< مَرْقُس 12 >

وَأَخَذَ يُخَاطِبُهُمْ بِأَمْثَالٍ، فَقَالَ: «غَرَسَ إِنْسَانٌ كَرْماً، وَأَقَامَ حَوْلَهُ سُوراً، وَحَفَرَ فِيهِ حَوْضَ مِعْصَرَةٍ، وَبَنَى فِيهِ بُرْجَ حِرَاسَةٍ. ثُمَّ سَلَّمَ الْكَرْمَ إِلَى مُزَارِعِينَ، وَسَافَرَ. ١ 1
तब यीशु दृष्टान्तों म उन्को सी बाते करन लग्यो: “कोयी आदमी न अंगूर की बाड़ी लगायी, अऊर ओको चारयी तरफ सी बाड़ी ख बान्ध दियो, अऊर रसकुण्ड खोद्यो, अऊर मचान बनाय क, किसानों ख ओको ठेका दे क परदेश ख चली गयो।”
وَفِي الأَوَانِ، أَرْسَلَ إِلَى الْمُزَارِعِينَ عَبْداً لِيَتَسَلَّمَ مِنْهُمْ حِصَّتَهُ مِنْ ثَمَرِ الْكَرْمِ. ٢ 2
तब अंगूर की बाड़ी को फसल को सिजन आयो त ओन किसानों को जवर एक सेवक ख भेज्यो कि अपनो हिस्सा ले ले,
إِلّا أَنَّهُمْ أَمْسَكُوهُ وَضَرَبُوهُ وَرَدُّوهُ فَارِغَ الْيَدَيْنِ. ٣ 3
पर बटईदार न ओको सेवक ख पकड़ क पिट्यो, अऊर खाली हाथ भेज दियो।
فَعَادَ وَأَرْسَلَ إِلَيْهِمْ عَبْداً آخَرَ، فَشَجُّوا رَأْسَهُ وَرَدُّوهُ مُهَاناً. ٤ 4
तब मालिक न एक अऊर सेवक ख ओको जवर भेज्यो; अऊर उन्न ओको मुंड फोड़ डाल्यो अऊर ओको अपमान करयो।
ثُمَّ أَرْسَلَ آخَرَ أَيْضاً فَقَتَلُوهُ. ثُمَّ أَرْسَلَ آخَرِينَ كَثِيرِينَ، فَضَرَبُوا بَعْضاً وَقَتَلُوا بَعْضاً. ٥ 5
तब मालिक न एक अऊर सेवक ख भेज्यो; उन्न ओख भी मार डाल्यो। तब उन्न अऊर बहुत सो ख भेज्यो; उन्म सी उन्न कुछ ख पिट्यो अऊर कुछ ख मार डाल्यो।
وَإِذْ كَانَ لَهُ بَعْدُ ابْنٌ وَحِيدٌ حَبِيبٌ، أَرْسَلَهُ أَيْضاً إِلَيْهِمْ أَخِيراً، قَائِلاً: إِنَّهُمْ سَيَهَابُونَ ابْنِي! ٦ 6
आखरी म अपनो प्रिय बेटा ख भेज्यो, यो सोच क कि हि मोरो बेटा को आदर करेंन,
وَلكِنَّ أُولئِكَ الْمُزَارِعِينَ قَالُوا بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: هَذَا هُوَ الْوَرِيثُ؛ تَعَالَوْا نَقْتُلْهُ فَنَحْصُلَ عَلَى الْمِيرَاثِ! ٧ 7
पर उन बटईदारों न आपस म कह्यो, योच त वारिस आय; आवो, हम येख भी मार डाल्बो, तब पूरी जायजाद हमरी होय जायेंन।
فَأَمْسَكُوهُ وَقَتَلُوهُ وَطَرَحُوهُ خَارِجَ الْكَرْمِ. ٨ 8
अऊर उन्न ओख पकड़ क मार डाल्यो, अऊर अंगूर की बाड़ी को बाहेर फेक दियो।
فَمَاذَا يَفْعَلُ رَبُّ الْكَرْمِ؟ إِنَّهُ يَأْتِي وَيُهْلِكُ الْمُزَارِعِينَ، وَيُسَلِّمُ الْكَرْمَ إِلَى غَيْرِهِمْ. ٩ 9
“यीशु न पुच्छ्यो येको पर अंगूर की बाड़ी को मालिक का करेंन? ऊ आय क उन किसानों को नाश करेंन, अऊर अंगूर की बाड़ी दूसरों ख दे देयेंन।
أَفَمَا قَرَأْتُمْ هذِهِ الآيَةَ الْمَكْتُوبَةَ: الْحَجَرُ الَّذِي رَفَضَهُ الْبُنَاةُ، هُوَ نَفْسُهُ صَارَ حَجَرَ الزَّاوِيَةِ. ١٠ 10
का तुम्न शास्त्र म नहीं पढ़्यो:” “जो गोटा ख राजमिस्त्रियों न नकारयो होतो, उच गोटा महत्वपूर्ण भय गयो।
مِنَ الرَّبِّ كَانَ هَذَا، وَهُوَ عَجِيبٌ فِي أَنْظَارِنَا!» ١١ 11
यो प्रभु की तरफ सी भयो; अऊर हमरी नजर म अद्भुत नजारा हय!”
فَسَعَوْا إِلَى الْقَبْضِ عَلَيْهِ، وَلكِنَّهُمْ خَافُوا الْجَمْعَ، لأَنَّهُمْ أَدْرَكُوا أَنَّهُ كَانَ يَعْنِيهِمْ بِهذَا الْمَثَلِ. فَتَرَكُوهُ وَانْصَرَفُوا. ١٢ 12
तब धर्मशास्त्रियों न यीशु ख पकड़नो चाह्यो; कहालीकि हि समझ गयो होतो कि ओन हमरो विरोध म यो दृष्टान्त कह्यो हय। पर हि लोगों सी डरत होतो, येकोलायी हि ओख छोड़ क चली गयो।
ثُمَّ أَرْسَلُوا إِلَيْهِ بَعْضاً مِنَ الْفَرِّيسِيِّينَ وَأَعْضَاءِ حِزْبِ هِيرُودُسَ، لِكَيْ يُوْقِعُوهُ بِكَلِمَةٍ يَقُولُهَا. ١٣ 13
तब उन्न यीशु ख ओकीच बातों म फसान लायी कुछ फरीसियों अऊर राजा हेरोदेस को पक्ष को कुछ लोग ओको जवर भेज्यो।
فَجَاءُوا وَقَالُوا لَهُ: «يَا مُعَلِّمُ، نَحْنُ نَعْلَمُ أَنَّكَ صَادِقٌ، وَلا تُبَالِي بِأَحَدٍ، لأَنَّكَ لَا تُرَاعِي مَقَامَاتِ النَّاسِ، بَلْ تُعَلِّمُ طَرِيقَ اللهِ بِالْحَقِّ: أَيَحِلُّ أَنْ تُدْفَعَ الْجِزْيَةُ لِلْقَيْصَرِ أَمْ لا؟ أَنَدْفَعُهَا أَمْ لَا نَدْفَعُ؟» ١٤ 14
उन्न आय क यीशु सी कह्यो, “हे गुरु, हम जानजे हंय, कि तय सच्चो हय, अऊर कोयी की परवाह नहीं करय; कहालीकि तय आदमियों को मुंह देख क बाते नहीं करय, पर परमेश्वर को सच्चो रस्ता सिखावय हय। त का हमरो नियम को अनुसार रोम को राजा ख कर देनो सही हय यां नहीं?”
وَلكِنَّهُ إِذْ عَلِمَ نِفَاقَهُمْ قَالَ لَهُمْ: «لِمَاذَا تُجَرِّبُونَنِي؟ أَحْضِرُوا إِلَيَّ دِينَاراً لأَرَاهُ!» ١٥ 15
हम कर देबो यां नहीं देबो? यीशु न उन्को कपट जान क उन्को सी कह्यो, “मोख कहाली फसावन कि कोशिश कर रह्यो हय? एक चांदी को सिक्का मोरो जवर लावो, अऊर मोख देखन देवो।”
فَأَحْضَرُوا إِلَيْهِ دِينَاراً، فَسَأَلَهُمْ: «لِمَنْ هذِهِ الصُّورَةُ وَهذَا النَّقْشُ؟» فَقَالُوا لَهُ: «لِلْقَيْصَرِ». ١٦ 16
हि सिक्का ले आयो, अऊर यीशु न उन्को सी कह्यो, “यो कौन्को चेहरा अऊर नाम हय?” उन्न कह्यो “रोम को राजा को।”
فَرَدَّ عَلَيْهِمْ قَائِلاً: «أَعْطُوا مَا لِلْقَيْصَرِ لِلْقَيْصَرِ، وَمَا لِلهِ لِلهِ!» فَذُهِلُوا مِنْهُ. ١٧ 17
यीशु न उन्को सी कह्यो, “जो कैसर राजा को आय, ऊ राजा ख देवो, अऊर जो परमेश्वर को आय ऊ परमेश्वर ख देवो।” तब हि चकित भयो।
وَتَقَدَّمَ إِلَيْهِ بَعْضُ الصَّدُّوقِيِّينَ الَّذِينَ لَا يُؤْمِنُونَ بِالْقِيَامَةِ، وَسَأَلُوهُ قَائِلِينَ: ١٨ 18
फिर कुछ सदूकियों जो कह्य हंय कि पुनरुत्थान हयच नहाय, यीशु को जवर आय क ओको सी पूछन लग्यो,
«يَا مُعَلِّمُ، كَتَبَ لَنَا مُوسَى: إِنْ مَاتَ لأَحَدٍ أَخٌ وَتَرَكَ زَوْجَتَهُ مِنْ بَعْدِهِ دُونَ أَنْ يُخَلِّفَ أَوْلاداً، فَعَلَى أَخِيهِ أَنْ يَتَزَوَّجَ بِأَرْمَلَتِهِ وَيُقِيمَ نَسْلاً عَلَى اسْمِ أَخِيهِ. ١٩ 19
“हे गुरु, मूसा न हमरो लायी एक व्यवस्था लिख्यो हय कि यदि कोयी को भाऊ बिना सन्तान को मर जाये अऊर ओकी पत्नी रह जाये, त ओको भाऊ ओकी पत्नी सी बिहाव कर ले अऊर अपनो भाऊ लायी वंश पैदा कर सके।
فَقَدْ كَانَ هُنَالِكَ سَبْعَةُ إِخْوَةٍ، اتَّخَذَ أَوَّلُهُمْ زَوْجَةً ثُمَّ مَاتَ دُونَ أَنْ يُخَلِّفَ نَسْلاً، ٢٠ 20
सात भाऊ होतो। सब सी बड़ो भाऊ बिहाव कर क् बिना सन्तान को मर गयो।
فَاتَّخَذَهَا الثَّانِي ثُمَّ مَاتَ هُوَ أَيْضاً دُونَ أَنْ يُخَلِّفَ نَسْلاً، فَفَعَلَ الثَّالِثُ كَذلِكَ. ٢١ 21
तब दूसरों भाऊ न वा बाई सी बिहाव कर लियो अऊर ऊ भी बिना सन्तान को मर गयो; अऊर वसोच तीसरो न भी करयो।
وَهكَذَا اتَّخَذَهَا السَّبْعَةُ دُونَ أَنْ يُخَلِّفُوا نَسْلاً. وَمِنْ بَعْدِهِمْ جَمِيعاً، مَاتَتِ الْمَرْأَةُ أَيْضاً. ٢٢ 22
अऊर सातों भाऊ न वा बाई सी बिहाव कर लियो अऊर उन्ख भी सन्तान नहीं भयी। आखरी म वा बाई भी मर गयी।
فَفِي الْقِيَامَةِ، عِنْدَمَا يَقُومُونَ، لِمَنْ مِنْهُمْ تَكُونُ الْمَرْأَةُ زَوْجَةً، فَقَدْ كَانَتْ زَوْجَةً لِكُلٍّ مِنَ السَّبْعَةِ؟» ٢٣ 23
जब पुनरुत्थान होन को दिन मरयो हुयो लोग जीन्दो होयेंन, त वा बाई उन्म सी कौन की पत्नी होयेंन? कहालीकि वा सातों की पत्नी बनी होती।”
فَرَدَّ عَلَيْهِمْ يَسُوعُ قَائِلاً: «أَلَسْتُمْ فِي ضَلالٍ لأَنَّكُمْ لَا تَفْهَمُونَ الْكِتَابَ وَلا قُدْرَةَ اللهِ؟ ٢٤ 24
यीशु न उन्को सी कह्यो, “का तुम यो वजह सी भ्रम म पड़यो हय कि तुम नहीं त शास्त्रच ख जानय हय, अऊर नहीं परमेश्वर को सामर्थ ख?
فَعِنْدَمَا يَقُومُ النَّاسُ مِنْ بَيْنِ الأَمْوَاتِ، لَا يَتَزَوَّجُونَ وَلا يُزَوَّجُونَ، بَلْ يَكُونُونَ كَالْمَلائِكَةِ الَّذِينَ فِي السَّمَاوَاتِ. ٢٥ 25
कहालीकि जब मरयो हुयो लोग दुबारा सी जीन्दो होयेंन, त हि स्वर्ग को स्वर्गदूतों को जसो होयेंन अऊर हि बिहाव नहीं करेंन।
وَأَمَّا عَنِ الأَمْوَاتِ أَنَّهُمْ يَقُومُونَ، أَفَمَا قَرَأْتُمْ فِي كِتَابِ مُوسَى، فِي الْحَدِيثِ عَنِ الْعُلَّيْقَةِ، كَيْفَ كَلَّمَهُ اللهُ قَائِلاً: أَنَا إِلهُ إِبْرَاهِيمَ وَإِلَهُ إِسْحَاقَ وَإِلَهُ يَعْقُوبَ؟ ٢٦ 26
अब मरयो हुयो ख जीन्दो होन को बारे म का तुम्न मूसा की किताब म जरती हुयी झाड़ी को बारे म नहीं पढ़्यो? कि परमेश्वर न ओको सी कह्यो, ‘मय अब्राहम को परमेश्वर, अऊर इसहाक को परमेश्वर, अऊर याकूब को परमेश्वर आय?’
فَإِنَّهُ لَيْسَ بِإِلهِ أَمْوَاتٍ، بَلْ هُوَ إِلهُ أَحْيَاءَ. فَأَنْتُمْ إِذَنْ فِي ضَلالٍ عَظِيمٍ!» ٢٧ 27
परमेश्वर मरयो हुयो को नहीं, पर जीन्दो को परमेश्वर आय; तुम पूरी तरह शंका म पड़यो हय!”
وَتَقَدَّمَ إِلَيْهِ وَاحِدٌ مِنَ الْكَتَبَةِ كَانَ قَدْ سَمِعَهُمْ يَتَجَادَلُونَ، وَرَأَى أَنَّهُ أَحْسَنَ الرَّدَّ عَلَيْهِمْ، فَسَأَلَهُ: «أَيَّةُ وَصِيَّةٍ هِيَ أُولَى الْوَصَايَا جَمِيعاً؟» ٢٨ 28
जब धर्मशास्त्रियों म सी एक न आय क उन्ख चर्चा करतो सुन्यो, अऊर यो जान क कि यीशु न सदूकियों ख अच्छो तरह सी उत्तर दियो, ओको सी पुच्छ्यो, “कौन सी आज्ञा महत्वपूर्ण हय?”
فَأَجَابَهُ يَسُوعُ: «أُولَى الْوَصَايَا جَمِيعاً هِيَ: اسْمَعْ يَا إِسْرَائِيلُ، الرَّبُّ إِلهُنَا رَبٌّ وَاحِدٌ ٢٩ 29
यीशु न उत्तर दियो, “सब आज्ञावों म सी महत्वपूर्ण यो हय: ‘हे इस्राएल को लोगों सुनो,’ प्रभु हमरो परमेश्वर एकच प्रभु हय।
فَأَحِبَّ الرَّبَّ إِلهَكَ بِكُلِّ قَلْبِكَ وَبِكُلِّ نَفْسِكَ وَبِكُلِّ فِكْرِكَ وَبِكُلِّ قُوَّتِكَ. هذِهِ هِيَ الْوَصِيَّةُ الأُولَى. ٣٠ 30
अऊर तय प्रभु अपनो परमेश्वर सी अपनो पूरो दिल सी, अऊर अपनो पूरो जीव सी, अऊर अपनो पूरी बुद्धि सी, अऊर अपनो पूरी शक्ति सी, प्रेम रखजो।”
وَهُنَاكَ ثَانِيَةٌ مِثْلُهَا، وَهِيَ أَنْ تُحِبَّ قَرِيبَكَ كَنَفْسِكَ. فَمَا مِنْ وَصِيَّةٍ أُخْرَى أَعْظَمُ مِنْ هَاتَيْنِ». ٣١ 31
अऊर दूसरी महत्वपूर्ण आज्ञा या हय, तय अपनो पड़ोसी सी अपनो जसो प्रेम रखजो। “इन दोयी आज्ञा सी बढ़ क अऊर कोयी महत्वपूर्ण आज्ञा नहाय हय।”
فَقَالَ لَهُ الْكَاتِبُ: «صَحِيحٌ، يَا مُعَلِّمُ! حَسَبَ الْحَقِّ تَكَلَّمْتَ. فَإِنَّ اللهَ وَاحِدٌ وَلَيْسَ آخَرُ سِوَاهُ. ٣٢ 32
धर्मशास्त्री न यीशु सी कह्यो, “हे गुरु, बहुत अच्छो! तय न सच कह्यो, कि परमेश्वर एकच हय, अऊर ओख छोड़ अऊर कोयी परमेश्वर नहाय।
وَمَحَبَّتُهُ بِكُلِّ الْقَلْبِ وَبِكُلِّ الْفَهْمِ وَبِكُلِّ الْقُوَّةِ، وَمَحَبَّةُ الْقَرِيبِ كَالنَّفْسِ، أَفْضَلُ مِنْ جَمِيعِ الْمُحْرَقَاتِ وَالذَّبَائِحِ!» ٣٣ 33
अऊर ओख अपनो पूरो दिल सी, अऊर पूरी बुद्धि सी, अऊर पूरो ताकत सी प्रेम करजो; अऊर पड़ोसी सी अपनो जसो प्रेम करजो, होमबली अऊर बलिदानों कि तुलना म इन दोयी आज्ञावों को पालन करनो जादा महत्वपूर्ण हय।”
فَلَمَّا رَأَى يَسُوعُ أَنَّهُ أَجَابَ بِحِكْمَةٍ، قَالَ لَهُ: «لَسْتَ بَعِيداً عَنْ مَلَكُوتِ اللهِ!» وَلَمْ يَجْرُؤْ أَحَدٌ بَعْدَ ذلِكَ أَنْ يُوَجِّهَ إِلَيْهِ أَيَّ سُؤَالٍ. ٣٤ 34
जब यीशु न देख्यो कि ओन समझदारी सी उत्तर दियो, त ओको सी कह्यो, “तय परमेश्वर को राज्य सी दूर नहाय।” अऊर येको बाद कोयी न ओको सी कोयी न प्रश्न पूछन की हिम्मत नहीं करी।
وَتَكَلَّمَ يَسُوعُ فِيمَا هُوَ يُعَلِّمُ فِي الْهَيْكَلِ، فَقَالَ: «كَيْفَ يَقُولُ الْكَتَبَةُ إِنَّ الْمَسِيحَ هُوَ ابْنُ دَاوُدَ؟ ٣٥ 35
तब यीशु न मन्दिर म शिक्षा देत हुयो यो कह्यो, “धर्मशास्त्री कह्य हंय कि मसीह दाऊद को वंश कसो होय सकय हय?
فَإِنَّ دَاوُدَ نَفْسَهُ قَالَ بِالرُّوحِ الْقُدُسِ: قَالَ الرَّبُّ لِرَبِّي: اجْلِسْ عَنْ يَمِينِي حَتَّى أَضَعَ أَعْدَاءَكَ مَوْطِئاً لِقَدَمَيْكَ! ٣٦ 36
दाऊद न पवित्र आत्मा म होय क कह्यो हय;” प्रभु परमेश्वर न मोरो प्रभु सी कह्यो, “मय तुम्ख अपनो दायो तरफ बैठाऊं, जब तक कि मय तोरो दुश्मनों ख तोरो पाय को खल्लो नहीं कर देऊ।”
فَمَادَامَ دَاوُدُ نَفْسُهُ يَدْعُوهُ الرَّبَّ فَمِنْ أَيْنَ يَكُونُ ابْنَهُ؟» وَكَانَ الْجَمْعُ الْعَظِيمُ يَسْمَعُهُ بِسُرُورٍ. ٣٧ 37
दाऊद त खुदच ओख प्रभु कह्य हय, तब ऊ ओको वंश कसो होय सकय हय? अऊर भीड़ को लोग खुशी सी ओकी सुनत होतो।
وَقَالَ لَهُمْ فِي تَعْلِيمِهِ: «خُذُوا حِذْرَكُمْ مِنَ الْكَتَبَةِ الَّذِينَ يُحِبُّونَ التَّجَوُّلَ بِالأَثْوَابِ الْفَضْفَاضَةِ، وَتَلَقِّي التَّحِيَّاتِ فِي السَّاحَاتِ الْعَامَّةِ، ٣٨ 38
यीशु न अपनो शिक्षा सी सिखावत होतो, “धर्मशास्त्रियों सी चौकस रहो, जो लम्बो चोंगा वालो कपड़ा पहिन क बाजारों म घुमत फिरत होतो कि आदर सत्कार मिलेंन।
وَالأَمَاكِنَ الأُولَى فِي الْمَجَامِعِ، وَأَمَاكِنَ الصَّدَارَةِ فِي الْوَلائِمِ. ٣٩ 39
अऊर आराधनालयों म मुख्य आसन अऊर जेवन म आदर सम्मान को जागा भी चाहत होतो।
يَلْتَهِمُونَ بُيُوتَ الأَرَامِلِ، وَيَتَبَاهُونَ بِإِطَالَةِ الصَّلَوَاتِ. هؤُلاءِ سَتَنْزِلُ بِهِمْ دَيْنُونَةٌ أَقْسَى!» ٤٠ 40
हि विधवावों को धन जायजाद कपट सी हड़प लेत होतो, अऊर दिखावन लायी बहुत देर तक प्रार्थना करत रहत होतो। हि परमेश्वर सी अधिक सजा पायेंन।”
وَإِذْ جَلَسَ يَسُوعُ مُقَابِلَ صُنْدُوقِ الْهَيْكَلِ، رَأَى كَيْفَ كَانَ الْجَمْعُ يُلْقُونَ النُّقُودَ فِي الصُّنْدُوقِ. وَأَلْقَى كَثِيرُونَ مِنَ الأَغْنِيَاءِ مَالاً كَثِيراً. ٤١ 41
यीशु मन्दिर को आगु बैठ क देख रह्य होतो कि लोग मन्दिर को दान भण्डार म कसो तरह पैसा डालय हंय; अऊर बहुत सो अमीरों न बहुत सो पैसा डाल्यो।
ثُمَّ جَاءَتْ أَرْمَلَةٌ فَقِيرَةٌ وَأَلْقَتْ فَلْسَيْنِ يُسَاوِيَانِ رُبْعاً وَاحِداً. ٤٢ 42
इतनो म एक गरीब विधवा न आय क तांबा को दोय छोटो सिक्का डाल्यो, जेकी कीमत लगभग एक पैसा को बराबर होती।
فَدَعَا تَلامِيذَهُ وَقَالَ لَهُمْ: «الْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ هذِهِ الأَرْمَلَةَ الْفَقِيرَةَ قَدْ أَلْقَتْ أَكْثَرَ مِنْ جَمِيعِ الَّذِينَ أَلْقَوْا فِي الصُّنْدُوقِ: ٤٣ 43
तब यीशु न अपनो चेलावों ख जवर बुलाय क उन्को सी कह्यो, “मय तुम सी सच कहू हय कि मन्दिर को दान भण्डार म डालन वालो म सी यो गरीब विधवा न सब सी बढ़ क दान डाल्यो हय।
لأَنَّ جَمِيعَهُمْ أَلْقَوْا مِنَ الْفَاضِلِ عَنْ حَاجَتِهِمْ، وَلكِنَّهَا هِيَ أَلْقَتْ مِنْ حَاجَتِهَا كُلَّ مَا عِنْدَهَا أَلْقَتْ مَعِيشَتَهَا كُلَّهَا!» ٤٤ 44
कहालीकि सब न अपनो धन की बढ़ती म सी डाल्यो हय, पर येन अपनो घटती म सी जो कुछ ओको होतो मतलब अपनी पूरी जीविका डाल दियो हय।”

< مَرْقُس 12 >