< قُضاة 16 >
وَذَاتَ يَوْمٍ ذَهَبَ شَمْشُونُ إِلَى غَزَّةَ حَيْثُ الْتَقَى بِامْرَأَةٍ عَاهِرَةٍ فَدَخَلَ إِلَيْهَا. | ١ 1 |
जब शिमशोन अज्जाह गया हुआ था, वहां उसकी नज़र एक वेश्या पर पड़ी, उसने उसके साथ संबंध बनाए.
فَقِيلَ لأَهْلِ غَزَّةَ: «قَدْ جَاءَ شَمْشُونُ إِلَى هُنَا». فَحَاصَرُوا الْمَنْزِلَ وَكَمَنُوا لَهُ اللَّيْلَ كُلَّهُ عِنْدَ بَوَّابَةِ الْمَدِينَةِ، وَاعْتَصَمُوا بِالْهُدُوءِ فِي أَثْنَاءِ اللَّيْلِ قَائِلِينَ: «عِنْدَ بُزُوغِ الصَّبَاحِ نَقْتُلُهُ». | ٢ 2 |
अज्जावासियों को बताया गया: “शिमशोन यहां आया हुआ है.” यह सुन उन्होंने उस स्थान को घेर लिया और सारी रात नगर के फाटक पर घात लगाए बैठे रहे. सारी रात वे चुपचाप रहे. उनकी योजना थी: “हम सुबह होने का इंतजार करेंगे, और भोर में हम उसकी हत्या कर देंगे.”
وَظَلَّ شَمْشُونُ رَاقِداً حَتَّى مُنْتَصَفِ اللَّيْلِ، ثُمَّ هَبَّ وَخَلَعَ مِصْرَاعَيْ بَوَّابَةِ الْمَدِينَةِ بِقَائِمَتَيْهَا وَقُفْلِهَا، وَوَضَعَهَا عَلَى كَتِفَيْهِ وَصَعِدَ بِها إِلَى قِمَّةِ الْجَبَلِ مُقَابِلَ حَبْرُونَ. | ٣ 3 |
शिमशोन आधी रात तक सोता रहा, फिर वह उठा, नगर द्वार के पल्लों को तथा दोनों मीनारों को पकड़ा, उन्हें उनकी छड़ों सहित उखाड़कर अपने कंधों पर रखा और उन्हें उस पहाड़ की चोटी पर ले गया, जो हेब्रोन के सामने है.
وَبَعْدَ ذَلِكَ وَقَعَ شَمْشُونُ فِي حُبِّ امْرَأَةٍ فِي وَادِي سُورَقَ اسْمُهَا دَلِيلَةُ، | ٤ 4 |
इसके बाद, कुछ समय में उसे सोरेक घाटी की एक स्त्री से प्रेम हो गया, जिसका नाम दलीलाह था.
فَجَاءَ إِلَيْهَا أَقْطَابُ الْفِلِسْطِينِيِّينَ وَقَالُوا لَهَا: «تَمَلَّقِي شَمْشُونَ إِلَى أَنْ تَكْتَشِفِي مِنْهُ سِرَّ قُوَّتِهِ الْعَظِيمَةِ، وَكَيْفَ يُمْكِنُنَا أَنْ نَتَغَلَّبَ عَلَيْهِ وَنُوْثِقَهُ فَنُذِلَّهُ فَيُكَافِئَكَ كُلُّ وَاحِدٍ مِنَّا بِأَلْفٍ وَمِئَةِ شَاقِلٍ مِنَ الْفِضَّةِ (نَحْوَ مِئَةٍ وَاثْنَيْنِ وَثلاثِينَ كِيلُو جِرَاماً)». | ٥ 5 |
फिलिस्तीनी के प्रधान दलीलाह से भेंटकरने आए और उसे आज्ञा दी, “उसे फुसला कर यह मालूम करो कि उसकी इस महान शक्ति का राज़ क्या है, और यह भी कि उसे कैसे बांधा जा सकता है, ताकि उसे वश में किया जाए. यह होने पर हमसे हर एक तुम्हें ग्यारह सौ चांदी के सिक्के देगा.”
فَقَالَتْ دَلِيلَةُ لِشَمْشُونَ: «أَخْبِرْنِي مَا هُوَ سِرُّ قُوَّتِكَ الْعَظِيمَةِ وَكَيْفَ يَتَسَنَّى تَقْيِيدُكَ وَإِذْلالُكَ» | ٦ 6 |
दलीलाह ने शिमशोन से पूछा, “कृपया मुझे बताइए, आपकी महान शक्ति का राज़ क्या है, आपको दबाने के लिए किस प्रकार बांधा जा सकता है?”
فَأَجَابَهَا شَمْشُونُ: «إِذَا أَوْثَقُونِي بِسَبْعَةِ أَوْتَارٍ طَرِيَّةٍ لَمْ تَجِفَّ بَعْدُ، أُصْبِحُ ضَعِيفاً كَأَيِّ وَاحِدٍ مِنَ النَّاسِ». | ٧ 7 |
शिमशोन ने उसे उत्तर दिया, “यदि वे मुझे सात ऐसी तांतों से बांध दें, जिन्हें सुखाया नहीं गया है, तो मैं निर्बल हो जाऊंगा—किसी भी दूसरे मनुष्य के समान साधारण.”
فَأَحْضَرَ لَهَا أَقْطَابُ الْفِلِسْطِينِيِّينَ سَبْعَةَ أَوْتَارٍ طَرِيَّةٍ لَمْ تَجِفَّ بَعْدُ، فَأَوْثَقَتْهُ بِها. | ٨ 8 |
फिलिस्तीनी प्रधानों ने सात नई तांतें लाकर दलीलाह को दे दी, जो सुखाई नहीं गई थी. दलीलाह ने शिमशोन को इनसे बांध दिया.
وَكَانَ الْكَمِينُ مُتَرَبِّصاً بِهِ فِي حُجْرَتِهَا، فَقَالَتْ لَهُ: «الْفِلِسْطِينِيُّونَ قَادِمُونَ عَلَيْكَ يَا شَمْشُونُ». فَقَطَعَ الأَوْتَارَ وَكَأَنَّهَا خُيُوطٌ شَيَّطَتْهَا النَّارُ، وَلَمْ يُكْتَشَفْ سِرُّ قُوَّتِهِ. | ٩ 9 |
उसने एक कमरे में कुछ व्यक्ति घात में बैठा रखे थे. वह चिल्लाई, “शिमशोन, फिलिस्तीनी तुम्हें पकड़ने आ रहे हैं!” किंतु शिमशोन ने उन तांतों को ऐसे तोड़ दिया जैसे आग लगते ही धागा टूट जाता है. उसका बल रहस्य ही बना रहा.
فَقَالَتْ لَهُ دَلِيلَةُ: «لَقَدْ خَدَعْتَنِي وَكَذِبْتَ عَلَيَّ. فَأَخْبِرْنِي الآنَ كَيْفَ تُوْثَقُ؟» | ١٠ 10 |
दलीलाह ने शिमशोन से कहा, “देखिए, आपने मेरे साथ छल किया है. आपने झूठ कहा है. कृपया मुझे बताइए कि आपको किस प्रकार बांधा जा सकता है.”
فَأَجَابَهَا: «إِذَا أَوْثَقُونِي بِحِبَالٍ جَدِيدَةٍ، أُصْبِحُ ضَعِيفاً كَأَيِّ وَاحِدٍ مِنَ النَّاسِ». | ١١ 11 |
शिमशोन ने उसे उत्तर दिया, “यदि वे मुझे ऐसी रस्सियों से बांधें, जिनका उपयोग पहले किया नहीं गया है, मैं किसी भी अन्य व्यक्ति के समान निर्बल रह जाऊंगा.”
فَأَخَذَتْ دَلِيلَةُ حِبَالاً جَدِيدَةً وَأَوْثَقَتْهُ بِها، وَقَالَتْ لَهُ: «الْفِلِسْطِينِيُّونَ قَادِمُونَ عَلَيْكَ يَا شَمْشُونُ». وَكَانَ الْكَمِينُ يَتَرَبَّصُ بِهِ فِي الْحُجْرَةِ، فَقَطَعَ الْحِبَالَ عَنْ ذِرَاعَيْهِ وَكَأَنَّهَا خُيُوطٌ. | ١٢ 12 |
तब दलीलाह ने वैसा ही किया. उसने शिमशोन को नई रस्सियों से बांध दिया. यह करने के बाद वह चिल्लाई, “शिमशोन! फिलिस्तीनी तुम्हें पकड़ने आ रहे हैं!” ये लोग कमरे में इसकी प्रतीक्षा ही कर रहे थे. शिमशोन ने अपनी बाहों पर बांधी गई इन रस्सियों को ऐसे तोड़ दिया, मानो उसकी बांहें धागों से बांधी गई हों.
فَقَالَتْ دَلِيلَةُ لِشَمْشُونَ: «أَنْتَ مَازِلْتَ تَكْذِبُ عَلَيَّ وَتَخْدَعُنِي، فَأَخْبِرْنِي بِمَاذَا تُوْثَقُ؟» فَأَجَابَهَا: «إِنْ ضَفَرْتِ خُصْلاتِ شَعْرِي السَّبْعَ بِمِغْزَلٍ وَثَبَّتِّهَا بِوَتَدٍ، فَإِنَّنِي أُصْبِحُ ضَعِيفاً كَأَيِّ وَاحِدٍ مِنَ النَّاسِ». وَبَيْنَمَا كَانَ يَغِطُّ فِي نَوْمٍ عَمِيقٍ ضَفَرَتْ دَلِيلَةُ خُصْلاتِ شَعْرِهِ السَّبْعَ بِمِغْزَلٍ. | ١٣ 13 |
दलीलाह ने शिमशोन से कहा, “अब तक मेरे साथ झूठ और छल ही करते रहे हैं. मुझे बताइए आपको बांधा कैसे जा सकता है.” शिमशोन ने उसे उत्तर दिया, “यदि मेरी सात लटों को बुनकर खूंटी की सहायता से जकड़ दें, तो मैं निर्बल और किसी भी दूसरे व्यक्ति के समान हो जाऊंगा!”
وَثَبَّتَتْهَا بِوَتَدٍ، وَنَادَتْهُ ثَانِيَةً: «الْفِلِسْطِينِيُّونَ قَادِمُونَ عَلَيْكَ يَا شَمْشُونُ» فَانْتَبَهَ مِنْ نَوْمِهِ وَخَلَعَ وَتَدَ النَّسِيجِ مَعَ الْمِغْزَلِ. | ١٤ 14 |
सो जब शिमशोन सो रहा था, दलीलाह ने उसकी सात लटों को वस्त्र में बुन दिया और उन्हें खूंटी में फंसा दिया. फिर वह चिल्लाई, “शिमशोन आपको पकड़ने के लिए फिलिस्तीनी आ रहे हैं!” शिमशोन नींद से जाग उठा और करघे की खूंटी समेत वस्त्र को खींचकर ले गया.
فَقَالَتْ لَهُ: «كَيْفَ تَدَّعِي أَنَّكَ تُحِبُّنِي وَقَلْبُكَ لَا يَثِقُ بِي؟ قَدْ خَدَعْتَنِي ثَلاثَ مَرَّاتٍ وَلَمْ تُطْلِعْنِي عَلَى سِرِّ قُوَّتِكَ الْعَظِيمَةِ». | ١٥ 15 |
तब दलीलाह ने शिमशोन से कहा, “यह कैसे संभव है कि आप मुझसे यह कहें, ‘मुझे तुमसे प्रेम है,’ जब आपका हृदय मेरे प्रति सच्चा ही नहीं है? तीन बार आपने मुझसे छल किया है, और मुझसे यह छिपाए रखा है कि आपकी अपार शक्ति का राज़ क्या है.”
وَظَلَّتْ تُلِحُّ عَلَيْهِ وَتُزْعِجُهُ كُلَّ يَوْمٍ بِمِثْلِ هَذَا الْكَلامِ حَتَّى ضَاقَتْ نَفْسُهُ إِلَى الْمَوْتِ. | ١٦ 16 |
तब वह उसे हर दिन सताने लगी. वह शिमशोन को इतना मजबूर करने लगी कि शिमशोन की नाक में दम आ गया.
فَكَشَفَ لَهَا عَنْ مَكْنُونِ قَلْبِهِ، وَقَالَ لَهَا: «إِنَّنِي نَذِيرُ الرَّبِّ مُنْذُ مَوْلِدِي، لِهَذَا لَمْ أَحْلِقْ شَعْرِي. وَإِنْ حَلَقْتُهُ فَإِنَّ قُوَّتِي تُفَارِقُنِي وَأُصْبِحُ ضَعِيفاً كَأَيِّ وَاحِدٍ مِنَ النَّاسِ». | ١٧ 17 |
सो शिमशोन ने उसके सामने वह सब प्रकट कर दिया, जो उसके हृदय में था. उसने दलीलाह को बताया, “मैं अपनी माता के गर्भ से परमेश्वर के लिए नाज़ीर हूं. मेरे सिर पर कभी भी उस्तरा नहीं लगाया गया है. यदि उस्तरे से मेरे केश साफ़ कर दिए जाएं, तो मैं निर्बल होकर साधारण मनुष्य समान हो जाऊंगा.”
وَلَمَّا أَدْرَكَتْ دَلِيلَةُ أَنَّهُ قَدْ أَسَرَّ لَهَا بِمَكْنُونِ قَلْبِهِ، اسْتَدْعَتْ أَقْطَابَ الْفِلِسْطِينِيِّينَ قَائِلَةً: «تَعَالَوْا هَذِهِ الْمَرَّةَ، فَقَدْ أَطْلَعَنِي عَلَى سِرِّ قُوَّتِهِ». فَأَقْبَلَ عَلَيْهَا أَقْطَابُ الْفِلِسْطِينِيِّينَ حَامِلِينَ مَعَهُمُ الْفِضَّةَ. | ١٨ 18 |
जब दलीलाह को यह अहसास हुआ कि शिमशोन ने उस पर अपने हृदय के सारे राज़ बता दिए हैं, उसने फिलिस्तीनी प्रधानों को यह संदेश देते हुए बुलवा लिया, “एक बार और आ जाइए, क्योंकि उसने मुझे सारा राज़ बता दिया है.” तब फिलिस्तीनी प्रधान उसके पास आए और अपने साथ वे सिक्के भी ले आए.
فَأَضْجَعَتْهُ عَلَى رُكْبَتَيْهَا وَاسْتَدْعَتْ رَجُلاً حَلَقَ لَهُ خُصْلاتِ شَعْرِهِ السَّبْعَ، وَشَرَعَتْ فِي إِذْلالِهِ بَعْدَ أَنْ فَارَقَتْهُ قُوَّتُهُ. | ١٩ 19 |
उसने शिमशोन को अपने घुटनों पर सुला लिया, एक आदमी को बुलवाकर उसकी सात लटों पर उस्तरा चलवा दिया; शक्ति उसमें से जाती रही और दलीलाह उसे अपने वश में करने लगी!
وَقَالَتْ: «الْفِلِسْطِينِيُّونَ قَادِمُونَ عَلَيْكَ يَا شَمْشُونُ» فَاسْتَيْقَظَ مِنْ نَوْمِهِ وَقَالَ: «أَقُومُ مِثْلَ كُلِّ مَرَّةٍ وَأَنْتَفِضُ». وَلَمْ يَعْلَمْ أَنَّ الرَّبَّ قَدْ فَارَقَهُ. | ٢٠ 20 |
वह चिल्लाई, “शिमशोन, फिलिस्तीनी आपको पकड़ने आ रहे हैं!” वह अपनी नींद से जाग उठा. उसने सोचा, “इसके पहले के अवसरों के समान मैं अब भी एक झटके में स्वयं को आज़ाद कर लूंगा.” किंतु उसे यह मालूम ही न था कि याहवेह उसे छोड़ गए हैं.
فَقَبَضَ عَلَيْهِ الْفِلِسْطِينِيُّونَ وَقَلَعُوا عَيْنَيْهِ وَأَخَذُوهُ إِلَى غَزَّةَ حَيْثُ أَوْثَقُوهُ بِسَلاسِلَ نُحَاسِيَّةٍ، وَسَخَّرُوهُ لِيَطْحَنَ الْحُبُوبَ فِي السِّجْنِ. | ٢١ 21 |
फिलिस्तीनी आए और उन्होंने उसे पकड़कर उसकी आंखें निकाल डालीं. वे उसे अज्जाह ले गए और उसे कांसे की बेड़ियों में जकड़ दिया. वह कारागार में चक्की चलाने लगा.
وَمَا لَبِثَ شَعْرُهُ أَنِ ابْتَدَأَ يَنْمُو بَعْدَ أَنْ حُلِقَ. | ٢٢ 22 |
उसके सिर पर उस्तरा फेरे जाने के बाद अब उसके बाल दोबारा बढ़ने लगे.
وَاجْتَمَعَ أَقْطَابُ الْفِلِسْطِينِيِّينَ لِيَحْتَفِلُوا بِتَقْدِيمِ ذَبِيحَةٍ عَظِيمَةٍ لإِلَهِهِمْ دَاجُونَ قَائِلِينَ: «إِنَّ إِلَهَنَا قَدْ أَظْفَرَنَا بِشَمْشُونَ عَدُوِّنَا». | ٢٣ 23 |
फिलिस्तीनी प्रधानों ने अपने देवता दागोन के सम्मान में आनंद उत्सव और विशेष बलि का आयोजन किया. उनका विचार था, “हमारे देवता ने हमारे शत्रु शिमशोन को हमारे हाथों में सौंप दिया है.”
وَلَمَّا شَاهَدَ الشَّعْبُ شَمْشُونَ فِي ذِلَّةٍ، مَجَّدُوا إِلَهَهُم قَائِلِينَ: «قَدْ أَظفَرَنَا إِلَهُنَا بِعَدُوِّنَا الَّذِي خَرَّبَ أَرْضَنَا، وَأَكْثَرَ مِنْ قَتْلانَا». | ٢٤ 24 |
जब लोगों ने शिमशोन को देखा, उन्होंने अपने देवता की स्तुति में कहा, “हमारे देवता ने हमारे शत्रु को हमारे वश में कर दिया है, वह हमारे देश को नाश करता रहा, उसने हमारी प्रजा के बहुतों को मार गिराया है.”
وَإِذْ لَعِبَتْ بِهِمِ النَّشْوَةُ هَتَفُوا: «ادْعُوا شَمْشُونَ لِيُسَلِّيَنَا». فَجَاءُوا بِشَمْشُونَ مِنَ السِّجْنِ فَلَعِبَ أَمَامَهُمْ ثُمَّ أَوْقَفُوهُ بَيْنَ الأَعْمِدَةِ. | ٢٥ 25 |
जब वे इस प्रकार के उल्लास में लीन थे, उन्होंने प्रस्ताव किया, “शिमशोन को बुलवाया जाए कि वह हमारा मनोरंजन करे.” तब उन्होंने कारागार से शिमशोन को बुलवाया और वह उनका मनोरंजन करने लगा. उन्होंने शिमशोन को मीनारों के बीच में खड़ा कर दिया.
فَقَالَ شَمْشُونُ لِلْغُلامِ الَّذِي يَقُودُهُ: «أَوْقِفْنِي حَيْثُ يُمْكِنُنِي أَنْ أَلْمِسَ الأَعْمِدَةَ الَّتِي يَقُومُ عَلَيْهَا الْمَعْبَدُ حَتَّى أَسْتَنِدَ إِلَيْهَا». | ٢٦ 26 |
वहां शिमशोन ने उस बालक से कहा, जो उसे चलाने के लिए उसका हाथ पकड़ा करता था, “मुझे उन मीनारों को छूने दो, जिन पर यह भवन टिका है, कि मैं उनका टेक ले सकूं.”
وَكَانَ الْمَعْبَدُ يَكْتَظُّ بِالرِّجَالِ وَالنِّسَاءِ، فَضْلاً عَنْ أَقْطَابِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ الْخَمْسَةِ. وَكَانَ عَلَى السَّطْحِ نَحْوَ ثَلاثَةِ آلافِ رَجُلٍ وَامْرَأَةٍ يَتَفَرَّجُونَ عَلَى لَعِبِ شَمْشُونَ. | ٢٧ 27 |
इस समय वह भवन स्त्री-पुरुषों से भरा हुआ था, सभी फिलिस्तीनी शासक भी वहीं थे. छत पर लगभग तीन हज़ार स्त्री-पुरुष शिमशोन द्वारा किया जा रहा मनोरंजन का कार्य देख रहे थे.
فَصَلَّى شَمْشُونُ إِلَى الرَّبِّ قَائِلاً: «يَا سَيِّدِي الرَّبُّ، اذْكُرْنِي وَقَوِّنِي هَذِهِ الْمَرَّةَ فَقَطْ لأَنْتَقِمَ مِنَ الْفِلِسْطِينِيِّينَ عَنْ قَلْعِ عَيْنَيَّ بِضَرْبَةٍ وَاحِدَةٍ». | ٢٨ 28 |
जब शिमशोन ने याहवेह की यह दोहाई दी, “प्रभु याहवेह, कृपा कर मुझे याद कीजिए. परमेश्वर, बस एक ही बार मुझे शक्ति दे दीजिए, कि मैं फिलिस्तीनियों से अपनी दोनो आंखों का बदला ले सकूं.”
وَقَبَضَ شَمْشُونُ عَلَى الْعَمُودَيْنِ الْمُتَوَسِّطَيْنِ اللَّذَيْنِ يَرْتَكِزُ عَلَيْهِمَا الْمَعْبَدُ وَضَغَطَ عَلَى أَحَدِهِمَا بِيَمِينِهِ وَعَلَى الآخَرِ بِيَسَارِهِ | ٢٩ 29 |
शिमशोन ने दो बीच के मीनारों को पकड़ लिया, जिन पर पूरा भवन टिका था. उसने उन्हें मजबूती से जकड़ कर उन पर अपना सारा बोझ डाल दिया. उसका दायां हाथ एक खंभे को तथा बायां हाथ दूसरे को पकड़ा हुआ था.
وَهُوَ يَقُولُ: «لأَمُتْ مَعَ الْفِلِسْطِينِيِّينَ». ثُمَّ دَفَعَهُمَا بِكُلِّ قُوَّتِهِ فَانْهَارَ الْمَعْبَدُ عَلَى الأَقْطَابِ وَعَلَى الشَّعْبِ الَّذِي فِيهِ. فَكَانَ الَّذِينَ قَتَلَهُمْ شَمْشُونُ عِنْدَ مَوْتِهِ أَكْثَرَ مِنَ الَّذِينَ قَتَلَهُمْ طَوَالَ حَيَاتِهِ. | ٣٠ 30 |
शिमशोन ने विचार किया, “सही होगा कि मेरी मृत्यु फिलिस्तीनियों के साथ ही हो जाए!” वह अपनी पूरी शक्ति लगाकर झुक गया. तब यह हुआ कि वह भवन, प्रधानों और वहां जमा हुआ लोगों पर आ गिरा. इस प्रकार उनकी गिनती, जिनकी हत्या शिमशोन ने स्वयं अपनी मृत्यु के साथ की थी, उनसे अधिक हो गई, जिनकी हत्या शिमशोन ने अपने जीवन भर में की थी.
وَجَاءَ إِخْوَتُهُ وَكُلُّ أَقْرِبَاءِ أَبِيهِ وَحَمَلُوا جُثَّتَهُ حَيْثُ دَفَنُوهُ بَيْنَ صُرْعَةَ وَأَشْتَأُولَ فِي قَبْرِ مَنُوحَ أَبِيهِ، وَكَانَ شَمْشُونُ قَدْ قَضَى لِبَنِي إِسْرَائِيلَ عِشْرِينَ سَنَةً. | ٣١ 31 |
तब उसके भाई और उसके पिता के परिवार के सभी सदस्य वहां आ गए और उसे वहां से उठाकर ज़ोराह तथा एशताओल के बीच उसके पिता मानोहा की गुफा की कब्र में ले जाकर रख दिया. शिमशोन ने बीस साल इस्राएल का शासन किया था.