< مَرْقُس 2 >

وَبَعْدَ بِضْعَةِ أَيَّامٍ، رَجَعَ يَسُوعُ إِلَى بَلْدَةِ كَفْرَنَاحُومَ. وَانْتَشَرَ الْخَبَرُ أَنَّهُ فِي الْبَيْتِ، ١ 1
थोड़े दिनां पाच्छै यीशु फेर कफरनहूम नगर म्ह आया, अर माणसां नै सुण्या के वो घर म्ह सै।
فَاجْتَمَعَ عَدَدٌ كَبِيرٌ مِنَ النَّاسِ، حَتَّى لَمْ يَبْقَ مَكَانٌ لأَحَدٍ، وَلا أَمَامَ الْبَابِ. فَأَخَذَ يُلْقِي عَلَيْهِمْ كَلِمَةَ اللهِ. ٢ 2
फेर इतने माणस कठ्ठे होए के दरबाजे धोरै भी जगहां कोनी थी, अर वो उननै परमेसवर के वचन सुणाण लागरया था।
وَجَاءَهُ بَعْضُهُمْ بِمَشْلُولٍ يَحْمِلُهُ أَرْبَعَةُ رِجَالٍ. ٣ 3
अर चार माणस एक लकवे कै मरीज ताहीं बिस्तर पै लिटाकै उसकै धोरै ल्याए।
وَلكِنَّهُمْ لَمْ يَقْدِرُوا أَنْ يَقْتَرِبُوا إِلَيْهِ بِسَبَبِ الزِّحَامِ. فَنَقَبُوا السَّقْفَ فَوْقَ الْمَكَانِ الَّذِي كَانَ يَسُوعُ فِيهِ حَتَّى كَشَفُوهُ، ثُمَّ دَلَّوْا الْفِرَاشَ الَّذِي كَانَ الْمَشْلُولُ رَاقِداً عَلَيْهِ. ٤ 4
पर जिब वे भीड़ कै कारण उसकै धोरै कोनी पोहच सके, तो उननै उस छात ताहीं जिसकै तळै यीशु था, खोल दिया; तो उस बिस्तर समेत जिसपै वो लकवे का मरीज लेट्या था, नीच्चै उतार दिया।
فَلَمَّا رَأَى يَسُوعُ إِيمَانَهُمْ، قَالَ لِلْمَشْلُولِ: «يَا بُنَيَّ، قَدْ غُفِرَتْ لَكَ خَطَايَاكَ!» ٥ 5
यीशु नै उनका बिश्वास देखकै उस लकवे के मरीज ताहीं कह्या, “हे बेट्टे, मन्नै तेरे पाप माफ कर दिये।”
وَكَانَ بَيْنَ الْجَالِسِينَ بَعْضُ الْكَتَبَةِ، فَأَخَذُوا يُفَكِّرُونَ فِي قُلُوبِهِمْ: ٦ 6
फेर घणे शास्त्री जो उड़ै बेठ्ठे थे, अपणे-अपणे मन म्ह सोच्चण लाग्गे,
«لِمَاذَا يَتَكَلَّمُ هَذَا الرَّجُلُ هكَذَا؟ إِنَّهُ يَتَكَلَّمُ كُفْرَاً! مَنْ يَقْدِرُ أَنْ يَغْفِرَ الْخَطَايَا إِلّا اللهُ وَحْدَهُ؟» ٧ 7
“यो माणस न्यू क्यांतै कहवै सै? यो तो परमेसवर की बुराई करै सै! परमेसवर नै छोड़कै और कौण पाप माफ कर सकै सै?”
وَفِي الْحَالِ أَدْرَكَ يَسُوعُ بِرُوحِهِ مَا يُفَكِّرُونَ فِيهِ فِي قُلُوبِهِمْ، فَسَأَلَهُمْ: «لِمَاذَا تُفَكِّرُونَ بِهذَا الأَمْرِ فِي قُلُوبِكُمْ؟ ٨ 8
यीशु नै जिब्बे अपणे मन म्ह जाण लिया के वे अपणे-अपणे मन म्ह इसा विचार क्यांतै करण लागरे सै? अर उनतै कह्या, “थम अपणे-अपणे मन म्ह यो विचार क्यूँ करण लागरे सो?
أَيُّ الأَمْرَيْنِ أَسْهَلُ أَنْ يُقَالَ لِلْمَشْلُولِ: قَدْ غُفِرَتْ لَكَ خَطَايَاكَ، أَوْ أَنْ يُقَالَ لَهُ: قُمِ احْمِلْ فِرَاشَكَ وَامْشِ؟ ٩ 9
आसान के सै? के लकवे कै मरीज ताहीं यो कहणा के तेरे पाप माफ होए, या फेर यो कहणा के उठ अपणा बिस्तर ठाकै हाँड-फिर?
وَلكِنِّي قُلْتُ ذلِكَ لِتَعْلَمُوا أَنَّ لابْنِ الإِنْسَانِ عَلَى الأَرْضِ سُلْطَةَ غُفْرَانِ الْخَطَايَا». ثُمَّ قَالَ لِلْمَشْلُولِ: ١٠ 10
पर जिसतै थम जाण ल्यो के मुझ माणस कै बेट्टे नै धरती पै पाप माफ करण का भी हक सै।” उसनै उस लकवे कै मरीज ताहीं कह्या,
«لَكَ أَقُولُ: قُمِ احْمِلْ فِرَاشَكَ، وَاذْهَبْ إِلَى بَيْتِكَ!» ١١ 11
“मै तेरे तै कहूँ सूं, उठ, अपणे बिस्तर ठाकै अपणे घरां चल्या जा।”
فَقَامَ فِي الْحَالِ، وَحَمَلَ فِرَاشَهُ، وَمَشَى أَمَامَ الْجَمِيعِ. فَذُهِلُوا جَمِيعاً وَعَظَّمُوا اللهَ قَائِلِينَ: «مَا رَأَيْنَا مِثْلَ هَذَا قَطُّ!» ١٢ 12
वो उठ्या अर जिब्बे बिस्तर ठाकै उसकै स्याम्ही तै लिकड़ग्या; इसपै सारे हैरान होगे, अर परमेसवर की बड़ाई करकै कहण लाग्गे, “हमनै इसा पैहल्या कदे कोनी देख्या।”
وَخَرَجَ يَسُوعُ ثَانِيَةً إِلَى شَاطِئِ الْبُحَيْرَةِ، فَلَحِقَ بِهِ الْجَمْعُ كُلُّهُ. فَأَخَذَ يُعَلِّمُهُمْ. ١٣ 13
यीशु दुबारा लिकड़कै गलील समुन्दर कै किनारे गया, अर सारी भीड़ उसकै धोरै आई, अर वो उननै उपदेश देण लाग्या।
وَفِيمَا هُوَ سَائِرٌ، رَأَى لاوِيَ بْنَ حَلْفَى جَالِساً فِي مَكْتَبِ الْجِبَايَةِ، فَقَالَ لَهُ: «اتْبَعْنِي!» فَقَامَ وَتَبِعَهُ. ١٤ 14
जान्दे होए उसनै हलफई के बेट्टे लेवी जिसका नाम मत्ती था, चुंगी की चौकी पै बेठ्ठे देख्या, अर उसतै कह्या, “मेरा चेल्ला बणण खात्तर मेरै पाच्छै हो ले।” अर वो उठकै उसकै पाच्छै हो लिया।
وَبَيْنَمَا كَانَ يَسُوعُ مُتَّكِئاً فِي بَيْتِ لاوِي، أَخَذَ كَثِيرُونَ مِنَ الْجُبَاةِ وَالْخَاطِئِينَ يَتَّكِئُونَ مَعَهُ وَمَعَ تَلامِيذِهِ، لأَنَّ كَثِيرِينَ مِنْهُمْ كَانُوا هُنَاكَ فَلَحِقُوا بِهِ. ١٥ 15
जिब वो मत्ती के घर म्ह खाणा खाण बेठ्या, तो घणेए चुंगी लेण आळे अर जिननै लोग पापी कहवै थे, यीशु अर उसकै चेल्यां गेल्या खाणा खाण बेठ्ठे; क्यूँके वे घणे सारे थे, अर उसकै साथ हो लिए थे।
فَلَمَّا رَأَى الْكَتَبَةُ وَالْفَرِّيسِيُّونَ يَسُوعَ يَأْكُلُ مَعَ الْجُبَاةِ وَالْخَاطِئِينَ، قَالُوا لِتَلامِيذِهِ: «لِمَاذَا يَأْكُلُ مَعَ الْجُبَاةِ وَالْخَاطِئِينَ؟» ١٦ 16
शास्त्रियाँ अर फरीसियाँ नै न्यू देखकै के वो तो पापी अर चुंगी लेण आळा गेल्या खाणा खावै सै, उसके चेल्यां ताहीं कह्या, “वो तो चुंगी लेण आळे अर जिननै लोग पापी कहवै सै, उनकै गेल्या खावै-पीवै सै।”
فَسَمِعَ يَسُوعُ، وَأَجَابَ: «لَيْسَ الأَصِحَّاءُ هُمُ الْمُحْتَاجُونَ إِلَى الطَّبِيبِ، بَلِ الْمَرْضَى. مَا جِئْتُ لأَدْعُوَ صالِحِينَ بَلْ خَاطِئِينَ!» ١٧ 17
यीशु नै या सुणकै उनतै कह्या, “आच्छे-बिच्छयां नै वैद की जरूरत कोनी, पर बिमारां नै सै: जो अपणे-आपनै धर्मी कहवै सै, मै उननै न्ही, पर जो अपणे-आपनै पापी कहवै सै उननै बुलाण आया सूं।”
وَكَانَ تَلامِيذُ يُوحَنَّا وَالْفَرِّيسِيُّونَ صَائِمِينَ، فَجَاءَ بَعْضُهُمْ إِلَى يَسُوعَ يَسْأَلُونَهُ: «لِمَاذَا يَصُومُ تَلامِيذُ يُوحَنَّا وَتَلامِيذُ الْفَرِّيسِيِّينَ، وَأَمَّا تَلامِيذُكَ فَلا يَصُومُونَ؟» ١٨ 18
यूहन्ना के चेल्लें, अर फरीसी ब्रत करया करै थे, तो उननै आकै उसतै कह्या, “यूहन्ना के चेल्लें अर फरीसियाँ के चेल्लें ब्रत क्यांतै करै सै, पर तेरे चेल्लें ब्रत न्ही राखदे?”
فَأَجَابَهُمْ: «هَلْ يَقْدِرُ أَهْلُ الْعُرْسِ أَنْ يَصُومُوا وَالْعَرِيسُ بَيْنَهُمْ؟ مَادَامَ الْعَرِيسُ بَيْنَهُمْ لَا يَقْدِرُونَ أَنْ يَصُومُوا. ١٩ 19
यीशु नै उनतै कह्या, “जिब ताहीं बन्दड़ा बरातियाँ कै गेल्या सै, के वे ब्रत राख सकै सै? आखर जिब ताहीं बन्दड़ा उनकै गेल्या सै, जद ताहीं वे ब्रत कोनी कर सकदे।
وَلكِنْ سَتَأْتِي أَيَّامٌ يَكُونُ الْعَرِيسُ فِيهَا قَدْ رُفِعَ مِنْ بَيْنِهِمْ. فِي تِلْكَ الأيَّامِ يَصُومُونَ. ٢٠ 20
पर वे दिन भी आवैगें जिब बन्दड़ा उनतै न्यारा करया जावैगा; उस बखत वे ब्रत करैगें।
لَا أَحَدَ يَرْقَعُ ثَوْباً عَتِيقاً بِرُقْعَةٍ مِنْ قُمَاشٍ جَدِيدٍ وَإلَّا، فَإِنَّ الرُّقْعَةَ الْجَدِيدَةَ تَنْكَمِشُ فَتَأْكُلُ مِنَ الثَّوْبِ الْعَتِيقِ، وَيَصِيرُ الْخَرْقُ أَسْوَأَ! ٢١ 21
“नये लत्यां की थेग्ळी पुराणे लत्यां पै कोए न्ही लगान्दा, न्ही तो वा थेग्ळी उस म्ह तै खुस्का लेवैगी, यानिके नया, पुराणे तै, अर वो पैहल्या तै घणा पाट जावैगा।
وَلا أَحَدَ يَضَعُ خَمْراً جَدِيدَةً فِي قِرَبٍ عَتِيقَةٍ، حَتَّى لَا تُفَجِّرَ الْخَمْرُ الْجَدِيدَةُ الْقِرَبَ، فَتُرَاقَ الْخَمْرُ وَتَتْلَفَ الْقِرَبُ. إِنَّمَا الْخَمْرُ الْجَدِيدَةُ تُوْضَعُ فِي قِرَبٍ جَدِيدَةٍ». ٢٢ 22
नये अंगूर के रस ताहीं पुराणी मशकां म्ह कोए कोनी राखदा, न्ही तो अंगूर का रस मशकां नै पाड़ देवैगा, अर अंगूर का रस अर मशक दोनुआ का नाश हो जावैगा, पर नया अंगूर का रस नई मशकां म्ह भरया जावै सै।”
وَمَرَّ يَسُوعُ ذَاتَ سَبْتٍ بَيْنَ الْحُقُولِ، فَأَخَذَ التَّلامِيذُ يَشُقُّونَ طَرِيقَهُمْ وَهُمْ يَقْطِفُونَ السَّنَابِلَ. ٢٣ 23
न्यू होया के आराम कै दिन यीशु चेल्यां कै गैल खेत्तां म्ह तै होकै जाण लागरया था, अर उसके चेल्लें चाल्दे होए गेहूँ की बाल तोड़ण लाग्गे।
فَقَالَ الْفَرِّيسِيُّونَ لِيَسُوعَ: «انْظُرْ! لِمَاذَا يَفْعَلُ تَلامِيذُكَ مَا لَا يَحِلُّ فِعْلُهُ يَوْمَ السَّبْتِ؟» ٢٤ 24
तो फरीसियाँ नै उस ताहीं कह्या, “देख, ये आराम कै दिन वो काम क्यांतै करै सै? जो नियम-कायदा के खिलाफ सै।”
فَأَجَابَهُمْ: «أَمَا قَرَأْتُمْ مَا فَعَلَهُ دَاوُدُ وَمُرَافِقُوهُ عِنْدَمَا احْتَاجُوا وَجَاعُوا؟ ٢٥ 25
यीशु नै उनतै कह्या, “के थमनै पवित्र ग्रन्थ म्ह यो न्ही पढ़्या के जिब म्हारे पूर्वज दाऊद नै जरूरत होई, अर जिब वो अर उसके साथी भूक्खे होए, फेर उसनै के करया था?
كَيْفَ دَخَلَ بَيْتَ اللهِ، فِي زَمَانِ أَبِيأَثَارَ رَئِيسِ الْكَهَنَةِ، وَأَكَلَ خُبْزَ التَّقْدِمَةِ الَّذِي لَا يَحِلُّ الأَكْلُ مِنْهُ إِلّا لِلْكَهَنَةِ وَحْدَهُمْ، بَلْ أَعْطَى مُرَافِقِيهِ أَيْضاً فَأَكَلُوا؟» ٢٦ 26
उसनै किस ढाळ अबियातार महायाजक कै बखत, परमेसवर कै घर म्ह जाकै भेंट की रोट्टी खाई, जिनका खाणा याजकां नै छोड़ और किसे कै खात्तर खाणा ठीक कोनी, अर अपणे साथियाँ ताहीं भी दी?”
ثُمَّ قَالَ لَهُمْ: «إِنَّمَا جُعِلَ السَّبْتُ لِفَائِدَةِ الإِنْسَانِ، وَلَمْ يُجْعَلِ الإِنْسَانُ عَبْداً لِلسَّبْتِ. ٢٧ 27
फेर उसनै उन ताहीं कह्या, “आराम का दिन माणस खात्तर बणाया गया सै, ना के माणस आराम कै दिन के खात्तर।
فَابْنُ الإِنْسَانِ هُوَ رَبُّ السَّبْتِ أَيْضاً!» ٢٨ 28
इस करकै मै माणस का बेट्टा आराम कै दिन का भी माल्लिक सूं।”

< مَرْقُس 2 >