< عَدَد 14 >

فَرَفَعَ الشَّعْبُ كُلُّهُ صَوْتَهُ وَبَكَى فِي تِلْكَ اللَّيْلَةِ، ١ 1
तब सारा समुदाय ऊंची आवाज में रोने लगा. उस रात वे सभी रोते रहे.
وَتَذَمَّرَ عَلَى مُوسَى وَهَرُونَ، وَقَالُوا: «لَيْتَنَا مُتْنَا فِي دِيَارِ مِصْرَ، أَوْ لَيْتَنَا مُتْنَا فِي الصَّحْرَاءِ. ٢ 2
हर एक इस्राएली मोशेह तथा अहरोन के विरुद्ध बड़बड़ा रहा था. एक स्वर में उन्होंने मोशेह तथा अहरोन से कहा, “अच्छा होता हमारी मृत्यु मिस्र देश में ही हो गई होती, यदि वहां नहीं तो इस निर्जन प्रदेश में!
لِمَاذَا أَحْضَرَنَا الرَّبُّ إِلَى هَذِهِ الأَرْضِ لِنَهْلِكَ بِحَدِّ السَّيْفِ، وَتُؤْخَذَ نِسَاؤُنَا وَأَطْفَالُنَا سَبَايَا؟ أَلَيْسَ مِنَ الأَفْضَلِ لَنَا أَنْ نَرْجِعَ إِلَى مِصْرَ؟» ٣ 3
याहवेह हमें क्यों इस देश में ले जाने पर उतारू हैं, क्या तलवार से मरवाने के लिए? हमारी पत्नियां एवं हमारे बच्‍चे वहां उनकी लूट सामग्री होकर रह जाएंगे. क्या भला न होगा कि हम मिस्र देश ही लौट जाएं?”
وَقَالَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: «لِنَنْتَخِبْ لَنَا قَائِداً وَنَرْجِعْ إِلَى مِصْرَ». ٤ 4
उन्होंने आपस में यह विचार-विमर्श किया, “चलो, हम अपने लिए एक प्रधान को नियुक्त करें और लौट जाएं, मिस्र देश को.”
فَخَرَّ مُوسَى وَهَرُونُ عَلَى وَجْهَيْهِمَا أَمَامَ جَمِيعِ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ، ٥ 5
यह सुन मोशेह एवं अहरोन सारी इस्राएली मण्डली के सामने मुंह के बल गिर पड़े.
وَمَزَّقَ يَشُوعُ بْنُ نُونَ وَكَالَبُ بْنُ يَفُنَّةَ ثِيَابَهُمَا، وَهُمَا مِمَّنْ تَجَسَّسُوا الأَرْضَ، ٦ 6
नून के पुत्र यहोशू तथा येफुन्‍नेह के पुत्र कालेब ने, जो इस देश में भेद लेने के लिए गए थे, अपने वस्त्र फाड़ दिए.
وَقَالا لِكُلِّ الشَّعْبِ: «إِنَّ الأَرْضَ الَّتِي اجْتَزْنَا فِيهَا هِيَ أَرْضُ خَيْرَاتٍ عَظِيمَةٍ جِدّاً. ٧ 7
सारे इस्राएल के घराने को संबोधित कर उन्होंने कहा, “वह देश, जिसकी सारी भूमि का हमने भेद लिया है, बहुत ही उपजाऊ भूमि है.
فَإِنْ رَضِيَ عَنَّا الرَّبُّ يُدْخِلْنَا إِلَيْهَا وَيَهَبْهَا لَنَا، أَرْضاً تَفِيضُ لَبَناً وَعَسَلاً. ٨ 8
यदि याहवेह की हम पर कृपादृष्टि बनी रहती है, तो वह हमें इस देश में ले जाएंगे तथा यह हमें दे देंगे; ऐसा देश जिसमें दूध एवं मधु का भण्ड़ार है.
إِنَّمَا لَا تَتَمَرَّدُوا عَلَى الرَّبِّ وَلا تَجْزَعُوا مِنْ شَعْبِ الأَرْضِ، لأَنَّنَا سَنَبْتَلِعُهُمْ كَالْخُبْزِ، فَقَدْ تَلاشَى ظِلُّ الْحِمَايَةِ عَنْهُمْ، وَالرَّبُّ مَعَنَا فَلا تَرْهَبُوهُمْ». ٩ 9
बस याहवेह के प्रति विद्रोह न करो. उस देश के निवासियों से भयभीत न हो जाओ, क्योंकि उन्हें तो हमारा शिकार होना ही है. उन पर से उनकी सुरक्षा हटाई जा चुकी है, तथा याहवेह हमारे साथ हैं. मत डरो उनसे.”
وَلَكِنَّ الشَّعْبَ طَالَبَ بِرَجْمِهِمَا بِالْحِجَارَةِ. غَيْرَ أَنَّ مَجْدَ الرَّبِّ ظَهَرَ فِي خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ عَلَى مَرْأَىً مِنْهُمْ جَمِيعاً. ١٠ 10
किंतु सारी मण्डली उन पर पथराव करने पर उतारू हो गई. तब मिलनवाले तंबू पर सारे इस्राएल के घराने पर याहवेह की ज्योति प्रकाशमान हुई.
وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى: «إِلَى مَتَى يُمْعِنُ هَذَا الشَّعْبُ فِي إِهَانَتِي، وَإِلَى مَتَى لَا يُصَدِّقُونَنِي عَلَى الرَّغْمِ مِنْ مُعْجِزَاتِي الَّتِي أَجْرَيْتُهَا فِي وَسَطِهِمْ؟ ١١ 11
याहवेह ने मोशेह से प्रश्न किया, “और कब तक ये लोग मेरा तिरस्कार करते रहेंगे? कब तक वे मुझमें विश्वास न करेंगे, जबकि मैं उनके बीच में ये सारे चिन्ह दिखा चुका हूं?
سَأُبِيدُهُمْ بِالْوَبَأِ، وَأَجْعَلُكَ شَعْباً أَكْبَرَ وَأَعْظَمَ مِنْهُمْ». ١٢ 12
मैं उन पर महामारी डालकर उनको बाहर निकाल दूंगा. इसके बाद मैं तुमसे एक ऐसे राष्ट्र को उत्पन्‍न करूंगा, जो इनसे अधिक संख्या में और बलवान होगा.”
فَقَالَ مُوسَى لِلرَّبِّ: «عِنْدَئِذٍ يَسْمَعُ الْمِصْرِيُّونَ، الَّذِينَ أَخْرَجْتَ هَذَا الشَّعْبَ مِنْ بَيْنِهِمْ بِقُدْرَتِكَ، بِهَذَا ١٣ 13
किंतु मोशेह ने निवेदन करते हुए याहवेह से कहा, “तब तो मिस्रवासी इस विषय में सुन ही लेंगे, क्योंकि आपने अपने भुजबल के द्वारा इन लोगों को उनके बीच में से निकाला है.
وَيُخْبِرُونَ بِهِ أَهْلَ هَذِهِ الأَرْضِ، الَّذِينَ قَدْ سَمِعُوا يَا رَبُّ أَنَّكَ قَائِمٌ فِي وَسَطِ هَذَا الشَّعْبِ، وَأَنَّكَ قَدْ ظَهَرْتَ لَهُمْ وَجْهاً لِوَجْهٍ تُظَلِّلُهُمْ بِحِمَايَتِكَ، وَتَسِيرُ أَمَامَهُمْ فِي عَمُودِ سَحَابٍ نَهَاراً وَفِي عَمُودِ نَارٍ لَيْلاً. ١٤ 14
वे इसका वर्णन यहां के निवासियों से करेंगे. उन्हें यह मालूम है कि आप याहवेह, हम लोगों के बीच में ही हैं. याहवेह, जब आपका बादल उन पर छाया करता था, यह उनके द्वारा आमने-सामने देखा जा चुका है, तथा यह भी कि आप दिन के समय बादल का खंभा तथा रात में आग का खंभा बनकर इनके आगे-आगे चल रहे हैं.
فَإِنْ أَهْلَكْتَ هَذَا الشَّعْبَ دَفْعَةً وَاحِدَةً، فَإِنَّ الأُمَمَ الَّتِي سَمِعَتْ بِخَبَرِكَ تَقُولُ ١٥ 15
यदि आप इस राष्ट्र को इस रीति से खत्म कर देंगे, मानो यह जनता एक ही व्यक्ति है, तब जिन राष्ट्रों ने आपकी कीर्ति के विषय में सुन रखा है, यही कहेंगे,
إِنَّكَ قَدْ عَجَزْتَ عَنْ أَنْ تُدْخِلَ هَذَا الشَّعْبَ إِلَى الأَرْضِ الَّتِي وَعَدْتَهُمْ بِها، فَأَهْلَكْتَهُمْ فِي الصَّحْرَاءِ. ١٦ 16
‘यह इसलिये हुआ है कि याहवेह इस राष्ट्र को अपनी शपथ के साथ की गई प्रतिज्ञा के अनुसार उस देश में ले जाने में सफल नहीं रह पाए हैं, इसलिये उन्होंने इस राष्ट्र को निर्जन प्रदेश में ही मार डाला.’
وَالآنَ لِتَتَعَظَّمْ قُدْرَةُ سَيِّدِي كَمَا نَطَقْتَ قَائِلاً: ١٧ 17
“किंतु अब, मेरे प्रभु, आपसे मेरी यह विनती है, आपकी सामर्थ्य की महिमा आपके कहने के अनुसार हो:
الرَّبُّ طَوِيلُ الأَنَاةِ، وَافِرُ الرَّحْمَةِ، يَغْفِرُ الذَّنْبَ وَالسَّيِّئَةَ. لَكِنَّهُ لَا يُبْرِئُ، بَلْ يَفْتَقِدُ ذَنْبَ الآبَاءِ فِي الأَبْنَاءِ إِلَى الْجِيلِ الثَّالِثِ وَالرَّابِعِ. ١٨ 18
‘याहवेह क्रोध करने में धीरजवंत तथा अति करुणामय, वह अधर्म एवं अपराध के लिए क्षमा करनेवाले हैं, किंतु वह किसी भी स्थिति में दोषी को बिना दंड दिए नहीं छोड़ते. वह पूर्वजों के अधर्म का दंड उनके बेटों, पोतों और परपोतों तक को देते हैं.’
فَاصْفَحْ عَنْ ذَنْبِ هَذَا الشَّعْبِ بِحَسَبِ نِعْمَتِكَ، وَاغْفِرْ لَهُ كَمَا غَفَرْتَ ذُنُوبَهُ مِنْ مِصْرَ إِلَى هَهُنَا». ١٩ 19
याहवेह, आपके कभी न बदलनेवाले प्रेम की बहुतायत के अनुसार, मेरी विनती है, अपनी प्रजा के अपराध को क्षमा कर दीजिए, ठीक जिस प्रकार आप मिस्र से निकालने से लेकर अब तक अपनी प्रजा को क्षमा करते रहे हैं.”
فَأَجَابَ الرَّبُّ: «قَدْ صَفَحْتُ بِحَسَبِ قَوْلِكَ. ٢٠ 20
फिर याहवेह ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम्हारी विनती के अनुसार मैं उन्हें क्षमा कर चुका हूं.
وَلَكِنْ كَمَا أَنَا حَقّاً حَيٌّ، وَكَمَا أَنَّ مَجْدَ الرَّبِّ حَقّاً يَمْلأُ الأَرْضَ، ٢١ 21
किंतु याद रहे, शपथ मेरे जीवन की, सारी धरती याहवेह की महिमा से भर जाएगी,
فَإِنَّ جَمِيعَ الرِّجَالِ الَّذِينَ عَايَنُوا مَجْدِي وَمُعْجِزَاتِي الَّتِي أَجْرَيْتُهَا فِي مِصْرَ وَفِي الصَّحْرَاءِ، وَجَرَّبُونِي عَشْرَ مَرَّاتٍ مِنْ غَيْرِ أَنْ يُطِيعُوا قَوْلِي، ٢٢ 22
उन सभी व्यक्तियों ने, जिन्होंने मेरी महिमा और मेरे द्वारा दिखाए गए चिन्हों को देख लिया है, जो मैंने मिस्र देश में तथा यहां निर्जन प्रदेश में दिखाए हैं, फिर भी दस अवसरों पर मेरे आदेशों की उपेक्षा की और मेरी परीक्षा की है,
لَنْ يَرَوْا الأَرْضَ الَّتِي وَعَدْتُ بِها آبَاءَهُمْ. جَمِيعُ الَّذِينَ اسْتَخَفُّوا بِي، لَنْ يُشَاهِدُوهَا. ٢٣ 23
वे किसी भी रीति से उस देश को देख न पाएंगे, जिसकी शपथ मैंने उनके पूर्वजों से की थी, वैसे ही वे भी इस देश को न देख पाएंगे, जिन्होंने मेरा इनकार किया है.
وَلَكِنْ لأَنَّ فِي عَبْدِي كَالَبَ رُوحاً مُخْتَلِفَةً، وَقَدْ تَبِعَنِي بِكُلِّ قَلْبِهِ، فَسَأُدْخِلُهُ إِلَى الأَرْضِ الَّتِي ذَهَبَ إِلَيْهَا، وَسَيَرِثُهَا نَسْلُهُ مِنْ بَعْدِهِ. ٢٤ 24
किंतु मेरे सेवक कालेब में, एक अलग आत्मा है और जिसने पूरी-पूरी रीति से मेरा अनुसरण किया है, उसे ही मैं उस देश में ले जाऊंगा, जिसका वह भेद ले चुका है, उसके वंशज उस देश पर अधिकार कर लेंगे.
وَبِمَا أَنَّ الْعَمَالِقَةَ وَالْكَنْعَانِيِّينَ سَاكِنُونَ فِي الْوِدْيَانِ، فَارْجِعُوا غَداً إِلَى الصَّحْرَاءِ فِي اتِّجَاهِ الْبَحْرِ الأَحْمَرِ». ٢٥ 25
इस समय उन घाटियों में अमालेकियों तथा कनानियों का निवास है. कल तुम लाल सागर के मार्ग से निर्जन प्रदेश की ओर कूच करना.”
قَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى وَهَرُونَ: ٢٦ 26
याहवेह ने मोशेह तथा अहरोन को संबोधित किया:
«إِلَى مَتَى أَصْفَحُ عَنْ هَذِهِ الْجَمَاعَةِ الشِّرِّيرَةِ الْمُتَذَمِّرَةِ عَلَيَّ؟ لَقَدْ سَمِعْتُ تَذَمُّرَهُمْ عَلَيَّ، ٢٧ 27
“बताओ, मैं कब तक इस कुटिल सभा के प्रति सहानुभूति दिखाता रहूं, जो मेरे विरुद्ध बड़बड़ा रहे हैं? इस्राएल के घराने के अपशब्द मेरे कानों तक पहुंच चुके हैं, वे अपशब्द, जो वे मेरे विरुद्ध कह रहे हैं.
فَقُلْ لَهُمْ: حَيٌّ أَنَا يَقُولُ الرَّبُّ، لأُنْزِلَنَّ بِكُمْ كُلَّ مَا تَكَلَّمْتُمْ بِهِ فِي مَسْمَعِي. ٢٨ 28
तुम उनसे यह कहो, ‘मेरे जीवन की शपथ,’ यह याहवेह का वचन है, ‘ठीक जैसा जैसा तुमने मेरे सुनने में बातें की हैं,’ निश्चित ही तुम्हारे लिए मैं ठीक वैसा ही कर दूंगा.
إِذْ تَتَسَاقَطُ جُثَثُكُمْ فِي هَذِهِ الصَّحْرَاءِ، مِنِ ابْنِ عِشْرِينَ سَنَةً فَمَا فَوْقُ مِمَّنْ تَمَّ إِحْصَاؤُهُمْ وَتَذَمَّرُوا عَلَيَّ. ٢٩ 29
तुम्हारे शव इस निर्जन प्रदेश में धराशाई पड़े रहेंगे; उन सब की जिनकी गिनती की जा चुकी है. बीस वर्ष से ऊपर की आयु के सभी व्यक्ति, जिन्होंने मेरे विरुद्ध आवाज उठाकर बड़बड़ की है.
لَنْ تَدْخُلُوا الأَرْضَ الَّتِي وَعَدْتُ رَافِعاً يَدِي بِقَسَمٍ أَنْ أُسْكِنَكُمْ فِيهَا، مَاعَدَا كَالَبَ بنَ يَفُنَّةَ وَيَشُوعَ بْنَ نُونَ. ٣٠ 30
निश्चित ही तुम सब उस देश में प्रवेश नहीं करोगे, जिसमें तुम्हें बसा देने की शपथ मैंने तुमसे की थी; सिर्फ येफुन्‍नेह के पुत्र कालेब तथा नून के पुत्र यहोशू के अलावा.
غَيْرَ أَنِّي سَأُدْخِلُ إِلَيْهَا أَوْلادَكُمُ الَّذِينَ ادَّعَيْتُمْ أَنَّهُمْ يُصْبِحُونَ أَسْرَى، فَيَتَمَتَّعُونَ بِالأَرْضِ الَّتِي احْتَقَرْتُمُوهَا. ٣١ 31
हां, तुम्हारी संतान, जिनके विषय में तुमने कहा था कि वे उनके भोजन हो जाएंगे, उन्हें मैं उस देश में ले जाऊंगा. वे ही उस देश पर अधिकार करेंगे, जिसे तुमने ठुकरा दिया है.
أَمَّا أَنْتُمْ فَإِنَّ جُثَثَكُمْ تَتَسَاقَطُ فِي هَذَا الْقَفْرِ، ٣٢ 32
किंतु तुम्हारे लिए तो यही तय हो चुका है तुम्हारे शव इस निर्जन प्रदेश में पड़े रहेंगे.
وَيَبْقَى بَنُوكُمْ فِي الصَّحْرَاءِ أَرْبَعِينَ سَنَةً، تُعَانُونَ مِنْ فُجُورِكُمْ، حَتَّى تَبْلَى جُثَثُكُمْ فِيهَا. ٣٣ 33
तुम्हारे वंशज चालीस वर्ष इस निर्जन प्रदेश में चरवाहे होंगे तथा वे तुम्हारे द्वारा किए गए इस विश्वासघात के लिए कष्ट भोगेंगे और तुम्हारे शव निर्जन प्रदेश में पड़े पाए जाएंगे.
وَتَحْمِلُونَ أَوْزَارَكُمْ أَرْبَعِينَ سَنَةً. كُلُّ يَوْمٍ بِسَنَةٍ، عَلَى عَدَدِ الأَيَّامِ الأَرْبَعِينَ الَّتِي تَجَسَّسْتُمْ فِيهَا الأَرْضَ، فَتُدْرِكُونَ عَاقِبَةَ ابْتِعَادِي عَنْكُمْ. ٣٤ 34
यह उसी अनुपात में होगा, जितने दिन तुमने उस देश का भेद लिया था; चालीस दिन-भेद लेने के, एक दिन के लिए इस निर्जन प्रदेश में एक वर्ष, कुल चालीस वर्ष. तब तुम अपने पाप के कारण कष्ट भोगोगे और मुझसे विरोध का परिणाम समझ जाओगे.
أَنَا الرَّبُّ قَدْ تَكَلَّمْتُ، وَهَذَا مَا سَأُعَاقِبُ بِهِ هَذِهِ الْجَمَاعَةَ الشِّرِّيرَةَ الْمُتَآمِرَةَ عَلَيَّ: فِي هَذِهِ الصَّحْرَاءِ يَفْنَوْنَ وَيَمُوتُونَ». ٣٥ 35
मैं, याहवेह ने, यह घोषणा कर दी है, मैं इस पूरी बुरी सभा के साथ निश्चित ही यह करूंगा, जो मेरे विरुद्ध एकजुट हो गए हैं. इसी निर्जन प्रदेश में नष्ट हो जाएंगे; यहीं उनकी मृत्यु हो जाएगी.”
أَمَّا الْجَوَاسِيسُ الَّذِينَ أَرْسَلَهُمْ مُوسَى لاِسْتِكْشَافِ الأَرْضِ، فَرَجَعُوا فَأَثَارُوا عَلَيْهِ الشَّعْبَ بِمَا رَوَّجُوهُ مِنْ أَخْبَارٍ سَيِّئَةٍ عَنِ الأَرْضِ، ٣٦ 36
वैसे उन लोगों की नियति, जिन्हें मोशेह ने उस देश का भेद लेने के उद्देश्य से भेजा था और जिन्होंने लौटने पर उस देश का उलटा चित्रण किया था, जिन्होंने सारी सभा को बड़बड़ाने के लिए उभार दिया था,
فَقَدْ أَمَاتَهُمُ الرَّبُّ بِالْوَبَأِ عِقَاباً لَهُمْ ٣٧ 37
ये वे ही थे, जिन्होंने उस देश का अत्यंत भयानक चित्र प्रस्तुत किया था, याहवेह ही के सामने महामारी से उनकी मृत्यु हो गई.
وَلَمْ يَعِشْ مِنْهُمْ إِلّا يَشُوعُ بْنُ نُونَ وَكَالَبُ بْنُ يَفُنَّةَ. ٣٨ 38
किंतु नून के पुत्र यहोशू तथा येफुन्‍नेह के पुत्र कालेब ही उनमें से जीवित रहे, जो उस देश का भेद लेने के लिए गए हुए थे.
وَلَمَا أَبْلَغَ مُوسَى هَذَا الْكَلامَ إِلَى جَمِيعِ بَنِي إِسْرَائِيلَ بَكَوْا بُكَاءً شَدِيداً. ٣٩ 39
जब मोशेह ने सभी इस्राएलियों के सामने यह बातें दोहराई, वे घोर विलाप करने लगे.
وَفِي الصَّبَاحِ الْبَاكِرِ صَعِدُوا إِلَى رَأْسِ الْجَبَلِ قَائِلِينَ: «هَا نَحْنُ قَدْ أَخْطَأْنَا، فَلْنَمْضِ إِلَى الْمَكَانِ الَّذِي وَعَدَنَا بِهِ الرَّبُّ». ٤٠ 40
फिर भी, वे बड़े तड़के उठे और इस विचार से, “निश्चयतः हमने पाप किया है. अब हम यहां तक पहुंच चुके हैं, हम याहवेह के प्रतिज्ञा किए हुए देश को चले जाएंगे!”
فَقَالَ مُوسَى: «لِمَاذَا تَعْصَوْنَ أَمْرَ الرَّبِّ؟ إِنَّ عَمَلَكُمْ هَذَا لَنْ يُفْلِحَ. ٤١ 41
किंतु मोशेह ने आपत्ति की, “तुम लोग याहवेह के आदेश का उल्लंघन करने पर उतारू क्यों हो? यह कार्य हो ही नहीं सकता!
لَا تَنْطَلِقُوا لِئَلّا تَنْهَزِمُوا أَمَامَ أَعْدَائِكُمْ، لأَنَّ الرَّبَّ لَيْسَ فِي وَسَطِكُمْ، ٤٢ 42
मत जाओ वहां, नहीं तो तुम शत्रुओं द्वारा हरा दिए जाओगे, क्योंकि अब तुम पर याहवेह का आश्रय नहीं रहा,
فَالْعَمَالِقَةُ وَالْكَنْعَانِيُّونَ مُتَرَبِّصُونَ بِكُمْ هُنَاكَ فَتَهْلِكُونَ بِحَدِّ السَّيْفِ، لأَنَّكُمْ قَدِ ارْتَدَدْتُمْ عَنِ الرَّبِّ وَلَنْ يَكُونَ الرَّبُّ مَعَكُمْ». ٤٣ 43
वहां तुम स्वयं को अमालेकियों एवं कनानियों के सामने पाओगे और तुम तलवार से मार दिए जाओगे, क्योंकि तुमने याहवेह का अनुसरण करने को तुच्छ जाना है. यहां याहवेह तुम्हारे साथ न रहेंगे.”
لَكِنَّهُمْ، فِي غَطْرَسَتِهِمْ، ارْتَقَوْا إِلَى قِمَّةِ الْجَبَلِ، غَيْرَ أَنَّ تَابُوتَ عَهْدِ الرَّبِّ وَمُوسَى لَمْ يَبْرَحَا مِنْ وَسَطِ الْمُخَيَّمِ. ٤٤ 44
किंतु वे मोशेह की चेतावनी को न मानते हुए उस पर्वतीय क्षेत्र के टीले पर चढ़ गए. न तो मोशेह ने छावनी छोड़ी थी और न ही वाचा के संदूक को छावनी के बाहर लाया गया था.
فَانْقَضَّ عَلَيْهِمِ الْعَمَالِقَةُ وَالْكَنْعَانِيُّونَ الْمُقِيمُونَ فِي ذَلِكَ الْجَبَلِ، وَهَاجَمُوهُمْ وَتَعَقَّبُوهُمْ إِلَى «حُرْمَةَ». ٤٥ 45
तब उस पर्वतीय क्षेत्र के निवासी अमालेकी तथा कनानी उन पर टूट पड़े और होरमाह नामक स्थान तक उनका पीछा करते हुए उनको मारते चले गए.

< عَدَد 14 >