< الأمثال 12 >
مَنْ يُحِبُّ التَّأْدِيبَ يُحِبُّ الْمَعْرِفَةَ، وَمَنْ يَمْقُتُ التَّأْنِيبَ غَبِيٌّ. | ١ 1 |
अनुशासन प्रिय व्यक्ति को बुद्धिमता से प्रेम है, किंतु मूर्ख होता है वह, जिसे अप्रिय होती है सुधारना.
الصَّالِحُ يَحْظَى بِرِضَى الرَّبِّ، وَرَجُلُ الْمَكَائِدِ يَسْتَجْلِبُ قَضَاءَهُ. | ٢ 2 |
धर्मी व्यक्ति को याहवेह की कृपादृष्टि प्राप्त हो जाती है, किंतु जो दुष्कर्म की युक्ति करता रहता है, उसके लिए याहवेह का दंड नियत है.
لَا يَثْبُتُ الإِنْسَانُ بِالشَّرِّ، أَمَّا أَصْلُ الصِّدِّيقِ فَلا يَتَزَعْزَعُ. | ٣ 3 |
किसी को स्थिर करने में दुष्टता कोई भी योग नहीं देती, किंतु धर्मी के मूल को कभी उखाड़ा नहीं जा सकता.
الْمَرْأَةُ الْفَاضِلَةُ تَاجٌ لِزَوْجِهَا، أَمَّا جَالِبَةُ الْخِزْيِ فَكَنَخْرٍ فِي عِظَامِهِ. | ٤ 4 |
अच्छे चाल-चलनवाली पत्नी अपने पति का शिरोमणि होती है, किंतु वह पत्नी, जो पति के लिए लज्जा का विषय है, मानो पति की अस्थियों में लगा रोग है.
مَقَاصِدُ الصِّدِّيقِ شَرِيفَةٌ، وَتَدَابِيرُ الشِّرِّيرِ غَادِرَةٌ. | ٥ 5 |
धर्मी की धारणाएं न्याय संगत होती हैं, किंतु दुष्ट व्यक्ति के परामर्श छल-कपट पूर्ण होते हैं.
كَلامُ الأَشْرَارِ يَتَرَبَّصُ لِسَفْكِ الدَّمِ، وَأَقْوَالُ الْمُسْتَقِيمِينَ تَسْعَى لِلإِنْقَاذِ. | ٦ 6 |
दुष्ट व्यक्ति के शब्द ही रक्तपात के लिए उच्चारे जाते हैं. किंतु सज्जन व्यक्ति की बातें लोगों को छुड़ाने वाली होती हैं.
مَصِيرُ الأَشْرَارِ الانْهِيَارُ وَالتَّلاشِي، أَمَّا صَرْحُ الصِّدِّيقِينَ فَيَثْبُتُ رَاسِخاً. | ٧ 7 |
बुराइयां उखाड़ फेंकी जाती हैं और उनकी स्मृति भी शेष नहीं रहती, किंतु धार्मिक का परिवार स्थिर खड़ा रहता है.
يُحْمَدُ الْمَرْءُ لِتَعَقُّلِهِ، وَيُزْدَرَى ذُو الْقَلْبِ الْمُلْتَوِي. | ٨ 8 |
बुद्धिमान की बुद्धि उसे प्रशंसा प्रदान करती है, किंतु कुटिल मनोवृत्ति के व्यक्ति को घृणित समझा जाता है.
الْحَقِيرُ الْكَادِحُ خَيْرٌ مِنَ الْمُتَعَاظِمِ الْمُفْتَقِرِ لِلُقْمَةِ الْخُبْزِ. | ٩ 9 |
सामान्य व्यक्ति होकर भी सेवक रखने की क्षमता जिसे है, वह उस व्यक्ति से श्रेष्ठतर है, जो बड़प्पन तो दिखाता है, किंतु खाने की रोटी का भी अभाव में है.
الصِّدِّيقُ يُرَاعِي نَفْسَ بَهِيمَتِهِ، أَمَّا الشِّرِّيرُ فَأَرَقُّ مَرَاحِمِهِ تَتَّسِمُ بِالْقَسْوَةِ. | ١٠ 10 |
धर्मी अपने पालतू पशु के जीवन का भी ध्यान रखता है, किंतु दुर्जन द्वारा प्रदर्शित दया भी निर्दयता ही होती है.
مَنْ يُفْلِحْ أَرْضَهُ، تَكْثُرْ غَلَّةُ خُبْزِهِ، وَمَنْ يُلاحِقُ الأَوْهَامَ فَهُوَ أَحْمَقُ. | ١١ 11 |
जो किसान अपनी भूमि की जुताई-गुड़ाई करता रहता है, उसे भोजन का अभाव नहीं होता, किंतु जो व्यर्थ कार्यों में समय नष्ट करता है, निर्बुद्धि प्रमाणित होता है.
يَشْتَهِي الشِّرِّيرُ مَنَاهِبَ الإِثْمِ، أَمَّا الصِّدِّيقُ فَيَزْدَهِرُ. | ١٢ 12 |
दुष्ट बुराइयों द्वारा लूटी गई संपत्ति की लालसा करता है, किंतु धर्मी की जड़ फलवंत होती है.
يَقَعُ الشِّرِّيرُ فِي فَخِّ أَكَاذِيبِ لِسَانِهِ، أَمَّا الصِّدِّيقُ فَيُفْلِتُ مِنَ الضِّيقِ. | ١٣ 13 |
बुरा व्यक्ति अपने ही मुख की बातों से फंस जाता है, किंतु धर्मी संकट से बच निकलता है.
مِنْ ثَمَرِ صِدْقِ أَقْوَالِهِ يَشْبَعُ الإِنْسَانُ خَيْراً، كَمَا تُرَدُّ لَهُ ثِمَارُ أَعْمَالِ يَدَيْهِ. | ١٤ 14 |
समझदार शब्द कई लाभ लाते हैं, और कड़ी मेहनत प्रतिफल लाती है.
يَبْدُو سَبِيلُ الأَحْمَقِ صَالِحاً فِي عَيْنَيْهِ، أَمَّا الْحَكِيمُ فَيَسْتَمِعُ إِلَى الْمَشُورَةِ. | ١٥ 15 |
मूर्ख की दृष्टि में उसकी अपनी कार्यशैली योग्य लगती है, किंतु ज्ञानवान परामर्श की विवेचना करता है.
يُبْدِي الأَحْمَقُ غَيْظَهُ فِي لَحْظَةٍ، أَمَّا الْعَاقِلُ فَيَتَجَاهَلُ الإِهَانَةَ. | ١٦ 16 |
मूर्ख अपना क्रोध शीघ्र ही प्रकट करता है, किंतु व्यवहार कुशल व्यक्ति अपमान को अनदेखा करता है.
مَنْ يَنْطِقْ بِالصِّدْقِ يَشْهَدْ بِالْحَقِّ، أَمَّا شَاهِدُ الزُّورِ فَيَتَكَلَّمُ بِالْكَذِبِ. | ١٧ 17 |
सत्यवादी की साक्ष्य सत्य ही होती है, किंतु झूठा छलयुक्त साक्ष्य देता है.
رُبَّ مِهْذَارٍ تَنْفُذُ كَلِمَاتُهُ كَطَعْنَاتِ السَّيْفِ، وَفِي أَقْوَالِ فَمِ الْحُكَمَاءِ شِفَاءٌ. | ١٨ 18 |
असावधानी में कहा गया शब्द तलवार समान बेध जाता है, किंतु बुद्धिमान के शब्द चंगाई करने में सिद्ध होते हैं.
أَقْوَالُ الشِّفَاهِ الصَّادِقَةِ تَدُومُ إِلَى الأَبَدِ، أَمَّا أَكَاذِيبُ لِسَانِ الزُّورِ فَتَنْفَضِحُ فِي لَحْظَةٍ. | ١٩ 19 |
सच्चाई के वचन चिरस्थायी सिद्ध होते हैं, किंतु झूठ बोलने वाली जीभ पल भर की होती है!
يَكْمُنُ الْغِشُّ فِي قُلُوبِ مُدَبِّرِي الشَّرِّ، أَمَّا الْفَرَحُ فَيَمْلأُ صُدُورَ السَّاعِينَ إِلَى السَّلامِ. | ٢٠ 20 |
बुराई की युक्ति करनेवाले के हृदय में छल होता है, किंतु जो मेल स्थापना का प्रयास करते हैं, हर्षित बने रहते हैं.
لَا يُصِيبُ الصِّدِّيقَ سُوءٌ، أَمَّا الأَشْرَارُ فَيَحِيقُ بِهِمُ الأَذَى. | ٢١ 21 |
धर्मी पर हानि का प्रभाव ही नहीं होता, किंतु दुर्जन सदैव संकट का सामना करते रहते हैं.
الشِّفَاهُ الْكَاذِبَةُ رِجْسٌ لَدَى الرَّبِّ، وَمَسَرَّتُهُ بِالْعَامِلِينَ بِالصِّدْقِ. | ٢٢ 22 |
झूठ बोलनेवाले ओंठ याहवेह के समक्ष घृणास्पद हैं, किंतु उनकी प्रसन्नता खराई में बनी रहती है.
الْعَاقِلُ يَحْتَفِظُ بِعِلْمِهِ، وَقُلُوبُ الْجُهَّالِ تَفْضَحُ مَا فِيهَا مِنْ سَفَاهَةٍ. | ٢٣ 23 |
चतुर व्यक्ति ज्ञान को प्रगट नहीं करता, किंतु मूर्ख के हृदय मूर्खता का प्रसार करता है.
ذُو الْيَدِ الْمُجْتَهِدَةِ يَسُودُ، وَالْكَسُولُ ذُو الْيَدِ الْمُرْتَخِيَةِ يَخْدُمُ تَحْتَ الْجِزْيَةِ. | ٢٤ 24 |
सावधान और परिश्रमी व्यक्ति शासक के पद तक उन्नत होता है, किंतु आलसी व्यक्ति को गुलाम बनना पड़ता है.
الْقَلْبُ الْقَلِقُ الْجَزِعُ يُوْهِنُ الإِنْسَانَ، وَالْكَلِمَةُ الطَّيِّبَةُ تُفَرِّحُهُ. | ٢٥ 25 |
चिंता का बोझ किसी भी व्यक्ति को दबा छोड़ता है, किंतु सांत्वना का मात्र एक शब्द उसमें आनंद को भर देता है.
الصِّدِّيقُ يَهْدِي صَاحِبَهُ، أَمَّا طَرِيقُ الأَشْرَارِ فَتُضِلُّهُ. | ٢٦ 26 |
धर्मी अपने पड़ोसी के लिए मार्गदर्शक हो जाता है, किंतु बुरे व्यक्ति का चालचलन उसे भटका देता है.
الْمُتَقَاعِسُ لَا يَحْظَى بِصَيْدٍ، وَأَثْمَنُ مَا لَدَى الإِنْسَانِ هُوَ اجْتِهَادُهُ. | ٢٧ 27 |
आलसी के पास पकाने के लिए अन्न ही नहीं रह जाता, किंतु परिश्रमी व्यक्ति के पास भरपूर संपत्ति जमा हो जाती है.
سَبِيلُ الْبِرِّ يُفْضِي إِلَى الْحَيَاةِ، وَفِي طَرِيقِهِ خُلُودٌ. | ٢٨ 28 |
धर्म का मार्ग ही जीवन है; और उसके मार्ग पर अमरत्व है.