَ أَمْثَالُ سُلَيْمَانَ بْنِ دَاوُدَ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ، ١ 1
दाऊद के पुत्र इस्राएल के राजा सुलैमान के नीतिवचन:
لِتَعْلِيمِ الْحِكْمَةِ وَالْفَهْمِ، وَإِدْرَاكِ مَعَانِي الْأَقْوَالِ الْمَأْثُورَةِ. ٢ 2
इनके द्वारा पढ़नेवाला बुद्धि और शिक्षा प्राप्त करे, और समझ की बातें समझे,
وَلِلْحَثِّ عَلَى تَقَبُّلِ التَّأْدِيبِ الْفَطِنِ، وَالْبِرِّ وَالْعَدْلِ وَالاسْتِقَامَةِ. ٣ 3
और विवेकपूर्ण जीवन निर्वाह करने में प्रवीणता, और धर्म, न्याय और निष्पक्षता के विषय अनुशासन प्राप्त करे;
فَيُحْرِزُ الْبُسَطَاءُ فِطْنَةً، وَالأَحْدَاثُ عِلْماً وَبَصِيرَةً. ٤ 4
कि भोलों को चतुराई, और जवान को ज्ञान और विवेक मिले;
يَسْتَمِعُ إِلَيْهَا الْحَكِيمُ فَيَزْدَادُ حِكْمَةً، وَيَكْتَسِبُ الْفَهِيمُ مَهَارَةً، ٥ 5
कि बुद्धिमान सुनकर अपनी विद्या बढ़ाए, और समझदार बुद्धि का उपदेश पाए,
فِي فَهْمِ الْمَثَلِ وَالْمَعْنَى الْبَلِيغِ وَأَقْوَالِ الْحُكَمَاءِ الْمَأْثُورَةِ وَأَحَاجِيهِمْ. ٦ 6
जिससे वे नीतिवचन और दृष्टान्त को, और बुद्धिमानों के वचन और उनके रहस्यों को समझें।
فَإِنَّ مَخَافَةَ الرَّبِّ هِيَ رَأْسُ الْمَعْرِفَةِ، أَمَّا الْحَمْقَى فَيَسْتَهِينُونَ بِالْحِكْمَةِ وَالتَّأْدِيبِ. ٧ 7
यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है; बुद्धि और शिक्षा को मूर्ख लोग ही तुच्छ जानते हैं।
اسْتَمِعْ يَا ابْنِي إِلَى تَوْجِيهِ أَبِيكَ وَلا تَتَنَكَّرْ لِتَعْلِيمِ أُمِّكَ. ٨ 8
हे मेरे पुत्र, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा, और अपनी माता की शिक्षा को न तज;
فَإِنَّهُمَا إِكْلِيلُ نِعْمَةٍ يُتَوِّجُ رَأْسَكَ، وَقَلائِدُ تُطَوِّقُ عُنُقَكَ. ٩ 9
क्योंकि वे मानो तेरे सिर के लिये शोभायमान मुकुट, और तेरे गले के लिये माला होगी।
يَا ابْنِي إِنِ اسْتَغْوَاكَ الْخُطَاةُ فَلا تَقْبَلْ. ١٠ 10
१०हे मेरे पुत्र, यदि पापी लोग तुझे फुसलाएँ, तो उनकी बात न मानना।
إِنْ قَالُوا: «تَعَالَ مَعَنَا لِنَتَرَبَّصَ بِالنَّاسِ حَتَّى نَسْفُكَ دِمَاءً أَوْ نَكْمُنَ لِلْبَرِيءِ وَنَقْتُلَهُ لِغَيْرِ عِلَّةٍ. ١١ 11
११यदि वे कहें, “हमारे संग चल, कि हम हत्या करने के लिये घात लगाएँ, हम निर्दोषों पर वार करें;
أَوْ قَالُوا لَكَ: تَعَالَ لِنَبْتَلِعَهُمْ أَحْيَاءَ كَمَا تَبْتَلِعُهُمُ الْهَاوِيَةُ وَأَصِحَّاءَ كَالْهَابِطِينَ فِي حُفْرَةِ الْمَوْتِ (Sheol h7585) ١٢ 12
१२हम उन्हें जीवित निगल जाए, जैसे अधोलोक स्वस्थ लोगों को निगल जाता है, और उन्हें कब्र में पड़े मृतकों के समान बना दें। (Sheol h7585)
فَنَغْنَمَ كُلَّ نَفِيسٍ وَنَمْلأَ بُيُوتَنَا بِالأَسْلابِ. ١٣ 13
१३हमको सब प्रकार के अनमोल पदार्थ मिलेंगे, हम अपने घरों को लूट से भर लेंगे;
ارْبِطْ مَصِيرَكَ بِمَصِيرِنَا، وَلْنَتَقَاسَمْ أَسْلابَنَا بِالتَّسَاوِي». ١٤ 14
१४तू हमारा सहभागी हो जा, हम सभी का एक ही बटुआ हो,”
إِنْ قَالُوا لَكَ هَكَذَا فَلا تَسْلُكْ يَا ابْنِي فِي طَرِيقِهِمْ، وَاكْفُفْ قَدَمَكَ عَنْ سَبِيلِهِمْ. ١٥ 15
१५तो, हे मेरे पुत्र तू उनके संग मार्ग में न चलना, वरन् उनकी डगर में पाँव भी न रखना;
لأَنَّ أَرْجُلَهُمْ تَسْعَى حَثِيثاً إِلَى الشَّرِّ، وَتُسْرِعُ إِلَى سَفْكِ الدِّمَاءِ. ١٦ 16
१६क्योंकि वे बुराई ही करने को दौड़ते हैं, और हत्या करने को फुर्ती करते हैं।
فَإِنَّهُ عَبَثاً تُنْصَبُ الشَّبَكَةُ عَلَى مَرْأَى الطَّيْرِ. ١٧ 17
१७क्योंकि पक्षी के देखते हुए जाल फैलाना व्यर्थ होता है;
إِنَّمَا هُمْ يَتَرَبَّصُونَ لِسَفْكِ دَمِ أَنْفُسِهِمْ، وَيَكْمُنُونَ لإِهْدَارِ حَيَاتِهِمْ. ١٨ 18
१८और ये लोग तो अपनी ही हत्या करने के लिये घात लगाते हैं, और अपने ही प्राणों की घात की ताक में रहते हैं।
هَذَا هُوَ مَصِيرُ كُلِّ مَنْ يَثْرَى ظُلْماً، فَإِنَّ الثَّرَاءَ الْحَرَامَ يَذْهَبُ بِحَيَاةِ قَانِيهِ. ١٩ 19
१९सब लालचियों की चाल ऐसी ही होती है; उनका प्राण लालच ही के कारण नाश हो जाता है।
تُنَادِي الْحِكْمَةُ فِي الْخَارِجِ؛ وَفِي الأَسْوَاقِ تَرْفَعُ صَوْتَهَا. ٢٠ 20
२०बुद्धि सड़क में ऊँचे स्वर से बोलती है; और चौकों में प्रचार करती है;
عِنْدَ مُفْتَرَقَاتِ الطُّرُقِ الْمُزْدَحِمَةِ تَهْتِفُ، وَفِي مَدَاخِلِ بَوَّابَاتِ الْمَدِينَةِ تُرَدِّدُ أَقْوَالَهَا: ٢١ 21
२१वह बाजारों की भीड़ में पुकारती है; वह नगर के फाटकों के प्रवेश पर खड़ी होकर, यह बोलती है:
«إِلَى مَتَى أَيُّهَا الْجُهَّالُ تَظَلُّونَ مُوْلَعِينَ بِالسَّذَاجَةِ، وَالسَّاخِرُونَ تُسَرُّونَ بِالسُّخْرِيَةِ، وَالْحَمْقَى بِكَرَاهِيَةِ الْمَعْرِفَةِ؟ ٢٢ 22
२२“हे अज्ञानियों, तुम कब तक अज्ञानता से प्रीति रखोगे? और हे ठट्ठा करनेवालों, तुम कब तक ठट्ठा करने से प्रसन्न रहोगे? हे मूर्खों, तुम कब तक ज्ञान से बैर रखोगे?
إِنْ رَجَعْتُمْ عِنْدَ تَوْبِيخِي وَتُبْتُمْ، أَسْكُبْ عَلَيْكُمْ رُوحِي وَأُعَلِّمْكُمْ كَلِمَاتِي. ٢٣ 23
२३तुम मेरी डाँट सुनकर मन फिराओ; सुनो, मैं अपनी आत्मा तुम्हारे लिये उण्डेल दूँगी; मैं तुम को अपने वचन बताऊँगी।
وَلَكِنْ لأَنَّكُمْ أَبَيْتُمْ دَعْوَتِي، وَرَفَضْتُمْ يَدِي الْمَمْدُودَةَ إِلَيْكُمْ، ٢٤ 24
२४मैंने तो पुकारा परन्तु तुम ने इन्कार किया, और मैंने हाथ फैलाया, परन्तु किसी ने ध्यान न दिया,
وَتَجَاهَلْتُمْ كُلَّ نَصَائِحِي وَلَمْ تَقْبَلُوا تَوْبِيخِي، ٢٥ 25
२५वरन् तुम ने मेरी सारी सम्मति को अनसुना किया, और मेरी ताड़ना का मूल्य न जाना;
فَأَنَا أَيْضاً أَسْخَرُ عِنْدَ مُصَابِكُمْ، وَأَشْمَتُ عِنْدَ حُلُولِ بَلِيَّتِكُمْ. ٢٦ 26
२६इसलिए मैं भी तुम्हारी विपत्ति के समय हँसूँगी; और जब तुम पर भय आ पड़ेगा, तब मैं ठट्ठा करूँगी।
عِنْدَمَا تَجْتَاحُكُمُ الْبَلِيَّةُ كَالْعَاصِفَةِ، وَتَحُلُّ بِكُمُ الْكَارِثَةُ كَالزَّوْبَعَةِ، عِنْدَمَا يَعْتَرِيكُمْ ضِيقٌ وَشِدَّةٌ، ٢٧ 27
२७वरन् आँधी के समान तुम पर भय आ पड़ेगा, और विपत्ति बवण्डर के समान आ पड़ेगी, और तुम संकट और सकेती में फँसोगे, तब मैं ठट्ठा करूँगी।
حِينَئِذٍ يَسْتَغِيثُونَ بِي فَلا أَسْتَجِيبُ، وَيَلْتَمِسُونَنِي فَلا يَجِدُونَنِي. ٢٨ 28
२८उस समय वे मुझे पुकारेंगे, और मैं न सुनूँगी; वे मुझे यत्न से तो ढूँढ़ेंगे, परन्तु न पाएँगे।
لأَنَّهُمْ كَرِهُوا الْمَعْرِفَةَ وَلَمْ يُؤْثِرُوا مَخَافَةَ الرَّبِّ، ٢٩ 29
२९क्योंकि उन्होंने ज्ञान से बैर किया, और यहोवा का भय मानना उनको न भाया।
وَتَنَكَّرُوا لِكُلِّ مَشُورَتِي، وَاسْتَخَفُّوا بِتَوْبِيخِي. ٣٠ 30
३०उन्होंने मेरी सम्मति न चाही वरन् मेरी सब ताड़नाओं को तुच्छ जाना।
لِذَلِكَ يَأْكُلُونَ ثِمَارَ أَعْمَالِهِمِ الْمُرَّةَ، وَيَشْبَعُونَ مِنْ عَوَاقِبِ مُؤَامَرَاتِهِمْ ٣١ 31
३१इसलिए वे अपनी करनी का फल आप भोगेंगे, और अपनी युक्तियों के फल से अघा जाएँगे।
لأَنَّ ضَلالَ الحَمْقَى يَقْتُلُهُمْ، وَتَرَفَ الجُهَّالِ يُهْلِكُهُمْ. ٣٢ 32
३२क्योंकि अज्ञानियों का भटक जाना, उनके घात किए जाने का कारण होगा, और निश्चिन्त रहने के कारण मूर्ख लोग नाश होंगे;
أَمَّا الْمُسْتَمِعُ لِي فَيَسْكُنُ آمِناً مُطْمَئِنّاً لَا يُصِيبُهُ خَوْفٌ مِنَ الشَّرِّ». ٣٣ 33
३३परन्तु जो मेरी सुनेगा, वह निडर बसा रहेगा, और विपत्ति से निश्चिन्त होकर सुख से रहेगा।”

< الأمثال 1 >