< الأمثال 13 >
الابْنُ الْحَكِيمُ يَقْبَلُ تَأْدِيبَ أَبِيهِ، أَمَّا الْمُسْتَهْزِئُ فَلا يَسْتَمِعُ لِلانْتِهَارِ. | ١ 1 |
'अक़्लमंद बेटा अपने बाप की ता'लीम को सुनता है, लेकिन ठठ्ठा बाज़ सरज़निश पर कान नहीं लगाता।
مِنْ ثَمَرِ أَقْوَالِ فَمِهِ يَأْكُلُ الإِنْسَانُ خَيْراً، وَشَهْوَةُ الْغَادِرِينَ ارْتِكَابُ الظُّلْمِ. | ٢ 2 |
आदमी अपने कलाम के फल से अच्छा खाएगा, लेकिन दग़ाबाज़ों की जान के लिए सितम है।
مَنْ ضَبَطَ لِسَانَهُ صَانَ حَيَاتَهُ، وَمَنْ فَغَرَ فَاهُ مُتَهَوِّراً بِكَلامِهِ، فَمَصِيرُهُ الدَّمَارُ. | ٣ 3 |
अपने मुँह की निगहबानी करने वाला अपनी जान की हिफ़ाज़त करता है लेकिन जो अपने होंट पसारता है, हलाक होगा।
نَفْسُ الْكَسُولِ تَشْتَهِي كَثِيراً وَلا تَحْصُلُ عَلَى شَيْءٍ، أَمَّا نَفْسُ الْمُجْتَهِدِ فَتَغْنَى. | ٤ 4 |
सुस्त आदमी आरजू़ करता है लेकिन कुछ नहीं पाता, लेकिन मेहनती की जान सेर होगी।
يَمْقُتُ الصِّدِّيقُ الْكَذِبَ، أَمَّا الشِّرِّيرُ فَبِكَثْرَةِ كَذِبِهِ يُخْزِي وَيُخْجِلُ. | ٥ 5 |
सादिक़ को झूट से नफ़रत है, लेकिन शरीर नफरत अंगेज़ — ओ — रुस्वा होता है।
الْبِرُّ يَحْفَظُ صَاحِبَ السِّيرَةِ الْكَامِلَةِ، وَيُطَوِّحُ الشَّرُّ بِالْخَاطِئِ. | ٦ 6 |
सदाक़त रास्तरौ की हिफाज़त करती है, लेकिन शरारत शरीर को गिरा देती है।
رُبَّ فَقِيرٍ مُعْدَمٍ يَتَظَاهَرُ بِالْغِنَى، وَكَثِيرِ الْغِنَى يَتَظَاهَرُ بِالْفَقْرِ. | ٧ 7 |
कोई अपने आप को दौलतमंद जताता है लेकिन ग़रीब है, और कोई अपने आप को कंगाल बताता है लेकिन बड़ा मालदार है।
يَفْتَدِي الْمَرْءُ نَفْسَهُ بِغِنَاهُ، أَمَّا الْفَقِيرُ فَلا يُبَالِي بِالتَّهْدِيدِ. | ٨ 8 |
आदमी की जान का कफ़्फ़ारा उसका माल है, लेकिन कंगाल धमकी को नहीं सुनता।
نُورُ الأَبْرَارِ يَتَلأْلأُ بِالْبَهْجَةِ، وَسِرَاجُ الأَشْرَارِ يَنْطَفِئُ وَيُظْلِمُ. | ٩ 9 |
सादिक़ों का चिराग़ रोशन रहेगा, लेकिन शरीरों का दिया बुझाया जाएगा।
تُوَلِّدُ الْكِبْرِيَاءُ الْخُصُومَةَ، أَمَّا الْمُشَاوِرُونَ فَذَوُو حِكْمَةٍ. | ١٠ 10 |
तकब्बुर से सिर्फ़ झगड़ा पैदा होताहै, लेकिन मश्वरत पसंद के साथ हिकमत है।
مَالُ الظُّلْمِ يَتَبَدَّدُ سَرِيعاً، وَالْمَالُ الْمُدَّخَرُ مِنْ تَعَبِ الْيَدِ يَزْدَادُ. | ١١ 11 |
जो दौलत बेकारी से हासिल की जाए कम हो जाएगी, लेकिन मेहनत से जमा' करने वाले की दौलत बढ़ती रहेगी।
الأَمَلُ الْمُمَاطَلُ يُسْقِمُ الْقَلْبَ، وَالرَّغْبَةُ الْمُتَحَقِّقَةُ شَجَرَةُ حَيَاةٍ. | ١٢ 12 |
उम्मीद के पूरा होने में ताख़ीर दिल को बीमार करती है, लेकिन आरजू़ का पूरा होना ज़िन्दगी का दरख़्त है।
مَنِ ازْدَرَى بِكَلِمَةِ اللهِ يَجْلِبُ عَلَى نَفْسِهِ الْخَرَابَ، وَمَنْ خَشِيَ وَصِيَّةَ اللهِ يَلْقَى الثَّوَابَ. | ١٣ 13 |
जो कलाम की तहक़ीर करता है, अपने आप पर हलाकत लाता है; लेकिन जो फ़रमान से डरता है, अज्र पाएगा।
شَرِيعَةُ الْحَكِيمِ تُنْعِشُ كَيَنْبُوعِ حَيَاةٍ، وَالَّذِي يَقْبَلُهَا يَتَفَادَى أَشْرَاكَ الْمَوْتِ. | ١٤ 14 |
'अक़्लमंद की ता'लीम ज़िन्दगी का चश्मा है, जो मौत के फंदो से छुटकारे का ज़रिया' हो।
حُسْنُ التَّعَقُّلِ يُحْرِزُ الرِّضَى، أَمَّا سَبِيلُ الْغَادِرِينَ فَلا يَدُومُ. | ١٥ 15 |
समझ की दुरुस्ती मक़्बूलियत बख़्शती है, लेकिन दग़ाबाज़ों की राह कठिन है।
كُلُّ عَاقِلٍ يَعْمَلُ بِالْمَعْرِفَةِ أَمَّا الأَحْمَقُ فَيَعْرِضُ حُمْقَهُ. | ١٦ 16 |
हर एक होशियार आदमी 'अक़्लमंदी से काम करता है, पर बेवक़ूफ़ अपनी बेवक़ूफ़ी को फैला देता है।
الرَّسُولُ الشِّرِّيرُ يُوْقِعُ النَّاسَ فِي الأَزْمَاتِ، أَمَّا السَّفِيرُ الأَمِينُ فَيُصْلِحُ بَيْنَ الْمُتَخَاصِمِينَ. | ١٧ 17 |
शरीर क़ासिद बला में गिरफ़्तार होता है, लेकिन ईमानदार एल्ची सिहत बख़्श है।
مَنْ يَرْفُضُ التَّأْدِيبَ يَحُلُّ بِهِ الْفَقْرُ وَالذُّلُّ، وَمَنْ يَتَجَاوَبُ مَعَ التَّوْبِيخِ يُكْرَمُ. | ١٨ 18 |
तरबियत को रद्द करने वाला कंगालऔर रुस्वा होगा, लेकिन वह जो तम्बीह का लिहाज़ रखता है, 'इज़्ज़त पाएगा।
الرَّغْبَةُ الصَّالِحَةُ الَّتِي تَتَحَقَّقُ تَلُذُّ النَّفْسَ، وَتَجَنُّبُ الشَّرِّ رِجْسٌ لَدَى الْحَمْقَى. | ١٩ 19 |
जब मुराद पूरी होती है तब जी बहुत ख़ुश होता है, लेकिन बदी को छोड़ने से बेवक़ूफ़ को नफ़रत है।
مَنْ يُعَاشِرِ الْحُكَمَاءَ يُصْبِحْ حَكِيماً، وَرَفِيقُ الْحَمْقَى يَنَالُهُ الأَذَى. | ٢٠ 20 |
वह जो 'अक़्लमंदों के साथ चलता है 'अक़्लमंद होगा, पर बेवक़ूफ़ों का साथी हलाक किया जाएगा।
تُلاحِقُ الْبَلِيَّةُ الْخُطَاةَ، وَيُثَابُ الصِّدِّيقُونَ خَيْراً. | ٢١ 21 |
बदी गुनहगारों का पीछा करती है, लेकिन सादिक़ों को नेक बदला मिलेगा।
ثَرْوَةُ الصَّالِحِ تَدُومُ حَتَّى يَرِثَهَا الأَحْفَادُ، أَمَّا مِيرَاثُ الْخَاطِئِ فَمُدَّخَرٌ لِلصِّدِّيقِ. | ٢٢ 22 |
नेक आदमी अपने पोतों के लिए मीरास छोड़ता है, लेकिन गुनहगार की दौलत सादिक़ों के लिए फ़राहम की जाती है
قَدْ يُنْتِجُ حَقْلُ الْفَقِيرِ الْمَحْرُوثُ وَفْرَةً مِنَ الْغِلالِ، إِنَّمَا يُتْلِفُهَا سُوءُ التَّبَصُّرِ. | ٢٣ 23 |
कंगालों की खेती में बहुत ख़ुराक होती है, लेकिन ऐसे लोग भी हैं जो बे इन्साफ़ी से बर्बाद हो जाते हैं।
مَنْ كَفَّ عَنْ تَأْدِيبِ ابْنِهِ يَمْقُتُهُ، وَمَنْ يُحِبُّ ابْنَهُ يَسْعَى إِلَى تَأْدِيبِهِ. | ٢٤ 24 |
वह जो अपनी छड़ी को बाज़ रखता है, अपने बेटे से नफ़रत रखता है, लेकिन वह जो उससे मुहब्बत रखता है, बरवक़्त उसको तम्बीह करता है।
يَأْكُلُ الصِّدِّيقُ حَتَّى الشِّبَعِ، أَمَّا بَطْنُ الشِّرِّيرِ فَتَظَلُّ خَاوِيَةً. | ٢٥ 25 |
सादिक़ खाकर सेर हो जाता है, लेकिन शरीर का पेट नहीं भरता।