< قُضاة 1 >
بَعْدَ مَوْتِ يَشُوعَ سَأَلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ الرَّبَّ: «مَنْ مِنَّا يَذْهَبُ أَوَّلاً لِمُحَارَبَةِ الْكَنْعَانِيِّينَ؟» | ١ 1 |
और यशू'अ की मौत के बाद यूँ हुआ कि बनी — इस्राईल ने ख़ुदावन्द से पूछा कि हमारी तरफ़ से कन'आनियों से जंग करने को पहले कौन चढ़ाई करे?
فَأَجَابَ الرَّبُّ: «يَهُوذَا يَذْهَبُ، فَقَدْ أَسْلَمْتُ الْأَرْضَ إِلَى يَدِهِ». | ٢ 2 |
ख़ुदावन्द ने कहा कि यहूदाह चढ़ाई करे; और देखो, मैंने यह मुल्क उसके हाथ में कर दिया है।
فَقَالَ رِجَالُ يَهُوذَا لإِخْوَتِهِمْ رِجَالِ شِمْعُونَ: «اخْرُجُوا مَعَنَا إِلَى الْمِنْطَقَةِ الَّتِي صَارَتْ قُرْعَةً لَنَا لِنُحَارِبَ الْكَنْعَانِيِّينَ مَعاً، ثُمَّ نَخْرُجُ نَحْنُ مَعَكُمْ فِي حَرْبِكُمْ لِتَسْتَوْلُوا عَلَى قُرْعَتِكُمْ». فَذَهَبَ رِجَالُ شِمْعُونَ مَعَهُمْ. | ٣ 3 |
तब यहूदाह ने अपने भाई शमौन से कहा कि तू मेरे साथ मेरे बँटवारे के हिस्से में चल, ताकि हम कन'आनियों से लड़ें: और इसी तरह मैं भी तेरे बँटवारे के हिस्से में तेरे साथ चलूँगा। इसलिए शमौन उसके साथ गया।
فَانْطَلَقَ رِجَالُ يَهُوذَا لِخَوْضِ الْحَرْبِ، فَأَظْفَرَهُمُ الرَّبُّ بِالْكَنْعَانِيِّينَ وَالْفِرِزِّيِّينَ، فَقَتَلُوا مِنْهُمْ فِي بَازَقَ عَشْرَةَ آلافِ رَجُلٍ. | ٤ 4 |
और यहूदाह ने चढ़ाई की, और ख़ुदावन्द ने कन'आनियों और फ़रिज़्ज़ियों को उनके क़ब्ज़े में कर दिया; और उन्होंने बज़क़ में उनमें से दस हज़ार आदमी क़त्ल किए।
وَالْتَقَوْا بِمَلِكِهِمْ أَدُونِي بَازَقَ عِنْدَ بَازَقَ، فَحَارَبُوهُ وَقَهَرُوا الْكَنْعَانِيِّينَ وَالْفِرِزِّيِّينَ. | ٥ 5 |
और अदूनी बज़क़ को बज़क़ में पाकर वह उससे लड़े, और कन'आनियों और फ़रिज़्ज़ियों को मारा।
فَهَرَبَ أَدُونِي بَازَقَ، غَيْرَ أَنَّهُمْ تَعَقَّبُوهُ وَقَبَضُوا عَلَيْهِ وَقَطَعُوا أَبَاهِمَ يَدَيْهِ وَرِجْلَيْهِ. | ٦ 6 |
लेकिन अदूनी बज़क़ भागा, और उन्होंने उसका पीछा करके उसे पकड़ लिया, और उसके हाथ और पाँव के अँगूठे काट डाले।
فَقَالَ أَدُونِي بَازَقَ: «لَقَدْ قَطَعْتُ أَبَاهِمَ أَيْدِي وَأَرْجُلِ سَبْعِينَ مَلِكاً كَانُوا يَلْتَقِطُونَ الْفُتَاتَ تَحْتَ مَائِدَتِي، فَهَا الرَّبُّ قَدْ جَازَانِي بِمِثْلِ مَا فَعَلْتُ». وَأَتَوْا بِهِ إِلَى أُورُشَلِيمَ حَيْثُ مَاتَ. | ٧ 7 |
तब अदूनी बज़क़ ने कहा कि हाथ और पाँव के अँगूठे कटे हुए सत्तर बादशाह मेरी मेज़ के नीचे रेज़ाचीनी करते थे, इसलिए जैसा मैंने किया वैसा ही ख़ुदा ने मुझे बदला दिया। फिर वह उसे येरूशलेम में लाए और वह वहाँ मर गया।
وَكَانَ أَبْنَاءُ يَهُوذَا قَدْ هَاجَمُوا أُورُشَلِيمَ وَاسْتَوْلَوْا عَلَيْهَا، وَقَتَلُوا أَهْلَهَا بِحَدِّ السَّيْفِ وَأَحْرَقُوهَا بِالنَّارِ. | ٨ 8 |
और बनी यहूदाह ने येरूशलेम से लड़ कर उसे ले लिया, और उसे बर्बाद करके शहर को आग से फूंक दिया।
ثُمَّ انْحَدَرُوا لِمُحَارَبَةِ الْكَنْعَانِيِّينَ فِي الْمَنَاطِقِ الْجَبَلِيَّةِ وَالنَّقَبِ وَالسُّهُولِ الْغَرْبِيَّةِ. | ٩ 9 |
इसके बाद बनी यहूदाह उन कन'आनियों से जो पहाड़ी मुल्क और दक्खिनी हिस्से और नशेब की ज़मीन में रहते थे, लड़ने को गए।
فَهَاجَمُوا الْكَنَعَانِيِّينَ الْمُقِيمِينَ فِي حَبْرُونَ الَّتِي كَانَتْ تُدْعَى قَبْلاً قَرْيَةَ أَرْبَعَ، وَقَضَوْا عَلَى شِيشَايَ وَأَخِيمَانَ وَتَلْمَايَ. | ١٠ 10 |
और यहूदाह ने उन कन'आनियों पर जो हबरून में रहते थे चढ़ाई की और हबरून का नाम पहले क़रयत अरबा' था; वहाँ उन्होंने सीसी और अख़ीमान और तलमी को मारा।
وَتَوَجَّهُوا مِنْ هُنَاكَ وَانْقَضُّوا عَلَى أَهْلِ دَبِيرَ الَّتِي كَانَتْ تُدْعَى قَبْلاً قَرْيَةَ سَفَرٍ. | ١١ 11 |
वहाँ से वह दबीर के बाशिदों पर चढ़ाई करने को गया दबीर का नाम पहले क़रयत सिफ़र था।
فَقَالَ كَالَبُ: «الَّذِي يَقْهَرُ قَرْيَةَ سَفَرٍ وَيَسْتَوْلِي عَلَيْهَا، أُزَوِّجُهُ ابْنَتِي عَكْسَةَ». | ١٢ 12 |
तब कालिब ने कहा, “जो कोई क़रयत सिफ़र को मार कर उसे ले ले, मैं उसे अपनी बेटी 'अकसा ब्याह दूँगा।”
فَاسْتَوْلَى عَلَيْهَا عُثْنِيئِيلُ بْنُ قَنَازَ، أَخُو كَالَبَ الأَصْغَرُ مِنْهُ، فَزَوَّجَهُ ابْنَتَهُ عَكْسَةَ. | ١٣ 13 |
और कालिब के छोटे भाई क़नज़ के बेटे ग़ुतनीएल ने उसे ले लिया; फिर उसने अपनी बेटी 'अकसा उसे ब्याह दी।
وَعِنْدَمَا زُفَّتْ إِلَيْهِ حَثَّهَا عَلَى طَلَبِ حَقْلٍ مِنْ أَبِيهَا، فَتَرَجَّلَتْ عَنِ الْحِمَارِ، فَسَأَلَهَا كَالَبُ: «مَالَكِ؟» | ١٤ 14 |
और जब वह उसके पास गई, तो उसने उसे सलाह दी कि वह उसके बाप से एक खेत माँगे; फिर वह अपने गधे पर से उतर पड़ी, तब कालिब ने उससे कहा, “तू क्या चाहती है?”
فَقَالَتْ لَهُ: «أَنْعِمْ عَلَيَّ بِهِبَةٍ، فَأَنْتَ قَدْ أَعْطَيْتَنِي أَرْضاً فِي النَّقَبِ، فَأَعْطِنِي أَيْضاً يَنَابِيعَ مَاءٍ». فَوَهَبَهَا كَالَبُ الْيَنَابِيعَ الْعُلْيَا وَالْيَنَابِيعَ السُّفْلَى. | ١٥ 15 |
उसने उससे कहा, “मुझे बरकत दे; चूँकि तूने मुझे दख्खिन के मुल्क में रख्खा है, इसलिए पानी के चश्मे भी मुझे दे।” तब कालिब ने ऊपर के चश्मे और नीचे के चश्मे उसे दिए।
وَغَادَرَ أَبْنَاءُ الْقَيْنِيِّ حَمِي مُوسَى مَدِينَةَ النَّخْلِ (أَرِيحَا) وَذَهَبُوا مَعَ سِبْطِ يَهُوذَا إِلَى بَرِّيَّةِ يَهُوذَا الْوَاقِعَةِ فِي جَنُوبِيِّ عَرَادَ، وَسَكَنُوا مَعَ الشَّعْبِ. | ١٦ 16 |
और मूसा के साले क़ीनी की औलाद खजूरों के शहर में बनी यहूदाह के साथ याहूदाह के वीराने को जो 'अराद के दख्खिन में है, चली गयी और जाकर लोगों के साथ रहने लगी।
وَانْضَمَّ جَيْشُ يَهُوذَا إِلَى جَيْشِ شِمْعُونَ، وَحَارَبُوا الْكَنْعَانِيِّينَ أَهْلَ صَفَاةَ وَدَمَّرُوهَا وَدَعَوْا اسْمَ الْمَدِينَةِ حُرْمَةَ (بِمَعْنَى خَرَابٍ). | ١٧ 17 |
और यहूदाह अपने भाई शमौन के साथ गया और उन्होंने उन कन'आनियों को जो सफ़त में रहते थे मारा, और शहर को मिटा दिया; इसलिए उस शहर का नाम हुरमा' कहलाया।
وَاسْتَوْلَى رِجَالُ يَهُوذَا عَلَى غَزَّةَ وَتُخُومِهَا وَأَشْقَلُونَ وَتُخْومِهَا وَعَقْرُونَ وَتُخُومِهَا. | ١٨ 18 |
और यहूदाह ने ग़ज़्ज़ा और उसका 'इलाक़ा, और अस्क़लोन और उसका 'इलाक़ा अक़रून और उसका 'इलाक़ा को भी ले लिया।
وَكَانَ الرَّبُّ مَعَ أَبْنَاءِ يَهُوذَا فَتَمَلَّكُوا الْجَبَلَ، وَلَكِنَّهُمْ أَخْفَقُوا فِي طَرْدِ سُكَّانِ الْوَادِي لأَنَّهُمْ كَانُوا يَمْلِكُونَ مَرْكَبَاتٍ حَدِيدِيَّةً. | ١٩ 19 |
और ख़ुदावन्द यहूदाह के साथ था, इसलिए उसने पहाड़ियों को निकाल दिया, लेकिन वादी के बाशिदों को निकाल न सका, क्यूँकि उनके पास लोहे के रथ थे।
وَأَعْطَوْا حَبْرُونَ لِكَالَبَ كَمَا أَوْصَى مُوسَى، فَطَرَدَ مِنْهَا بَنِي عَنَاقَ الثَّلاثَةَ. | ٢٠ 20 |
तब उन्होंने मूसा के कहने के मुताबिक़ हबरून कालिब को दिया; और उसने वहाँ से 'अनाक़ के तीनों बेटों को निकाल दिया।
وَأَخْفَقَ أَبْنَاءُ بِنْيَامِينَ فِي طَرْدِ الْيَبُوسِيِّينَ سُكَّانِ أُورُشَلِيمَ، فَظَلَّ الْيَبُوسِيُّونَ يُقِيمُونَ بَيْنَ ذُرِّيَّةِ بِنْيَامِينَ فِي أُورُشَلِيمَ إِلَى هَذَا الْيَوْمِ. | ٢١ 21 |
और बनी बिनयमीन ने उन यबूसियों को जो येरूशलेम में रहते थे न निकाला, इसलिए यबूसी बनी बिनयमीन के साथ आज तक येरूशलेम में रहते हैं।
وَهَاجَمَ أَبْنَاءُ سِبْطِ يُوسُفَ بَيْتَ إِيلَ، فَكَانَ الرَّبُّ مَعَهُمْ (وَنَصَرَهُمْ). | ٢٢ 22 |
और यूसुफ़ के घराने ने भी बैतएल लेकिन चढ़ाई की, और ख़ुदावन्द उनके साथ था।
وَبَيْنَمَا كَانَ فَرِيقُ الاسْتِكْشَافِ يُرَاقِبُ بَيْتَ إِيلَ، الَّتِي كَانَتْ تُدْعَى قَبْلاً لُوزَ، | ٢٣ 23 |
और यूसुफ़ के घराने ने बैतएल का हाल दरियाफ़्त करने को जासूस भेजे और उस शहर का नाम पहले लूज़ था।
شَاهَدُوا رَجُلاً خَارِجاً مِنَ الْمَدِينَةِ وَقَالُوا لَهُ: «أَرْشِدْنَا إِلَى مَدْخَلِ الْمَدِينَةِ فَنَصْنَعَ مَعَكَ مَعْرُوفاً». | ٢٤ 24 |
और जासूसों ने एक शख़्स को उस शहर से निकलते देखा और उससे कहा, कि शहर में दाख़िल होने की राह हम को दिखा दे, तो हम तुझ से मेहरबानी से पेश आएँगे।
فَأَرْشَدَهُمْ إِلَى مَدْخَلِ الْمَدِينَةِ، فَاقْتَحَمُوهَا وَقَضَوْا عَلَى أَهْلِهَا بِحَدِّ السَّيْفِ، أَمَّا الرَّجُلُ وَسَائِرُ عَشِيرَتِهِ فَأَطْلَقُوهُمْ. | ٢٥ 25 |
इसलिए उसने शहर में दाख़िल होने की राह उनको दिखा दी। उन्होंने शहर को बर्बाद किया, पर उस शख़्स और उसके सारे घराने को छोड़ दिया।
فَمَضَى الرَّجُلُ إِلَى دِيَارِ الْحِثِّيِّينَ وَبَنَى مَدِينَةً دَعَاهَا لُوزَ، وَهَذَا هُوَ اسْمُهَا حَتَّى الْآنَ. | ٢٦ 26 |
और वह शख़्स हित्तियों के मुल्क में गया, और उसने वहाँ एक शहर बनाया और उसका नाम लूज़ रख्खा; चुनाँचे आज तक उसका यही नाम है।
وَأَخْفَقَ أَبْنَاءُ سِبْطِ مَنَسَّى فِي طَرْدِ أَهْلِ بَيْتِ شَانَ وَقُرَاهَا، وَأَهْلِ تَعْنَكَ وَقُرَاهَا، وَسُكَّانِ دُورٍ وَقُرَاهَا، وَسُكَّانِ يِبْلَعَامَ وَقُرَاهَا، وَسُكَّانِ مَجِدُّو وَقُرَاهَا. فَاسْتَمَرَّ الْكَنْعَانِيُّونَ يَسْكُنُونَ فِيهَا. | ٢٧ 27 |
और मनस्सी ने भी बैत शान और उसके क़स्बों और ता'नक और उसके क़स्बों और दोर और उसके क़स्बों के बाशिदों, और इबली'आम और उसके क़स्बों के बाशिंदों, और मजिद्दो और उसके क़स्बों के बार्शिदों को न निकाला; बल्कि कन'आनी उस मुल्क में बसे ही रहे।
وَلَمَّا قَوِيَتْ شَوْكَةُ الإِسْرَائِيلِيِّينَ وَضَعُوا الْكَنْعَانِيِّينَ تَحْتَ الْجِزْيَةِ، وَلَمْ يَطْرُدُوهُمْ قَطُّ. | ٢٨ 28 |
लेकिन जब इस्राईल ने ज़ोर पकड़ा, तो वह कन'आनियों से बेगार का काम लेने लगे लेकिन उनको बिल्कुल निकाल न दिया।
وَكَذَلِكَ فَشَلَ سِبْطُ أَفْرَايِمَ فِي طَرْدِ الْكَنْعَانِيِّينَ السَّاكِنِينَ فِي جَازَرَ، فَسَكَنَ الْكَنْعَانِيُّونَ مَعَهُمْ. | ٢٩ 29 |
और इफ़्राईम ने उन कन'आनियों को जो जज़र में रहते थे न निकाला, इसलिए कन'आनी उनके बीच जज़र में बसे रहे।
وَلَمْ يَطْرُدْ أَبْنَاءُ زَبُولُونَ الْكَنْعَانِيِّينَ الْمُسْتَوْطِنِينَ فِي قِطْرُونَ وَنَهْلُولَ، فَأَقَامَ الْكَنْعَانِيُّونَ بَيْنَهُمْ، وَفَرَضُوا عَلَيْهِمِ الْجِزْيَةَ. | ٣٠ 30 |
और ज़बूलून ने क़ितरोन और नहलाल के लोगों को न निकाला, इसलिए कन'आनी उनमें क़याम करते रहे और उनके फ़रमाबरदार हो गए।
وَأَيْضاً لَمْ يَطْرُدْ أَبْنَاءُ سِبْطِ أَشِيرَ سُكَّانَ عَكُّو وَلا سُكَّانَ صِيدُونَ وَأَحْلَبَ وَأَكْزِيبَ وَحَلْبَةَ وَأَفِيقَ وَرَحُوبَ. | ٣١ 31 |
और आशर ने 'अक्को और सैदा और अहलाब और अकज़ीब और हिलबा और अफ़ीक़ और रहोब के बाशिंदों को न निकाला;
فَسَكَنَ الأَشِيرِيُّونَ فِي وَسَطِ الْكَنْعَانِيِّينَ أَهْلِ الأَرْضِ لأَنَّهُمْ لَمْ يَطْرُدُوهُمْ. | ٣٢ 32 |
बल्कि आशरी उन कन'आनियों के बीच जो उस मुल्क के बाशिंदे थे बस गए, क्यूँकि उन्होंने उनको निकाला न था।
وَلَمْ يَطْرُدْ أَبْنَاءُ سِبْطِ نَفْتَالِي سُكَّانَ بَيْتِ شَمْسٍ وَبَيْتِ عَنَاةَ بَلْ أَقَامُوا فِي وَسَطِ الْكَنْعَانِيِّينَ أَهْلِ الأَرْضِ، وَفَرَضُوا عَلَيْهِمِ الْجِزْيَةَ. | ٣٣ 33 |
और नफ़्ताली ने बैत शम्स और बैत 'अनात के बाशिंदों को न निकाला, बल्कि वह उन कन'आनियों में जो वहाँ रहते थे बस गया; तो भी बैत शम्स और बैत'अनात के बाशिंदे उनके फ़रमाबरदार हो गए।
وَحَصَرَ الأَمُورِيُّونَ أَبْنَاءَ دَانٍ فِي الْجَبَلِ وَلَمْ يَسْمَحُوا لَهُمْ بِالنُّزُولِ إِلَى الْوَادِي. | ٣٤ 34 |
और अमोरियों ने बनी दान को पहाड़ी मुल्क में भगा दिया, क्यूँकि उन्होंने उनको वादी में आने न दिया।
وَعَزَمَ الأَمُورِيُّونَ عَلَى الإِقَامَةِ فِي جَبَلِ حَارَسَ وَفِي أَيَّلُونَ وَفِي شَعَلُبِّيمَ. وَلَكِنْ عِنْدَمَا قَوِيَتْ شَوْكَةُ سِبْطِ يُوسُفَ فَرَضُوا عَلَيْهِمِ الْجِزْيَةَ. | ٣٥ 35 |
बल्कि अमोरी कोह — ए — हरिस पर और अय्यालोन और सा'लबीम में बसे ही रहे, तो भी बनी यूसुफ़ का हाथ ग़ालिब हुआ, ऐसा कि यह फ़रमाबरदार हो गए।
وَكَانَتْ حُدُودُ الأَمُورِيِّينَ تَمْتَدُّ مِنْ عَقَبَةِ عَقْرَبِّيمَ مِنْ سَالَعَ إِلَى مَا وَرَاءَهَا. | ٣٦ 36 |
और अमोरियों की सरहद 'अक़रब्बीम की चढ़ाई से या'नी चट्टान से शुरू' करके ऊपर ऊपर थी।