< لاويّين 3 >

وَإِنْ قَرَّبَ أَحَدٌ ذَبِيحَةَ سَلامٍ مِنْ بَقَرٍ، ثَوْراً أَوْ عِجْلَةً، فَلْيُقَدِّمْ قُرْبَاناً لِلرَّبِّ سَلِيماً مِنْ كُلِّ عَيْبٍ، ١ 1
और अगर उसका हदिया सलामती का ज़बीहा हो और वह गाय बैल में से किसी को अदा करे, तो चाहे वह नर हो या मादा; लेकिन जो बे — 'ऐब हो उसी को वह ख़ुदावन्द के सामने पेश करे।
فَيَضَعُ الْمُقَرِّبُ يَدَهُ عَلَى رَأْسِ تَقْدِمَتِهِ وَيَذْبَحُهَا عِنْدَ بَابِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، ثُمَّ يَرُشُّ أَبْنَاءُ هَرُونَ، الْكَهَنَةُ، الدَّمَ عَلَى جَوَانِبِ الْمَذْبَحِ، الْمُحِيطَةِ بِهِ. ٢ 2
और वह अपना हाथ अपने हदिये के जानवर के सिर पर रख्खे, और ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर उसे ज़बह करे; और हारून के बेटे जो काहिन हैं उसके ख़ून को मज़बह पर चारों तरफ़ छिड़कें।
وَيُحْرِقُ الْكَاهِنُ أَمَامَ الرَّبِّ مِنْ ذَبِيحَةِ السَّلامِ، جَمِيعَ شَحْمِ الأَعْضَاءِ الدَّاخِلِيَّةِ ٣ 3
और वह सलामती के ज़बीहे में से ख़ुदावन्द के लिए आतिशी क़ुर्बानी पेश करे, या'नी जिस चर्बी से अंतड़ियाँ ढकी रहती हैं,
وَالْكُلْيَتَيْنِ وَشَحْمَهُمَا الَّذِي عَلَى الْخَاصِرَتَيْنِ وَالْمَرَارَةَ. ٤ 4
और वह सारी चर्बी जो अंतड़ियों पर लिपटी रहती है, और दोनों गुर्दे और उनके ऊपर की चर्बी जो कमर के पास रहती है, और जिगर पर की झिल्ली गुर्दों के साथ; इन सभों को वह जुदा करे।
فَيُوْقِدُهَا أَبْنَاءُ هَرُونَ عَلَى الْمَذْبَحِ، عَلَى الْمُحْرَقَةِ الَّتِي فَوْقَ حَطَبِ النَّارِ، فَتَكُونُ مُحْرَقَةً وَوَقُودَ رِضًى تَسُرُّ الرَّبَّ. ٥ 5
और हारून के बेटे उन्हें मज़बह पर सोख़्तनी क़ुर्बानी के ऊपर जलाएँ जो उन लकड़ियों पर होगी जो आग के ऊपर हैं; यह ख़ुदावन्द के लिए राहतअंगेज़ ख़ुशबू की अतिशी क़ुर्बानी है।
وَإِنْ قَرَّبَ ذَبِيحَةَ سَلامٍ مِنْ غَنَمٍ، ذَكَراً أَوْ أُنْثَى، فَلْيُقَدِّمْ قُرْبَاناً لِلرَّبِّ سَلِيماً مِنْ كُلِّ عَيْبٍ. ٦ 6
और अगर उसका सलामती के ज़बीहे का हदिया ख़ुदावन्द के लिए भेड़ — बकरी में से हो, तो चाहे नर हो या मादा, लेकिन जो बे — 'ऐब हो उसी को वह अदा करे।
وَإِنْ كَانَ الْقُرْبَانُ مِنَ الضَّأْنِ، فَلْيُقَدِّمْهُ أَمَامَ الرَّبِّ. ٧ 7
अगर वह बर्रा पेश करता हो, तो उसे ख़ुदावन्द के सामने अदा करे,
وَيَضَعُ يَدَهُ عَلَى رَأْسِ تَقْدِمَتِهِ وَيَذْبَحُهَا عِنْدَ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، فَيَرُشُّ أَبْنَاءُ هَرُونَ دَمَهَا عَلَى جَوَانِبِ الْمَذْبَحِ الْمُحِيطَةِ بِهِ. ٨ 8
और अपना हाथ अपने चढ़ावे के जानवर के सिर पर रख्खे, और उसे ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के सामने ज़बह करे; और हारून के बेटे उसके ख़ून को मज़बह पर चारों तरफ़ छिड़कें।
وَيُحْرِقُ الْكَاهِنُ أَمَامَ الرَّبِّ مِنْ ذَبِيحَةِ السَّلامِ شَحْمَهَا، فَيَنْزِعُ كَامِلَ الأَلْيَةِ مِنْ عِنْدِ الْعُصْعُصِ وَجَمِيعَ شَحْمِ الأَعْضَاءِ الدَّاخِلِيَّةِ ٩ 9
और वह सलामती के ज़बीहे में से ख़ुदावन्द के लिए अतिशी क़ुर्बानी पेश करे; या'नी उसकी पूरी चर्बी भरी दुम को वह रीढ़ के पास से अलग करे, और जिस चर्बी से अंतड़ियाँ ढकी रहती हैं, और वह सारी चर्बी जो अंतड़ियों पर लिपटी रहती है,
وَالْكُلْيَتَيْنِ وَشَحْمَهُمَا الَّذِي عَلَى الْخَاصِرَتَيْنِ، وَالْمَرَارَةَ، ١٠ 10
और दोनों गुर्दे और उनके ऊपर की चर्बी जो कमर के पास रहती है, और जिगर पर की झिल्ली गुर्दों के साथ; इन सभों को वह अलग करे।
وَيُحْرِقُهَا الْكَاهِنُ عَلَى الْمَذْبَحِ طَعَامَ وَقُودٍ لِلرَّبِّ. ١١ 11
और काहिन इन्हें मज़बह पर जलाए; यह उस अतिशी क़ुर्बानी की ग़िज़ा है जो ख़ुदावन्द को पेश की जाती है।
وَإِنْ كَانَ قُرْبَانُهُ مِنَ الْمَعَزِ فَلْيُقَدِّمْهُ أَمَامَ الرَّبِّ، ١٢ 12
“और अगर वह बकरा या बकरी पेश करता हो, तो उसे ख़ुदावन्द के सामने अदा करे।
فَيَضَعُ يَدَهُ عَلَى رَأْسِ تَقْدِمَتِهِ وَيَذْبَحُهَا عِنْدَ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، فَيَرُشُّ أَبْنَاءُ هَرُونَ دَمَهَا عَلَى جَوَانِبِ الْمَذْبَحِ الْمُحِيطَةِ بِهِ. ١٣ 13
और वह अपना हाथ उसके सिर पर रख्खे, और उसे ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के सामने ज़बह करे; और हारून के बेटे उसके ख़ून को मज़बह पर चारों तरफ़ छिड़कें।
وَيُحْرِقُ الْكَاهِنُ أَمَامَ الرَّبِّ مِنْ ذَبِيحَتِهِ جَمِيعَ شَحْمِ الأَعْضَاءِ الدَّاخِلِيَّةِ، ١٤ 14
और वह उसमें से अपना चढ़ावा अतिशी क़ुर्बानी के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने पेश करे; या'नी जिस चर्बी से अंतड़ियाँ ढकी रहती हैं, और वह सब चर्बी जो अंतड़ियों पर लिपटी रहती है,
وَيَنْزِعُ كَذَلِكَ الْكُلْيَتَيْنِ وَشَحْمَهُمَا الَّذِي عَلَى الْخَاصِرَتَيْنِ وَالْمَرَارَةَ. ١٥ 15
और दोनों गुर्दे और उनके ऊपर की चर्बी जो कमर के पास रहती है, और जिगर पर की झिल्ली गुर्दों के साथ, इन सभों को वह अलग करे।
وَيُحْرِقُهَا الْكَاهِنُ عَلَى الْمَذْبَحِ طَعَامَ وَقُودِ رِضًى وَسُرُورٍ، فَيَكُونُ كُلُّ الشَّحْمِ لِلرَّبِّ. ١٦ 16
और काहिन इनको मज़बह पर जलाए; यह उस अतिशीन क़ुर्बानी की ग़िज़ा है, जो राहतअंगेज़ ख़ुशबू के लिए होती है; सारी चर्बी ख़ुदावन्द की है।
لَا تَأْكُلُوا الشَّحْمَ وَلا الدَّمَ. هَذَا فَرْضٌ دَائِمٌ عَلَيْكُمْ حَيْثُ تُقِيمُونَ، جِيلاً بَعْدَ جِيلٍ». ١٧ 17
यह तुम्हारी सब सुकूनतगाहों में नसल — दर — नसल एक हमेशा का क़ानून रहेगा, कि तुम चर्बी या ख़ून मुतलक़ न खाओ।”

< لاويّين 3 >