< عَدَد 14 >
فَرَفَعَ الشَّعْبُ كُلُّهُ صَوْتَهُ وَبَكَى فِي تِلْكَ اللَّيْلَةِ، | ١ 1 |
तब सारी जमा'अत ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी और वह लोग उस रात रोते ही रहे।
وَتَذَمَّرَ عَلَى مُوسَى وَهَرُونَ، وَقَالُوا: «لَيْتَنَا مُتْنَا فِي دِيَارِ مِصْرَ، أَوْ لَيْتَنَا مُتْنَا فِي الصَّحْرَاءِ. | ٢ 2 |
और कुल बनी — इस्राईल मूसा और हारून की शिकायत करने लगे, और सारी जमा'त उनसे कहने लगी हाय काश हम मिस्र ही में मर जाते या काश इस वीरान ही में मरते।
لِمَاذَا أَحْضَرَنَا الرَّبُّ إِلَى هَذِهِ الأَرْضِ لِنَهْلِكَ بِحَدِّ السَّيْفِ، وَتُؤْخَذَ نِسَاؤُنَا وَأَطْفَالُنَا سَبَايَا؟ أَلَيْسَ مِنَ الأَفْضَلِ لَنَا أَنْ نَرْجِعَ إِلَى مِصْرَ؟» | ٣ 3 |
ख़ुदावन्द क्यूँ हम को उस मुल्क में ले जा कर तलवार से क़त्ल कराना चाहता है?
وَقَالَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: «لِنَنْتَخِبْ لَنَا قَائِداً وَنَرْجِعْ إِلَى مِصْرَ». | ٤ 4 |
“फिर तो हमारी बीवियाँ और बाल बच्चे लूट का माल ठहरेंगे, क्या हमारे लिए बेहतर न होगा कि हम मिस्र को वापस चले जाएँ?” फिर वह आपस में कहने लगे, “आओ हम किसी को अपना सरदार बना लें, और मिस्र को लौट चलें।”
فَخَرَّ مُوسَى وَهَرُونُ عَلَى وَجْهَيْهِمَا أَمَامَ جَمِيعِ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ، | ٥ 5 |
तब मूसा और हारून बनी — इस्राईल की सारी जमा'अत के सामने औधे मुँह हो गए।
وَمَزَّقَ يَشُوعُ بْنُ نُونَ وَكَالَبُ بْنُ يَفُنَّةَ ثِيَابَهُمَا، وَهُمَا مِمَّنْ تَجَسَّسُوا الأَرْضَ، | ٦ 6 |
और नून का बेटा यशू'अ और यफुन्ना का बेटा कालिब, जो उस मुल्क का हाल दरियाफ़्त करने वालों में से थे, अपने — अपने कपड़े फाड़ कर
وَقَالا لِكُلِّ الشَّعْبِ: «إِنَّ الأَرْضَ الَّتِي اجْتَزْنَا فِيهَا هِيَ أَرْضُ خَيْرَاتٍ عَظِيمَةٍ جِدّاً. | ٧ 7 |
बनी — इस्राईल की सारी जमा'अत से कहने लगे कि “वह मुल्क जिसका हाल दरियाफ़्त करने को हम उसमें से गुज़रे, बहुत अच्छा मुल्क है।
فَإِنْ رَضِيَ عَنَّا الرَّبُّ يُدْخِلْنَا إِلَيْهَا وَيَهَبْهَا لَنَا، أَرْضاً تَفِيضُ لَبَناً وَعَسَلاً. | ٨ 8 |
अगर ख़ुदा हम से राज़ी रहे तो वह हम को उस मुल्क में पहुँचाएगा, और वही मुल्क जिस में दूध और शहद बहता है हम को देगा।
إِنَّمَا لَا تَتَمَرَّدُوا عَلَى الرَّبِّ وَلا تَجْزَعُوا مِنْ شَعْبِ الأَرْضِ، لأَنَّنَا سَنَبْتَلِعُهُمْ كَالْخُبْزِ، فَقَدْ تَلاشَى ظِلُّ الْحِمَايَةِ عَنْهُمْ، وَالرَّبُّ مَعَنَا فَلا تَرْهَبُوهُمْ». | ٩ 9 |
सिर्फ़ इतना हो कि तुम ख़ुदावन्द से बग़ावत न करो और न उस मुल्क के लोगों से डरो; वह तो हमारी ख़ुराक हैं, उनकी पनाह उनके सिर पर से जाती रही है और हमारे साथ ख़ुदावन्द है; इसलिए उनका ख़ौफ़ न करो।”
وَلَكِنَّ الشَّعْبَ طَالَبَ بِرَجْمِهِمَا بِالْحِجَارَةِ. غَيْرَ أَنَّ مَجْدَ الرَّبِّ ظَهَرَ فِي خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ عَلَى مَرْأَىً مِنْهُمْ جَمِيعاً. | ١٠ 10 |
तब सारी जमा'अत बोल उठी कि इनको संगसार करो। उस वक़्त ख़ेमा — ए — इजितमा'अ में सब बनी — इस्राईल के सामने ख़ुदावन्द का जलाल नुमायाँ हुआ।
وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى: «إِلَى مَتَى يُمْعِنُ هَذَا الشَّعْبُ فِي إِهَانَتِي، وَإِلَى مَتَى لَا يُصَدِّقُونَنِي عَلَى الرَّغْمِ مِنْ مُعْجِزَاتِي الَّتِي أَجْرَيْتُهَا فِي وَسَطِهِمْ؟ | ١١ 11 |
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा कि “यह लोग कब तक मेरी तौहीन करते रहेंगे? और बावजूद उन सब निशान — आत को जो मैंने इनके बीच किए हैं, कब तक मुझ पर ईमान नहीं लाएँगे?
سَأُبِيدُهُمْ بِالْوَبَأِ، وَأَجْعَلُكَ شَعْباً أَكْبَرَ وَأَعْظَمَ مِنْهُمْ». | ١٢ 12 |
में इनको वबा से मारूँगा और मीरास से ख़ारिज करूँगा, और तुझे एक ऐसी क़ौम बनाऊँगा जो इनसे कहीं बड़ी और ज़्यादा ज़ोरावर हो।”
فَقَالَ مُوسَى لِلرَّبِّ: «عِنْدَئِذٍ يَسْمَعُ الْمِصْرِيُّونَ، الَّذِينَ أَخْرَجْتَ هَذَا الشَّعْبَ مِنْ بَيْنِهِمْ بِقُدْرَتِكَ، بِهَذَا | ١٣ 13 |
मूसा ने ख़ुदावन्द से कहा, “तब तो मिस्री, जिनके बीच से तू इन लोगों को अपने ज़ोर — ए — बाज़ू से निकाल ले आया यह सुनेंगे,
وَيُخْبِرُونَ بِهِ أَهْلَ هَذِهِ الأَرْضِ، الَّذِينَ قَدْ سَمِعُوا يَا رَبُّ أَنَّكَ قَائِمٌ فِي وَسَطِ هَذَا الشَّعْبِ، وَأَنَّكَ قَدْ ظَهَرْتَ لَهُمْ وَجْهاً لِوَجْهٍ تُظَلِّلُهُمْ بِحِمَايَتِكَ، وَتَسِيرُ أَمَامَهُمْ فِي عَمُودِ سَحَابٍ نَهَاراً وَفِي عَمُودِ نَارٍ لَيْلاً. | ١٤ 14 |
और उसे इस मुल्क के बाशिन्दों को बताएँगे। उन्होंने सुना है कि तू जो ख़ुदावन्द है इन लोगों के बीच रहता है, क्यूँकि तू ऐ ख़ुदावन्द सरीह तौर पर दिखाई देता है, और तेरा बादल इन पर साया किए रहता है, और तू दिन को बादल के सुतून में और रात को आग के सुतून में हो कर इनके आगे — आगे चलता है।
فَإِنْ أَهْلَكْتَ هَذَا الشَّعْبَ دَفْعَةً وَاحِدَةً، فَإِنَّ الأُمَمَ الَّتِي سَمِعَتْ بِخَبَرِكَ تَقُولُ | ١٥ 15 |
तब अगर तू इस क़ौम को एक अकेले आदमी की तरह जान से मार डाले, तो वह क़ौमें जिन्होंने तेरी शोहरत सुनी कहेंगी;
إِنَّكَ قَدْ عَجَزْتَ عَنْ أَنْ تُدْخِلَ هَذَا الشَّعْبَ إِلَى الأَرْضِ الَّتِي وَعَدْتَهُمْ بِها، فَأَهْلَكْتَهُمْ فِي الصَّحْرَاءِ. | ١٦ 16 |
कि चूँकि ख़ुदावन्द इस क़ौम को उस मुल्क में, जिसे उसने इनको देने की क़सम खाई थी पहुँचा न सका, इसलिए उसने इनको वीरान में हलाक कर दिया।
وَالآنَ لِتَتَعَظَّمْ قُدْرَةُ سَيِّدِي كَمَا نَطَقْتَ قَائِلاً: | ١٧ 17 |
तब ख़ुदावन्द की क़ुदरत की 'अज़मत तेरे ही इस क़ौल के मुताबिक़ ज़ाहिर हो,
الرَّبُّ طَوِيلُ الأَنَاةِ، وَافِرُ الرَّحْمَةِ، يَغْفِرُ الذَّنْبَ وَالسَّيِّئَةَ. لَكِنَّهُ لَا يُبْرِئُ، بَلْ يَفْتَقِدُ ذَنْبَ الآبَاءِ فِي الأَبْنَاءِ إِلَى الْجِيلِ الثَّالِثِ وَالرَّابِعِ. | ١٨ 18 |
कि ख़ुदावन्द क़हर करने में धीमा और शफ़क़त में ग़नी है, वह गुनाह और ख़ता को बख़्श देता है लेकिन मुजरिम को हरगिज़ बरी नहीं करेगा, क्यूँकि वह बाप दादा के गुनाह की सज़ा उनकी औलाद को तीसरी और चौथी नसल तक देता है।
فَاصْفَحْ عَنْ ذَنْبِ هَذَا الشَّعْبِ بِحَسَبِ نِعْمَتِكَ، وَاغْفِرْ لَهُ كَمَا غَفَرْتَ ذُنُوبَهُ مِنْ مِصْرَ إِلَى هَهُنَا». | ١٩ 19 |
इसलिए तू अपनी रहमत की फ़िरावानी से इस उम्मत का गुनाह, जैसे तू मिस्र से लेकर यहाँ तक इन लोगों को मु'आफ़ करता रहा है अब भी मु'आफ़ कर दे।”
فَأَجَابَ الرَّبُّ: «قَدْ صَفَحْتُ بِحَسَبِ قَوْلِكَ. | ٢٠ 20 |
ख़ुदावन्द ने कहा, “मैंने तेरी दरख़्वास्त के मुताबिक़ मुआफ़ किया;
وَلَكِنْ كَمَا أَنَا حَقّاً حَيٌّ، وَكَمَا أَنَّ مَجْدَ الرَّبِّ حَقّاً يَمْلأُ الأَرْضَ، | ٢١ 21 |
लेकिन मुझे अपनी हयात की क़सम और ख़ुदावन्द के जलाल की क़सम जिससे सारी ज़मीन मा'मूर होगी,
فَإِنَّ جَمِيعَ الرِّجَالِ الَّذِينَ عَايَنُوا مَجْدِي وَمُعْجِزَاتِي الَّتِي أَجْرَيْتُهَا فِي مِصْرَ وَفِي الصَّحْرَاءِ، وَجَرَّبُونِي عَشْرَ مَرَّاتٍ مِنْ غَيْرِ أَنْ يُطِيعُوا قَوْلِي، | ٢٢ 22 |
चूँकि इन सब लोगों ने जिन्होंने बावजूद मेरे जलाल के देखने के, और बावजूद उन निशान — आत को जो मैंने मिस्र में और इस वीरान में दिखाए, फिर भी दस बार मुझे आज़माया और मेरी बात नहीं मानी;
لَنْ يَرَوْا الأَرْضَ الَّتِي وَعَدْتُ بِها آبَاءَهُمْ. جَمِيعُ الَّذِينَ اسْتَخَفُّوا بِي، لَنْ يُشَاهِدُوهَا. | ٢٣ 23 |
इसलिए वह उस मुल्क को जिसके देने की क़सम मैंने उनके बाप दादा से खाई थी देखने भी न पायेंगे और जिन्होंने मेरी तौहीन की है उन में से भी कोई उसे देखने नहीं पाएगा।
وَلَكِنْ لأَنَّ فِي عَبْدِي كَالَبَ رُوحاً مُخْتَلِفَةً، وَقَدْ تَبِعَنِي بِكُلِّ قَلْبِهِ، فَسَأُدْخِلُهُ إِلَى الأَرْضِ الَّتِي ذَهَبَ إِلَيْهَا، وَسَيَرِثُهَا نَسْلُهُ مِنْ بَعْدِهِ. | ٢٤ 24 |
लेकिन इसलिए कि मेरे बन्दे कालिब का कुछ और ही मिज़ाज था और उसने मेरी पूरी पैरवी की है, मैं उसको उस मुल्क में जहाँ वह हो आया है पहुँचाऊँगा और उसकी औलाद उसकी वारिस होगी।
وَبِمَا أَنَّ الْعَمَالِقَةَ وَالْكَنْعَانِيِّينَ سَاكِنُونَ فِي الْوِدْيَانِ، فَارْجِعُوا غَداً إِلَى الصَّحْرَاءِ فِي اتِّجَاهِ الْبَحْرِ الأَحْمَرِ». | ٢٥ 25 |
और वादी में तो 'अमालीकी और कना'नी बसे हुए हैं, इसलिए कल तुम घूम कर उस रास्ते से जो बहर — ए — कु़लजु़म को जाता है वीरान में दाख़िल हो जाओ।”
قَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى وَهَرُونَ: | ٢٦ 26 |
और ख़ुदावन्द ने मूसा और हारून से कहा,
«إِلَى مَتَى أَصْفَحُ عَنْ هَذِهِ الْجَمَاعَةِ الشِّرِّيرَةِ الْمُتَذَمِّرَةِ عَلَيَّ؟ لَقَدْ سَمِعْتُ تَذَمُّرَهُمْ عَلَيَّ، | ٢٧ 27 |
“मैं कब तक इस ख़बीस गिरोह की जो मेरी शिकायत करती रहती है, बर्दाश्त करूँ? बनी — इस्राईल जो मेरे बरख़िलाफ़ शिकायतें करते रहते हैं, मैंने वह सब शिकायतें सुनी हैं।
فَقُلْ لَهُمْ: حَيٌّ أَنَا يَقُولُ الرَّبُّ، لأُنْزِلَنَّ بِكُمْ كُلَّ مَا تَكَلَّمْتُمْ بِهِ فِي مَسْمَعِي. | ٢٨ 28 |
इसलिए तुम उससे कह दो, ख़ुदावन्द कहता है, मुझे अपनी हयात की क़सम है कि जैसा तुम ने मेरे सुनते कहा है, मैं तुम से ज़रूर वैसा ही करूँगा।
إِذْ تَتَسَاقَطُ جُثَثُكُمْ فِي هَذِهِ الصَّحْرَاءِ، مِنِ ابْنِ عِشْرِينَ سَنَةً فَمَا فَوْقُ مِمَّنْ تَمَّ إِحْصَاؤُهُمْ وَتَذَمَّرُوا عَلَيَّ. | ٢٩ 29 |
तुम्हारी लाशें इसी वीरान में पड़ी रहेंगी, और तुम्हारी सारी ता'दाद में से या 'नी बीस बरस से लेकर उससे ऊपर — ऊपर की उम्र के तुम सब जितने गिने गए, और मुझ पर शिकायत करते रहे,
لَنْ تَدْخُلُوا الأَرْضَ الَّتِي وَعَدْتُ رَافِعاً يَدِي بِقَسَمٍ أَنْ أُسْكِنَكُمْ فِيهَا، مَاعَدَا كَالَبَ بنَ يَفُنَّةَ وَيَشُوعَ بْنَ نُونَ. | ٣٠ 30 |
इनमें से कोई उस मुल्क में, जिसके बारे में मैने क़सम खाई थी कि तुमको वहाँ बसाऊँगा, जाने न पाएगा, अलावा यफ़ुन्ना के बेटे कालिब और नून के बेटे यशू'अ के।
غَيْرَ أَنِّي سَأُدْخِلُ إِلَيْهَا أَوْلادَكُمُ الَّذِينَ ادَّعَيْتُمْ أَنَّهُمْ يُصْبِحُونَ أَسْرَى، فَيَتَمَتَّعُونَ بِالأَرْضِ الَّتِي احْتَقَرْتُمُوهَا. | ٣١ 31 |
और तुम्हारे बाल — बच्चे जिनके बारे में तुम ने यह कहा कि वह तो लूट का माल ठहरेंगे, उनको मैं वहाँ पहुँचाऊगा, और जिस मुल्क को तुम ने हक़ीर जाना वह उसकी हक़ीक़त पहचानेंगे।
أَمَّا أَنْتُمْ فَإِنَّ جُثَثَكُمْ تَتَسَاقَطُ فِي هَذَا الْقَفْرِ، | ٣٢ 32 |
और तुम्हारा यह हाल होगा कि तुम्हारी लाशें इसी वीरान में पड़ी रहेंगी।
وَيَبْقَى بَنُوكُمْ فِي الصَّحْرَاءِ أَرْبَعِينَ سَنَةً، تُعَانُونَ مِنْ فُجُورِكُمْ، حَتَّى تَبْلَى جُثَثُكُمْ فِيهَا. | ٣٣ 33 |
और तुम्हारे लड़के बाले चालीस बरस तक वीरान में आवारा फिरते और तुम्हारी ज़िनाकारियों का फल पाते रहेंगे, जब तक कि तुम्हारी लाशें वीरान में गल न जाएँ।
وَتَحْمِلُونَ أَوْزَارَكُمْ أَرْبَعِينَ سَنَةً. كُلُّ يَوْمٍ بِسَنَةٍ، عَلَى عَدَدِ الأَيَّامِ الأَرْبَعِينَ الَّتِي تَجَسَّسْتُمْ فِيهَا الأَرْضَ، فَتُدْرِكُونَ عَاقِبَةَ ابْتِعَادِي عَنْكُمْ. | ٣٤ 34 |
उन चालीस दिनों के हिसाब से जिनमें तुम उस मुल्क का हाल दरियाफ़्त करते रहे थे, अब दिन पीछे एक — एक बरस या'नी चालीस बरस तक, तुम अपने गुनाहों का फल पाते रहोगे; तब तुम मेरे मुख़ालिफ़ हो जाने को समझोगे।
أَنَا الرَّبُّ قَدْ تَكَلَّمْتُ، وَهَذَا مَا سَأُعَاقِبُ بِهِ هَذِهِ الْجَمَاعَةَ الشِّرِّيرَةَ الْمُتَآمِرَةَ عَلَيَّ: فِي هَذِهِ الصَّحْرَاءِ يَفْنَوْنَ وَيَمُوتُونَ». | ٣٥ 35 |
मैं ख़ुदावन्द यह कह चुका हूँ कि मैं इस पूरी ख़बीस गिरोह से जो मेरी मुखालिफ़त पर मुत्तफ़िक़ है क़त'ई ऐसा ही करूँगा, इनका ख़ातमा इसी वीरान में होगा और वह यहीं मरेंगे।”
أَمَّا الْجَوَاسِيسُ الَّذِينَ أَرْسَلَهُمْ مُوسَى لاِسْتِكْشَافِ الأَرْضِ، فَرَجَعُوا فَأَثَارُوا عَلَيْهِ الشَّعْبَ بِمَا رَوَّجُوهُ مِنْ أَخْبَارٍ سَيِّئَةٍ عَنِ الأَرْضِ، | ٣٦ 36 |
और जिन आदमियों को मूसा ने मुल्क का हाल दरियाफ़्त करने को भेजा था, जिन्होंने लौट कर उस मुल्क की ऐसी बुरी ख़बर सुनाई थी, जिससे सारी जमा'अत मूसा पर कुड़कुड़ाने लगी,
فَقَدْ أَمَاتَهُمُ الرَّبُّ بِالْوَبَأِ عِقَاباً لَهُمْ | ٣٧ 37 |
इसलिए वह आदमी जिन्होंने मुल्क की बुरी ख़बर दी थी ख़ुदावन्द के सामने वबा से मर गए।
وَلَمْ يَعِشْ مِنْهُمْ إِلّا يَشُوعُ بْنُ نُونَ وَكَالَبُ بْنُ يَفُنَّةَ. | ٣٨ 38 |
लेकिन जो आदमी उस मुल्क का हाल दरियाफ़्त करने गए थे उनमें से नून का बेटा यशू'अ और यफ़ुन्ना का बेटा कालिब दोनों जीते बचे रहे।
وَلَمَا أَبْلَغَ مُوسَى هَذَا الْكَلامَ إِلَى جَمِيعِ بَنِي إِسْرَائِيلَ بَكَوْا بُكَاءً شَدِيداً. | ٣٩ 39 |
और मूसा ने यह बातें सब बनी इस्राईल से कहीं, तब वह लोग ज़ार — ज़ार रोए।
وَفِي الصَّبَاحِ الْبَاكِرِ صَعِدُوا إِلَى رَأْسِ الْجَبَلِ قَائِلِينَ: «هَا نَحْنُ قَدْ أَخْطَأْنَا، فَلْنَمْضِ إِلَى الْمَكَانِ الَّذِي وَعَدَنَا بِهِ الرَّبُّ». | ٤٠ 40 |
और वह दूसरे दिन सुबह सवेरे उठ कर यह कहते हुए पहाड़ की चोटी पर चढ़ने लगे, कि हम हाज़िर हैं और जिस जगह का वा'दा ख़ुदावन्द ने किया है वहाँ जाएँगे क्यूँकि हम से ख़ता हुई है।
فَقَالَ مُوسَى: «لِمَاذَا تَعْصَوْنَ أَمْرَ الرَّبِّ؟ إِنَّ عَمَلَكُمْ هَذَا لَنْ يُفْلِحَ. | ٤١ 41 |
मूसा ने कहा, “तुम क्यूँ अब ख़ुदावन्द की हुक्म उदूली करते हो? इससे कोई फ़ाइदा न होगा।
لَا تَنْطَلِقُوا لِئَلّا تَنْهَزِمُوا أَمَامَ أَعْدَائِكُمْ، لأَنَّ الرَّبَّ لَيْسَ فِي وَسَطِكُمْ، | ٤٢ 42 |
ऊपर मत चढ़ो क्यूँकि ख़ुदावन्द तुम्हारे बीच नहीं है ऐसा न हो कि अपने दुश्मनों के मुक़ाबले में शिकस्त खाओ।
فَالْعَمَالِقَةُ وَالْكَنْعَانِيُّونَ مُتَرَبِّصُونَ بِكُمْ هُنَاكَ فَتَهْلِكُونَ بِحَدِّ السَّيْفِ، لأَنَّكُمْ قَدِ ارْتَدَدْتُمْ عَنِ الرَّبِّ وَلَنْ يَكُونَ الرَّبُّ مَعَكُمْ». | ٤٣ 43 |
क्यूँकि वहाँ तुम से आगे 'अमालीक़ी और कना'नी लोग हैं, इसलिए तुम तलवार से मारे जाओगे; क्यूँकि ख़ुदावन्द से तुम फिर गए हो, इसलिए ख़ुदावन्द तुम्हारे साथ नहीं रहेगा।”
لَكِنَّهُمْ، فِي غَطْرَسَتِهِمْ، ارْتَقَوْا إِلَى قِمَّةِ الْجَبَلِ، غَيْرَ أَنَّ تَابُوتَ عَهْدِ الرَّبِّ وَمُوسَى لَمْ يَبْرَحَا مِنْ وَسَطِ الْمُخَيَّمِ. | ٤٤ 44 |
लेकिन वह शोख़ी करके पहाड़ की चोटी तक चढ़े चले गए, लेकिन ख़ुदावन्द के 'अहद का सन्दूक़ और मूसा लश्करगाह से बाहर न निकले।
فَانْقَضَّ عَلَيْهِمِ الْعَمَالِقَةُ وَالْكَنْعَانِيُّونَ الْمُقِيمُونَ فِي ذَلِكَ الْجَبَلِ، وَهَاجَمُوهُمْ وَتَعَقَّبُوهُمْ إِلَى «حُرْمَةَ». | ٤٥ 45 |
तब 'अमालीक़ी और कना'नी जो उस पहाड़ पर रहते थे, उन पर आ पड़े और उनको क़त्ल किया और हुरमा तक उनको मारते चले आए।