< مَلاخِي 4 >
«انْظُرُوا، هَا يَوْمُ الْقَضَاءِ مُقْبِلٌ، لاهِبٌ كَتَنُّورٍ يَكُونُ فِيهِ جَمِيعُ الْمُسْتَكْبِرِينَ وَفَاعِلِي الإِثْمِ عُصَافَةً، فَيُحْرِقُهُمْ ذَلِكَ الْيَوْمُ وَلا يُبْقِي لَهُمْ أَصْلاً وَلا فَرْعاً»، يَقُولُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ. | ١ 1 |
क्यूँकि देखो वह दिन आता है जो भट्टी की तरह सोज़ान होगा। तब सब मग़रूर और बदकिरदार भूसे की तरह होंगे और वह दिन उनको ऐसा जलाएगा कि शाख़ — ओ — बुन कुछ न छोड़ेगा, रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है।
«أَمَّا أَنْتُمْ أَيُّهَا الْمُتَّقُونَ اسْمِي فَتُشْرِقُ عَلَيْكُمْ شَمْسُ الْبِرِّ حَامِلَةً فِي أَجْنِحَتِهَا الشِّفَاءَ فَتَنْطَلِقُونَ مُتَوَاثِبِينَ كَعُجُولِ الْمَعْلَفِ، | ٢ 2 |
लेकिन तुम पर जो मेरे नाम की ता'ज़ीम करते हो, आफ़ताब — ए — सदाक़त ताली'अ होगा, और उसकी किरनों में शिफ़ा होगी; और तुम गावख़ाने के बछड़ों की तरह कूदो — फाँदोगे।
وَتَطَأُونَ الأَشْرَارَ، إِذْ يَكُونُونَ رَمَاداً تَحْتَ بُطُونِ أَقْدَامِكُمْ، فِي الْيَوْمِ الَّذِي أُجْرِي فِيهِ أَعْمَالِي»، يَقُولُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ. | ٣ 3 |
और तुम शरीरों को पायमाल करोगे, क्यूँकि उस रोज़ वह तुम्हारे पाँव तले की राख होंगे, रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है।
«اذكُرُوا شَرِيعَةَ مُوسَى عَبْدِي وَسَائِرَ فَرَائِضِي وَأَحْكَامِي الَّتِي أَعْطَيْتُهَا فِي جَبَلِ حُورِيبَ لِجَمِيعِ شَعْبِ إسْرَائِيلَ. | ٤ 4 |
“तुम मेरे बन्दे मूसा की शरी'अत या'नी' उन फ़राइज़ — ओ — अहकाम को, जो मैंने होरिब पर तमाम बनी — इस्राईल के लिए फ़रमाए, याद रख्खो।
هَا أَنَا أُرْسِلُ إِلَيْكُمْ إِيلِيَّا النَّبِيَّ قَبْلَ أَنْ يَجِيءَ يَوْمُ قَضَاءِ الرَّبِّ الرَّهِيبُ الْعَظِيمُ | ٥ 5 |
देखो, ख़ुदावन्द के बुज़ुर्ग और ग़ज़बनाक दिन के आने से पहले, मैं एलियाह नबी को तुम्हारे पास भेजूँगा।
فَيَعْطِفُ قَلْبَ الآبَاءِ عَلَى أَبْنَائِهِمِ وَقَلْبَ الأَبْنَاءِ عَلَى آبَائِهِمْ، لِئَلَّا آتِيَ، وَأُصِيبَ الأَرْضَ بِاللَّعْنَةِ». | ٦ 6 |
और वह बाप का दिल बेटे की तरफ़, और बेटे का बाप की तरफ़ माइल करेगा; मुबादा मैं आऊँ और ज़मीन को मला'ऊन करूँ।”