< لُوقا 8 >

بَعْدَ ذلِكَ أَخَذَ يَجُولُ فِي كُلِّ مَدِينَةٍ وَقَرْيَةٍ وَاعِظاً وَمُبَشِّراً بِمَلَكُوتِ اللهِ وَكَانَ يُرَافِقُهُ تَلامِيذُهُ الاِثْنَا عَشَرَ، ١ 1
इसकै बाद यीशु नगर-नगर अर गाम-गाम्मां म्ह प्रचार करदा होया, अर परमेसवर कै राज्य का सुसमाचार सुणादा होया हांडण लाग्या, अर वे बारहां चेल्लें उसकै गेल्या थे,
وَبَعْضُ النِّسَاءِ اللَّوَاتِي كُنَّ قَدْ شُفِينَ مِنْ أَرْوَاحٍ شِرِّيرَةٍ وَأَمْرَاضٍ، وَهُنَّ: مَرْيَمُ الْمَعْرُوفَةُ بِالْمَجْدَلِيَّةِ الَّتِي طَرَدَ مِنْهَا سَبْعَةَ شَيَاطِينَ، ٢ 2
अर कुछ बिरबान्नी भी थी जो ओपरी आत्मायाँ तै अर बिमारियाँ तै छुटाई गई थी, अर वे ये सै: मरियम जो मगदलीनी कुह्वावै थी, जिसम्ह तै सात ओपरी आत्मा लिकड़ी थी,
وَيُوَنَّا زَوْجَةُ خُوزِي وَكِيلِ هِيرُودُسَ، وَسُوسَنَّةُ، وَغَيْرُهُنَّ كَثِيرَاتٌ مِمَّنْ كُنَّ يُسَاعِدْنَهُ بِأَمْوَالِهِنَّ. ٣ 3
अर हेरोदेस राजा के भण्डारी खुजा की घरआळी योअन्ना, अर सूंसन्नाह, अर घणखरी दुसरी बिरबान्नी। ये अपणे धन तै यीशु अर उसके चेल्यां की सेवा-पाणी करै थी।
فَلَمَّا اجْتَمَعَ حَوْلَهُ جَمْعٌ عَظِيمٌ مِنَ الَّذِينَ خَرَجُوا إِلَيْهِ مِنْ كُلِّ بَلْدَةٍ، خَاطَبَهُمْ بِمَثَلٍ: ٤ 4
जिब बड्डी भीड़ कठ्ठी होई अर नगर-नगर के माणस उसकै धोरै चालकै आवै थे, तो उसनै उदाहरण म्ह कह्या
«خَرَجَ الزَّارِعُ لِيَزْرَعَ بِذَارَهُ. وَبَيْنَمَا هُوَ يَزْرَعُ، وَقَعَ بَعْضُ الْبِذَارِ عَلَى الْمَمَرَّاتِ، فَدَاسَتْهُ الأَقْدَامُ، وَالْتَهَمَتْهُ طُيُورُ السَّمَاءِ. ٥ 5
“एक किसान बीज बोण लिकड़या। बोंदे होए कुछ बीज राही कै किनारे पड़े, अर रोंद्या गया, अर अकास के पंछियाँ नै उस ताहीं चुग लिया।
وَوَقَعَ بَعْضُهُ عَلَى الصَّخْرِ، فَلَمَّا طَلَعَ يَبِسَ لأَنَّهُ كَانَ بِلا رُطُوبَةٍ. ٦ 6
कुछ बीज चट्टान पै पड्या, अर जामग्या, पर नमी ना मिलण कै कारण सूख ग्या।
وَوَقَعَ بَعْضُهُ فِي وَسَطِ الأَشْوَاكِ، فَطَلَعَ الشَّوْكُ مَعَهُ وَخَنَقَهُ. ٧ 7
कुछ झाड़ियाँ कै बिचाळै पड्या, अर झाड़ियाँ नै गेलै-गेलै बढ़कै उस ताहीं दबा लिया।
وَبَعْضُ الْبِذَارِ وَقَعَ فِي الأَرْضِ الصَّالِحَةِ. وَلَمَّا نَبَتَ، أَنْتَجَ ثَمَراً مِئَةَ ضِعْفٍ». قَالَ هَذَا وَنَادَى «مَنْ لَهُ أُذُنَانِ لِلسَّمْعِ، فَلْيَسْمَعْ!» ٨ 8
कुछ आच्छी धरती पै पड्या, अर उगकै सौ गुणा फळ ल्याया।” न्यू कहकै वो जोर तै बोल्या, “जिसके कान हो वो ध्यान तै सुण ले।”
وَسَأَلَهُ تَلامِيذُهُ: «مَا هُوَ مَغْزَى هَذَا الْمَثَلِ؟» ٩ 9
उसके चेल्यां नै उसतै बुझ्झया के इस उदाहरण का के मतलब सै?
فَقَالَ: «لَكُمْ قَدْ أُعْطِيَ أَنْ تَعْرِفُوا أَسْرَارَ مَلَكُوتِ اللهِ. أَمَّا الآخَرُونَ، فَأُكَلِّمُهُمْ بِأَمْثَالٍ، حَتَّى إِنَّهُمْ: يَنْظُرُونَ وَلا يُبْصِرُونَ، وَيَسْمَعُونَ وَلا يَفْهَمُونَ. ١٠ 10
उसनै कह्या, “थारे ताहीं परमेसवर कै राज्य के भेद की समझ दे राक्खी सै, पर औरां नै उदाहरणां म्ह सुणाया जावै सै, इस करकै के ‘वे देखदे होए भी कोनी देक्खै, अर सुणदे होए भी कोनी समझै।’”
وَهَذَا مَغْزَى الْمَثَلِ: الْبِذَارُ هِيَ كَلِمَةُ اللهِ. ١١ 11
उदाहरण का मतलब यो सै: बीज परमेसवर का वचन सै
وَمَا وَقَعَ عَلَى الْمَمَرَّاتِ هُمُ الَّذِينَ يَسْمَعُونَ (الْكَلِمَةَ)، ثُمَّ يَأْتِي إِبْلِيسُ وَيَخْطَفُ الْكَلِمَةَ مِنْ قُلُوبِهِمْ لِئَلّا يُؤْمِنُوا فَيَخْلُصُوا. ١٢ 12
राही कै किनारे के वे सै, जिन नै सुण्या, फेर शैतान आकै उनकै मन म्ह तै वचन ठा ले जावै सै के कदे इसा ना हो के वे बिश्वास करकै उद्धार पावै।
وَمَا وَقَعَ عَلَى الصَّخْرِ هُمُ الَّذِينَ يَقْبَلُونَ الْكَلِمَةَ بِفَرَحٍ لَدَى سَمَاعِهَا، وَهؤُلاءِ لَا أَصْلَ لَهُمْ، فَيُؤْمِنُونَ إِلَى حِينٍ، وَفِي وَقْتِ التَّجْرِبَةِ يَتَرَاجَعُونَ. ١٣ 13
चट्टान पै के वे सै, के जिब सुणै सै, तो खुश होकै वचन नै अपणावै सै, पर जड़ कोनी पकड़दे वे माड़ी वार ताहीं बिश्वास राक्खैं सै अर मुसीबत कै बखत बहक जावै सै।
وَمَا وَقَعَ حَيْثُ الأَشْوَاكُ هُمُ الَّذِينَ يَسْمَعُونَ ثُمَّ يَمْضُونَ فَتَخْنُقُهُمْ هُمُومُ الْحَيَاةِ وَغِنَاهَا وَلَذَّاتُهَا، فَلا يُنْتِجُونَ ثَمَراً نَاضِجاً. ١٤ 14
जो झाड़ियाँ म्ह पड्या, यो वे सै जो सुणै सै, पर आग्गै जाकै फिक्र, अर धन, अर जिन्दगी के ऐसो-आराम म्ह फँस जावै सै अर उनका फळ कोनी पकदा।
وَأَمَّا الَّذِي وَقَعَ فِي الأَرْضِ الْجَيِّدَةِ، فَهُمُ الَّذِينَ يَسْمَعُونَ الْكَلِمَةَ وَيَحْفَظُونَهَا فِي قَلْبٍ جَيِّدٍ مُسْتَقِيمٍ، وَيُنْتِجُونَ ثَمَراً بِالصَّبْرِ. ١٥ 15
पर आच्छी धरती के वे सै, जो वचन सुणकै भले अर आच्छे मन तै साम्ये राक्खैं सै, अर धीरज तै फळ ल्यावै सै।
وَلا أَحَدَ يُشْعِلُ مِصْبَاحاً ثُمَّ يُغَطِّيهِ بِوِعَاءٍ، أَوْ يَضَعُهُ تَحْتَ سَرِيرٍ، بَلْ يَرْفَعُهُ عَلَى مَنَارَةٍ لِيَرَى الدَّاخِلُونَ النُّورَ. ١٦ 16
“कोए दीवा जळा कै बरतन तै कोनी ढकदा, अर ना खाट तळै धरै सै, पर टांडी पै धरै सै ताके भीत्त्तर आण आळे नै चाँदणा मिलै।
فَمَا مِنْ مَحْجُوبٍ لَنْ يُكْشَفَ، وَلا سِرٍّ لَنْ يُعْلَمَ وَيُعْلَنَ. ١٧ 17
कुछ लुहक्या कोनी जो दिखाया कोनी जावै, अर ना किमे लुहक्या सै जिसका बेरा न्ही पटै।
فَتَنَبَّهُوا إِذَنْ كَيْفَ تَسْمَعُونَ. فَإِنَّ مَنْ عِنْدَهُ، يُعْطَى الْمَزِيدَ؛ وَمَنْ لَمْ يَكُنْ عِنْدَهُ، فَحَتَّى الَّذِي يَظُنُّهُ لَهُ، يُنْتَزَعُ مِنْهُ!» ١٨ 18
ज्यांतै चौक्कस रहो के थम किस तरियां सुणो सो? क्यूँके जिसकै धोरै सै उसतै दिया जावैगा, अर जिसकै धोरै न्ही सै उसतै वो भी ले लिया जावैगा, जिसनै वो अपणा समझै सै।”
وَجَاءَتْ إِلَيْهِ أُمُّهُ وَإخْوَتُهُ، وَلَمْ يَتَمَكَّنُوا مِنَ الْوُصُولِ إِلَيْهِ بِسَبَبِ الزِّحَامِ. ١٩ 19
यीशु की माँ अर उसके भाई उसकै धोरै आए, पर भीड़ कै कारण उसतै मिल न्ही सके
فَقِيلَ لَهُ: «إِنَّ أُمَّكَ وَإِخْوَتَكَ وَاقِفُونَ خَارِجاً، يُرِيدُونَ أَنْ يَرَوْكَ!» ٢٠ 20
उसतै कह्या गया, “तेरी माँ अर तेरे भाई बाहरणै खड़े होए, तेरे तै मिलणा चाहवैं सै।”
وَلكِنَّهُ أَجَابَهُمْ قَائِلاً: «أُمِّي وَإِخْوَتِي هُمُ الَّذِينَ يَسْمَعُونَ كَلِمَةَ اللهِ وَيَعْمَلُونَ بِها». ٢١ 21
यीशु नै इसकै जवाब म्ह उनतै कह्या, “मेरी माँ अर मेरे भाई येए सै, जो परमेसवर का वचन सुणै अर मान्नैं सै।”
وَذَاتَ يَوْمٍ رَكِبَ قَارِباً هُوَ وَتَلامِيذُهُ، وَقَالَ لَهُمْ: «لِنَعْبُرْ إِلَى الضِّفَّةِ الْمُقَابِلَةِ مِنَ الْبُحَيْرَةِ!» فَأَقْلَعُوا. ٢٢ 22
फेर एक दिन वो अर उसके चेल्लें किस्ती पै चढ़े, अर उसनै उनतै कह्या, “आओ, समुन्दर के परली ओड़ चाल्लां।” आखर उननै किस्ती खोल दी।
وَفِيمَا هُمْ مُبْحِرُونَ، نَامَ. وَهَبَّتْ عَلَى الْبُحَيْرَةِ عَاصِفَةُ رِيحٍ مُفَاجِئَةٌ، فَأَخَذَ الْمَاءُ يَمْلأُ الْقَارِبَ، وَأَحَاطَ بِهِمِ الْخَطَرُ. ٢٣ 23
पर जिब किस्ती चालरी थी, तो वो सोग्या अर समुन्दर पै आँधी आगी, अर किस्ती पाणी तै भरण लाग्गी अर वे खतरे म्ह थे।
فَتَقَدَّمُوا إِلَيْهِ وَأَيْقَظُوهُ قَائِلِينَ: «يَا سَيِّدُ، يَا سَيِّدُ، إِنَّنَا نَهْلِكُ!» فَنَهَضَ وَزَجَرَ الرِّيحَ وَالْمَاءَ الْهَائِجَ، فَسَكَنَا وَسَادَ الْهُدُوءُ. ٢٤ 24
फेर उननै धोरै आकै उस ताहीं जगाया, अर कह्या, “हे माल्लिक! हे माल्लिक! हम डूबके मरण आळे सां।” फेर उसनै उठकै आँधी ताहीं अर पाणी की झाल्लां ताहीं धमकाया अर वे थमगे अर शान्ति होई।
ثُمَّ قَالَ لَهُمْ: «أَيْنَ إِيمَانُكُمْ؟» وَإِذْ خَافُوا، ذُهِلُوا، وَقَالَ أَحَدُهُمْ لِلآخَرِ: «مَنْ هُوَ هَذَا إِذَنْ حَتَّى إِنَّهُ يَأْمُرُ الرِّيَاحَ وَالْمَاءَ فَتُطِيعُهُ؟» ٢٥ 25
फेर उसनै उनतै कह्या, “थारा बिश्वास कित्त था?” पर वे डरगे अर हैरान होकै आप्पस म्ह कहण लाग्गे, “यो कौण सै जो आँधी अर पाणी नै भी हुकम देवै सै, अर वे उसकी मान्नैं सै?”
وَوَصَلُوا إِلَى بَلْدَةِ الْجِرَاسِيِّينَ، وَهِيَ تَقَعُ مُقَابِلَ الْجَلِيلِ. ٢٦ 26
फेर वे गिरासेनियों कै देश म्ह पोहचे, जो उस पार गलील समुन्दर कै स्याम्ही सै।
فَلَمَّا نَزَلَ إِلَى الْبَرِّ، لاقَاهُ رَجُلٌ مِنَ الْمَدِينَةِ تَسْكُنُهُ الشَّيَاطِينُ مُنْذُ مُدَّةٍ طَوِيلَةٍ، وَكَانَ لَا يَلْبَسُ ثَوْباً وَلا يَسْكُنُ بَيْتاً بَلْ يُقِيمُ بَيْنَ الْقُبُورِ. ٢٧ 27
जिब वो किनारे पै उतरया तो उस नगर का एक माणस उसतै मिल्या जिसम्ह ओपरी आत्मा थी। वो घणे दिनां तै उघाड़ा था अर ना घरां रहवैं था बल्के कब्रिस्तान म्ह रह्या करै था।
فَمَا إِنْ رَأَى يَسُوعَ، حَتَّى صَرَخَ وَانْطَرَحَ أَمَامَهُ، وَقَالَ بِصَوْتٍ عَالٍ: «مَا شَأْنُكَ بِي يَا يَسُوعُ ابْنَ اللهِ العَلِيِّ؟ أَتَوَسَّلُ إِلَيْكَ أَلّا تُعَذِّبَنِي؟» ٢٨ 28
वो यीशु नै देखकै जोर तै किल्की मारकै उसकै स्याम्ही पड़कै जोर तै बोल्या, “हे परमप्रधान परमेसवर के बेट्टे यीशु! मन्नै तेरे तै के काम? मै तेरे तै बिनती करुँ सूं, मन्नै काल ना करै।”
فَإِنَّ يَسُوعَ كَانَ قَدْ أَمَرَ الرُّوحَ النَّجِسَ أَنْ يَخْرُجَ مِنَ الرَّجُلِ. فَكَثِيراً مَا كَانَ يَتَمَكَّنُ مِنْهُ، وَكُلَّمَا رُبِطَ بِالسَّلاسِلِ وَالْقُيُودِ لِيُضْبَطَ، حَطَّمَ الْقُيُودَ وَسَاقَهُ الشَّيْطَانُ إِلَى الْقِفَارِ. ٢٩ 29
क्यूँके वो उस ओपरी आत्मा ताहीं उस माणस म्ह तै लिकड़ण का हुकम देवै था, इस करकै के वो उसपै बार-बार हावी होवै थी। ऊतो माणस उसनै साँकळां अर बेलां तै जुड़ै थे फेरभी वो बन्धनां नै तोड़ देवै था, अर ओपरी आत्मा उसनै बण म्ह भजाए फिरै थी।
فَسَأَلَهُ يَسُوعُ: «مَا اسْمُكَ؟» فَقَالَ: «لَجِيُونُ!» لأَنَّ جَيْشاً كَبِيراً مِنَ الشَّيَاطِينِ كَانُوا قَدْ دَخَلُوا فِيهِ، ٣٠ 30
यीशु नै उसतै बुझ्झया, “तेरा के नाम सै?” उसनै कह्या, “सेना,” क्यूँके घणीए ओपरी आत्मा उस म्ह रहवैं थी।
وَقَدْ تَوَسَّلُوا إِلَيْهِ أَلّا يَأْمُرَهُمْ بِالذَّهَابِ إِلَى الْهَاوِيَةِ. (Abyssos g12) ٣١ 31
उननै यीशु बिनती करी के हमनै अथाह कुण्ड म्ह जाण का हुकम ना देवै। (Abyssos g12)
وَكَانَ هُنَالِكَ قَطِيعٌ كَبِيرٌ مِنَ الْخَنَازِيرِ يَرْعَى فِي الْجَبَلِ، فَالْتَمَسُوا مِنْهُ أَنْ يَأْذَنَ لَهُمْ بِالدُّخُولِ فِي الْخَنَازِيرِ، فَأَذِنَ لَهُمْ. ٣٢ 32
उड़ै पहाड़ पै सूअरां का एक बड्ड़ा टोळ चरै था, इस करकै उननै उसतै बिनती करी के हमनै उन म्ह बैठणे दे। उसनै उन ताहीं जाण दिया।
فَخَرَجَتِ الشَّيَاطِينُ مِنَ الإِنْسَانِ، وَدَخَلَتْ فِي الْخَنَازِيرِ، فَانْدَفَعَ الْقَطِيعُ مِنْ عَلَى حَافَةِ الْجَبَلِ إِلَى الْبُحَيْرَةِ وَمَاتَ غَرَقاً. ٣٣ 33
फेर ओपरी आत्मा उस माणस म्ह तै लिकड़कै सूअरां म्ह जा पड़ी अर वो टोळ ढळान पै तै झपटकै गलील समुन्दर म्ह जा पड्या अर डूब मरया।
فَلَمَّا رَأَى الرُّعَاةُ مَا حَدَثَ، هَرَبُوا إِلَى الْمَدِينَةِ وَالْمَزَارِعِ يَنْشُرُونَ الْخَبَرَ. ٣٤ 34
पाळी यो जो होया था देखकै भाज्ये, अर नगर म्ह अर गाम्मां म्ह जाकै उसकी खबर दी।
فَخَرَجَ النَّاسُ لِيَرَوْا مَا حَدَثَ، وَجَاءُوا إِلَى يَسُوعَ، فَوَجَدُوا الرَّجُلَ الَّذِي خَرَجَتْ مِنْهُ الشَّيَاطِينُ جَالِساً عِنْدَ قَدَمَيْ يَسُوعَ وَهُوَ لابِسٌ وَسَلِيمُ الْعَقْلِ. فَخَافُوا. ٣٥ 35
माणस जो होया था उसनै देखण नै लिकड़े, अर यीशु कै धोरै आकै जिस माणस तै ओपरी आत्मा लिकड़ी थी, उसनै यीशु के पायां कै धोरै लत्ते पहरे अर सोध्दी म्ह बेठ्ठे देखकै डरगे,
وَأَخْبَرَهُمْ أَيْضاً الَّذِينَ شَاهَدُوا مَا حَدَثَ، كَيْفَ شُفِيَ الْمَسْكُونُ. ٣٦ 36
अर देखण आळा नै उन ताहीं बताया के वो ओपरी आत्मायाँ का कांल करया होड़ माणस किस तरियां ठीक होया।
فَطَلَبَ جَمِيعُ أَهَالِي بَلْدَةِ الْجِرَاسِيِّينَ مِنْ يَسُوعَ أَنْ يَرْحَلَ عَنْهُمْ، لأَنَّ خَوْفاً عَظِيماً اسْتَوْلَى عَلَيْهِمْ. فَرَكِبَ الْقَارِبَ، وَرَجَعَ. ٣٧ 37
फेर गिरासेनियों कै लोवै-धोवै के सारे माणसां नै यीशु तै बिनती करी के म्हारै उरै तै चल्या जा, क्यूँके वे घणे डरगे थे। आखर म्ह वो किस्ती पै चढ़कै बोहड़ आया।
وَأَمَّا الرَّجُلُ الَّذِي خَرَجَتْ مِنْهُ الشَّيَاطِينُ، فَتَوَسَّلَ إِلَيْهِ أَنْ يُرَافِقَهُ. وَلكِنَّهُ صَرَفَهُ قَائِلاً: ٣٨ 38
जिस माणस म्ह ओपरी आत्मा लिकड़ी थी वो उसतै बिनती करण लाग्या के मन्नै अपणे गेल्या रहण दे, पर यीशु नै उस ताहीं बिदा करकै कह्या,
«اِرْجِعْ إِلَى بَيْتِكَ، وَحَدِّثْ بِمَا عَمِلَهُ اللهُ بِكَ!» فَمَضَى سَائِراً فِي الْمَدِينَةِ كُلِّهَا، وَهُوَ يُنَادِي بِمَا عَمِلَهُ بِهِ يَسُوعُ. ٣٩ 39
“अपणे घरां बोहड़ जा अर माणसां तै बता के परमेसवर नै तेरे खात्तर किसे बड़े-बड़े काम करे सै।” वो जाकै सारे नगर म्ह प्रचार करण लाग्या के यीशु नै मेरै खात्तर किसे बड़े-बड़े काम करे।
وَلَمَّا عَادَ يَسُوعُ، رَحَّبَ بِهِ الْجَمْعُ، لأَنَّهُمْ كَانُوا كُلُّهُمْ يَتَرَقَّبُونَ عَوْدَتَهُ. ٤٠ 40
जिब यीशु बोहड़या तो माणस उसतै राज्जी होकै मिले, क्यूँके वे सारे उसकी बाट देक्खै थे।
وَإذَا رَجُلٌ اسْمُهُ يَايِرُسُ، وَهُوَ رَئِيسٌ لِلْمَجْمَعِ، قَدْ جَاءَ وَانْطَرَحَ عِنْدَ قَدَمَيْ يَسُوعَ وَتَوَسَّلَ إِلَيْهِ أَنْ يُرَافِقَهُ إِلَى بَيْتِهِ، ٤١ 41
इतनै म्ह याईर नाम का एक माणस आया, जो आराधनालय का सरदार था, अर यीशु कै पायां म्ह पड़कै उसतै बिनती करण लागग्या के मेरै घरां चाल,
لأَنَّ لَهُ ابْنَةً وَحِيدَةً، عُمْرُهَا حَوَالَيْ اثْنَتَيْ عَشْرَةَ سَنَةً، وَقَدْ أَشْرَفَتْ عَلَى الْمَوْتِ. وَفِيمَا هُوَ ذَاهِبٌ، كَانَتِ الْجُمُوعُ تَزْحَمُهُ. ٤٢ 42
क्यूँके उसकी बारहां साल की एकलौती बेट्टी थी, अर वा मरण नै होरी थी। जिब वो जाण लागरया था, जद माणस उसपै पड़ण लागरे थे।
وَكَانَتْ هُنَاكَ امْرَأَةٌ مُصَابَةٌ بِنَزِيفٍ دَمَوِيٍّ مُنْذُ اثْنَتَيْ عَشْرَةَ سَنَةً وَمَعَ أَنَّهَا كَانَتْ قَدْ أَنْفَقَتْ كُلَّ مَا تَمْلِكُهُ أَجْراً لِلأَطِبَّاءِ، فَلَمْ تَتَمَكَّنْ مِنَ الشِّفَاءِ عَلَى يَدِ أَحَدٍ. ٤٣ 43
एक बिरबान्नी नै जिसकै बारहां साल तै लहू बहण की बीमारी थी, अर जो अपणी सारी कमाई डाक्टरां कै पाच्छै बरतगी थी, फेरभी किसे कै हाथ तै चंगी कोनी हो सकी थी,
فَتَقَدَّمَتْ إِلَى يَسُوعَ مِنْ خَلْفِهِ، وَلَمَسَتْ طَرَفَ رِدَائِهِ؛ وَفِي الْحَالِ تَوَقَّفَ نَزِيفُ دَمِهَا. ٤٤ 44
पाच्छै तै आकै उसकै लत्ते ताहीं छुया, अर जिब्बे उसका लहू बहणा बन्द होगा।
وَقَالَ يَسُوعُ: «مَنْ لَمَسَنِي؟» فَلَمَّا أَنْكَرَ الْجَمِيعُ ذَلِكَ، قَالَ بُطْرُسُ وَرِفَاقُهُ: «يَا سَيِّدُ، الْجُمُوعُ يُضَيِّقُونَ عَلَيْكَ وَيَزْحَمُونَكَ، وَتَسْأَلُ: مَنْ لَمَسَنِي؟» ٤٥ 45
इसपै यीशु नै कह्या, “मेरैताहीं किसनै छुया?” जिब सारे नाट्टण लाग्गे, तो पतरस अर उसके साथियाँ नै कह्या, “हे माल्लिक, तन्नै तो भीड़ दबाण लागरी सै अर तेरे पै पड़ण लागरी सै।”
فَقَالَ يَسُوعُ: «إِنَّ شَخْصاً مَا قَدْ لَمَسَنِي، لأَنِّي شَعَرْتُ بِأَنَّ قُوَّةً قَدْ خَرَجَتْ مِنِّي». ٤٦ 46
पर यीशु नै कह्या, “किसे नै मेरै ताहीं छुआ सै, क्यूँके मन्नै बेरा पाटग्या के मेरै म्ह तै सामर्थ लिकड़ी सै।”
فَلَمَّا رَأَتِ الْمَرْأَةُ أَنَّ أَمْرَهَا لَمْ يُكْتَمْ، تَقَدَّمَتْ مُرْتَجِفَةً، وَارْتَمَتْ أَمَامَهُ مُعْلِنَةً أَمَامَ جَمِيعِ النَّاسِ لأَيِّ سَبَبٍ لَمَسَتْهُ، وَكَيْفَ نَالَتِ الشِّفَاءَ فِي الْحَالِ. ٤٧ 47
जिब बिरबान्नी नै देख्या के मै लुह्क कोनी सकदी, फेर काम्बदी होई आई अर उसकै पायां पै पड़कै सारे माणसां कै स्याम्ही बताया के उसनै किस कारण उस ताहीं छुया, अर किस तरियां जिब्बे चंगी होई।
فَقَالَ لَهَا: «يَا ابْنَةُ، إِيْمَانُكِ قَدْ شَفَاكِ؛ اذْهَبِي بِسَلامٍ!» ٤٨ 48
उसनै उसतै कह्या, “बेट्टी, तेरे बिश्वास नै तेरे ताहीं ठीक करया सै, खुशी-खुशी चली जा।”
وَبَيْنَمَا كَانَ يَتَكَلَّمُ، جَاءَ رَجُلٌ مِنْ بَيْتِ رَئِيسِ الْمَجْمَعِ، يَقُولُ لَهُ: «ابْنَتُكَ مَاتَتِ. لَا تُتْعِبْ الْمُعَلِّمَ بَعْدُ!» ٤٩ 49
वो न्यू कहवै था के किसे नै आराधनालय कै सरदार याईर कै उरै तै आकै कह्या, “तेरी छोरी मर ली सै: गुरु नै कांल ना करै।”
وَإِذْ سَمِعَ يَسُوعُ ذلِكَ، كَلَّمَهُ قَائِلاً: «لا تَخَفْ، آمِنْ فَقَطْ، فَتَنْجُوَ ابْنَتُكَ!» ٥٠ 50
यीशु नै न्यू सुणकै उसतै जवाब दिया, “मतना डरै, सिर्फ बिश्वास राख, तो वा बच जावैगी।”
وَلَمَّا وَصَلَ إِلَى الْبَيْتِ، لَمْ يَدَعْ أَحَداً يَدْخُلُ مَعَهُ إِلّا بُطْرُسَ وَيُوحَنَّا وَيَعْقُوبَ وَأَبَا الْفَتَاةِ وَأُمَّهَا. ٥١ 51
घर म्ह आकै उसनै पतरस, यूहन्ना, याकूब, अर छोरी के माँ-बाप नै छोड़ दुसरे किसे नै अपणे गेल्या भीत्त्तर कोनी आण दिया।
وَكَانَ الْجَمِيعُ يَبْكُونَهَا وَيَنْدُبُونَهَا. فَقَالَ: «لا تَبْكُوا. إِنَّهَا لَمْ تَمُتْ، بَلْ هِيَ نَائِمَةٌ!» ٥٢ 52
सारे उसकै बाबत रोण-पिट्टण लागरे थे, पर उसनै कह्या, “रोओ मतना, वा मरी कोनी पर सोवै सै।”
فَضَحِكُوا مِنْهُ، لِعِلْمِهِمْ أَنَّهَا مَاتَتْ. ٥٣ 53
वे न्यू जाणकै के वा मरगी सै उसका मजाक उड़ाण लाग्ये।
وَلكِنَّهُ، بَعْدَمَا أَخْرَجَهُمْ جَمِيعاً، أَمْسَكَ بِيَدِهَا، وَنَادَى قَائِلاً: «يَا صَبِيَّةُ، قُومِي!» ٥٤ 54
पर उसनै उसका हाथ पकड्या, अर रुक्का मारकै कह्या, “हे छोरी, उठ!”
فَعَادَتْ إِلَيْهَا رُوحُهَا، وَنَهَضَتْ فِي الْحَالِ. وَأَمَرَ أَنْ يُقَدَّمَ لَهَا طَعَامٌ. ٥٥ 55
फेर उसका जी बोहड़ आया अर वा जिब्बे उठ बेठ्ठी। फेर उसनै हुकम दिया के उसनै कुछ खाण नै द्यो।
فَدُهِشَ وَالِدَاهَا؛ وَلكِنَّهُ أَوْصَاهُمَا أَلّا يُخْبِرَا أَحَداً بِمَا جَرَى. ٥٦ 56
उसकै माँ-बाप हैरान होए, पर उसनै उन ताहीं चिताया के यो जो होया सै किसे तै ना कहियो।

< لُوقا 8 >