< الأمثال 11 >

الْمِيزَانُ الْمَغْشُوشُ رِجْسٌ لَدَى الرَّبِّ، وَالْمِكْيَالُ الْوَافِي يَحُوزُ رِضَاهُ. ١ 1
छल के तराजू से यहोवा को घृणा आती है, परन्तु वह पूरे बटखरे से प्रसन्न होता है।
حِينَمَا تُقْبِلُ الْكِبْرِيَاءُ يُقْبِلُ مَعَهَا الْهَوَانُ، أَمَّا الْحِكْمَةُ فَتَأْتِي مَعَ الْمُتَوَاضِعِينَ. ٢ 2
जब अभिमान होता, तब अपमान भी होता है, परन्तु नम्र लोगों में बुद्धि होती है।
كَمَالُ الْمُسْتَقِيمِينَ يَهْدِيهِمْ، وَاعْوِجَاجُ الْغَادِرِينَ يُدَمِّرُهُمْ. ٣ 3
सीधे लोग अपनी खराई से अगुआई पाते हैं, परन्तु विश्वासघाती अपने कपट से नाश होते हैं।
لَا يُجْدِي الْغِنَى فِي يَوْمِ قَضَاءِ الرَّبِّ، أَمَّا الْبِرُّ فَيُنَجِّي مِنَ الْمَوْتِ. ٤ 4
कोप के दिन धन से तो कुछ लाभ नहीं होता, परन्तु धर्म मृत्यु से भी बचाता है।
بِرُّ الْكَامِلِ يُقَوِّمُ طَرِيقَهُ، أَمَّا الشِّرِّيرُ فَيَسْقُطُ فِي حُفْرَةِ شَرِّهِ. ٥ 5
खरे मनुष्य का मार्ग धर्म के कारण सीधा होता है, परन्तु दुष्ट अपनी दुष्टता के कारण गिर जाता है।
بِرُّ الْمُسْتَقِيمِ يُنَجِّيهِ، وَالْغَادِرُونَ يُؤْخَذُونَ بِفُجُورِهِمْ. ٦ 6
सीधे लोगों का बचाव उनके धर्म के कारण होता है, परन्तु विश्वासघाती लोग अपनी ही दुष्टता में फँसते हैं।
إِذَا مَاتَ الشِّرِّيرُ يَفْنَى رَجَاؤُهُ، وَأَمَلُ الأَثَمَةِ يَبِيدُ. ٧ 7
जब दुष्ट मरता, तब उसकी आशा टूट जाती है, और अधर्मी की आशा व्यर्थ होती है।
الصِّدِّيقُ يَنْجُو مِنَ الضِّيقِ، وَفِي مَكَانِهِ يَحِلُّ الشِّرِّيرُ. ٨ 8
धर्मी विपत्ति से छूट जाता है, परन्तु दुष्ट उसी विपत्ति में पड़ जाता है।
يُدَمِّرُ الْمُنَافِقُ صَاحِبَهُ بِأَقْوَالِهِ، وَيَنْجُو الصِّدِّيقُ بِالْمَعْرِفَةِ. ٩ 9
भक्तिहीन जन अपने पड़ोसी को अपने मुँह की बात से बिगाड़ता है, परन्तु धर्मी लोग ज्ञान के द्वारा बचते हैं।
تَتَهَلَّلُ الْمَدِينَةُ لِفَلاحِ الأَبْرَارِ، وَيَشِيعُ هُتَافُ الْبَهْجَةِ لَدَى مَوْتِ الأَشْرَارِ. ١٠ 10
१०जब धर्मियों का कल्याण होता है, तब नगर के लोग प्रसन्न होते हैं, परन्तु जब दुष्ट नाश होते, तब जय जयकार होता है।
بِبَرَكَةِ الْمُسْتَقِيمِينَ تَتَعَظَّمُ الْمَدِينَةُ، وَتُهْدَمُ بِسَبَبِ أَقْوَالِ الأَشْرَارِ. ١١ 11
११सीधे लोगों के आशीर्वाद से नगर की बढ़ती होती है, परन्तु दुष्टों के मुँह की बात से वह ढाया जाता है।
مَنْ يَحْتَقِرُ جَارَهُ يَفْتَقِرُ إِلَى الإِدْرَاكِ السَّلِيمِ، وَذُو الْفِطْنَةِ يَعْتَصِمُ بِالصَّمْتِ. ١٢ 12
१२जो अपने पड़ोसी को तुच्छ जानता है, वह निर्बुद्धि है, परन्तु समझदार पुरुष चुपचाप रहता है।
الْوَاشِي يُفْشِي السِّرَّ، وَالأَمِينُ النَّفْسِ يَكْتُمُهُ. ١٣ 13
१३जो चुगली करता फिरता वह भेद प्रगट करता है, परन्तु विश्वासयोग्य मनुष्य बात को छिपा रखता है।
يَسْقُطُ الشَّعْبُ حَيْثُ تَنْعَدِمُ الْهِدَايَةُ، وَبِكَثْرَةِ الْمُشِيرِينَ يَتَحَقَّقُ الْخَلاصُ. ١٤ 14
१४जहाँ बुद्धि की युक्ति नहीं, वहाँ प्रजा विपत्ति में पड़ती है; परन्तु सम्मति देनेवालों की बहुतायत के कारण बचाव होता है।
مَنْ يَضْمَنُ الْغَرِيبَ يَتَعَرَّضُ لأَشَدِّ الأَذَى، وَمَنْ يَمْقُتُ الضَّامِنِينَ بِصَفْقِ الأَيْدِي يَطْمَئِنُّ. ١٥ 15
१५जो परदेशी का उत्तरदायी होता है, वह बड़ा दुःख उठाता है, परन्तु जो जमानत लेने से घृणा करता, वह निडर रहता है।
الْمَرْأَةُ الرَّقِيقَةُ الْقَلْبِ تَحْظَى بِالْكَرَامَةِ، وَالْعُنَفَاءُ لَا يَحْصُلُونَ إِلّا عَلَى الْغِنَى. ١٦ 16
१६अनुग्रह करनेवाली स्त्री प्रतिष्ठा नहीं खोती है, और उग्र लोग धन को नहीं खोते।
الرَّحِيمُ يُحْسِنُ إِلَى نَفْسِهِ، وَالْقَاسِي يُؤْذِي ذَاتَهُ. ١٧ 17
१७कृपालु मनुष्य अपना ही भला करता है, परन्तु जो क्रूर है, वह अपनी ही देह को दुःख देता है।
الشِّرِّيرُ يَكْسَبُ أُجْرَةَ غِشٍّ زَائِلَةً، أَمَّا زَارِعُ الْبِرِّ فَلَهُ ثَوَابٌ أَكِيدٌ دَائِمٌ. ١٨ 18
१८दुष्ट मिथ्या कमाई कमाता है, परन्तु जो धर्म का बीज बोता, उसको निश्चय फल मिलता है।
الْمُتَشَبِّثُ بِالْبِرِّ يَحْيَا، وَمَنْ يَتْبَعُ الشَّرَّ يَمُوتُ. ١٩ 19
१९जो धर्म में दृढ़ रहता, वह जीवन पाता है, परन्तु जो बुराई का पीछा करता, वह मर जाएगा।
ذَوُو الْقُلُوبِ الْمُعْوَجَّةِ رِجْسٌ لَدَى الرَّبِّ، وَبِذَوِي السِّيرَةِ الْمُسْتَقِيمَةِ مَرْضَاتُهُ. ٢٠ 20
२०जो मन के टेढ़े हैं, उनसे यहोवा को घृणा आती है, परन्तु वह खरी चालवालों से प्रसन्न रहता है।
الشِّرِّيرُ لَا يُفْلِتُ حَتْماً مِنَ الْعِقَابِ، أَمَّا ذُرِّيَّةُ الصِّدِّيقِينَ فَتَنْجُو. ٢١ 21
२१निश्‍चय जानो, बुरा मनुष्य निर्दोष न ठहरेगा, परन्तु धर्मी का वंश बचाया जाएगा।
الْمَرْأَةُ الْجَمِيلَةُ الْمُجَرَّدَةُ مِنَ الْحِكْمَةِ كَخِزَامَةٍ مِنْ ذَهَبٍ فِي أَنْفِ خِنْزِيرَةٍ. ٢٢ 22
२२जो सुन्दर स्त्री विवेक नहीं रखती, वह थूथन में सोने की नत्थ पहने हुए सूअर के समान है।
بُغْيَةُ الصِّدِّيقِينَ الْخَيْرُ فَقَطْ، أَمَّا تَوَقُّعَاتُ الشِّرِّيرِ فَهِيَ فِي الْغَضَبِ. ٢٣ 23
२३धर्मियों की लालसा तो केवल भलाई की होती है; परन्तु दुष्टों की आशा का फल क्रोध ही होता है।
قَدْ يَسْخُو الْمَرْءُ بِمَا عِنْدَهُ فَيَزْدَادُ غِنىً وَيَبْخَلُ آخَرُ بِمَا عَلَيْهِ أَنْ يَسْخُوَ بِهِ فَيَفْتَقِرُ. ٢٤ 24
२४ऐसे हैं, जो छितरा देते हैं, फिर भी उनकी बढ़ती ही होती है; और ऐसे भी हैं जो यथार्थ से कम देते हैं, और इससे उनकी घटती ही होती है।
النَّفْسُ السَّخِيَّةُ تَزْدَادُ ثَرَاءً، وَالْمُرْوِي يُرْوَى أَيْضاً. ٢٥ 25
२५उदार प्राणी हष्ट-पुष्ट हो जाता है, और जो औरों की खेती सींचता है, उसकी भी सींची जाएगी।
يَلْعَنُ الشَّعْبُ مُحْتَكِرَ الْحِنْطَةِ، وَتَحُلُّ الْبَرَكَةُ عَلَى رَأْسِ مَنْ يَبِيعُهَا. ٢٦ 26
२६जो अपना अनाज जमाखोरी करता है, उसको लोग श्राप देते हैं, परन्तु जो उसे बेच देता है, उसको आशीर्वाद दिया जाता है।
مَنْ يَسْعَى فِي الْخَيْرِ، يَلْتَمِسُ الرِّضَى، وَمَنْ يَنْشُدُ الشَّرَّ يُقْبِلُ إِلَيْهِ. ٢٧ 27
२७जो यत्न से भलाई करता है वह दूसरों की प्रसन्नता खोजता है, परन्तु जो दूसरे की बुराई का खोजी होता है, उसी पर बुराई आ पड़ती है।
مَنْ يَتَّكِلُ عَلَى غِنَاهُ يَسْقُطُ، أَمَّا الصِّدِّيقُونَ فَيَزْهُونَ كَأَوْرَاقِ الشَّجَرِ الْخَضْرَاءِ. ٢٨ 28
२८जो अपने धन पर भरोसा रखता है वह सूखे पत्ते के समान गिर जाता है, परन्तु धर्मी लोग नये पत्ते के समान लहलहाते हैं।
مَنْ يُكَدِّرُ حَيَاةَ أَهْلِ بَيْتِهِ يَرِثُ الرِّيحَ، وَيُصْبِحُ الأَحْمَقُ خَادِماً لِلْحَكِيمِ. ٢٩ 29
२९जो अपने घराने को दुःख देता, उसका भाग वायु ही होगा, और मूर्ख बुद्धिमान का दास हो जाता है।
ثَمَرُ الصِّدِّيقِ شَجَرَةُ حَيَاةٍ، وَرَابِحُ النُّفُوسِ حَكِيمٌ. ٣٠ 30
३०धर्मी का प्रतिफल जीवन का वृक्ष होता है, और बुद्धिमान मनुष्य लोगों के मन को मोह लेता है।
إِنْ كَانَ الصِّدِّيقُ يُجَازَى عَلَى الأَرْضِ، فَكَمْ بِالْحَرِيِّ يَكُونُ جَزَاءُ الشِّرِّيرِ وَالْخَاطِئِ. ٣١ 31
३१देख, धर्मी को पृथ्वी पर फल मिलेगा, तो निश्चय है कि दुष्ट और पापी को भी मिलेगा।

< الأمثال 11 >