< ميخا 6 >
اسْتَمِعُوا إِلَى مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ: انْهَضْ وَأَعْلِنْ دَعْوَاكَ أَمَامَ الْجِبَالِ، وَلْتَكُنِ الأَكَامُ شَاهِدَةً عَلَى كَلامِكَ. | ١ 1 |
सुनो कि याहवेह क्या कहते हैं: “उठो, और पर्वतों के आगे मेरा मामला रखो; पहाड़ियां सुनें कि तुम क्या कहते हो.
اسْتَمِعِي يَا جِبَالُ إِلَى شَكْوَى الرَّبِّ، وَأَصْغِي يَا أُسُسَ الأَرْضِ الثَّابِتَةِ، فَإِنَّ لَدَى الرَّبِّ شَكْوَى عَلَى شَعْبِهِ وَهُوَ يُحَاكِمُ إِسْرَائِيلَ. | ٢ 2 |
“हे पर्वतों, याहवेह के द्वारा लगाये आरोपों पर ध्यान दो; हे पृथ्वी के अटल नींव, तुम भी सुनो. क्योंकि याहवेह का अपने लोगों के विरुद्ध एक मुकद्दमा है; वे इस्राएल के विरुद्ध एक मामला दायर कर रहे हैं.
بِمَاذَا أَسَأْتُ إِلَيْكَ يَا شَعْبِي وَبِمَا ضَايَقْتُكَ؟ أَجِبْنِي. | ٣ 3 |
“हे मेरे लोगों, प्रजा, मैंने तुम्हारे साथ क्या अन्याय किया है? मुझे बताओ कि मैंने तुम्हारे ऊपर क्या बोझ डाला है?
لَقَدْ أَخْرَجْتُكَ مِنْ دِيَارِ مِصْرَ، وَافْتَدَيْتُكَ مِنْ بَيْتِ الْعُبُودِيَّةِ، وَأَرْسَلْتُ أَمَامَكَ مُوسَى وَهرُونَ وَمَرْيَمَ | ٤ 4 |
मैंने तुम्हें मिस्र देश से बाहर निकाला है और तुम्हें दासत्व के बंधन से छुड़ाया है. मैंने तुम्हारी अगुवाई करने के लिये मोशेह को भेजा, अहरोन और मिरियम को भी भेजा.
اذْكُرْ يَا شَعْبِي مَا تَآمَرَ بِهِ عَلَيْكَ بَالاقُ مَلِكُ مُوآبَ، وَمَا أَجَابَهُ بِهِ بَلْعَامُ بنُ بَعُورَ. وَاذْكُرْ مَا أَحْسَنْتُ بِهِ إِلَيْكَ فِي رِحْلَتِكَ مِنْ شِطِّيمَ إِلَى الْجِلْجَالِ لِكَيْ تُدْرِكَ عَدْلَ الرَّبِّ. | ٥ 5 |
हे मेरे लोगों, याद करो मोआब के राजा बालाक ने क्या षड़्यंत्र किया था और बेओर के पुत्र बिलआम ने क्या उत्तर दिया था. शित्तीम से गिलगाल तक अपनी यात्रा का स्मरण करो, कि तुम याहवेह के धर्मी कामों को जानो.”
يَا رَبُّ: بِمَاذَا أَتَقَدَّمُ عِنْدَمَا أَمْثُلُ أَمَامَ الرَّبِّ وَأَسْجُدُ فِي حَضْرَةِ اللهِ الْعَلِيِّ؟ هَلْ أَتَقَدَّمُ مِنْهُ بِمُحْرَقَاتٍ وَبِعُجُولٍ حَوْلِيَّةٍ؟ | ٦ 6 |
मैं याहवेह के सामने क्या लेकर आऊं और प्रशंसा के योग्य परमेश्वर के सामने दंडवत करूं? क्या मैं होमबलि के लिये एक-एक साल के बछड़े लेकर उसके सामने आऊं?
هَلْ يُسَرُّ الرَّبُّ بِأُلُوفِ أَنْهَارِ زَيْتٍ؟ هَلْ أُقَرِّبُ بِكْرِي فِدَاءَ إِثْمِي وَثَمَرَةَ جَسَدِي تَكْفِيراً عَنْ خَطِيئَةِ نَفْسِي؟ | ٧ 7 |
क्या याहवेह की प्रसन्नता के लिए हजारों मेढ़े, अथवा जैतून तेल की दस हजार नदियां पर्याप्त होंगी? क्या मैं अपने अपराध के प्रायश्चित के लिये अपने पहलौठे पुत्र का बलिदान करूं, या अपनी आत्मा के पाप के अपने जन्माए किसी का बलिदान करूं?
لَقَدْ أَوْضَحَ لَكَ الرَّبُّ أَيُّهَا الإِنْسَانُ مَا هُوَ صَالِحٌ. وَمَاذَا يَبْتَغِي مِنْكَ سِوَى أَنْ تَتَوَخَّى الْعَدْلَ، وَتُحِبَّ الرَّحْمَةَ، وَتَسْلُكَ مُتَوَاضِعاً مَعَ إِلَهِكَ؟ | ٨ 8 |
हे मनुष्य, उन्होंने तुम्हें दिखाया है कि क्या अच्छा है. और याहवेह तुमसे क्या अपेक्षा करता है? न्याय के काम करो और दया करो और परमेश्वर के साथ नम्रता से चलो.
صَوْتُ الرَّبِّ يُنَادِي فِي أَرْجَاءِ الْمَدِينَةِ، وَمِنَ الْحِكْمَةِ أَنْ يُتَّقَى اسْمُكَ. اسْتَمِعُوا يَا أَهْلَ الْمَدِينَةِ وَأَعْضَاءَ مَجْلِسِهَا: | ٩ 9 |
सुनो! याहवेह शहर को पुकार रहे हैं, और आपके नाम का भय मानना ही बुद्धिमता है, “डंडा और उसे नियुक्त करनेवाले की बात ध्यान से सुनो.
فِي بُيُوتِ الأَشْرَارِ كُنُوزٌ مَسْرُوقَةٌ ومَوَازِينُ مَغْشُوشَةٌ. | ١٠ 10 |
हे दुष्ट घर, क्या मैं अब भी तुम्हारे अनाचार से कमाए धन, और उस छोटे माप को भूल जाऊं, जो अभिशप्त है?
فَكَيْفَ أُبْرِىءُ ذَا الْمَعَايِيرِ الْمَغْشُوشَةِ، صَاحِبَ كِيسِ الْمَوَازِينِ النَّاقِصَةِ؟ | ١١ 11 |
क्या मैं किसी को गलत वजन की थैली के साथ, उसे उसके गलत मापों से छुटकारा दूं?
قَدِ امْتَلأَ أَثْرِيَاءُ الْمَدِينَةِ ظُلْماً، وَنَطَقَ سُكَّانُهَا بِالْكَذِبِ وَأَلْسِنَةُ الغِشِّ فِي أَفْوَاهِهِمْ | ١٢ 12 |
तेरे धनवान लोग हिंसा करते हैं; तेरे निवासी झूठे हैं और उनकी जीभ धोखा देनेवाली बात करती हैं.
لِذَلِكَ شَرَعْتُ فِي تَدْمِيرِكِ لأَجْعَلَكِ خَرَاباً مِنْ أَجْلِ خَطَايَاكِ. | ١٣ 13 |
इसलिये मैं तुम्हें तुम्हारे पापों के कारण नाश करना, तुम्हारा पतन करना शुरू कर चुका हूं.
سَتَأْكُلِينَ وَلا تَشْبَعِينَ، وَيَظَلُّ جَوْفُكِ خَاوِياً. وَمَا تَدَّخِرِينَهُ تَعْجَزِينَ عَنِ الاحْتِفَاظِ بِهِ. لأَنِّي أَدْفَعُهُ لِلسَّيْفِ. | ١٤ 14 |
तुम खाना तो खाओगे किंतु संतुष्टि नहीं मिलेगी; खाने के बाद भी तुम्हारा पेट खाली रहेगा. तुम जमा तो करोगे, पर बचेगा कुछ भी नहीं, क्योंकि तुम्हारी बचत को मैं तलवार से लुटवा दूंगा.
تَزْرَعِينَ وَلا تَحْصُدِينَ. تَعْصُرِينَ الزَّيْتُونَ وَلا تَدَّهِنِي بِزَيْتِهِ، وَتَعْصُرِينَ الْعِنَبَ وَلا تَشْرَبِينَ مِنْ خَمْرِهِ. | ١٥ 15 |
तुम बोओगे, पर फसल नहीं काटोगे; तुम जैतून का तेल तो निकालोगे, किंतु उस तेल का उपयोग न कर सकोगे, तुम अंगूर को तो रौंदोगे, पर उसका दाखमधु पान न कर सकोगे.
لأَنَّكِ قَدْ مَارَسْتِ فَرَائِضَ عُمْرِي، وَنَهَجْتِ عَلَى غِرَارِ آخْابَ، وَسَلَكْتِ فِي مَشُورَاتِهِمْ. لِذَلِكَ أَجْعَلُكِ خَرَاباً، وَشَعْبَكِ مَثَارَ سُخْرِيَةٍ، وَتُقَاسُونَ مِنِ احْتِقَارِ الأُمَمِ. | ١٦ 16 |
तुमने ओमरी के विधि विधान और अहाब के घर के सब रीति-रिवाजों का पालन किया है; तुमने उनकी परंपराओं का भी पालन किया है. इसलिये मैं तुम्हारा विनाश कर दूंगा और तुम्हारे लोग हंसी के पात्र होंगे; तुम मेरे लोगों का अपमान सहोगे.”