< عَدَد 24 >

وَلَمَّا رَأَى بَلْعَامُ أَنَّ الرَّبَّ يُسَرُّ بِمُبَارَكَةِ إِسْرَائِيلَ لَمْ يَمْضِ كَالْمَرَّتَيْنِ السَّابِقَتَيْنِ لِمُلاقَاةِ الرَّبِّ، لَكِنَّهُ تَوَجَّهَ بِنَظَرِهِ نَحْوَ الصَّحْرَاءِ، ١ 1
जब बिलआम ने यह ध्यान दिया कि इस्राएल को आशीर्वाद देने पर याहवेह प्रसन्‍न होते हैं, उसने पूर्व अवसरों के समान शकुन ज्ञात करने का प्रयास नहीं किया. उसने निर्जन प्रदेश की ओर अपना मुख स्थिर किया.
وَهُنَاكَ شَاهَدَ بَنِي إِسْرَائِيلَ مُخَيِّمِينَ حَسَبَ أَسْبَاطِهِمْ، فَحَلَّ عَلَيْهِ رُوحُ اللهِ، ٢ 2
जब बिलआम ने दृष्टि की, तो उसे गोत्र के अनुसार व्यवस्थित इस्राएली डेरे डाले हुए दिखाई दिए. परमेश्वर का आत्मा उस पर उतरा.
وَتَنَبَّأَ قَائِلاً: «كَلامُ بَلْعَامَ بْنِ بَعُورَ، كَلامُ الرَّجُلِ الْمَفْتُوحِ الْعَيْنَيْنِ. ٣ 3
उसने अपना वचन शुरू कर दिया: “बेओर के पुत्र बिलआम की वाणी, उस व्यक्ति की वाणी, जिसे दृष्टि दी गई है,
كَلامُ مَنْ يَسْمَعُ أَقْوَالَ اللهِ، الَّذِي يُشَاهِدُ رُؤْيَا الْقَدِيرِ. الَّذِي يَنْطَرِحُ فَتَنْفَتِحُ عَيْنَاهُ. ٤ 4
यह उसकी वाणी है, जो परमेश्वर के वचन सुनता है, जो सर्वशक्तिमान का दर्शन देखा करता है, वह भूमि पर दंडवत पड़ा है, उसकी दृष्टि खुली है:
مَا أَجْمَلَ خِيَامَكَ يَا يَعْقُوبُ، وَمَا أَبْهَى مَسَاكِنَكَ يَا إِسْرَائِيلُ! ٥ 5
“याकोब कैसे सुंदर लग रहे हैं, तुम्हारे शिविर, इस्राएल, तुम्हारे डेरे!
هِيَ مِثْلُ أَوْدِيَةٍ مُمْتَدَّةٍ، وَكَجَنَّاتٍ عَلَى مَجْرَى نَهْرٍ، وَكَشَجَرَاتِ صَبَّارٍ غَرَسَهَا الرَّبُّ، وَمِثْلُ أَشْجَارِ الأَرْزِ النَّامِيَةِ بِجُوَارِ الْمِيَاهِ. ٦ 6
“जो फैली हुई घाटी के समान है, जो नदी तट के बगीचे के समान है, जो याहवेह द्वारा रोपित अगरू पौधे के समान, जो जल के निकट के देवदार वृक्ष के समान है.
تَجْرِي مِيَاهٌ مِنْ مَسَاقِيهِ، وَلِزَرْعِهِ يَتَوَافَرُ مَاءٌ غَزِيرٌ. يَكُونُ مَلِكُهُ أَعْظَمَ شَأْناً مِنْ أَجَاجَ وَتَتَسَامَى مَمْلَكَتُهُ. ٧ 7
जल उसके जल पात्रों से हमेशा बहता रहेगा, उसका बीज जल भरे खेतों के निकट होगा. “उसका राजा, अगाग से भी अधिक महान होगा, उसका राज्य बढ़ता जाएगा.
اللهُ أَخْرَجَهُ مِنْ مِصْرَ، وَقُوَّتُهُ مِثْلُ الثَّوْرِ الْوَحْشِيِّ. يَفْتَرِسُ خُصُومَهُ مِنَ الأُمَمِ، وَيَقْضَمُ عِظَامَهُمْ وَيُثْخِنُهُمْ بِسِهَامِهِ. ٨ 8
“परमेश्वर उसे मिस्र देश से निकाल लाए; उसके लिए परमेश्वर जंगली सांड़ के सींग के समान हैं, वह उन राष्ट्रों को चट कर जाएगा, जो उसके विरुद्ध हैं, उनकी हड्डियां चूर-चूर हो जाएंगी, वह अपने बाणों से उन्हें नाश कर देगा.
يَجْثِمُ كَأَسَدٍ، وَيَرْبِضُ كَلَبْوَةٍ. فَمَنْ يَجْرُؤُ عَلَى إِثَارَتِهِ؟ مَنْ يُبَارِكُكَ يَكُونُ مُبَارَكاً، وَمَنْ يَلْعَنُكَ يَكُونُ مَلْعُوناً». ٩ 9
वह शेर के समान लेटता तथा विश्राम करता है, किसमें साहस है कि इस शेर को छेड़ें? “सराहनीय हैं वे सब, जो उसे आशीर्वाद देते हैं, शापित हैं, वे सब जो उसे शाप देते हैं!”
فَاسْتَشَاطَ بَالاقُ غَضَباً عَلَى بَلْعَامَ، وَضَرَبَ كَفّاً عَلَى كَفٍّ قَائِلاً لَهُ: «دَعَوْتُكَ لِتَشْتِمَ أَعْدَائِي، وَهَا أَنْتَ قَدْ بَارَكْتَهُمْ ثَلاثَ مَرَّاتٍ! ١٠ 10
बिलआम के प्रति बालाक का क्रोध भड़क उठा, अपने हाथ पीटते हुए बिलआम से कहा, “मैंने तुम्हें अपने शत्रुओं को शाप देने के उद्देश्य से यहां बुलाया था और अब देख लो, तुमने उन्हें तीनों बार आशीष ही देने की हठ की है.
وَالآنَ اغْرُبْ عَنْ وَجْهِي وَامْضِ إِلَى بَيْتِكَ، فَقَدْ كَانَ فِي عَزْمِي إِكْرَامُكَ وَلَكِنَّ الرَّبَّ شَاءَ أَنْ لَا تَحْظَى بِهِ». ١١ 11
इसलिये अब भाग जाओ यहां से अपने देश को. मैंने चाहा था, तुम्हें बहुत ही सम्मानित करूंगा; किंतु देख लो, याहवेह ने यह सम्मान भी तुमसे दूर ही रखा है.”
فَأَجَابَهُ بَلْعَامُ: «أَلَمْ أَقُلْ لِرُسُلِكَ الَّذِينَ بَعَثْتَهُمْ إِلَيَّ ١٢ 12
बिलआम ने बालाक को उत्तर दिया, “क्या, मैंने आपके द्वारा भेजे गए दूतों के सामने यह स्पष्ट न किया था,
إِنَّهُ وَلَوْ أَغْدَقَ عَلَيَّ بَالاقُ مِلْءَ قَصْرِهِ ذَهَباً وَفِضَّةً فَلَنْ أَعْصَى أَمْرَ الرَّبِّ، فَأَصْنَعَ خَيْراً أَوْ شَرّاً مِنْ نَفْسِي؟ فَإِنَّ مَا يُعْلِنُهُ لِي الرَّبُّ فَإِيَّاهُ أُبَلِّغُ. ١٣ 13
‘चाहे बालाक मेरे घर को चांदी-सोने से भर दे, मेरे लिए याहवेह के आदेश के विरुद्ध अपनी ओर से अच्छाई या बुराई करना असंभव होगा. मैं तो वही कहूंगा, जो याहवेह मुझसे कहेंगे’?
وَالآنَ أَعُودُ إِلَى شَعْبِي، وَلَكِنْ دَعْنِي أُنْبِئُكَ بِمَا سَيُنْزِلُهُ هَذَا الشَّعْبُ بِقَوْمِكَ فِي آخِرِ الأَيَّامِ». ١٤ 14
फिर अब यह सुन लीजिए: मैं अपने लोगों के बीच में लौट रहा हूं, मैं आपको चेतावनी दूंगा कि भविष्य में ये लोग आपकी प्रजा के साथ क्या-क्या करने पर हैं.”
ثُمَّ تَنَبَّأَ قَائِلاً: «كَلامُ بَلْعَامَ بْنِ بَعُورَ، كَلامُ الرَّجُلِ الْمَفْتُوحِ الْعَيْنَيْنِ. ١٥ 15
उसने अपना वचन इस प्रकार शुरू किया: “बेओर के पुत्र बिलआम की वाणी, उस व्यक्ति की वाणी, जिसे दृष्टि प्रदान कर दी गई है,
كَلامُ مَنْ يَسْمَعُ أَقْوَالَ اللهِ، وَيَتَلَقَّى الْمَعْرِفَةَ مِنَ الْعَلِيِّ، الَّذِي يُشَاهِدُ رُؤْيَا الْقَدِيرِ، الَّذِي يَنْطَرِحُ فَتَنْفَتِحُ عَيْنَاهُ. ١٦ 16
उस व्यक्ति की वाणी, जो परमेश्वर का वचन सुनता है, जिसे उन परम प्रधान के ज्ञान की जानकारी है, जो सर्वशक्तिमान के दिव्य दर्शन देखता है, वह है तो भूमि पर दंडवत, किंतु उसकी आंखें खुली हैं:
أَرَاهُ وَلَكِنْ لَيْسَ حَاضِراً، وَأُبْصِرُهُ وَلَكِنْ لَيْسَ قَرِيباً. يَخْرُجُ نَجْمٌ مِنْ يَعْقُوبَ، وَيَظْهَرُ مَلِكٌ مِنْ إِسْرَائِيلَ فَيُحَطِّمُ طَرَفَيْ مُوآبَ، وَيُهْلِكُ كُلَّ رِجَالِ الْحَرْبِ. ١٧ 17
“मैं उन्हें देख अवश्य रहा हूं, किंतु इस समय नहीं; मैं उनकी ओर दृष्टि तो कर रहा हूं, किंतु वह निकट नहीं है. याकोब से एक तारा उदय होगा; इस्राएल से एक राजदंड उभरेगा, जो मोआब के मुंह को कुचल देगा, वह शेत के सभी वंशजों को फाड़ देगा.
وَيَرِثُ أَرْضَ أَدُومَ، وَيَتَمَلَّكُ دِيَارَ سَعِيرَ. أَمَّا إِسْرَائِيلُ فَيَزْدَادُ قُوَّةً. ١٨ 18
एदोम अधीनता में जा पड़ेगा; सेईर भी, जो इसके शत्रु हैं, अधीन हो जाएंगे.
وَيَبْرُزُ حَاكِمٌ مِنْ يَعْقُوبَ فَيُدَمِّرُ مَا تَبَقَّى مِنْ مُدُنٍ». ١٩ 19
याकोब के घराने में से एक महान अधिकारी हो जाएगा, वही इस नगर के बचे हुए भाग को नाश कर देगा.”
ثُمَّ تَطَلَّعَ بَلْعَامُ نَحْوَ مَسَاكِنِ أَهْلِ عَمَالِيقَ فَتَنَبَّأَ: «كَانَ عَمَالِيقُ أَوَّلَ الشُّعُوبِ، أَمَّا عَاقِبَتُهُ فَإِلَى الْهَلاكِ». ٢٠ 20
उसने अमालेकियों की ओर दृष्टि की और यह वचन शुरू किया: “अमालेक उन राष्ट्रों में आगे था, किंतु उसका अंत विनाश ही है.”
ثُمَّ الْتَفَتَ نَحْوَ الْقَيْنِيِّينَ فَأَنْبَأَ: «لِيَكُنْ مَسْكَنُكَ مَنِيعاً، وَعُشُّكَ مَوْضُوعاً فِي صَخْرَةٍ. ٢١ 21
इसके बाद बिलआम ने केनियों की ओर अपनी दृष्टि उठाई, तथा अपना वचन इस प्रकार ज़ारी रखा: “तुम्हारा निवास तो अति दृढ़ है, तुम्हारा बसेरा चट्टान की सुरक्षा में बसा है;
وَإِنَّمَا سَتُدَمَّرُونَ عِنْدَمَا يَطْرُدُكُمُ الأَشُّورِيُّونَ». ٢٢ 22
यह होने पर भी केनी उजड़ हो जाएगा; अश्शूर तुम्हें कब तक बंदी रखेगा?”
ثُمَّ تَنَبَّأَ قَائِلاً: «مَنْ لَهُ طَاقَةٌ عَلَى الْعَيْشِ حِينَ يُجْرِي الرَّبُّ ذَلِكَ؟ ٢٣ 23
इसके बाद बिलआम ने अपने वचन में यह कहा: “परमेश्वर द्वारा ठहराए गए के अलावा जीवित कौन रह सकता है?
تُقْبِلُ سُفُنٌ مِنْ كِتِّيمَ، وَتُخْضِعُ أَشُورَ وَتُذِلُّ عَابِرَ، فَهُمَا أَيْضاً يَهْلِكَانِ». ٢٤ 24
किंतु जहाज़ कित्तिम तट से आते रहेंगे; वे अश्शूर को ताड़ना देंगे, एबर को ताड़ना देंगे, इस प्रकार उनका अंत भी नाश ही होगा.”
ثُمَّ رَجَعَ بَلْعَامُ إِلَى دِيَارِهِ، وَأَمَّا بَالاقُ فَمَضَى فِي سَبِيلِهِ. ٢٥ 25
इसके बाद बिलआम अपने नगर को लौट गया तथा बालाक भी अपने स्थान पर लौट गया.

< عَدَد 24 >