< لاويّين 17 >

وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى: ١ 1
याहवेह ने मोशेह को यह आज्ञा दी:
«قُلْ لِهَرُونَ وَأَبْنَائِهِ وَسَائِرِ بَنِي إِسْرَائِيلَ: إِلَيْكُمْ مَا أَوْصَى بِهِ الرَّبُّ: ٢ 2
“अहरोन, उसके पुत्रों तथा इस्राएल वंशजों को यह संदेश दो, ‘यह वह आदेश है, जो याहवेह के द्वारा निकाला गया है:
أَيُّ إِسْرَائِيلِيٍّ يَذْبَحُ قُرْبَاناً بَقَراً أَوْ غَنَماً أَوْ مِعْزَى فِي الْمُخَيَّمِ أَوْ خَارِجَ الْمُخَيَّمِ، ٣ 3
इस्राएल वंशजों में से कोई भी पुरुष, जो किसी बछड़े, मेमने अथवा किसी बकरे का वध छावनी के भीतर अथवा छावनी के बाहर करे,
وَلَيْسَ عِنْدَ مَدْخَلِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ حَيْثُ يَتَوَجَّبُ عَلَيْهِ تَقْدِيمُهُ أَمَامَ مَسْكَنِ الرَّبِّ، يُعْتَبَرُ قَاتِلاً قَدْ سَفَكَ دَماً، وَيَجِبُ أَنْ يُسْتَأْصَلَ ذَلِكَ الإِنْسَانُ مِنْ بَيْنِ شَعْبِهِ، ٤ 4
और वह इसे मिलनवाले तंबू के द्वार पर याहवेह के तंबू के सामने याहवेह के लिए बलि के रूप में भेंट करने के लिए न लाए, तो उस व्यक्ति को हत्या का आरोपी माना जाएगा. उस व्यक्ति ने लहू बहाया है और उस व्यक्ति को प्रजा से बाहर निकाल दिया जाए.
وَذَلِكَ لِكَيْ يَأْتِيَ بَنُو إِسْرَائِيلَ بِذَبَائِحِهِمِ الَّتِي يَذْبَحُونَهَا فِي خَلاءِ الصَّحْرَاءِ وَيُقَدِّمُوهَا لِلرَّبِّ عِنْدَ مَدْخَلِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، عَلَى يَدِ الْكَاهِنِ، وَيُقَرِّبُوهَا ذَبَائِحَ سَلامٍ لِلرَّبِّ. ٥ 5
ऐसा करने का कारण यह है कि इस्राएल वंशज उनकी वे बलियां, जिनका बलिदान वे खुले मैदान में कर रहे थे, इन बलियों को पुरोहित के पास मिलनवाले तंबू के द्वार पर याहवेह के सामने लाकर उन्हें याहवेह को मेल बलि के रूप में भेंट करें.
فَيَرُشُّ الْكَاهِنُ دَمَ الذَّبِيحَةِ عَلَى مَذْبَحِ الرَّبِّ، عِنْدَ مَدْخَلِ خَيْمَةِ الْاجْتِمَاعِ، وَيُحْرِقُ الشَّحْمَ لِيَحْظَى بِرِضَى الرَّبِّ وَسُرُورِهِ. ٦ 6
पुरोहित लहू को मिलनवाले तंबू के द्वार पर स्थित याहवेह की वेदी पर छिड़क दे और चर्बी को सुखद-सुगंध के रूप में आग में जलाकर याहवेह को भेंट कर दे.
وَلا يَذْبَحُوا ذَبَائِحَهُمْ فِي الْخَلاءِ كَمُحْرَقَاتٍ لأَوْثَانِ التُّيُوسِ الَّتِي يَغْوُونَ وَرَاءَهَا فَتَكُونُ لَهُمْ هَذِهِ فَرِيضَةً دَائِمَةً جِيلاً بَعْدَ جِيلٍ. ٧ 7
अब इसके बाद वे अपना बलि बकरा-देवता को भेंट न किया करें, जिनका यह काम व्यभिचार के समान था. यह उनके लिए तथा उनकी सारी पीढ़ियों के लिए सदा की एक विधि होगी.’
وَتَقُولُ لَهُمْ: أَيُّ إِسْرَائِيلِيٍّ، أَوْ غَرِيبٍ مِنَ الْغُرَبَاءِ الْمُقِيمِينَ فِي وَسَطِكُمْ، يُصْعِدُ مُحْرَقَةً أَوْ ذَبِيحَةً، ٨ 8
“तुम उन्हें यह संदेश देना, ‘इस्राएल वंशजों में से, अथवा विदेशियों में से यदि कोई व्यक्ति, जो उनके बीच में रहते हैं, बलि अथवा होमबलि भेंट करें,
وَلا يَأْتِي بِها إِلَى مَدْخَلِ خَيْمَةِ الاِجْتِمَاعِ، وَلا يُقَدِّمُهَا لِلرَّبِّ يُسْتَأْصَلُ مِنْ بَيْنِ شَعْبِهِ. ٩ 9
और उसे मिलनवाले तंबू के द्वार पर याहवेह के लिए भेंट करने के लिए न लाए, तो उस व्यक्ति को भी प्रजा से बाहर निकाल दिया जाए.
وَأَيُّ إِسْرَائِيلِيٍّ أَوْ غَرِيبٍ مِنَ الْمُقِيمِينَ فِي وَسَطِكُمْ، يَأْكُلُ دَماً، أَنْقَلِبُ عَلَيْهِ وَأَسْتَأْصِلُهُ مِنْ بَيْنِكُمْ. ١٠ 10
“‘इस्राएल वंशजों में से अथवा विदेशियों में से कोई व्यक्ति, जो उनके बीच में रहता है, तथा लहू को खाता हो, मैं उस व्यक्ति के विरुद्ध हो जाऊंगा, जिसने लहू को खाया है, तथा उसे प्रजा से बाहर कर दूंगा,
لأَنَّ حَيَاةَ الْجَسَدِ هِيَ فِي الدَّمِ. لِهَذَا وَهَبْتُكُمْ إِيَّاهُ لِتُكَفِّرُوا عَنْ نُفُوسِكُمْ، لأَنَّ الدَّمَ يُكَفِّرُ عَنِ النَّفْسِ. ١١ 11
क्योंकि देह का जीवन लहू में रहता है और मैंने तुम्हें यह इसलिये दिया है कि, तुम इसके द्वारा वेदी पर प्रायश्चित पूरा कर सको.’
لِذَلِكَ أَوْصَيْتُ بَنِي إِسْرَائِيلَ أَلّا يَأْكُلُوا دَماً، وَكَذَلِكَ لَا يَأْكُلُهُ الْغَرِيبُ الْمُقِيمُ فِي وَسَطِكُمْ. ١٢ 12
अतःएव, मैंने इस्राएल वंशजों को यह आदेश दिया, ‘न तुममें से कोई, और न ही कोई विदेशी, जो तुम्हारे बीच में रहता है, लहू को खाए.’
أَيُّ إِسْرَائِيلِيٍّ، أَوْ غَرِيبٍ مُقِيمٍ فِي وَسَطِكُمْ، يَقْتَنِصُ حَيَوَاناً أَوْ طَيْراً مُحَلَّلاً أَكْلُهُ، يَسْفِكُ دَمَهَ وَيُغَطِّيهِ بِالتُّرَابِ، ١٣ 13
“इस्राएल वंशजों में से अथवा विदेशियों में से किसी व्यक्ति के हाथ में, जो उनके बीच में रहते हैं, यदि शिकार में कोई खाने योग्य पक्षी अथवा खाने योग्य पशु आ जाए, तो वह उसके लहू को बह जाने दे, तथा इस लहू को धूलि से ढांक दे.
لأَنَّ حَيَاةَ كُلِّ مَخْلُوقٍ هِيَ دَمُهُ، وَلِهَذَا أَوْصَيْتُ بَنِي إِسْرَائِيلَ أَلّا يَأْكُلُوا دَمَ جَسَدٍ مَا، لأَنَّ حَيَاةَ كُلِّ جَسَدٍ هِيَ دَمُهُ، وَكُلُّ مَنْ يَأْكُلُ مِنْهُ يُسْتَأْصَلُ. ١٤ 14
क्योंकि सभी प्राणियों की देह का जीवन लहू में रहता है. इसलिए मैंने इस्राएल वंशजों को यह आदेश दिया है, ‘यह ज़रूरी है कि तुम किसी भी देह के लहू को न खाया करो, क्योंकि देह का जीवन लहू में ही रहता है; उसे, जो इसको खाएगा, वह बाहर कर दिया जाएगा.’
أَيُّ إِنْسَانٍ، سَوَاءٌ كَانَ مُوَاطِناً أَمْ غَرِيباً، يَأْكُلُ مِنْ جِيفَةٍ أَوْ فَرِيسَةٍ، عَلَيْهِ أَنْ يَغْسِلَ ثِيَابَهُ وَيَسْتَحِمَّ بِمَاءٍ، وَيَبْقَى نَجِساً إِلَى الْمَسَاءِ، ثُمَّ يُصْبِحُ طَاهِراً. ١٥ 15
“‘यदि कोई व्यक्ति, स्वदेशी अथवा विदेशी, उस पशु को खा ले, जिसे वन्य पशुओं द्वारा फाड़ डाला गया हो, तो वह अपने वस्त्रों को धोकर, स्‍नान करे, वह शाम तक अशुद्ध रहेगा; इसके बाद वह शुद्ध हो जाएगा.
وَلَكِنْ إِنْ لَمْ يَغْسِلْ ثِيَابَهُ وَلَمْ يَسْتَحِمَّ يَتَحَمَّلْ عِقَابَ ذَنْبِهِ». ١٦ 16
किंतु यदि वह उनको न ही धोता और न ही स्‍नान करता है, तो वह अपने दोष का भार स्वयं उठाएगा.’”

< لاويّين 17 >