< عَدَد 22 >
وَارْتَحَلَ الإِسْرَائِيلِيُّونَ وَنَزَلُوا فِي سُهُولِ مُوآبَ، شَرْقِيَّ الأُرْدُنِّ مُقَابِلَ أَرِيحَا. | ١ 1 |
इसके बाद इस्राएली यात्रा करते हुए मोआब के मैदानों में आ पहुंचे, जो यरदन पार येरीख़ो के सामने है, यहां उन्होंने डेरा डाल दिया.
وَإِذْ بَلَغَ بَالاقَ بْنَ صِفُّورَ مَلِكَ مُوآبَ جَمِيعُ مَا أَنْزَلَهُ الإِسْرَائِيلِيُّونَ بِالأَمُورِيِّينَ، | ٢ 2 |
ज़ीप्पोर के पुत्र बालाक की जानकारी में वह सब था, जो इस्राएल द्वारा अमोरियों के साथ किया गया था.
اعْتَرَاهُ الْفَزَعُ لِكَثْرَةِ عَدَدِهِمْ، وَمَلأَ الْخَوْفُ قَلْبَ شَعْبِهِ مِنَ الإِسْرَائِيلِيِّينَ. | ٣ 3 |
तब मोआब देश इस्राएलियों की विशाल संख्या के कारण बहुत ही डर गया, इस्राएल मोआब के लिए आतंक का विषय हो गया.
فَقَالَ بَالاقُ لِشُيُوخِ مِدْيَانَ: «إِنَّ هَذَا الْجُمْهُورَ قَادِرٌ عَلَى لَحْسِ كُلِّ مَا حَوْلَنَا كَمَا يَلْحَسُ الثَّوْرُ عُشْبَ الْحَقْلِ». | ٤ 4 |
मोआब ने मिदियान के प्राचीनों के सामने अपने विचार इस प्रकार रखे, “अब तो यह विशाल जनसमूह हमारे आस-पास की वस्तुओं को इस प्रकार चट कर जाएगा, जिस प्रकार बैल मैदान के घास को चट कर जाता है.” इस अवसर पर ज़ीप्पोर का पुत्र बालाक जो मोआब देश का राजा था,
ثُمَّ بَعَثَ بِرُسُلٍ يَسْتَدْعِي بَلْعَامَ بْنَ بَعُورَ، الْمُقِيمَ فِي مَوْطِنِهِ فِي فَتُورَ، الْوَاقِعَةِ عَلَى نَهْرِ الْفُرَاتِ قَائِلاً: «هَا قَدْ خَرَجَ شَعْبٌ مِنْ مِصْرَ يُغَشِّي وَجْهَ الأَرْضِ بِكَثْرَتِهِ، وَهُوَ مُنْتَشِرٌ أَمَامِي. | ٥ 5 |
उसने पेथोर नगर को, जो फरात नदी के निकट है, उस नगर का रहवासी, बेओर के पुत्र बिलआम के पास अपने दूतों के द्वारा यह आमंत्रण भेजा: “सुनिए, मिस्र देश से यह जनसमूह यहां आ गया है. ये लोग इतनी बड़ी संख्या में हैं कि वे भूमि पर छा गए हैं और इन्होंने हमारे देश के सामने ही पड़ाव डाल रखा है.
فَتَعَالَ الآنَ وَالْعَنْ لِي هَذَا الشَّعْبَ لأَنَّهُ أَعْظَمُ مِنِّي، لَعَلِّي أَتَمَكَّنُ مِنْ دَحْرِهِ وَطَرْدِهِ مِنَ الأَرْضِ، لأَنِّي عَرَفْتُ أَنَّ مَنْ تُبَارِكُهُ يَكُونُ مُبَارَكاً وَمَنْ تَلْعَنُهُ يَكُونُ مَلْعُوناً». | ٦ 6 |
तब कृपा कर यहां पधारिए, मेरी ओर से इन्हें शाप दीजिए, क्योंकि ये हमारी तुलना में बहुत ही शक्तिशाली हैं. तब मेरे लिए यह संभव हो जाएगा कि मैं उन्हें पराजित कर हमारे देश से बाहर खदेड़ सकूं. क्योंकि इतना मुझे मालूम है कि आप जिनको आशीर्वाद देते हैं, वे फलवंत हो जाते हैं, तथा जिन्हें आप शाप देते हैं, वे शापित ही रह जाते हैं.”
فَمَضَى شُيُوخُ مُوآبَ وَشُيُوخُ مِدْيَانَ حَامِلِينَ مَعَهُمْ حُلْوَانَ الْعِرَافَةِ، وَأَقْبَلُوا عَلَى بَلْعَامَ وَأَبْلَغُوهُ كَلامَ بَالاقَ. | ٧ 7 |
फिर मोआब तथा मिदियान के प्राचीन अपने साथ भविष्य बताने का उपहार लेकर उपस्थित हुए. बिलआम के घर पर पहुंचकर उन्होंने उसके सामने बालाक का आग्रह दोहरा दिया.
فَقَالَ لَهُمْ: «بِيتُوا هُنَا اللَّيْلَةَ، وَغَداً أَرُدُّ عَلَيْكُمْ جَوَاباً كَمَا يُعْلِنُ لِي الرَّبُّ». فَمَكَثَ رُؤَسَاءُ مُوآبَ عِنْدَ بَلْعَامَ. | ٨ 8 |
बिलआम ने उनके सामने प्रस्ताव रखा, “आप यहां रात्रि के लिए ठहर कर विश्राम कीजिए. जब याहवेह मुझसे बातें करेंगे, मैं आपको उनका संदेश दे दूंगा.” मोआब के वे प्रधान बिलआम के यहां ठहर गए.
فَتَجَلَّى اللهُ لِبَلْعَامَ وَسَأَلَهُ: «مَنْ هُمْ هَؤُلاءِ الرِّجَالُ الَّذِينَ عِنْدَكَ؟» | ٩ 9 |
परमेश्वर बिलआम पर प्रकट हुए तथा उससे प्रश्न किया, “कौन हैं ये व्यक्ति, जो तुम्हारे साथ हैं?”
فَأَجَابَ: «لَقَدْ أَرْسَلَ بَالاقُ بْنُ صِفُّورَ مَلِكُ مُوآبَ إِلَيَّ قَائِلاً: | ١٠ 10 |
बिलआम ने परमेश्वर को उत्तर दिया, “ज़ीप्पोर के पुत्र बालाक ने, जो मोआब का राजा है, मेरे लिए संदेश भेजा है:
هَا قَدْ خَرَجَ شَعْبٌ مِنْ مِصْرَ يُغَشِّي وَجْهَ الأَرْضِ. فَتَعَالَ الآنَ وَالْعَنْهُ لِي، لَعَلِّي أَقْدِرُ عَلَى مُحَارَبَتِهِ وَطَرْدِهِ». | ١١ 11 |
‘सुनिए, मिस्र से ये लोग निकलकर आए हुए हैं. ये लोग तो भूमि पर छा गए हैं. अब आकर मेरी ओर से इन्हें शाप दे दो. तब संभवतः मैं उनसे युद्ध कर उन्हें यहां से खदेड़ सकूंगा.’”
فَقَالَ اللهُ لِبَلْعَامَ: «لا تَمْضِ مَعَهُمْ وَلا تَلْعَنِ الشَّعْبَ لأَنَّهُ مُبَارَكٌ». | ١٢ 12 |
परमेश्वर ने बिलआम को आज्ञा दी, “मत जाओ उनके साथ. तुम उन लोगों को शाप नहीं दोगे, क्योंकि वे लोग आशीषित लोग हैं.”
فَنَهَضَ بَلْعَامُ فِي الصَّبَاحِ وَقَالَ لِرُؤَسَاءِ بَالاقَ: «انْطَلِقُوا إِلَى دِيَارِكُمْ، لأَنَّ الرَّبَّ أَبَى أَنْ يَأْذَنَ لِي بِالذَّهَابِ مَعَكُمْ». | ١٣ 13 |
फिर सुबह होते ही बिलआम ने बालाक के प्रधानों को उत्तर दिया, “आप लोग अपने देश लौट जाइए, क्योंकि याहवेह ने मुझे आप लोगों के साथ जाने के लिए मना कर दिया है.”
فَانْطَلَقَ رُؤَسَاءُ مُوآبَ وَأَبْلَغُوا بَالاقَ أَنَّ بَلْعَامَ رَفَضَ أَنْ يَحْضُرَ مَعَهُمْ. | ١٤ 14 |
मोआब के उन प्रधानों ने लौटकर बालाक को यह सूचना दे दी, “बिलआम ने हमारे साथ यहां आने से मना कर दिया है.”
فَعَادَ بَالاقُ وَبَعَثَ أَيْضاً عَدَداً مِنَ الرُّؤَسَاءِ أَكْبَرَ، وَعُظَمَاءَ أَكْثَرَ مِنَ الرُّؤَسَاءِ الأَوَّلِينَ. | ١٥ 15 |
फिर बालाक ने दोबारा इन प्रधानों से अधिक संख्या में तथा अधिक सम्मानजनक प्रधानों को बिलआम के पास भेज दिया.
فَقَدِمُوا عَلَى بَلْعَامَ وَقَالُوا: «هَذَا مَا يَقُولُهُ لَكَ بَالاقُ بْنُ صِفُّورَ: | ١٦ 16 |
बिलआम के सामने जाकर उन्होंने विनती की, “ज़ीप्पोर के पुत्र बालाक की विनती है, ‘आपको मेरे पास आने में कोई भी बाधा न हो,
لَا تَتَقَاعَسْ عَنِ الْمَجِيءِ إِلَيَّ، لأَنَّنِي سَأُبَالِغُ فِي إِكْرَامِكَ، وَكُلُّ مَا تَطْلُبُهُ أَفْعَلُهُ، فَتَعَالَ الآنَ وَالْعَنْ هَذَا الشَّعْبَ». | ١٧ 17 |
विश्वास कीजिए मैं आपको अपार धन से सम्मानित कर दूंगा, आप जो कुछ कहेंगे, मैं वही करने के लिए तैयार हूं. बस, आप कृपा कर यहां आ जाइए और मेरी ओर से इन लोगों को शाप दे दीजिए.’”
فَأَجَابَ بَلْعَامُ رُسُلَ بَالاقَ: «لا يُمْكِنُنِي أَنْ أَعْصَى أَمْرَ الرَّبِّ إِلَهِي فِي أَيِّ عَمَلٍ صَغِيرٍ أَوْ كَبِيرٍ، وَلَوْ أَغْدَقَ عَلَيَّ بَالاقُ مِلْءَ قَصْرِهِ فِضَّةً وَذَهَباً. | ١٨ 18 |
बिलआम ने बालाक के लोगों को उत्तर दिया, “यदि बालाक मेरे घर को चांदी और सोने से भर भी दें, मेरे लिए कुछ भी करना संभव न होगा, चाहे यह विनती छोटी हो या बड़ी. मैं याहवेह, मेरे परमेश्वर के आदेश के विपरीत कुछ नहीं कर सकता.
فَالآنَ، اقْضُوا هُنَا لَيْلَتَكُمْ لأَعْلَمَ بِمَاذَا يَعُودُ الرَّبُّ فَيُوْصِينِي بِهِ». | ١٩ 19 |
फिर अब, आप रात्रि में मेरे यहां विश्राम कीजिए. मैं मालूम करूंगा, कि याहवेह इस विषय में मुझसे और क्या कहना चाहेंगे.”
فَتَرَاءَى اللهُ لِبَلْعَامَ لَيْلاً وَقَالَ لَهُ: «إِنْ جَاءَ الرِّجَالُ يَسْتَدْعُونَكَ فَقُمْ وَامْضِ مَعَهُمْ، إِنَّمَا لَا تَنْطِقْ إِلّا بِمَا آمُرُكَ بِهِ فَقَطْ». | ٢٠ 20 |
रात में परमेश्वर ने बिलआम के सामने आकर उसे आज्ञा दी, “यदि वे तुम्हें अपने साथ ले जाने के उद्देश्य से आ ही गए हैं, तो जाओ उनके साथ; किंतु तुम सिर्फ वही कहोगे, जो मैं तुमसे कहूंगा, वही करना.”
فَنَهَضَ بَلْعَامُ صَبَاحاً وَأَسْرَجَ أَتَانَهُ، وَانْطَلَقَ مَعَ رُؤَسَاءِ مُوآبَ. | ٢١ 21 |
फिर सुबह बिलआम उठा, अपनी गधी की काठी कसी तथा मोआब के प्रधानों के साथ चल दिया.
فَاحْتَدَمَ غَضَبُ اللهِ لأَنَّهُ مَضَى مَعَهُمْ، فَاعْتَرَضَهُ مَلاكُ الرَّبِّ فِي الطَّرِيقِ لِيُقَاوِمَهُ وَهُوَ رَاكِبٌ عَلَى أَتَانِهِ وَغُلامَاهُ مَعَهُ. | ٢٢ 22 |
बिलआम के उनके साथ चले जाने पर परमेश्वर अप्रसन्न हो गए. याहवेह का दूत बिलआम के मार्ग में शत्रु के समान विरोधी बनकर खड़ा हो गया. बिलआम अपनी गधी पर बैठा हुआ था, तथा उसके साथ उसके दो सेवक भी थे.
فَأَبْصَرَتِ الأَتَانُ مَلاكَ الرَّبِّ مُنْتَصِباً فِي الطَّرِيقِ، وَقَدِ اسْتَلَّ سَيْفَهُ بِيَدِهِ، فَحَادَتْ عَنِ الطَّرِيقِ وَمَشَتْ فِي الْحَقْلِ. فَضَرَبَهَا بَلْعَامُ لِيَرُدَّهَا إِلَى الطَّرِيقِ. | ٢٣ 23 |
जैसे ही गधी की दृष्टि हाथ में तलवार लिए हुए, मार्ग में खड़े हुए याहवेह के दूत पर पड़ी, वह मार्ग छोड़ खेत में चली गई. बिलआम ने गधी को प्रहार किए, कि वह दोबारा मार्ग पर आ जाए.
ثُمَّ وَقَفَ مَلاكُ الرَّبِّ فِي مَمَرٍّ لِلْكُرُومِ يَقُومُ عَلَى جَانِبَيْهِ حَائِطَانِ. | ٢٤ 24 |
फिर याहवेह का दूत अंगूर के बगीचे के बीच की संकरी पगडंडी पर जा खड़ा हुआ, जिसके दोनों ओर दीवार थी.
فَلَمَّا شَاهَدَتِ الأَتَانُ مَلاكَ الرَّبِّ زَحَمَتْ جَانِبَ الْحَائِطِ وَضَغَطَتْ رِجْلَ بَلْعَامَ عَلَيْهِ، فَضَرَبَهَا أَيْضاً. | ٢٥ 25 |
जब गधी की दृष्टि याहवेह के दूत पर पड़ी वह दीवार से सट गई, जिससे बिलआम का पैर दीवार से दब गया. बिलआम ने दोबारा उस गधी पर प्रहार किया.
ثُمَّ اجْتَازَ بِهِ مَلاكُ الرَّبِّ وَوَقَفَ فِي مَوْضِعٍ ضَيِّقٍ، لَا سَبِيلَ فِيهِ لِلتَّحَوُّلِ يَمْنَةً أَوْ يَسْرَةً. | ٢٦ 26 |
याहवेह का वह दूत आगे चला गया तथा एक ऐसे संकरे स्थान पर जा खड़ा हुआ जहां न तो दाएं मुड़ने का कोई स्थान था, न बाएं मुड़ने का.
فَلَمَّا رَأَتِ الأَتَانُ مَلاكَ الرَّبِّ رَبَضَتْ تَحْتَ بَلْعَامَ. فَثَارَ غَضَبُ بَلْعَامَ وَضَرَبَ الأَتَانَ بِالْقَضِيبِ. | ٢٧ 27 |
जब उस गधी ने याहवेह के दूत को देखा तो वह बिलआम के नीचे पसर गई. बिलआम क्रोधित हो गया तथा उसने अपनी लाठी से उस गधी पर वार किया.
عِنْدَئِذٍ أَنْطَقَ الرَّبُّ الأَتَانَ، فَقَالَتْ لِبَلْعَامَ: «مَاذَا جَنَيْتُ حَتَّى ضَرَبْتَنِي الْآنَ ثَلاثَ دَفْعَاتٍ؟» | ٢٨ 28 |
तब याहवेह ने उस गधी को बोलने की क्षमता प्रदान कर दी. वह बिलआम से कहने लगी, “मैंने ऐसा क्या किया है, जो आपने मुझ पर इस प्रकार तीन बार वार किया है?”
فَقَالَ بَلْعَامُ: «لأَنَّكِ سَخَرْتِ مِنِّي. لَوْ كَانَ فِي يَدِي سَيْفٌ لَكُنْتُ قَدْ قَتَلْتُكِ». | ٢٩ 29 |
बिलआम ने उसे उत्तर दिया, “इसलिये कि तुमने मुझे हंसी का पात्र बना रखा है! यदि मेरे हाथ में तलवार होती, मैं अब तक तुम्हारा वध कर चुका होता.”
فَأَجَابَتْهُ الأَتَانُ: «أَلَسْتُ أَنَا أَتَانَكَ الَّتِي رَكِبْتَ عَلَيْهَا دَائِماً إِلَى هَذَا الْيَوْمِ؟ وَهَلْ عَوَّدْتُكَ أَنْ أَصْنَعَ بِكَ هَكَذَا؟» فَقَالَ: «لا». | ٣٠ 30 |
उस गधी ने उसे उत्तर दिया, “क्या मैं आपकी वही गधी नहीं रही हूं, जिस पर आप आजीवन यात्रा करते रहे हैं, जैसे कि आज भी? क्या मैंने भी आपके साथ कभी ऐसा व्यवहार किया है?” बिलआम ने उत्तर दिया, “नहीं तो?”
عِنْدَئِذٍ كَشَفَ الرَّبُّ عَنْ عَيْنَيْ بَلْعَامَ، فَشَاهَدَ مَلاكَ الرَّبِّ مُنْتَصِباً فِي الطَّرِيقِ وَسَيْفُهُ مَسْلُولٌ فِي يَدِهِ، فَخَرَّ عَلَى وَجْهِهِ سَاجِداً. | ٣١ 31 |
फिर याहवेह ने बिलआम को वह दृष्टि प्रदान की, कि उसे याहवेह का वह दूत दिखाई देने लगा, जो मार्ग में तलवार लिए हुए खड़ा था. बिलआम उसके सामने गिर पड़ा.
فَقَالَ لَهُ مَلاكُ الرَّبِّ: «لِمَاذَا ضَرَبْتَ الآنَ أَتَانَكَ ثَلاثَ مَرَّاتٍ؟ فَهَا أَنَا قَدْ جِئْتُ لأَعْتَرِضَكَ، لأَنَّ طَرِيقَكَ مُلْتَوِيَةٌ فِي نَظَرِي، | ٣٢ 32 |
याहवेह के दूत ने बिलआम से पूछा, “तुमने तीन बार इस गधी पर वार क्यों किया है? यह समझ लो कि मैं तुम्हारा विरोध करने आ गया हूं, क्योंकि तुम्हारी चाल मुझसे ठीक विपरीत है.
فَشَاهَدَتْنِي الأَتَانُ فَحَادَتْ مِنْ أَمَامِي ثَلاثَ مَرَّاتٍ. وَلَوْ لَمْ تَفْعَلْ لَكُنْتُ قَدْ قَتَلْتُكَ وَاسْتَحْيَيْتُهَا». | ٣٣ 33 |
इस गधी ने मुझे देख लिया और इन तीनों बार मुझसे दूर चली गई; यदि उसने ऐसा न किया होता तो निश्चित ही इस समय मैं तुम्हारा नाश कर चुका होता, और उसे जीवित ही रहने देता.”
فَقَالَ بَلْعَامُ لِمَلاكِ الرَّبِّ: «لَقَدْ أَخْطَأْتُ، وَلَمْ أَعْلَمْ أَنَّكَ وَاقِفٌ لاِعْتِرَاضِي فِي الطَّرِيقِ. وَالآنَ إِنْ سَاءَ فِي عَيْنَيْكَ فَإِنِّي أَرْجِعُ». | ٣٤ 34 |
बिलआम ने याहवेह के उस दूत के सामने यह स्वीकार किया, “मैंने पाप किया है. मैं इस बात से अनजान था, कि मार्ग में खड़े हुए आप मेरा सामना कर रहे थे. फिर अब, यदि यह आपके विरुद्ध हो रहा है, मैं लौट जाना चाहूंगा.”
فَقَالَ مَلاكُ الرَّبِّ لِبَلْعَامَ: «امْضِ مَعَ الرِّجَالِ، وَلَكِنْ عَلَيْكَ أَنْ تَنْطِقَ بِمَا آمُرُكَ بِهِ فَقَطْ». فَانْطَلَقَ بَلْعَامُ مَعَ رُؤَسَاءِ بَالاقَ. | ٣٥ 35 |
किंतु याहवेह के दूत ने बिलआम से कहा, “अब तो तुम इन लोगों के साथ चले जाओ, किंतु तुम वही कहोगे, जो मैं तुम्हें कहने के लिए प्रेरित करूंगा.” फिर बिलआम बालाक के उन प्रधानों के साथ चला गया.
فَلَمَّا بَلَغَ بَالاقَ أَنَّ بَلْعَامَ قَدْ قَدِمَ أَسْرَعَ لاِسْتِقْبَالِهِ إِلَى مَدِينَةِ مُوآبَ الْوَاقِعَةِ عَلَى حُدُودِ أَرْنُونَ الْقَصِيَّةِ. | ٣٦ 36 |
जब बालाक को यह मालूम हुआ, कि बिलआम आ रहा है, वह उससे भेंट करने मोआब के उस नगर के लिए निकल पड़ा, जो आरनोन की सीमा पर स्थित है; सीमा के दूर वाले छोर पर.
فَقَالَ بَالاقُ لِبَلْعَامَ: «أَلَمْ أَبْعَثْ إِلَيْكَ أَسْتَدْعِيكَ؟ فَلِمَاذَا لَمْ تَقْدِمْ عَلَيَّ؟ أَحَقّاً أَعْجَزُ عَنْ إِكْرَامِكَ؟» | ٣٧ 37 |
भेंट होने पर बालाक ने बिलआम से कहा, “क्या मैंने आपको अत्यंत आवश्यक विनती के साथ आमंत्रित न किया था? आप फिर क्यों न आए? क्या मेरे लिए आपका उचित सम्मान करना असंभव था?”
فَأَجَابَ بَلْعَامُ: «هَا أَنَا جِئْتُ إِلَيْكَ. أَتَظُنُّ أَنَّ فِي وُسْعِي أَنْ أَتَكَلَّمَ الآنَ بِمَا أُرِيدُ؟ عَلَيَّ أَنْ أَنْطِقَ فَقَطْ بِمَا يَأْمُرُنِي بِهِ الرَّبُّ». | ٣٨ 38 |
बिलआम ने बालाक को उत्तर दिया, “देखिए अब तो मैं आपके लिए प्रस्तुत हूं. क्या मुझमें ऐसी कोई क्षमता है, कि मैं कुछ भी कह सकूं? मैं तो वही कहूंगा, जो परमेश्वर मेरे मुख में डालेंगे.”
فَمَضَى بَلْعَامُ مَعَ بَالاقَ حَتَّى أَقْبَلا إِلَى قَرْيَةِ حَصُوتَ. | ٣٩ 39 |
यह कहते हुए बिलआम बालाक के साथ चला गया और वे किरयथ-हुज़ोथ नामक स्थल पर पहुंचे.
فَذَبَحَ بَالاقُ بَقَراً وَغَنَماً وَأَرْسَلَهَا إِلَى بَلْعَامَ وَمَنْ مَعَهُ مِنَ الرُّؤَسَاءِ. | ٤٠ 40 |
वहां बालाक ने बछड़ों तथा भेड़ों की बलि भेंट की. इसका कुछ अंश उसने बिलआम तथा उसके साथ आए प्रधानों को दे दिया.
وَفِي الصَّبَاحِ التَّالِي أَخَذَ بَالاقُ بَلْعَامَ إِلَى مُرْتَفَعَاتِ بَعْلٍ، فَرَأَى مِنْ هُنَاكَ بَنِي إِسْرَائِيلَ كُلَّهُمْ. | ٤١ 41 |
सुबह होते ही बालाक बिलआम को बामोथ-बाल के पूजा-स्थल पर ले गया, जहां से इस्राएली प्रजा का एक अंश दिखाई दे रहा था.