< قُضاة 21 >

وَأَقْسَمَ رِجَالُ إِسْرَائِيلَ فِي الْمِصْفَاةِ أَلّا يُزَوِّجَ أَحَدٌ مِنْهُمُ ابْنَتَهُ لأَيِّ رَجُلٍ مِنْ سِبْطِ بِنْيَامِينَ. ١ 1
इस्राएली पुरुषों ने मिस्पा में शपथ खाकर कहा था, “हम में कोई अपनी बेटी का किसी बिन्यामीनी से विवाह नहीं करेगा।”
فَاجتَمَعُوا فِي بَيْتِ إِيلَ وَمَثَلُوا أَمَامَ الرَّبِّ بَاكِينَ بِمَرَارَةٍ حَتَّى الْمَسَاءِ، ٢ 2
वे बेतेल को जाकर साँझ तक परमेश्वर के सामने बैठे रहे, और फूट फूटकर बहुत रोते रहे।
قَائِلِينَ: «لِمَاذَا يَا رَبُّ إِلَهَ إِسْرَائِيلَ قَدْ حَدَثَتْ هَذِهِ الْكَارِثَةُ فِي إِسْرَائِيلَ حَتَّى يَفْنَى أَحَدُ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ؟» ٣ 3
और कहते थे, “हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा, इस्राएल में ऐसा क्यों होने पाया, कि आज इस्राएल में एक गोत्र की घटी हुई है?”
وَبَكَّرَ الْقَوْمُ فِي صَبَاحِ الْيَوْمِ التَّالِي وَبَنَوْا هُنَاكَ مَذْبَحاً قَدَّمُوا عَلَيْهِ مُحْرَقَاتٍ وَذَبَائِحَ سَلامٍ. ٤ 4
फिर दूसरे दिन उन्होंने सवेरे उठ वहाँ वेदी बनाकर होमबलि और मेलबलि चढ़ाए।
وَقَالَ بَنُو إِسْرَائِيلَ: «هَلْ تَغَيَّبَ أَحَدٌ مِنْ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ عَنْ حُضُورِ اجْتِمَاعِنَا أَمَامَ الرَّبِّ فِي الْمِصْفَاةِ، لأَنَّنَا أَقْسَمْنَا يَمِيناً مُغْلَظَةً أَنْ نَقْتُلَ كُلَّ مَنْ تَغَيَّبَ عَنِ الْحُضُورِ؟» ٥ 5
तब इस्राएली पूछने लगे, “इस्राएल के सारे गोत्रों में से कौन है जो यहोवा के पास सभा में नहीं आया था?” उन्होंने तो भारी शपथ खाकर कहा था, “जो कोई मिस्पा को यहोवा के पास न आए वह निश्चय मार डाला जाएगा।”
وَاعْتَرَى النَّدَمُ بَنِي إِسْرَائِيلَ عَلَى إِخْوَتِهِمْ بَنِي بِنْيَامِينَ قَائِلِينَ: «قَدِ انْقَرَضَ الْيَوْمَ أَحَدُ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ ٦ 6
तब इस्राएली अपने भाई बिन्यामीन के विषय में यह कहकर पछताने लगे, “आज इस्राएल में से एक गोत्र कट गया है।
فَمَاذَا نَعْمَلُ لِلْبَقِيَّةِ الْبَاقِيَةِ مِنْهُمْ لِنُزَوِّجَهُمْ، وَقَدْ حَلَفْنَا نَحْنُ بِالرَّبِّ أَلّا نُعْطِيَهُمْ بَنَاتِنَا؟». ٧ 7
हमने जो यहोवा की शपथ खाकर कहा है, कि हम उनसे अपनी किसी बेटी का विवाह नहीं करेंगे, इसलिए बचे हुओं को स्त्रियाँ मिलने के लिये क्या करें?”
وَتَسَاءَلُوا: «أَيُّ سِبْطٍ مِنْ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ لَمْ يَصْعَدْ لِلْمُثُولِ أَمَامَ الرَّبِّ فِي الْمِصْفَاةِ؟» وَتَبَيَّنُوا أَنَّ أَحَداً مِنْ يَابِيشَ جِلْعَادَ لَمْ يَحْضُرْ، ٨ 8
जब उन्होंने यह पूछा, “इस्राएल के गोत्रों में से कौन है जो मिस्पा को यहोवा के पास न आया था?” तब यह मालूम हुआ, कि गिलादी याबेश से कोई छावनी में सभा को न आया था।
لأَنَّهُمْ حِينَ أَحْصَوْا الشَّعْبَ وَجَدُوا أَنَّ أَهْلَ يَابِيشَ جِلْعَادَ جَمِيعَهُمْ قَدْ تَخَلَّفُوا عَنِ الْحُضُورِ. ٩ 9
अर्थात् जब लोगों की गिनती की गई, तब यह जाना गया कि गिलादी याबेश के निवासियों में से कोई यहाँ नहीं है।
فَأَرْسَلَتِ الْجَمَاعَةُ حَمْلَةً مِنِ اثْنَيْ عَشَرَ أَلْفَ رَجُلٍ مِنْ جَبَابِرَةِ الْقِتَالِ وَأَوْصَوْهُمْ قَائِلِينَ: «انْطَلِقُوا وَاقْضُوا عَلَى أَهْلِ يَابِيشَ جِلْعَادَ بَحَدِّ السَّيْفِ رِجَالاً وَنِسَاءً وَأَطْفَالاً. ١٠ 10
१०इसलिए मण्डली ने बारह हजार शूरवीरों को वहाँ यह आज्ञा देकर भेज दिया, “तुम जाकर स्त्रियों और बाल-बच्चों समेत गिलादी याबेश को तलवार से नाश करो।
اقْتُلُوا كُلَّ ذَكَرٍ وَكُلَّ امْرَأَةٍ عَاشَرَتْ رَجُلاً». ١١ 11
११और तुम्हें जो करना होगा वह यह है, कि सब पुरुषों को और जितनी स्त्रियों ने पुरुष का मुँह देखा हो उनका सत्यानाश कर डालना।”
فَوَجَدُوا بَيْنَ أَهْلِ يَابِيشَ جِلْعَادَ أَرْبَعَ مِئَةِ فَتَاةٍ عَذْرَاءَ فَقَطْ لَمْ يُضَاجِعْنَ رَجُلاً، فَجَاءُوا بِهِنَّ إِلَى الْمُخَيَّمِ إِلَى شِيلُوهَ الَّتِي فِي أَرْضِ كَنْعَانَ. ١٢ 12
१२और उन्हें गिलादी याबेश के निवासियों में से चार सौ जवान कुमारियाँ मिलीं जिन्होंने पुरुष का मुँह नहीं देखा था; और उन्हें वे शीलो को जो कनान देश में है छावनी में ले आए।
وَبَعَثَتِ الْجَمَاعَةُ كُلُّهَا بِوَفْدٍ وَخَاطَبَتْ أَبْنَاءَ بِنْيَامِينَ الْمُعْتَصِمِينَ فِي صَخْرَةِ رِمُّونَ وَاسْتَدْعَتْهُمْ لِلصُّلْحِ. ١٣ 13
१३तब सारी मण्डली ने उन बिन्यामीनियों के पास जो रिम्मोन नामक चट्टान पर थे कहला भेजा, और उनसे संधि की घोषणा की।
فَرَجَعَ الْبَنْيَامِينِيُّونَ آنَئِذٍ، فَأَعْطَوْهُمُ الْفَتَيَاتِ اللَّوَاتِي اسْتَحْيَوْهُنَّ مِنْ بَنَاتِ يَابِيشَ جِلْعَادَ فَلَمْ يَكْفِينَهُمْ ١٤ 14
१४तब बिन्यामीन उसी समय लौट गए; और उनको वे स्त्रियाँ दी गईं जो गिलादी याबेश की स्त्रियों में से जीवित छोड़ी गईं थीं; तो भी वे उनके लिये थोड़ी थीं।
وَانْتَابَ النَّدَمُ الشَّعْبَ مِنْ أَجْلِ مَا جَرَى لِبَنْيَامِينَ، لأَنَّ الرَّبَّ جَعَلَ ثُغْرَةً فِي أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ. ١٥ 15
१५तब लोग बिन्यामीन के विषय फिर यह कहकर पछताये, कि यहोवा ने इस्राएल के गोत्रों में घटी की है।
فَقَالَ شُيُوخُ الْجَمَاعَةِ: «كَيْفَ نَحْصُلُ عَلَى زَوْجَاتٍ لِرِجَالِ بِنْيَامِينَ الْبَاقِينَ بَعْدَ أَنِ انْقَرَضَتِ النِّسَاءُ مِنْ سِبْطِهِمْ، ١٦ 16
१६तब मण्डली के वृद्ध लोगों ने कहा, “बिन्यामीनी स्त्रियाँ नाश हुई हैं, तो बचे हुए पुरुषों के लिये स्त्री पाने का हम क्या उपाय करें?”
إِذْ يَجِبُ أَنْ يَكُونَ وَرَثَةٌ لِلنَّاجِينَ مِنْ بَنِي بِنْيَامِينَ، فَلا يَنْقَرِضُ سِبْطٌ مِنْ إِسْرَائِيلَ، ١٧ 17
१७फिर उन्होंने कहा, “बचे हुए बिन्यामीनियों के लिये कोई भाग चाहिये, ऐसा न हो कि इस्राएल में से एक गोत्र मिट जाए।
لأَنَّنَا نَحْنُ لَا نَقْدِرُ أَنْ نُزَوِّجَهُمْ مِنْ بَنَاتِنَا بَعْدَ أَنْ أَقْسَمْنَا قَائِلِينَ:’مَلْعُونٌ مَنْ يُزَوِّجُ امْرَأَةً لِرَجُلٍ بِنْيَامِينِيٍّ‘». ١٨ 18
१८परन्तु हम तो अपनी किसी बेटी का उनसे विवाह नहीं कर सकते, क्योंकि इस्राएलियों ने यह कहकर शपथ खाई है कि श्रापित हो वह जो किसी बिन्यामीनी से अपनी लड़की का विवाह करें।”
ثُمَّ قَالُوا: «هُنَاكَ احْتِفَالٌ سَنَوِيٌّ فِي شِيلُوهَ شِمَالِيَّ بَيْتِ إِيلَ شَرْقِيَّ الطَّرِيقِ الْمُتَّجِهَةِ مِنْ بَيْتِ إِيلَ إِلَى شَكِيمَ وَجَنُوبِيَّ لَبُونَةَ. ١٩ 19
१९फिर उन्होंने कहा, “सुनो, शीलो जो बेतेल के उत्तर की ओर, और उस सड़क के पूर्व की ओर है जो बेतेल से शेकेम को चली गई है, और लबोना के दक्षिण की ओर है, उसमें प्रतिवर्ष यहोवा का एक पर्व माना जाता है।”
فَأَوْصَوْا بَنِي بِنْيَامِينَ قَائِلِينَ: انْطَلِقُوا إِلَى الْكُرُومِ وَاكْمِنُوا فِيهَا. ٢٠ 20
२०इसलिए उन्होंने बिन्यामीनियों को यह आज्ञा दी, “तुम जाकर दाख की बारियों के बीच घात लगाए बैठे रहो,
وَانْتَظِرُوا حَتَّى إِذَا خَرَجَتْ بَنَاتُ شِيلُوهَ لِلرَّقْصِ فَانْدَفِعُوا أَنْتُمْ نَحْوَهُنَّ، وَاخْطِفُوا لأَنْفُسِكُمْ كُلُّ وَاحِدٍ امْرَأَةً وَاهْرُبُوا بِهِنَّ إِلَى أَرْضِ بِنْيَامِينَ. ٢١ 21
२१और देखते रहो; और यदि शीलो की लड़कियाँ नाचने को निकलें, तो तुम दाख की बारियों से निकलकर शीलो की लड़कियों में से अपनी-अपनी स्त्री को पकड़कर बिन्यामीन के क्षेत्र को चले जाना।
فَإِذَا جَاءَ آبَاؤُهُنَّ أَوْ إِخْوَتُهُنَّ لِكَيْ يَشْكُوا إِلَيْنَا نُجِيبُهُمْ: تَعَطَّفُوا عَلَيْهِمْ مِنْ أَجْلِنَا، لأَنَّنَا لَمْ نَحْصُلْ عَلَى زَوْجَةٍ لِكُلِّ وَاحِدٍ مِنْهُمْ فِي حَرْبِنَا مَعَ أَهْلِ يَابِيشَ جِلْعَادَ، وَأَنْتُمْ لَمْ تُزَوِّجُوهُمْ مِنْ بَنَاتِكُمْ عَنْ طِيبِ خَاطِرٍ فَتَأْثَمُوا». ٢٢ 22
२२और जब उनके पिता या भाई हमारे पास झगड़ने को आएँगे, तब हम उनसे कहेंगे, ‘अनुग्रह करके उनको हमें दे दो, क्योंकि लड़ाई के समय हमने उनमें से एक-एक के लिये स्त्री नहीं बचाई; और तुम लोगों ने तो उनका विवाह नहीं किया, नहीं तो तुम अब दोषी ठहरते।’”
وَهَكَذَا صَنَعَ رِجَالُ بِنْيَامِينَ، فَقَدِ اخْتَطَفُوا الْعَدَدَ الْكَافِي مِنَ الرَّاقِصَاتِ وَتَزَوَّجُوا مِنْهُنَّ، وَرَجَعُوا إِلَى دِيَارِهِمْ وَعَمَّرُوا الْمُدُنَ وَأَقَامُوا فِيهَا. ٢٣ 23
२३तब बिन्यामीनियों ने ऐसा ही किया, अर्थात् उन्होंने अपनी गिनती के अनुसार उन नाचनेवालियों में से पकड़कर स्त्रियाँ ले लीं; तब अपने भाग को लौट गए, और नगरों को बसाकर उनमें रहने लगे।
ثُمَّ انْطَلَقَ بَنُو إِسْرَائِيلَ، مُنْذُ ذَلِكَ الْوَقْتِ، كُلُّ وَاحِدٍ إِلَى سِبْطِهِ وَعَشِيرَتِهِ، عَائِدِينَ إِلَى أَرْضِ مِيرَاثِهِمْ. ٢٤ 24
२४उसी समय इस्राएली भी वहाँ से चलकर अपने-अपने गोत्र और अपने-अपने घराने को गए, और वहाँ से वे अपने-अपने निज भाग को गए।
فِي تِلْكَ الأَيَّامِ لَمْ يَكُنْ مَلِكٌ عَلَى إِسْرَائِيلَ، فَكَانَ كُلُّ وَاحِدٍ يَعْمَلُ مَا حَسُنَ فِي عَيْنَيْهِ. ٢٥ 25
२५उन दिनों में इस्राएलियों का कोई राजा न था; जिसको जो ठीक जान पड़ता था वही वह करता था।

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