< مَرْقُس 10 >

ثُمَّ غَادَرَ تِلْكَ الْمِنْطَقَةَ وَجَاءَ إِلَى نَوَاحِي مِنْطَقَةِ الْيَهُودِيَّةِ وَمَا وَرَاءَ الأُرْدُنِّ. فَاجْتَمَعَتْ إِلَيْهِ الْجُمُوعُ ثَانِيَةً وَأَخَذَ يُعَلِّمُهُمْ كَعَادَتِهِ. ١ 1
मसीह येशु वहां से निकलकर यहूदिया के उस क्षेत्र में चले गए, जो यरदन नदी के पार था. भीड़ फिर से उनके चारों ओर इकट्ठी हो गई. अपनी रीति के अनुसार मसीह येशु ने एक बार फिर उन्हें शिक्षा देना प्रारंभ किया.
وَتَقَدَّمَ إِلَيْهِ بَعْضُ الْفَرِّيسِيِّينَ وَسَأَلُوهُ لِيُجَرِّبُوهُ: «هَلْ يَحِلُّ لِلرَّجُلِ أَنْ يُطَلِّقَ زَوْجَتَهُ؟» ٢ 2
उन्हें परखने के उद्देश्य से कुछ फ़रीसी उनके पास आ गए. उन्होंने मसीह येशु से प्रश्न किया, “क्या पुरुष के लिए पत्नी से तलाक लेना व्यवस्था के अनुसार है?”
فَرَدَّ عَلَيْهِمْ سَائِلاً: ٣ 3
मसीह येशु ने ही उनसे प्रश्न किया, “तुम्हारे लिए मोशेह का आदेश क्या है?”
«بِمَاذَا أَوْصَاكُمْ مُوسَى؟» فَقَالُوا: «سَمَحَ مُوسَى بِأَنْ تُكْتَبَ وَثِيقَةُ طَلاقٍ ثُمَّ تُطَلَّقَ الزَّوْجَةُ». ٤ 4
फ़रीसियों ने उन्हें उत्तर दिया, “मोशेह ने तलाक पत्र लिखकर पत्नी का त्याग करने की अनुमति दी है.”
فَأَجَابَهُمْ يَسُوعُ: «بِسَبَبِ قَسَاوَةِ قُلُوبِكُمْ كَتَبَ لَكُمْ مُوسَى هَذِهِ الْوَصِيَّةَ. ٥ 5
मसीह येशु ने उन्हें समझाया, “तुम्हारे कठोर हृदय के कारण मोशेह ने तुम्हारे लिए यह आज्ञा रखी.
وَلكِنْ مُنْذُ بَدْءِ الْخَلِيقَةِ جَعَلَ اللهُ الإِنْسَانَ ذَكَراً وَأُنْثَى. ٦ 6
किंतु वास्तव में सृष्टि के प्रारंभ ही से परमेश्वर ने उन्हें नर और नारी बनाया.
لِذَلِكَ يَتْرُكُ الرَّجُلُ أَبَاهُ وَأُمَّهُ وَيَتَّحِدُ بِزَوْجَتِهِ، ٧ 7
इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा तथा वे दोनों एक देह होंगे.
فَيَصِيرُ الاِثْنَانِ جَسَداً وَاحِداً. فَلا يَكُونَانِ بَعْدُ اثْنَيْنِ بَلْ جَسَداً وَاحِداً. ٨ 8
वे दोनों एक शरीर हो जाएंगे; परिणामस्वरूप अब वे दोनों दो नहीं परंतु एक शरीर हैं.
فَمَا جَمَعَهُ اللهُ لَا يُفَرِّقُهُ إِنْسَانٌ». ٩ 9
इसलिये जिन्हें स्वयं परमेश्वर ने जोड़ा है, उन्हें कोई मनुष्य अलग न करे.”
وَفِي الْبَيْتِ، عَادَ تَلامِيذُهُ فَسَأَلُوهُ عَنِ الأَمْرِ. ١٠ 10
जब वे अपने घर लौट आए, शिष्यों ने मसीह येशु से इसके विषय में जानना चाहा.
فَقَالَ لَهُمْ: «أَيُّ مَنْ طَلَّقَ زَوْجَتَهُ وَتَزَوَّجَ بِأُخْرَى، يَرْتَكِبُ مَعَهَا الزِّنَى. ١١ 11
मसीह येशु ने उन्हें समझाया, “यदि कोई अपनी पत्नी से तलाक लेकर अन्य स्त्री से विवाह करता है, वह उस अन्य स्त्री के साथ व्यभिचार करता है.
وَإِنْ طَلَّقَتِ الزَّوْجَةُ زَوْجَهَا وَتَزَوَّجَتْ مِنْ آخَرَ، تَرْتَكِبُ الزِّنَى!» ١٢ 12
यदि स्वयं स्त्री अपने पति से तलाक लेकर अन्य पुरुष से विवाह कर लेती है, वह भी व्यभिचार करती है.”
وَقَدَّمَ إِلَيْهِ بَعْضُهُمْ أَوْلاداً صِغَاراً لِكَيْ يَلْمِسَهُمْ. فَزَجَرَهُمُ التَّلامِيذُ. ١٣ 13
मसीह येशु को छू लेने के उद्देश्य से लोग बालकों को उनके पास ला रहे थे. इस पर शिष्य उन्हें डांटने लगे.
فَلَمَّا رَأَى يَسُوعُ ذلِكَ، غَضِبَ وَقَالَ لَهُمْ: «دَعُوا الصِّغَارَ يَأْتُونَ إِلَيَّ، وَلا تَمْنَعُوهُمْ، لأَنَّ لِمِثْلِ هؤُلاءِ مَلَكُوتَ اللهِ! ١٤ 14
यह देख मसीह येशु ने अप्रसन्‍न होते हुए उनसे कहा, “बालकों को यहां आने दो, उन्हें मेरे पास आने से मत रोको क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों का ही है.
الْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: مَنْ لَا يَقْبَلْ مَلَكُوتَ اللهِ كَأَنَّهُ وَلَدٌ صَغِيرٌ، فَلَنْ يَدْخُلَهُ أَبَداً!» ١٥ 15
मैं तुम पर एक अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं; जो परमेश्वर के राज्य को एक नन्हे बालक के भाव में ग्रहण नहीं करता, उसमें कभी प्रवेश न कर पाएगा.”
ثُمَّ ضَمَّ الأَوْلادَ بِذِرَاعَيْهِ وَبَارَكَهُمْ وَاضِعاً يَدَيْهِ عَلَيْهِمْ. ١٦ 16
तब मसीह येशु ने बालकों को अपनी गोद में लिया और उन पर हाथ रख उन्हें आशीर्वाद दिया.
وَبَيْنَمَا كَانَ خَارِجاً إِلَى الطَّرِيقِ، أَسْرَعَ إِلَيْهِ رَجُلٌ وَسَجَدَ لَهُ يَسْأَلُهُ: «أَيُّهَا الْمُعَلِّمُ الصَّالِحُ، مَاذَا أَعْمَلُ لأَرِثَ الْحَيَاةَ الأَبَدِيَّةَ؟» (aiōnios g166) ١٧ 17
मसीह येशु अपनी यात्रा प्रारंभ कर ही रहे थे कि एक व्यक्ति उनके पास दौड़ता हुआ आया और उनके सामने घुटने टेकते हुए उनसे पूछने लगा, “उत्तम गुरु, अनंत काल का जीवन प्राप्‍त करने के लिए मैं क्या करूं?” (aiōnios g166)
وَلكِنَّ يَسُوعَ قَالَ لَهُ: «لِمَاذَا تَدْعُونِي الصَّالِحَ؟ لَيْسَ أَحَدٌ صَالِحاً إِلّا وَاحِدٌ، وَهُوَ اللهُ. ١٨ 18
मसीह येशु ने उससे कहा, “उत्तम मुझे क्यों कह रहे हो? परमेश्वर के अलावा उत्तम कोई भी नहीं है.
أَنْتَ تَعْرِفُ الْوَصَايَا: لَا تَقْتُلْ؛ لَا تَزْنِ؛ لَا تَسْرِقْ؛ لَا تَشْهَدْ بِالزُّورِ؛ لَا تَظْلِمْ؛ أَكْرِمْ أَبَاكَ وَأُمَّكَ!» ١٩ 19
आज्ञा तो तुम्हें मालूम ही हैं: हत्या न करो, व्यभिचार न करो, चोरी न करो, झूठी गवाही न दो, छल न करो, माता-पिता का सम्मान करो.”
فَأَجَابَهُ قَائِلاً: «هذِهِ كُلُّهَا عَمِلْتُ بِها مُنْذُ صِغَرِي» ٢٠ 20
उसने उत्तर दिया, “गुरुवर, मैं बाल्यावस्था से इनका पालन करता आया हूं.”
وَإِذْ نَظَرَ يَسُوعُ إِلَيْهِ، أَحَبَّهُ، وَقَالَ لَهُ: «يَنْقُصُكَ شَيْءٌ وَاحِدٌ: اذْهَبْ، بِعْ كُلَّ مَا عِنْدَكَ، وَوَزِّعْ عَلَى الْفُقَرَاءِ، فَيَكُونَ لَكَ كَنْزٌ فِي السَّمَاءِ، ثُمَّ تَعَالَ اتْبَعْنِي». ٢١ 21
युवक को एकटक देखते हुए मसीह येशु का हृदय उस युवक के प्रति स्नेह से भर गया. उन्होंने उससे कहा, “एक ही कमी है तुममें: जाओ, अपनी सारी संपत्ति बेचकर प्राप्‍त राशि गरीबों में बांट दो. धन तुम्हें स्वर्ग में प्राप्‍त होगा. लौटकर आओ और मेरा अनुगमन करो.”
وَأَمَّا هُوَ فَمَضَى حَزِيناً وَقَدِ اكْتَأَبَ مِنْ هَذَا الْقَوْلِ، لأَنَّهُ كَانَ صَاحِبَ ثَرْوَةٍ كَبِيرَةٍ. ٢٢ 22
ये शब्द सुनते ही उसका मुंह लटक गया. वह शोकित हृदय से लौट गया क्योंकि वह बड़ी संपत्ति का स्वामी था.
فَتَطَلَّعَ يَسُوعُ حَوْلَهُ وَقَالَ لِتَلامِيذِهِ: «مَا أَصْعَبَ دُخُولَ الأَغْنِيَاءِ إِلَى مَلَكُوتِ اللهِ!» ٢٣ 23
मसीह येशु ने अपने आस-पास इकट्ठा शिष्यों से कहा, “परमेश्वर के राज्य में धनवानों का प्रवेश कितना कठिन होगा!”
فَدُهِشَ التَّلامِيذُ لِهذَا الْكَلامِ. فَعَادَ يَسُوعُ يَقُولُ لَهُمْ: «يَا بَنِيَّ، مَا أَصْعَبَ دُخُولَ الْمُتَّكِلِينَ عَلَى الْمَالِ إِلَى مَلَكُوتِ اللهِ! ٢٤ 24
मसीह येशु के इन विचारों से शिष्य चकित रह गए. एक बार फिर मसीह येशु ने उनसे कहा, “अज्ञानियो! कितना कठिन होगा! परमेश्वर के राज्य में प्रवेश!
فَأَسْهَلُ أَنْ يَدْخُلَ الْجَمَلُ فِي ثَقْبِ إِبْرَةٍ، مِنْ أَنْ يَدْخُلَ الْغَنِيُّ إِلَى مَلَكُوتِ اللهِ». ٢٥ 25
परमेश्वर के राज्य में किसी धनवान के प्रवेश की अपेक्षा ऊंट का सुई के छेद में से पार हो जाना सरल है.”
فَذُهِلُوا جِدّاً، وَقَالَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: «وَمَنْ يَقْدِرُ أَنْ يَخْلُصَ؟» ٢٦ 26
यह सुन शिष्य और भी अधिक चकित हो गए और मसीह येशु से पूछने लगे, “तब उद्धार किसका हो सकेगा?”
فَقَالَ لَهُمْ يَسُوعُ وَهُوَ نَاظِرٌ إِلَيْهِمْ: «هَذَا مُسْتَحِيلٌ عِنْدَ النَّاسِ، وَلكِنْ لَيْسَ عِنْدَ اللهِ. فَإِنَّ كُلَّ شَيْءٍ مُسْتَطَاعٌ عِنْدَ اللهِ!» ٢٧ 27
उनकी ओर देखते हुए मसीह येशु ने कहा, “मनुष्यों के लिए तो यह असंभव है किंतु परमेश्वर के लिए नहीं—परमेश्वर के लिए सभी कुछ संभव है.”
فَأَخَذَ بُطْرُسُ يَقُولُ لَهُ: «هَا نَحْنُ قَدْ تَرَكْنَا كُلَّ شَيْءٍ وَتَبِعْنَاكَ.» ٢٨ 28
पेतरॉस मसीह येशु से बोले, “हम तो अपना सब कुछ त्याग कर आपके पीछे हो लिए हैं.”
فَأَجَابَ يَسُوعُ: «الْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: مَا مِنْ أَحَدٍ تَرَكَ لأَجْلِي وَلأَجْلِ الإِنْجِيلِ بَيْتاً أَوْ إِخْوَةً أَوْ أَخَوَاتٍ أَوْ أُمّاً أَوْ أَباً أَوْ أَوْلاداً أَوْ حُقُولاً، ٢٩ 29
मसीह येशु ने उत्तर दिया, “मैं तुम पर एक अटल सच प्रकट कर रहा हूं: ऐसा कोई भी नहीं, जिसने मेरे तथा सुसमाचार के हित में अपने परिवार, भाई-बहन, माता-पिता, संतान या संपत्ति का त्याग किया हो,
إِلّا وَيَنَالُ مِئَةَ ضِعْفٍ الآنَ فِي هَذَا الزَّمَانِ، بُيُوتاً وَإِخْوَةً وَأَخَوَاتٍ وَأُمُّهَاتٍ وَأَوْلاداً وَحُقُولاً مَعَ اضْطِهَادَاتٍ، وَفِي الزَّمَانِ الآتِي الْحَيَاةَ الأَبَدِيَّةَ. (aiōn g165, aiōnios g166) ٣٠ 30
उसे इस युग में उत्पीड़न के साथ प्रतिफल स्वरूप परिवार, भाई-बहन, माता-पिता, संतान तथा संपत्ति का सौ गुणा तथा आनेवाले समय में अनंत काल का जीवन प्राप्‍त न होगा. (aiōn g165, aiōnios g166)
وَهُنَاكَ أَوَّلُونَ كَثِيرُونَ يَصِيرُونَ آخِرِينَ، وَالآخِرُونَ يَصِيرُونَ أَوَّلِينَ!» ٣١ 31
किंतु अनेक, जो पहले हैं अंतिम होंगे तथा जो अंतिम हैं वे पहले.”
وَكَانُوا فِي الطَّرِيقِ صَاعِدِينَ إِلَى أُورُشَلِيمَ، وَيَسُوعُ يَتَقَدَّمُهُمْ، وَكَانَ التَّلامِيذُ مُتَحَيَّرِينَ وَالَّذِينَ يَتْبَعُونَهُ خَائِفِينَ. فَانْفَرَدَ بِالاِثْنَيْ عَشَرَ، مَرَّةً أُخْرَى، وَأَخَذَ يُطْلِعُهُمْ عَلَى مَا سَيَحْدُثُ لَهُ، فَقَالَ: ٣٢ 32
येरूशलेम नगर की ओर जाते हुए मसीह येशु उन सबके आगे-आगे चल रहे थे. शिष्य चकित थे तथा पीछे चलनेवाले अन्य लोग डरे हुए थे. बारहों को अलग ले जाकर मसीह येशु ने उन्हें बताना प्रारंभ किया कि स्वयं उनके साथ क्या-क्या होना ज़रूरी है.
«هَا نَحْنُ صَاعِدُونَ إِلَى أُورُشَلِيمَ، وَسَوْفَ يُسَلَّمُ ابْنُ الإِنْسَانِ إِلَى رُؤَسَاءِ الْكَهَنَةِ وَإِلَى الْكَتَبَةِ، فَيَحْكُمُونَ عَلَيْهِ بِالْمَوْتِ، وَيُسَلِّمُونَهُ إِلَى أَيْدِي الأُمَمِ، ٣٣ 33
“हम येरूशलेम नगर को जा रहे हैं, वहां मनुष्य के पुत्र को प्रधान पुरोहितों तथा शास्त्रियों के हाथों में सौंप दिया जाएगा. वे उस पर मृत्यु दंड की आज्ञा प्रसारित करेंगे तथा उसे गैर-यहूदियों को सौंप देंगे.
فَيَسْخَرُونَ مِنْهُ، وَيَبْصُقُونَ عَلَيْهِ، وَيَجْلِدُونَهُ، وَيَقْتُلُونَهُ. وَفِي الْيَوْمِ الثَّالِثِ يَقُومُ!» ٣٤ 34
वे सब उसका ठट्ठा उड़ाएंगे, उस पर थूकेंगे, कोड़े लगाएंगे, और उसकी हत्या कर देंगे तथा तीन दिन बाद वह मरे हुओं में से फिर जीवित हो जाएगा.”
عِنْدَئِذٍ تَقَدَّمَ إِلَيْهِ يَعْقُوبُ وَيُوحَنَّا ابْنَا زَبَدِي، وَقَالا لَهُ: «يَا مُعَلِّمُ، نَرْغَبُ فِي أَنْ تَفْعَلَ لَنَا كَلَّ مَا نَطْلُبُ مِنْكَ». ٣٥ 35
ज़ेबेदियॉस के दोनों पुत्र, याकोब तथा योहन, मसीह येशु के पास आकर विनती कर कहने लगे, “गुरुवर, हमारी इच्छा है कि हम आपसे जो भी विनती करें, आप उसे हमारे लिए पूरी कर दें.”
فَسَأَلَهُمَا: «مَاذَا تَرْغَبَانِ فِي أَنْ أَفْعَلَ لَكُمَا؟» ٣٦ 36
मसीह येशु ने उनसे पूछा, “क्या चाहते हो?”
قَالا لَهُ: «هَبْنَا أَنْ نَجْلِسَ فِي مَجْدِكَ: وَاحِدٌ عَنْ يَمِينِكَ، وَوَاحِدٌ عَنْ يَسَارِكَ!» ٣٧ 37
“हमारी इच्छा है कि आपकी महिमा के समय में हम आपकी दायीं तथा बायीं ओर में बैठें,” उन्होंने विनती की.
فَقَالَ لَهُمَا يَسُوعُ: «أَنْتُمَا لَا تَدْرِيَانِ مَا تَطْلُبَانِ: أَتَقْدِرَانِ أَنْ تَشْرَبَا الْكَأْسَ الَّتِي سَأَشْرَبُهَا أَنَا، أَوْ تَغُوصَا فِي الآلامِ الَّتِي سَأَغُوصُ فِيهَا؟» ٣٨ 38
तब मसीह येशु ने उत्तर दिया, “तुम्हें तो यह मालूम ही नहीं कि तुम क्या मांग रहे हो. क्या तुममें वह प्याला पी सकते हो जिसे मैं पीने पर हूं, या तुम उस बपतिस्मा ले सकते हो, जो मैं लेनेवाला हूं?”
فَقَالا لَهُ: «إِنَّنَا نَقْدِرُ!» فَأَجَابَهُمَا يَسُوعُ: «الْكَأْسَ الَّتِي سَأَشْرَبُهَا سَوْفَ تَشْرَبَانِ، وَالآلامَ الَّتِي سَأَغُوصُ فِيهَا سَوْفَ تَغُوصَانِ فِيهَا. ٣٩ 39
उन्होंने उत्तर दिया, “अवश्य.” मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “वह प्याला, जो मैं पिऊंगा, तुम भी पिओगे तथा तुम्हें वही बपतिस्मा दिया जाएगा, जो मुझे दिया जाएगा.
أَمَّا الْجُلُوسُ عَنْ يَمِينِي وَعَنْ يَسَارِي، فَلَيْسَ لِي أَنْ أَمْنَحَهُ إِلّا لِلَّذِينَ أُعِدَّ لَهُمْ». ٤٠ 40
किंतु किसी को अपने दायें या बायें पक्ष में बैठाना मेरा अधिकार नहीं है. ये स्थान उन्हीं के लिए सुरक्षित हैं, जिन्हें इनके लिए तैयार किया गया है.”
وَلَمَّا سَمِعَ التَّلامِيذُ الْعَشَرَةُ بِذلِكَ، أَخَذُوا يَسْتَاءُونَ مِنْ يَعْقُوبَ وَيُوحَنَّا. ٤١ 41
यह सुन शेष दस शिष्य याकोब और योहन पर नाराज़ हो गए.
وَلكِنَّ يَسُوعَ دَعَاهُمْ إِلَيْهِ وَقَالَ لَهُمْ: «تَعْرِفُونَ أَنَّ الْمُعْتَبَرِينَ حُكَّاماً عَلَى الأُمَمِ يَسُودُونَهُمْ، وَأَنَّ عُظَمَاءَهُمْ يَتَسَلَّطُونَ عَلَيْهِمْ. ٤٢ 42
उन सबको अपने पास बुलाकर मसीह येशु ने उनसे कहा, “वे, जो इस संसार में शासक हैं, अपने लोगों पर प्रभुता करते हैं तथा उनके बड़े अधिकारी उन पर अपना अधिकार दिखाया करते हैं,
وَأَمَّا أَنْتُمْ فَلا يَكُنْ ذَلِكَ بَيْنَكُمْ، وَإِنَّمَا أَيُّ مَنْ أَرَادَ أَنْ يَصِيرَ عَظِيماً بَيْنَكُمْ، فَلْيَكُنْ لَكُمْ خَادِماً، ٤٣ 43
किंतु तुम्हारे विषय में ऐसा नहीं है. तुममें जो बड़ा बनने का इच्छुक है, उसको तुम्हारा सेवक हो जाना ज़रूरी है.
وَأَيُّ مَنْ أَرَادَ أَنْ يَصِيرَ أَوَّلاً فِيكُمْ، فَلْيَكُنْ لِلْجَمِيعِ عَبْداً. ٤٤ 44
तुममें जो कोई श्रेष्ठ होना चाहता है, वह सबका दास हो.
فَحَتَّى ابْنُ الإِنْسَانِ قَدْ جَاءَ لَا لِيُخْدَمَ، بَلْ لِيَخْدِمَ وَيَبْذِلَ نَفْسَهُ فِدْيَةً عَنْ كَثِيرِينَ». ٤٥ 45
क्योंकि मनुष्य का पुत्र यहां इसलिये नहीं आया कि अपनी सेवा करवाए, परंतु इसलिये कि सेवा करे और अनेकों की छुड़ौती के लिए अपना जीवन बलिदान कर दे.”
ثُمَّ وَصَلُوا إِلَى أَرِيحَا. وَبَيْنَمَا كَانَ خَارِجاً مِنْ أَرِيحَا، وَمَعَهُ تَلامِيذُهُ وَجَمْعٌ كَبِيرٌ، كَانَ بَارْتِيمَاوُسُ الأَعْمَى – ابْنُ تِيمَاوُسَ، جَالِساً عَلَى جَانِبِ الطَّرِيقِ يَسْتَعْطِي. ٤٦ 46
इसके बाद मसीह येशु येरीख़ो नगर आए. जब वह अपने शिष्यों तथा एक विशाल भीड़ के साथ येरीख़ो नगर से निकलकर जा रहे थे, उन्हें मार्ग के किनारे बैठा हुआ एक अंधा व्यक्ति, तिमाऊ का पुत्र बारतिमाऊ, भीख मांगता हुआ मिला.
وَإِذْ سَمِعَ أَنَّ ذَاكَ هُوَ يَسُوعُ النَّاصِرِيُّ، أَخَذَ يَصْرُخُ قَائِلاً: «يَا يَسُوعُ ابْنَ دَاوُدَ، ارْحَمْنِي!» ٤٧ 47
जब उसे यह मालूम हुआ कि वह यात्री नाज़रेथवासी मसीह येशु हैं, वह पुकारने लगा, “दावीद-पुत्र, येशु! मुझ पर कृपा कीजिए!”
فَزَجَرَهُ كَثِيرُونَ لِيَسْكُتَ، وَلكِنَّهُ صَرخَ أَكْثَرَ: «يَا ابْنَ دَاوُدَ، ارْحَمْنِي». ٤٨ 48
उनमें से अनेक उसे पुकारने से रोकने की भरपूर कोशिश करने लगे, किंतु वह और भी अधिक पुकारता गया, “दावीद की संतान, येशु! मुझ पर कृपा कीजिए!”
فَتَوَقَّفَ يَسُوعُ وَقَالَ: «اُدْعُوهُ!» فَدَعَوْا الأَعْمَى قَائِلِينَ: «تَشَجَّعْ، اِنْهَضْ! إِنَّهُ يَدْعُوكَ!» ٤٩ 49
मसीह येशु ने रुक कर आज्ञा दी, “उसे यहां लाओ!” तब उन्होंने उस अंधे व्यक्ति के पास जाकर उससे कहा, “उठो, आनंद मनाओ! प्रभु तुम्हें बुला रहे हैं.”
فَهَبَّ مُتَّجِهاً إِلَى يَسُوعَ طَارِحاً عَنْهُ رِدَاءَهُ. ٥٠ 50
अंधा व्यक्ति बाहरी वस्त्र फेंक, उछलकर खड़ा हो गया तथा मसीह येशु के पास आ गया.
وَسَأَلَهُ يَسُوعُ: «مَاذَا تُرِيدُ أَنْ أَفْعَلَ لَكَ؟» فَأَجَابَهُ الأَعْمَى: «يَا سَيِّدِي، أَنْ أُبْصِرَ!» ٥١ 51
मसीह येशु ने उससे पूछा, “क्या चाहते हो मुझसे?” “अपनी आंखों की रोशनी दुबारा पाना चाहता हूं, रब्बी!” अंधे ने उत्तर दिया.
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «اذْهَبْ! إِيمَانُكَ قَدْ شَفَاكَ». وَفِي الْحَالِ أَبْصَرَ، وَتَبِعَ يَسُوعَ فِي الطَّرِيقِ. ٥٢ 52
मसीह येशु ने उसे आज्ञा दी, “जाओ, यह तुम्हारा विश्वास है, जिसके द्वारा तुम स्वस्थ हो गए हो.” उसी क्षण उस व्यक्ति की आंखों की रोशनी लौट आई और वह उनके पीछे चलने लगा.

< مَرْقُس 10 >