< ناحُوم 3 >
وَيْلٌ لِلْمَدِينَةِ السَّافِكَةِ الدِّمَاءِ الْمُمْتَلِئَةِ كَذِباً، الْمُكْتَظَّةِ بِالْغَنَائِمِ الْمَنْهُوبَةِ، الَّتِي لَا تَخْلُو أَبَداً مِنَ الضَّحَايَا. | ١ 1 |
धिक्कार है उस खून के नगर पर, जो झूठ से भरा हुआ है, जो लूटपाट से भरा हुआ है, और जो पीड़ितों से कभी मुक्त नहीं होता!
هَا فَرْقَعَةُ السِّيَاطِ وَقَعْقَعَةُ الْعَجَلاتِ وَجَلَبَةُ حَوَافِرِ الْخُيُولِ وَصَلْصَلَةُ الْمَرْكَبَاتِ. | ٢ 2 |
चाबुक के चटकने की आवाज, पहियों का खड़खड़ाना, घोड़ों का सरपट भागना और रथों का झटके से हिलना-डुलना!
وَفُرْسَانٌ وَاثِبَةٌ، وَسُيُوفٌ لامِعَةٌ وَرِمَاحٌ بَارِقَةٌ وَكَثْرَةُ قَتْلَى وَأَكْوَامُ جُثَثٍ لا نِهَايَةَ لَهَا، بِها يَتَعَثَّرُونَ. | ٣ 3 |
घुड़सवार सेना का आक्रमण करना, तलवारों का चमकना बर्छियों की चमक! मारे गये बहुत सारे लोग, लाशों का ढेर, असंख्य मृत शरीर, लाशों के ऊपर लड़खड़ाते लोग,
كُلُّ هَذَا مِنْ أَجْلِ كَثْرَةِ زِنَى نِينَوَى الفَاتِنَةِ الآسِرَةِ وَمِنْ أَجْلِ سِحْرِهَا الْقَاتِلِ. لَقَدِ اسْتَعْبَدَتِ الشُّعُوبَ بِعَهَرِهَا وَالأُمَمَ بِشَعْوَذَتِهَا. | ٤ 4 |
ये सब उस एक वेश्या के लम्पट वासना के कारण से है, जो लुभानेवाली और जादू-टोने की स्वामिनी है, जो जाति-जाति के लोगों को अपने वेश्यावृत्ति से और अपने जादू-टोने से लोगों को गुलाम बना लेती है.
هَا أَنَا أُقَاوِمُكِ، يَقُولُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ، فَأَكْشِفُ عَارَكِ لأُطْلِعَ الأُمَمَ عَلَى عَوْرَتِكِ وَالْمَمَالِكَ عَلَى خِزْيِكِ. | ٥ 5 |
यह सर्वशक्तिमान याहवेह की घोषणा है, “मैं तुम्हारे विरुद्ध हूं. मैं तुम्हारे कपड़े को तुम्हारे चेहरे तक उठा दूंगा. मैं जाति-जाति के लोगों को तुम्हारा नंगापन दिखाऊंगा और राज्य-राज्य के लोगों के सामने तुम्हें लज्जित करूंगा.
وَأُلَوِّثُكِ بِالأَوْسَاخِ وَأُحَقِّرُكِ وَأَجْعَلُكِ عِبْرَةً. | ٦ 6 |
मैं तुम्हारे ऊपर गंदगी फेंकूंगा, मैं तुम्हें अपमानित करूंगा और तुम्हारा तमाशा बनाऊंगा.
وَكُلُّ مَنْ يَرَاكِ يَعْرِضُ عَنْكِ قَائِلاً: «قَدْ خَرِبَتْ نِينَوَى فَمَنْ يَنُوحُ عَلَيْهَا؟ أَيْنَ أَجِدُ لَهَا مُعَزِّينَ؟» | ٧ 7 |
वे सब जो तुम्हें देखेंगे, वे तुमसे दूर भागेंगे और कहेंगे, ‘नीनवेह नाश हो गई है—कौन उसके लिये विलाप करेगा?’ तुम्हें सांत्वना देनेवाले मुझे कहां मिल सकते हैं?”
هَلْ أَنْتِ أَفْضَلُ مِنْ طِيبَةَ الْجَاثِمَةِ إِلَى جِوَارِ النِّيلِ الْمُحَاطَةِ بِالْمِيَاهِ، الْمُتَمَنِّعَةِ بِالْبَحْرِ وَبِأَسْوَارٍ مِنَ الْمِيَاهِ؟ | ٨ 8 |
क्या तुम उस थेबेस नगर से बेहतर हो, जो नील नदी के तट पर बसा है, और जो चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है? नदी उसकी सुरक्षा थी, और पानी उसके लिए दीवार के समान था.
كُوشُ وَمِصْرُ كَانَتَا قُوَّتَهَا اللّامُتَنَاهِيَةَ، وَفُوطُ وَلِيبِيَا مِنْ حُلَفَائِهَا. | ٩ 9 |
कूश तथा मिस्र देश उसे असीमित शक्ति देते थे; उसके मित्र राष्ट्रों में पूट और लिबिया थे.
وَمَعَ ذَلِكَ فَقَدْ وَقَعَتْ أَسِيرَةً وَاقْتِيدَتْ إِلَى السَّبْيِ، وَتَمَزَّقَ أَطْفَالُهَا أَشْلاءَ فِي زَاوِيَةِ كُلِّ شَارِعٍ، وَاقْتُرِعَ عَلَى عُظَمَائِهَا، وَصُفِّدَ نُبَلاؤُهَا بِالأَغْلالِ. | ١٠ 10 |
फिर भी उसे बंधक बनाकर बंधुआई में ले जाया गया. हर एक गली के मोड़ पर उसके नन्हे बच्चों को पटक कर मार डाला गया. उसके प्रतिष्ठित व्यक्तियों के लिए पासा फेंका गया, और उसके सब बड़े लोगों को बेड़ियों में जकड़ दिया गया.
وَأَنْتِ أَيْضاً تَسْكَرِينَ وَتَتَرَنَّحِينَ، وَتَلْتَمِسِينَ مَلْجَأً مِنَ الأَعْدَاءِ. | ١١ 11 |
हे नीनवेह नगरी, तुम भी नशे में मतवाली हो जाओगी; तुम छिपने चली जाओगी और शत्रु से सुरक्षा के लिए आश्रय खोजोगी.
وَتَتَسَاقَطُ جَمِيعُ حُصُونِكِ كَتَسَاقُطِ بَوَاكِيرِ أَثْمَارِ أَشْجَارِ التِّينِ النَّاضِجَةِ فِي أَفْوَاهِ مَنْ يَهُزُّونَهَا. | ١٢ 12 |
तुम्हारे सब गढ़ उन अंजीर वृक्षों के समान हैं, जिनमें पहिली उपज के पके फल लगे हों; जब उनको हिलाया जाता है, तो अंजीर खानेवाले के मुंह में गिरते हैं.
انْظُرِي إِلَى جُنُودِكِ مُرْتَعِبِينَ كَالنِّسَاءِ فِي وَسَطِكِ. صَارَتْ أَبْوَابُ أَرْضِكِ مَفْتُوحَةً أَمَامَ أَعْدَائِكِ. وَشَرَعَتِ النِّيرَانُ تَلْتَهِمُ مَزَالِيجَكِ. | ١٣ 13 |
अपने सैन्य-दलों को देख, वे सब दुर्बल प्राणी हो गये हैं. तुम्हारे देश के द्वार तुम्हारे शत्रुओं के लिये खुले हुए हैं; आग ने तुम्हारे द्वार छड़ों को जलाकर नष्ट कर दिया है.
خَزِّنِي مَاءً تَأَهُّباً لِلْحِصَارِ، حَصِّنِي قِلاعَكِ. دُوسِي أَكْوَامَ الطِّينِ لِتُجَهِّزِي الطُّوبَ؛ أَصْلِحِي قَوَالِبَ الطِّينِ. | ١٤ 14 |
अपने सैनिकों के लिए पानी भर लो, अपनी सुरक्षा को मजबूत करो! मिट्टी को इकट्ठा करो, पैरों से कुचलकर उसका गारा बना डालो, ईंट बनाने के काम को सुधारो!
هُنَاكَ تَلْتَهِمُكِ النَّارُ، وَيَسْتَأْصِلُكِ السَّيْفُ، فَيُبِيدُكِ الأَعْدَاءُ كَالْجَرَادِ. تَكَاثَرِي كَالْجَرَادِ وَكَالْجَنَادِبِ. | ١٥ 15 |
वहां आग तुम्हें जलाकर नष्ट कर देगी; तलवार तुम्हें घात कर देगी. वे तुम्हें टिड्डियों के झुंड की तरह खा जाएंगी. पतंगों के समान अपनी संख्या को बढ़ाओ, टिड्डियों की तरह अपनी संख्या को बढ़ाओ!
قَدْ أَضْحَى تُجَّارُكِ أَكْثَرَ مِنْ كَوَاكِبِ السَّمَاءِ، وَلَكِنَّهُمْ تَبَدَّدُوا كَجَرَادٍ فَرَدَ أَجْنِحَتَهُ وَطَارَ. | ١٦ 16 |
तुमने अपने व्यापारियों की संख्या आकाश के तारों की संख्या से भी अधिक बढ़ा ली है, पर वे टिड्डियों की तरह देश को नष्ट करके भाग जाते हैं.
أَصْبَحَ رُؤَسَاؤُكِ كَالْجَنَادِبِ، وَقَادَتُكِ كَأَسْرَابِ الْجَرَادِ الْمُتَكَوِّمَةِ عَلَى سِيَاجٍ فِي يَوْمٍ بَارِدٍ. مَا إِنْ تُشْرِقُ الشَّمْسُ حَتَّى تَطِيرَ بَعِيداً إِلَى حَيْثُ لَا يَعْلَمُ أَحَدٌ. | ١٧ 17 |
तुम्हारे पहरेदार टिड्डियों के समान हैं, तुम्हारे अधिकारी टिड्डियों के झुंड के समान हैं जो ठंडे दिन में दीवारों पर अपना बसेरा बनाते हैं, पर जब सूर्योदय होता है तो वे उड़ जाते हैं, और कोई नहीं जानता कि वे कहां जाते हैं.
قَدْ نَامَ رُعَاتُكَ يَا مَلِكَ أَشُّورَ، وَغَرِقَ عُظَمَاؤُكَ فِي سُبَاتٍ عَمِيقٍ، تَشَتَّتَ شَعْبُكَ عَلَى الْجِبَالِ وَلا يُوْجَدُ مَنْ يَجْمَعُهُمْ. | ١٨ 18 |
हे अश्शूर के राजा, तुम्हारे चरवाहे झपकी ले रहे हैं; तुम्हारे प्रतिष्ठित लोग आराम करने के लिए लेटे हुए हैं. तुम्हारे लोग पहाड़ों पर तितर-बितर हो गये हैं और उन्हें इकट्ठा करनेवाला कोई नहीं है.
لَا جَبْرَ لِكَسْرِكَ، وَجُرْحُكَ مُمِيتٌ. وَكُلُّ مَنْ يَسْمَعُ بِمَا جَرَى لَكَ يُصَفِّقُ ابْتِهَاجاً لِمَا أَصَابَكَ، فَمَنْ لَمْ يُعَانِ مِنْ شَرِّكَ الْمُتْمَادِي؟ | ١٩ 19 |
तुम्हारी चंगाई नहीं हो सकती; तुम्हारा घाव घातक है. वे सब, जो तुम्हारे बारे में सुनते हैं वे तुम्हारे पतन पर ताली बजाते हैं, क्योंकि ऐसा कौन है जो तुम्हारी खत्म न होनेवाली क्रूरता से बच सका है?