< عَدَد 20 >
وَفِي الشَّهْرِ الأَوَّلِ أَقْبَلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ عَلَى صَحْرَاءِ صِينَ، وَأَقَامُوا فِي قَادَشَ حَيْثُ مَاتَتْ مَرْيَمُ وَدُفِنَتْ هُنَاكَ. | ١ 1 |
और पहले महीने में बनी — इस्राईल की सारी जमा'अत सीन के जंगल में आ गई और वह लोग क़ादिस में रहने लगे, और मरियम ने वहाँ वफ़ात पाई और वहीं दफ़्न हुई।
وَإِذْ لَمْ يَتَوَافَرْ مَاءٌ لِلشَّعْبِ اجْتَمَعُوا عَلَى مُوسَى وَهَرُونَ، | ٢ 2 |
और जमा'अत के लोगों के लिए वहाँ पानी न मिला, इसलिए वह मूसा और हारून के बरख़िलाफ़ इकट्ठे हुए।
وَخَاصَمُوا مُوسَى قَائِلِينَ لَهُ: «لَيْتَنَا هَلَكْنَا كَإِخْوَتِنَا الَّذِينَ أَهْلَكَهُمُ الرَّبُّ. | ٣ 3 |
और लोग मूसा से झगड़ने और यह कहने लगे, “हाय, काश हम भी उसी वक़्त मर जाते जब हमारे भाई ख़ुदावन्द के सामने मरे।
لِمَاذَا قُدْتُمَا شَعْبَ الرَّبِّ إِلَى هَذِهِ الصَّحْرَاءِ، لِكَيْ نَمُوتَ فِيهَا نَحْنُ وَمَوَاشِينَا؟ | ٤ 4 |
तुम ख़ुदावन्द की जमा'अत को इस जंगल में क्यूँ ले आए हो कि हम भी और हमारे जानवर भी यहाँ मरें?
لِمَاذَا أَخْرَجْتُمَانَا مِنْ مِصْرَ لِتَأْتِيَا بِنَا إِلَى هَذَا الْمَكَانِ الْقَاحِلِ، حَيْثُ لَا زَرْعَ فِيهِ وَلا تِينَ وَلا كَرْمَ وَلا رُمَّانَ وَلا مَاءَ لِلشُّرْبِ؟» | ٥ 5 |
और तुम ने क्यूँ हम को मिस्र से निकाल कर इस बुरी जगह पहुँचाया है? यह तो बोने की और अंजीरों और ताकों और अनार की जगह नहीं है बल्कि यहाँ तो पीने के लिए पानी तक हासिल नहीं।”
فَافْتَرَقَ مُوسَى وَهَرُونُ عَنِ الْجَمَاعَةِ، وَقَدِمَا إِلَى مَدْخَلِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ حَيْثُ انْطَرَحَا عَلَى وَجْهَيْهِمَا، فَتَرَاءَى لَهُمَا مَجْدُ الرَّبِّ، | ٦ 6 |
और मूसा और हारून जमा'अत के पास से जाकर ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर औंधे मुँह गिरे। तब ख़ुदावन्द का जलाल उन पर ज़ाहिर हुआ,
وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى: | ٧ 7 |
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा कि,
«خُذِ الْعَصَا، وَاجْمَعِ الشَّعْبَ أَنْتَ وَأَخُوكَ هَرُونُ وَأْمُرَا الصَّخْرَةَ عَلَى مَشْهَدٍ مِنْهُمْ أَنْ تُعْطِيَ مَاءَهَا، فَتُخْرِجَ لَهُمْ مَاءً مِنَ الصَّخْرَةِ فَيَشْرَبَ الشَّعْبُ وَمَوَاشِيهِمْ». | ٨ 8 |
“उस लाठी को ले और तू और तेरा भाई हारून, तुम दोनों जमा'अत को इकट्ठा करो और उनकी आँखों के सामने उस चट्टान से कहो कि वह अपना पानी दे; और तू उनके लिए चट्टान ही से पानी निकालना, यूँ जमा'अत को और उनके चौपायों को पिलाना।”
فَأَطَاعَ مُوسَى وَأَخَذَ الْعَصَا مِنْ أَمَامِ الرَّبِّ، | ٩ 9 |
चुनाँचे मूसा ने ख़ुदावन्द के सामने से उसी के हुक्म के मुताबिक़ वह लाठी ली।
وَجَمَعَ مُوسَى وَهَرُونُ الشَّعْبَ عِنْدَ الصَّخْرَةِ وَقَالا لَهُمْ: «اسْمَعُوا أَيُّهَا الْمُتَمَرِّدُونَ، أَعَلَيْنَا أَنْ نُخْرِجَ لَكُمْ مِنْ هَذِهِ الصَّخْرَةِ مَاءً؟» | ١٠ 10 |
और मूसा और हारून ने जमा'अत को उस चट्टान के सामने इकट्ठा किया, और उसने उनसे कहा, “सुनो, ऐ बाग़ियों, क्या हम तुम्हारे लिए इसी चट्टान से पानी निकालें?”
وَرَفَعَ مُوسَى يَدَهُ وَضَرَبَ الصَّخْرَةَ بِعَصَاهُ مَرَّتَيْنِ، فَتَفَجَّرَ مَاءٌ غَزِيرٌ، فَشَرِبَتِ الْجَمَاعَةُ وَمَوَاشِيهَا. | ١١ 11 |
तब मूसा ने अपना हाथ उठाया और उस चट्टान पर दो बार लाठी मारी, और कसरत से पानी बह निकला और जमा'अत ने और उनके चौपायों ने पिया।
فَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى وَهَرُونَ: «مِنْ حَيْثُ إِنَّكُمَا لَمْ تُؤْمِنَا بِي حَتَّى تُقَدِّسَانِي عَلَى مَرْأَىً مِنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ فَإِنَّكُمَا لَنْ تُدْخِلا هَذَا الشَّعْبَ الأَرْضَ الَّتِي وَهَبْتُهَا لَهُمْ». | ١٢ 12 |
लेकिन मूसा और हारून से ख़ुदावन्द ने कहा, “चूँकि तुम ने मेरा यक़ीन नहीं किया कि बनी — इस्राईल के सामने मेरी तक़दीस करते, इसलिए तुम इस जमा'अत को उस मुल्क में जो मैंने उनको दिया है नहीं पहुँचाने पाओगे।”
فَكَانَ هَذَا مَاءَ مَرِيبَةَ حَيْثُ خَاصَمَ الإِسْرَائِيلِيُّونَ الرَّبَّ فَأَظْهَرَ قَدَاسَتَهُ أَمَامَهُمْ. | ١٣ 13 |
मरीबा का चश्मा यही है क्यूँकि बनी — इस्राईल ने ख़ुदावन्द से झगड़ा किया और वह उनके बीच क़ुद्दूस साबित हुआ।
وَبَعَثَ مُوسَى رُسُلاً مِنْ قَادَشَ إِلَى مَلِكِ أَدُومَ يَقُولُونَ لَهُ: «هَذَا مَا يَقُولُهُ لَكَ أَخُوكَ إِسْرَائِيلُ: قَدْ بَلَغَكَ مَا أَصَابَنَا مِنْ مَشَقَّةٍ، | ١٤ 14 |
और मूसा ने क़ादिस से अदोम के बादशाह के पास क़ासिद रवाना किए और कहला भेजा कि “तेरा भाई इस्राईल यह 'अर्ज़ करता है, कि तू हमारी सारी मुसीबतों से जो हम पर आईं वाकिफ़ है;
فَقَدِ انْحَدَرَ آبَاؤُنَا إِلَى مِصْرَ فَمَكَثْنَا فِيهَا أَيَّاماً كَثِيرَةً، فَسَامَنَا الْمِصْرِيُّونَ، نَحْنُ وَآبَاءَنَا سُوءَ الْعَذَابِ، | ١٥ 15 |
कि हमारे बाप दादा मिस्र में गए और हम बहुत मुद्दत तक मिस्र में रहे, और मिस्रियों ने हम से और हमारे बाप दादा से बुरा सुलूक किया।
فَتَضَرَّعْنَا إِلَى الرَّبِّ فَاسْتَجَابَ لِصَوْتِنَا، وَأَرْسَلَ مَلاكاً أَخْرَجَنَا مِنْ مِصْرَ. وَهَا نَحْنُ نَازِلُونَ فِي مَدِينَةِ قَادَشَ فِي طَرَفِ تُخُومِكَ. | ١٦ 16 |
और जब हमने ख़ुदावन्द से फ़रियाद की तो उसने हमारी सुनी, और एक फ़रिश्ते को भेज कर हम को मिस्र से निकाल ले आया है, और अब हम क़ादिस शहर में हैं जो तेरी सरहद के आख़िर में वाक़े' है।
فَأْذَنْ لَنَا أَنْ نَمُرَّ فِي أَرْضِكَ مِنْ غَيْرِ أَنْ نَدُوسَ فِي حَقْلٍ أَوْ كَرْمٍ أَوْ نَشْرَبَ مَاءَ بِئْرٍ، بَلْ نَسِيرُ فِي الطَّرِيقِ الْعَامَّةِ الْمُخَصَّصَةِ لِلسَّفَرِ. لَا نَمِيلُ يَمِيناً أَوْ شِمَالاً حَتَّى نَتَجَاوَزَ حُدُودَكَ». | ١٧ 17 |
इसलिए हम को अपने मुल्क में से होकर जाने की इजाज़त दे। हम खेतों और ताकिस्तानों में से होकर नहीं गुज़रेंगे, और न कुओं का पानी पिएँगे; हम शाहराह पर चल कर जाएँगे और दहने या बाएँ हाथ नहीं मुड़ेंगे, जब तक तेरी सरहद से बाहर निकल न जाएँ।”
فَقَالَ لَهُمْ مَلِكُ أَدُومَ: «إِيَّاكُمُ الْمُرُورَ بِأَرْضِي لِئَلّا أُجَابِهَكُمْ بِالسَّيْفِ». | ١٨ 18 |
लेकिन शाह — ए — अदोम ने कहला भेजा, “तू मेरे मुल्क से होकर जाने नहीं पाएगा, वरना मैं तलवार लेकर तेरा सामना करूँगा।”
فَأَجَابَهُ بَنُو إِسْرَائِيلَ: «لَنْ نَسِيرَ إِلّا عَلَى طَرِيقِ السَّفَرِ، وَإِنِ اسْتَقَيْنَا نَحْنُ وَمَوَاشِينَا مِنْ مَائِكَ نَدْفَعْ ثَمَنَهُ. إِنَّنَا لَا نَطْلُبُ أَكْثَرَ مِنَ الْمُرُورِ رَاجِلِينَ». | ١٩ 19 |
बनी — इस्राईल ने उसे फिर कहला भेजा कि “हम सड़क ही सड़क जाएँगे, और अगर हम या हमारे चौपाये तेरा पानी भी पिएँ तो उसका दाम देंगे; हम को और कुछ नहीं चाहिए अलावा इसके कि हम को पॉव — पाँव चल कर निकल जाने दे।”
فَقَالَ: «لا تَمُرُّوا». وَعَبَّأَ مَلِكُ أَدُومَ جَيْشاً قَوِيًّا وَخَرَجَ لِلِقَاءِ إِسْرَائِيلَ. | ٢٠ 20 |
लेकिन उसने कहा, “तू हरगिज़ निकलने नहीं पाएगा।” और अदोम उसके मुक़ाबले के लिए बहुत से आदमी और हथियार लेकर निकल आया।
وَأَبَى مَلِكُ أَدُومَ أَنْ يَأْذَنَ لِلإِسْرَائِيلِيِّينَ بِاجْتِيَازِ أَرَاضِيهِ. فَتَحَوَّلُوا عَنْهُ. | ٢١ 21 |
यूँ अदोम ने इस्राईल को अपनी हदों से गुज़रने का रास्ता देने से इन्कार किया, इसलिए इस्राईल उसकी तरफ़ से मुड़ गया।
وَارْتَحَلُوا جَمِيعُهُمْ مِنْ قَادَشَ حَتَّى أَقْبَلُوا عَلَى جَبَلِ هُورٍ. | ٢٢ 22 |
और बनी — इस्राईल की सारी जमा'अत क़ादिस से रवाना होकर कोह — ए — हूर पहुँची।
وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى وَهَرُونَ فِي جَبَلِ هُورٍ عِنْدَ حُدُودِ أَرْضِ أَدُومَ: | ٢٣ 23 |
और ख़ुदावन्द ने कोह — ए — हूर पर, जो अदोम की सरहद से मिला हुआ था, मूसा और हारून से कहा,
«هَرُونُ لَنْ يَلْبَثَ أَنْ يَمُوتَ، لأَنَّهُ لَنْ يَدْخُلَ الأَرْضَ الَّتِي وَهَبْتُهَا لِبَنِي إِسْرَائِيلَ، لأَنَّكُمَا عَصَيْتُمَا كَلامِي عِنْدَ مَاءِ مَرِيبَةَ. | ٢٤ 24 |
“हारून अपने लोगों में जा मिलेगा, क्यूँकि वह उस मुल्क में जो मैने बनी — इस्राईल को दिया है जाने नहीं पाएगा, इसलिए कि मरीबा के चश्मे पर तुम ने मेरे कलाम के ख़िलाफ़ 'अमल किया।
خُذْ هَرُونَ وَأَلِعَازَارَ ابْنَهُ وَاصْعَدْ إِلَى جَبَلِ هُورٍ، | ٢٥ 25 |
इसलिए तू हारून और उसके बेटे इली'एलियाज़र को अपने साथ लेकर कोह — ए — हूर के ऊपर आ जा।
وَانْزِعْ عَنْ هَرُونَ ثِيَابَهُ وَأَلْبِسْهَا أَلِعَازَارَ ابْنَهُ، لأَنَّ هُنَاكَ يَمُوتُ هَرُونُ». | ٢٦ 26 |
और हारून के लिबास को उतार कर उसके बेटे इली'एलियाज़र को पहना देना, क्यूँकि हारून वहीं वफ़ात पाकर अपने लोगों में जा मिलेगा।”
فَفَعَلَ مُوسَى كَمَا أَمَرَ الرَّبُّ، فَصَعِدُوا جَمِيعاً إِلَى الْجَبَلِ عَلَى مَرْأىً مِنَ الشَّعْبِ كُلِّهِ، | ٢٧ 27 |
और मूसा ने ख़ुदा के हुक्म के मुताबिक़ 'अमल किया, और वह सारी जमा'अत की आँखों के सामने कोह — ए — हूर पर चढ़ गए।
فَنَزَعَ مُوسَى ثِيَابَ هَرُونَ وَأَلْبَسَهَا أَلِعَازَارَ ابْنَهُ. وَمَاتَ هَرُونُ هُنَاكَ عَلَى قِمَّةِ الْجَبَلِ، ثُمَّ انْحَدَرَ مُوسَى وَأَلِعَازَارُ عَنِ الْجَبَلِ. | ٢٨ 28 |
और मूसा ने हारून के लिबास को उतार कर उस के बेटे इली'एलियाज़र को पहना दिया, और हारून ने वहीं पहाड़ की चोटी पर रहलत की। तब मूसा और इली'अजर पहाड़ पर से उतर आए।
وَعِنْدَمَا عَلِمَ الشَّعْبُ أَنَّ هَرُونَ قَدْ مَاتَ، نَاحُوا عَلَيْهِ ثَلاثِينَ يَوْماً. | ٢٩ 29 |
जब जमा'अत ने देखा कि हारून ने वफ़ात पाई तो इस्राईल के सारे घराने के लोग हारून पर तीस दिन तक मातम करते रहे।