< لُوقا 7 >
وَبَعْدَمَا أَتَمَّ إِلْقَاءَ أَقْوَالِهِ كُلِّهَا فِي مَسَامِعِ الشَّعْبِ، دَخَلَ بَلْدَةَ كَفْرَنَاحُومَ. | ١ 1 |
जब यीशु लोगों सी सब बाते कह्य दियो, त कफरनहूम नगर म आयो।
وَكَانَ عِنْدَ قَائِدِ مِئَةٍ عَبْدٌ مَرِيضٌ قَدْ أَشْرَفَ عَلَى الْمَوْتِ، وَكَانَ عَزِيزاً عَلَيْهِ. | ٢ 2 |
उत सौ रोमन सिपाहियों को अधिकारी को एक सेवक जो ओको प्रिय होतो, बीमारी सी मरन पर होतो।
فَلَمَّا سَمِعَ بِيَسُوعَ، أَرْسَلَ إِلَيْهِ شُيُوخَ الْيَهُودِ، مُتَوَسِّلاً إِلَيْهِ أَنْ يَأْتِيَ وَيُنْقِذَ عَبْدَهُ. | ٣ 3 |
ओन यीशु की चर्चा सुन क यहूदियों को कुछ बुजूर्गों ख ओको सी या बिनती करन क् ओको जवर भेज्यो कि आय क मोरो सेवक ख चंगो कर।
وَلَمَّا أَدْرَكُوا يَسُوعَ، طَلَبُوا إِلَيْهِ بِإِلْحَاحٍ قَائِلِينَ: «إِنَّهُ يَسْتَحِقُّ أَنْ تَمْنَحَهُ طَلَبَهُ، | ٤ 4 |
हि यीशु को जवर आयो, अऊर ओको सी बहुत बिनती कर क् कहन लग्यो, “ऊ यो लायक हय कि तय ओको लायी यो कर,
فَهُوَ يُحِبُّ أُمَّتَنَا، وَقَدْ بَنَى لَنَا الْمَجْمَعَ». | ٥ 5 |
कहालीकि ऊ हमरो लोगों सी प्रेम रखय हय, अऊर ओनच हमरो आराधनालय ख बनायो हय।”
فَرَافَقَهُمْ يَسُوعُ. وَلَكِنْ مَا إِنْ أَصْبَحَ عَلَى مَقْرَبَةٍ مِنَ الْبَيْتِ، حَتَّى أَرْسَلَ إِلَيْهِ قَائِدُ الْمِئَةِ بَعْضَ أَصْدِقَائِهِ، يَقُولُ لَهُ: «يَا سَيِّدُ، لَا تُكَلِّفْ نَفْسَكَ، لأَنِّي لَا أَسْتَحِقُّ أَنْ تَدْخُلَ تَحْتَ سَقْفِ بَيْتِي. | ٦ 6 |
यीशु उन्को संग गयो, पर जब ऊ घर सी दूर नहीं होतो, त सूबेदार न ओको जवर कुछ संगियों ख यो कहन भेज्यो, “हे प्रभु, दु: ख मत उठाव, कहालीकि मय यो लायक नहाय कि तय मोरी छत को खल्लो आय सकय।
وَلِذلِكَ لَا أَعْتَبِرُ نَفْسِي أَهْلاً لأَنْ أُلاقِيَكَ. إِنَّمَا قُلْ كَلِمَةً، فَيُشْفَى خَادِمِي: | ٧ 7 |
योच वजह मय न अपनो आप ख यो लायक भी नहीं समझ्यो कि तोरो जवर आऊं, पर वचनच कह्य दे त मोरो सेवक चंगो होय जायेंन।
فَأَنَا أَيْضاً رَجُلٌ مَوْضُوعٌ تَحْتَ سُلْطَةٍ أَعْلَى مِنِّي، وَلِي جُنُودٌ تَحْتَ إِمْرَتِي، أَقُولُ لأَحَدِهِمْ: اذْهَبْ! فَيَذْهَبُ؛ وَلِغَيْرِهِ: تَعَالَ! فَيَأْتِي؛ وَلِعَبْدِي: افْعَلْ هَذَا! فَيَفْعَلُ». | ٨ 8 |
मय भी शासन को अधीन आदमी हय, अऊर सिपाही मोरो हाथ म हंय; अऊर जब एक ख कहूं हय, ‘जा,’ त ऊ जावय हय; अऊर दूसरों सी कहूं हय, ‘आव,’ त आवय हय; अऊर अपनो कोयी सेवक ख कि ‘यो कर,’ त ऊ ओख करय हय।”
فَلَمَّا سَمِعَ يَسُوعُ ذلِكَ، تَعَجَّبَ مِنْهُ، ثُمَّ الْتَفَتَ إِلَى الْجَمْعِ الَّذِي يَتْبَعُهُ، وَقَالَ: «أَقُولُ لَكُمْ، لَمْ أَجِدْ حَتَّى فِي إِسْرَائِيلَ إِيمَاناً عَظِيماً كَهَذَا!» | ٩ 9 |
यो सुन क यीशु ख अचम्भा भयो अऊर ओन मुंह घुमाय क वा भीड़ सी जो ओको पीछू आय रही होती, कह्यो, “मय तुम सी कहू हय कि मय न इस्राएल म भी असो विश्वास नहीं पायो।”
وَلَمَّا رَجَعَ الْمُرْسَلُونَ إِلَى الْبَيْتِ، وَجَدُوا الْعَبْدَ الْمَرِيضَ قَدْ تَعَافَى. | ١٠ 10 |
अऊर भेज्यो हुयो लोगों न घर लौट क ऊ सेवक ख चंगो पायो।
وَفِي الْيَوْمِ التَّالِي، ذَهَبَ إِلَى مَدِينَةٍ اسْمُهَا نَايِينُ، يُرَافِقُهُ كَثِيرُونَ مِنْ تَلامِيذِهِ وَجمْعٌ عَظِيمٌ. | ١١ 11 |
थोड़ो दिन को बाद यीशु नाईन नाम को एक नगर ख गयो। ओको चेला अऊर बड़ी भीड़ ओको संग जाय रही होती।
وَلَمَّا اقْتَرَبَ مِنْ بَابِ الْمَدِينَةِ، إِذَا مَيْتٌ مَحْمُولٌ، وَهُوَ ابْنٌ وَحِيدٌ لأُمِّهِ الَّتِي كَانَتْ أَرْمَلَةً، وَكَانَ مَعَهَا جَمْعٌ كَبِيرٌ مِنَ الْمَدِينَةِ. | ١٢ 12 |
जब ऊ नगर को द्वार को जवर पहुंच्यो, त देख्यो, लोग एक मुरदा ख बाहेर गाड़न लायी लिजाय रह्यो होतो; जो अपनी माय को एकलौतो बेटा होतो, अऊर वा विधवा होती; अऊर नगर को बहुत सो लोग ओको संग होतो।
فَلَمَّا رَآهَا الرَّبُّ، تَحَنَّنَ عَلَيْهَا، وَقَالَ لَهَا: «لا تَبْكِي!» | ١٣ 13 |
ओख देख क प्रभु ख तरस आयो, अऊर ओको सी कह्यो, “मत रो।”
ثُمَّ تَقَدَّمَ وَلَمَسَ النَّعْشَ، فَتَوَقَّفَ حَامِلُوهُ. وَقَالَ: «أَيُّهَا الشَّابُّ، لَكَ أَقُولُ: قُمْ!» | ١٤ 14 |
तब ओन जवर आय क सकोली ख छूयो, अऊर उठावन वालो रुक गयो। तब ओन कह्यो, “हे जवान, मय तोरो सी कहू हय, उठ!”
فَجَلَسَ الْمَيْتُ وَبَدَأَ يَتَكَلَّمُ، فَسَلَّمَهُ إِلَى أُمِّهِ. | ١٥ 15 |
तब ऊ मुरदा बेटा उठ बैठ्यो, अऊर बोलन लग्यो। यीशु न ओख ओकी माय ख सौंप दियो।
فَاسْتَوْلَى الْخَوْفُ عَلَى الْجَمِيعِ، وَمَجَّدُوا اللهَ، قَائِلِينَ: «قَدْ قَامَ فِينَا نَبِيٌّ عَظِيمٌ وَتَفَقَّدَ اللهُ شَعْبَهُ!» | ١٦ 16 |
येको सी सब डर गयो, अऊर हि परमेश्वर की बड़ायी कर क् कहन लग्यो, “हमरो बीच म एक बड़ो भविष्यवक्ता उठ्यो हय, अऊर परमेश्वर न अपनो लोगों पर दयादृष्टि करी हय।”
وَذَاعَ هَذَا الْخَبَرُ عَنْهُ فِي مِنْطَقَةِ الْيَهُودِيَّةِ كُلِّهَا وَفِي جَمِيعِ النَّوَاحِي الْمُجَاوِرَةِ. | ١٧ 17 |
अऊर ओको बारे म या बात पूरो यहूदिया अऊर आजु बाजू को पूरो देश म फैल गयी।
وَنَقَلَ تَلامِيذُ يُوحَنَّا إِلَيْهِ خَبَرَ هذِهِ كُلِّهَا. فَدَعَا يُوحَنَّا اثْنَيْنِ مِنْ تَلامِيذِهِ، | ١٨ 18 |
यूहन्ना ख ओको चेलावों न इन सब बातों को समाचार दियो।
وَأَرْسَلَهُمَا إِلَى الرَّبِّ، يَسْأَلُهُ: «أَأَنْتَ هُوَ الآتِي، أَمْ نَنْتَظِرُ آخَرَ؟» | ١٩ 19 |
तब यूहन्ना न अपनो चेलावों म सी दोय ख बुलाय क प्रभु को जवर यो पूछन लायी भेज्यो, “का आवन वालो तयच आय, यां हम कोयी अऊर की रस्ता देखबो?”
فَلَمَّا جَاءَ الرَّجُلانِ إِلَى الرَّبِّ، قَالا: «أَرْسَلَنَا إِلَيْكَ يُوحَنَّا الْمَعْمَدَانُ، يَسْأَلُ: أَأَنْتَ هُوَ الآتِي، أَمْ نَنْتَظِرُ آخَرَ؟» | ٢٠ 20 |
उन्न ओको जवर आय क कह्यो, “यूहन्ना बपतिस्मा देन वालो न हम्ख तोरो जवर यो पूछन ख भेज्यो हय कि ‘का आवन वालो तयच आय, यां हम कोयी दूसरों की रस्ता देखबो?’”
وَفِي تِلْكَ السَّاعَةِ شَفَى كَثِيرِينَ مِنْ أَمْرَاضٍ وَعِلَلٍ وَأَرْوَاحٍ شِرِّيرَةٍ، وَوَهَبَ الْبَصَرَ لِعُمْيَانٍ كَثِيرِينَ. | ٢١ 21 |
उच समय यीशु न बहुत सो ख बीमारियों अऊर देखूं, अऊर दुष्ट आत्मावों सी छुड़ायो; अऊर बहुत सो अन्धा ख आंखी दियो;
فَرَدَّ يَسُوعُ عَلَى الْمُرْسَلَيْنِ قَائِلاً: «اذْهَبَا وَأَخْبِرَا يُوحَنَّا بِمَا قَدْ رَأَيْتُمَا وَسَمِعْتُمَا: أَنَّ الْعُمْيَانَ يُبْصِرُونَ، وَالْعُرْجَ يَمْشُونَ، وَالْبُرْصَ يُطَهَّرُونَ، وَالصُّمَّ يَسْمَعُونَ، وَالْمَوْتَى يُقَامُونَ، وَالْمَسَاكِينَ يُبَشَّرُونَ. | ٢٢ 22 |
अऊर ओन यूहन्ना सी कह्यो: “जो कुछ तुम न देख्यो अऊर सुन्यो हय, जाय क यूहन्ना सी कह्य दे; कि अन्धा देखय हंय, लंगड़ा चलय-फिरय हंय, कोढ़ी शुद्ध करयो जावय हंय, बहिरा सुनय हंय, मुरदा जीन्दो करयो जावय हंय, अऊर गरीबों ख सुसमाचार सुनायो जावय हय।
وَطُوبَى لِكُلِّ مَنْ لَا يَشُكُّ فِيَّ!» | ٢٣ 23 |
अऊर धन्य हय, जो मोरो वजह ठोकर नहीं खावय।”
وَمَا إِنِ انْصَرَفَ مُرْسَلا يُوحَنَّا حَتَّى أَخَذَ يَسُوعُ يَتَحَدَّثُ إِلَى الْجُمُوعِ عَنْ يُوحَنَّا «مَاذَا خَرَجْتُمْ إِلَى الْبَرِّيَّةِ لِتَرَوْا؟ أَقَصَبَةً تَهُزُّهَا الرِّيَاحُ؟ | ٢٤ 24 |
जब यूहन्ना को भेज्यो हुयो लोग चली गयो त यीशु यूहन्ना को बारे म लोगों सी कहन लग्यो, “तुम जंगल म का देखन गयो होतो? का हवा सी हिलतो हुयो सरकण्डा ख?
بَلْ مَاذَا خَرَجْتُمْ لِتَرَوْا؟ أَإِنْسَاناً يَلْبَسُ ثِيَاباً نَاعِمَةً؟ هَا إِنَّ لابِسِي الثِّيَابِ الْفَاخِرَةِ وَالْمُتَرَفِّهِينَ هُمْ فِي قُصُورِ الْمُلُوكِ. | ٢٥ 25 |
त फिर तुम का देखन गयो होतो? का चमकदार कपड़ा पहिन्यो हुयो आदमी ख? जो चमकदार कपड़ा पहिनतो अऊर ठाट बाठ सी रह्य हंय, हि राजभवनों म रह्य हंय।
إِذَنْ، مَاذَا خَرَجْتُمْ لِتَرَوْا؟ أَنَبِيًّا؟ نَعَمْ، أَقُولُ لَكُمْ، وَأَعْظَمَ مِنْ نَبِيٍّ! | ٢٦ 26 |
त फिर का देखन गयो होतो? का कोयी भविष्यवक्ता ख? हां, मय तुम सी कहू हय, बल्की भविष्यवक्ता सी भी बड़ो ख।
فَهَذَا هُوَ الَّذِي كُتِبَ عَنْهُ: إِنِّي مُرْسِلٌ قُدَّامَكَ مَلاكِي الَّذِي يُمَهِّدُ لَكَ طَرِيقَكَ. | ٢٧ 27 |
परमेश्वर न तुम सी कह्यो यो उच यूहन्ना आय, जेको बारे म लिख्यो हय: ‘मय अपनो दूत ख तोरो आगु-आगु भेजू हय, जो तोरो आगु तोरो रस्ता सीधो करेंन।’
فَإِنِّي أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّهُ لَيْسَ بَيْنَ مَنْ وَلَدَتْهُمُ النِّسَاءُ أَعْظَمُ مِنْ يُوحَنَّا، وَلكِنَّ الأَصْغَرَ فِي مَلَكُوتِ اللهِ أَعْظَمُ مِنْهُ!» | ٢٨ 28 |
मय तुम सी कहू हय कि जो बाईयों सी जनम लियो हंय, उन्म सी यूहन्ना बपतिस्मा देन वालो सी बड़ो कोयी नहाय: पर जो परमेश्वर को राज्य म छोटो सी छोटो हय, ऊ ओको सी भी बड़ो हय।”
وَلَمَّا سَمِعَ ذلِكَ جَمِيعُ الشَّعْبِ، حَتَّى جُبَاةُ الضَّرَائِبِ، اعْتَرَفُوا بِبِرِّ اللهِ إِذْ كَانُوا قَدْ تَعَمَّدُوا بِمَعْمُودِيَّةِ يُوحَنَّا؛ | ٢٩ 29 |
अऊर सब लोगों न सुन क अऊर कर लेनवालो न भी यूहन्ना सी बपतिस्मा ले क परमेश्वर ख सच्चो मान्यो।
وَأَمَّا الْفَرِّيسِيُّونَ وَعُلَمَاءُ الشَّرِيعَةِ؛ فَقَدْ رَفَضُوا قَصْدَ اللهِ مِنْ نَحْوِهِمْ إِذْ لَمْ يَكُونُوا قَدْ تَعَمَّدُوا عَلَى يَدِهِ. | ٣٠ 30 |
पर फरीसियों अऊर व्यवस्थापकों न ओको सी बपतिस्मा नहीं ले क परमेश्वर को इरादा ख अपनो बारे म टाल दियो।
«فَبِمَنْ أُشَبِّهُ إِذَنْ أَهْلَ هَذَا الْجِيلِ؟ وَمَنْ يُشْبِهُونَ؟ | ٣١ 31 |
“त मय यो युग को लोगों की तुलना कौन्को सी देऊ कि हि कौन्को जसो हंय?
إِنَّهُمْ يُشْبِهُونَ أَوْلاداً جَالِسِينَ فِي السَّاحَةِ الْعَامَّةِ، يُنَادِي بَعْضُهُمْ بَعْضاً قَائِلِينَ: زَمَّرْنَا لَكُمْ، فَلَمْ تَرْقُصُوا؛ ثُمَّ نَدَبْنَا لَكُمْ، فَلَمْ تَبْكُوا! | ٣٢ 32 |
हि उन बच्चां को जसो हंय जो बजार म बैठ्यो हुयो एक दूसरों सी पुकार क कह्य हंय, ‘हम न तुम्हरो लायी बांसुरी बजायी, अऊर तुम नहीं नाच्यो; हम्न विलाप गीत गायो, अऊर तुम नहीं रोयो!’
فَقَدْ جَاءَ يُوحَنَّا الْمَعْمَدَانُ لَا يَأْكُلُ وَلا يَشْرَبُ خَمْراً، فَقُلْتُمْ: إِنَّ شَيْطَاناً يَسْكُنُهُ. | ٣٣ 33 |
कहालीकि यूहन्ना बपतिस्मा देन वालो नहीं रोटी खातो आयो, नहीं अंगूररस पीतो आयो, अऊर तुम कह्य हय, ‘ओको म दुष्ट आत्मा हय।’
ثُمَّ جَاءَ ابْنُ الإِنْسَانِ يَأْكُلُ وَيَشْرَبُ، فَقُلْتُمْ: هَذَا رَجُلٌ شَرِهٌ سِكِّيرٌ، صَدِيقٌ لِجُبَاةِ الضَّرَائِبِ وَالْخَاطِئِينَ؛ | ٣٤ 34 |
मय आदमी को बेटा खातो-पीतो आयो हय, अऊर तुम कह्य हय, ‘देखो, खादाड़ अऊर पियक्कड़ आदमी, कर लेनवालो को अऊर पापियों को संगी।’
وَلكِنَّ الْحِكْمَةَ قَدْ بَرَّرَهَا جَمِيعُ أَبْنَائِهَا». | ٣٥ 35 |
जो लोग परमेश्वर को ज्ञान स्वीकारय हय ऊ ज्ञान सच्चो हय।”
وَلكِنَّ وَاحِداً مِنَ الْفَرِّيسِيِّينَ طَلَبَ إِلَيْهِ أَنْ يَأْكُلَ عِنْدَهُ. فَدَخَلَ بَيْتَ الْفَرِّيسِيِّ وَاتَّكَأَ. | ٣٦ 36 |
फिर कोयी फरीसी न ओको सी बिनती करी कि ऊ ओको संग जेवन करेंन, येकोलायी ऊ उन फरीसी को घर म जाय क जेवन करन बैठ्यो।
وَكَانَ فِي الْمَدِينَةِ امْرَأَةٌ خَاطِئَةٌ، فَمَا إِنْ عَلِمَتْ أَنَّهُ مُتَّكِئٌ فِي بَيْتِ الْفَرِّيسِيِّ، حَتَّى جَاءَتْ تَحْمِلُ قَارُورَةَ عِطْرٍ، | ٣٧ 37 |
ऊ नगर की एक पापिन बाई यो जान क कि ऊ फरीसी को घर म जेवन करन बैठ्यो हय, संगमरमर को बर्तन म अत्तर लायी,
وَوَقَفَتْ مِنْ وَرَائِهِ عِنْدَ قَدَمَيْهِ بَاكِيَةً، وَأَخَذَتْ تَبُلُّ قَدَمَيْهِ بِالدُّمُوعِ وَتَمْسَحُهُمَا بِشَعْرِ رَأْسِهَا، وَتُقَبِّلُ قَدَمَيْهِ بِحَرَارَةٍ وَتَدْهُنُهُمَا بِالْعِطْرِ. | ٣٨ 38 |
अऊर ओको पाय को जवर, पीछू खड़ी होय क, रोवती हुयी ओको पाय क् आसुवों सी गिलो कर क् अऊर अपनो मुंड को बालों सी पोछन लगी, अऊर ओको पाय क् बार-बार चुम्मा ले क ओको पर अत्तर मल्यो।
فَلَمَّا رَأَى الْفَرِّيسِيُّ الَّذِي دَعَاهُ ذلِكَ، حَدَّثَ نَفْسَهُ قَائِلاً: «لَوْ كَانَ هَذَا نَبِيًّا، لَعَلِمَ مَنْ هِيَ هذِهِ الْمَرْأَةُ الَّتِي تَلْمَسُهُ، وَمَا حَالُهَا؛ فَإِنَّهَا خَاطِئَةٌ!» | ٣٩ 39 |
यो देख क ऊ फरीसी जेन ओख बुलायो होतो, अपनो मन म सोचन लग्यो, “यदि यो भविष्यवक्ता होतो त जान लेतो कि या जो ओख छूय रही हय, वा कौन अऊर कसी बाई आय, कहालीकि वा त पापिन आय।”
فَرَدَّ عَلَيْهِ يَسُوعُ قَائِلاً: «يَا سِمْعَانُ، عِنْدِي شَيْءٌ أَقُولُهُ لَكَ». أَجَابَ: «قُلْ يَا مُعَلِّمُ!» | ٤٠ 40 |
यीशु न ओको उत्तर म कह्यो, “हे शिमोन, मोख तोरो सी कुछ कहनो हय।” “ऊ बोल्यो, हे गुरु, कहो।”
فَقَالَ: «كَانَ لأَحَدِ الْمُتَعَامِلِينَ بِالدَّيْنِ، دَيْنٌ عَلَى اثْنَيْنِ: عَلَى أَحَدِهِمَا خَمْسُ مِئَةِ دِينَارٍ، وَعَلَى الآخَرِ خَمْسُونَ. | ٤١ 41 |
“यीशु न कह्यो कोयी महाजन को दोय कर्जदार होतो, एक पर पाच सौ अऊर दूसरों पर पचास चांदी को सिक्का को कर्जा होतो।
وَلكِنْ إِذْ لَمْ يَكُنْ عِنْدَهُمَا مَا يَدْفَعَانِهِ وَفَاءً لِلدَّيْنِ، سَامَحَهُمَا كِلَيْهِمَا. فَأَيُّهُمَا يَكُونُ أَكْثَرَ حُبّاً لَهُ؟» | ٤٢ 42 |
जब उन्को जवर कर्जा पटावन ख कुछ नहीं रह्यो, त ओन दोयी ख माफ कर दियो। येकोलायी उन्म सी कौन ओको सी जादा प्रेम रखेंन?”
فَأَجَابَ سِمْعَانُ: «أَظُنُّ الَّذِي سَامَحَهُ بِالدَّيْنِ الأَكْبَرِ». فَقَالَ لَهُ: «حَكَمْتَ حُكْماً صَحِيحاً!» | ٤٣ 43 |
शिमोन न उत्तर दियो, “मोरी समझ म ऊ, जेको ओन जादा छोड़ दियो।” यीशु न ओको सी कह्यो, “तय न ठीक उत्तर दियो हय।”
ثُمَّ الْتَفَتَ إِلَى الْمَرْأَةِ، وَقَالَ لِسِمْعَانَ: «أَتَرَى هذِهِ الْمَرْأَةَ؟ إِنِّي دَخَلْتُ بَيْتَكَ وَلَمْ تُقَدِّمْ لِي مَاءً لِغَسْلِ قَدَمَيَّ! أَمَّا هِيَ، فَقَدْ غَسَلَتْ قَدَمَيَّ بِالدُّمُوعِ وَمَسَحَتْهُمَا بِشَعْرِهَا. | ٤٤ 44 |
अऊर वा बाई को तरफ घुम क ओन शिमोन सी कह्यो, “का तय या बाई ख देखय हय? मय तोरो घर म आयो पर तय न मोरो पाय धोवन लायी पानी नहीं दियो, पर येन मोरो पाय आसुवों सी गिलो अऊर अपनो बालों सी पोछ्यो।
أَنْتَ لَمْ تُقَبِّلْنِي قُبْلَةً وَاحِدَةً! أَمَّا هِيَ، فَمُنْذُ دُخُولِي لَمْ تَتَوَقَّفْ عَنْ تَقْبِيلِ قَدَمَيَّ. | ٤٥ 45 |
तय न मोरो स्वागत चुम्मा सी नहीं करयो, पर जब सी मय आयो हय तब सी येन मोरो पाय ख चुमनो नहीं छोड़्यो।
أَنْتَ لَمْ تَدْهُنْ رَأْسِي بِزَيْتٍ! أَمَّا هِيَ، فَقَدْ دَهَنَتْ قَدَمَيَّ بِالْعِطْرِ. | ٤٦ 46 |
तय न मोरो मुंड पर तेल नहीं मल्यो, पर येन मोरो पाय पर अत्तर मल्यो हय।
لِهَذَا السَّبَبِ أَقُولُ لَكَ: إِنَّ خَطَايَاهَا الْكَثِيرَةَ قَدْ غُفِرَتْ، لِهَذَا أَحَبَّتْ كَثِيراً. وَلكِنَّ الَّذِي يُغْفَرُ لَهُ الْقَلِيلُ، يُحِبُّ قَلِيلاً!» | ٤٧ 47 |
येकोलायी मय तोरो सी कहू हय कि येको पाप जो बहुत होतो, माफ भयो, कहालीकि येन बहुत प्रेम करी; पर जेको थोड़ो माफ भयो हय, ऊ थोड़ो प्रेम करय हय।”
ثُمَّ قَالَ لَهَا: «مَغْفُورَةٌ لَكِ خَطَايَاكِ!» | ٤٨ 48 |
अऊर यीशु न बाई सी कह्यो, “तोरो पाप माफ भयो।”
فَأَخَذَ الْحَاضِرُونَ يُسَائِلُونَ أَنْفُسَهُمْ: «مَنْ هُوَ هَذَا الَّذِي يَغْفِرُ الْخَطَايَا أَيْضاً؟» | ٤٩ 49 |
तब जो लोग ओको संग जेवन करन बैठ्यो होतो, हि अपनो-अपनो मन म सोचन लग्यो, “यो कौन आय जो पापों ख भी माफ करय हय?”
وَقَالَ لِلْمَرْأَةِ: «إِيمَانُكِ قَدْ خَلَّصَكِ. اذْهَبِي بِسَلامٍ!» | ٥٠ 50 |
पर यीशु न बाई सी कह्यो, “तोरो विश्वास न तोख बचाय लियो हय, शान्ति सी चली जा।”