< يَشُوع 5 >
وَعِنْدَمَا سَمِعَ جَمِيعُ مُلُوكِ الأَمُورِيِّينَ الْمُقِيمِينَ فِي غَرْبِيِّ نَهْرِ الأُرْدُنِّ، وَجَمِيعُ مُلُوكِ الْكَنْعَانِيِّينَ الْمُسْتَوْطِنِينَ عَلَى شَوَاطِئِ الْبَحْرِ الْمُتَوَسِّطِ، أَنَّ الرَّبَّ قَدْ جَفَّفَ نَهْرَ الأُرْدُنِّ أَمَامَ بَنِي إِسْرَائِيلَ حَتَّى عَبَرُوهُ، خَارَتْ قُلُوبُهُمْ وَتَلاشَتْ قُوَاهُمْ هَلَعاً مِنْهُمْ. | ١ 1 |
जब यरदन के पश्चिम में अमोरियों के सभी राजाओं तथा सभी कनानी राजाओं ने यह सुना कि किस प्रकार याहवेह ने इस्राएल वंशजों के लिए उनके यरदन नदी से पार हो जाने तक यरदन का जल सुखाए रखा था, उनका हृदय घबरा गया, और उनसे बिलकुल भी सामना करने का साहस न था.
وَقَالَ الرَّبُّ آنَئِذٍ لِيَشُوعَ: «اصْنَعْ لَكَ سَكَاكِينَ مِنْ حَجَرِ الصَّوَّانِ وَاخْتِنْ ذُكُورَ إِسْرَائِيلَ ثَانِيَةً». | ٢ 2 |
फिर याहवेह ने यहोशू से कहा, “चकमक पत्थर की छुरियां बनाओ और इस्राएलियों का ख़तना करना फिर से शुरू करो.”
فَصَنَعَ سَكَاكِينَ مِنْ حَجَرِ صَوَّانٍ وَخَتَنَ ذُكُورَ إِسْرَائِيلَ فِي تَلِّ الْقُلْفِ. | ٣ 3 |
तब यहोशू ने चकमक की छुरियां बनाई और गिबियाथ-हारालोथ नामक स्थान पर इस्राएलियों का ख़तना किया.
أَمَّا مَا دَعَا يَشُوعَ لِخَتْنِ ذُكُورِ الإِسْرَائِيلِيِّينَ، فَهُوَ مَوْتُ جَمِيعِ الذُّكُورِ الْخَارِجِينَ مِنْ مِصْرَ مِنْ رِجَالِ الْقِتَالِ فِي الصَّحْرَاءِ فِي الطَّرِيقِ، بَعْدَ خُرُوجِهِمْ مِنْ مِصْرَ. | ٤ 4 |
यहोशू द्वारा उनका ख़तना करने के पीछे कारण यह था: वे सभी, जो मिस्र से निकले हुए थे, सभी पुरुषों और सभी योद्धाओं की मृत्यु, मिस्र से आने के बाद, निर्जन प्रदेश में, रास्ते में ही हो चुकी थी.
وَكَانَ جَمِيعُ هَؤُلاءِ الْخَارِجِينَ مَخْتُونِينَ، وَأَمَّا الذُّكُورُ الْمَوْلُودُونَ فِي الصَّحْرَاءِ فِي أَثْنَاءِ الرِّحْلَةِ مِنْ مِصْرَ فَلَمْ يَخْتَتِنُوا، | ٥ 5 |
मिस्र से निकले सभी व्यक्तियों का ख़तना बाद में हुआ, किंतु वे सभी जिनका जन्म मिस्र से निकलने के बाद मार्ग में निर्जन प्रदेश में हुआ था, उनका ख़तना नहीं हुआ था.
إِذْ ظَلَّ بَنُو إِسْرَائِيلَ تَائِهِينَ فِي الصَّحْرَاءِ أَرْبَعِينَ سَنَةً، حَتَّى هَلَكَ جَمِيعُ مَنْ كَانَ فِي سِنِّ الْجُنْدِيَّةِ مِنَ الْخَارِجِينَ مِنْ مِصْرَ، الَّذِينَ عَصَوْا أَمْرَ الرَّبِّ الَّذِي أَقْسَمَ أَنْ يَحْرِمَهُمْ مِنْ رُؤْيَةِ الأَرْضِ الَّتِي تَفِيضُ لَبَناً وَعَسَلاً الَّتِي حَلَفَ لِآبَائِهِمْ أَنْ يَهَبَهَا لَهُمْ. | ٦ 6 |
इस्राएल वंशज चालीस वर्ष तक निर्जन प्रदेश में फिरते रहे, जब तक पूरा राष्ट्र, अर्थात् वे योद्धा, जो मिस्र से निकले थे, नष्ट न हो गए, क्योंकि उन्होंने याहवेह के आदेश को नहीं माना. याहवेह ने शपथ ली थी, कि वह उन्हें वह देश देखने तक न देंगे, जहां दूध और मधु बहती है, जिसे देने का वायदा याहवेह ने पूर्वजों से किया था.
لِذَلِكَ أَحَلَّ أَبْنَاءَهُمْ مَحَلَّهُمْ، وَهُمُ الَّذِينَ خَتَنَهُمْ يَشُوعُ لأَنَّهُمْ كَانُوا قُلْفاً، إِذْ لَمْ يَخْتَتِنُوا فِي الطَّرِيقِ. | ٧ 7 |
उनकी जगह पर याहवेह ने उनकी संतान को बढ़ाया, जिनका ख़तना यहोशू ने किया; क्योंकि मार्ग में उनका ख़तना नहीं किया गया था.
وَبَعْدَ أَنْ تَمَّ خِتَانُ جَمِيعِ الشَّعْبِ مَكَثُوا فِي أَمَاكِنِهِمْ فِي الْمُخَيَّمِ حَتَّى بَرِئَتْ جِرَاحُهُمْ. | ٨ 8 |
जब सबका ख़तना हो चुका, और वे ठीक होने तक अपने तंबू में ही रहे.
وَقَالَ الرَّبُّ لِيَشُوعَ: «الْيَوْمَ قَدْ دَحْرَجْتُ عَنْكُمْ عَارَ مِصْرَ»، فَدُعِيَ اسْمُ ذَلِكَ الْمَوْضِعِ الْجِلْجَالَ (وَمَعْنَاهُ مُتَدَحْرِجٌ) إِلَى هَذَا الْيَوْمِ. | ٩ 9 |
तब याहवेह ने यहोशू से कहा, “आज मैंने तुम पर मिस्र का जो कलंक लगा था, उसे दूर कर दिया है.” तभी से आज तक यह स्थान गिलगाल नाम से जाना जाता है.
وَفِيمَا كَانَ الإِسْرَائِيلِيُّونَ مُخَيِّمِينَ فِي الْجِلْجَالِ، فِي سُهُولِ أَرِيحَا، احْتَفَلُوا بِالْفِصْحِ فِي مَسَاءِ الْيَوْمِ الرَّابِعَ عَشَرَ مِنَ الشَّهْرِ. | ١٠ 10 |
जब इस्राएल वंशज गिलगाल में पड़ाव डाले हुए थे, उन्होंने माह के चौदहवें दिन येरीख़ो के मरुभूमि में फ़सह उत्सव मनाया.
وَفِي الْيَوْمِ التَّالِي لِلْفِصْحِ أَكَلُوا مِنْ غَلَّةِ الأَرْضِ فَطِيراً وَفَرِيكاً. | ١١ 11 |
फ़सह उत्सव के अगले ही दिन उन्होंने उस देश की भूमि की कुछ उपज, खमीर रहित रोटी तथा सुखाए हुए अन्न खाए.
فَانْقَطَعَ الْمَنُّ عَنِ النُّزُولِ. وَمُنْذُ ذَلِكَ الْوَقْتِ أَصْبَحُوا يَعْتَمِدُونَ فِي عَيْشِهِمْ عَلَى مَحَاصِيلِ أَرْضِ كَنْعَانَ. | ١٢ 12 |
जिस दिन उन्होंने उस भूमि की उपज का आहार किया, उसके दूसरे ही दिन से मन्ना गिरना बंद हो गया. इस्राएल वंशजों को मन्ना फिर कभी न मिला. और कनान देश की उपज ही उनका आहार हो चुकी थी.
وَفِيمَا كَانَ يَشُوعُ قَرِيباً مِنْ أَرِيحَا تَطَلَّعَ أَمَامَهُ وَإذَا بِهِ يُشَاهِدُ رَجُلاً يَنْتَصِبُ فِي مُوَاجَهَتِهِ، شَاهِراً سَيْفَهُ بِيَدِهِ، فَاتَّجَهَ إِلَيْهِ يَشُوعُ وَسَأَلَهُ: «هَلْ أَنْتَ مِنَّا أَوْ مِنْ أَعْدَائِنَا؟» | ١٣ 13 |
जब यहोशू येरीख़ो के निकट थे, उन्होंने जब दृष्टि ऊपर उठाई, उन्हें अपने सामने हाथ में नंगी तलवार लिए हुए एक व्यक्ति खड़ा हुआ दिखा. यहोशू उनके पास गए और उनसे पूछा, “आप हमारी तरफ के हैं या हमारे शत्रु के?”
فَأَجَابَهُ: «لا، إِنَّمَا أَنَا رَئِيسُ جُنْدِ الرَّبِّ، وَقَدْ أَقْبَلْتُ الآنَ». فَأَكَبَّ يَشُوعُ عَلَى وَجْهِهِ إِلَى الأَرْضِ سَاجِداً وَقَالَ: «أَيُّ رِسَالَةٍ يَحْمِلُهَا سَيِّدِي إِلَى عَبْدِهِ؟» | ١٤ 14 |
उन्होंने उत्तर दिया, “मैं किसी भी पक्ष का नहीं हूं; मैं याहवेह की सेना का अधिपति, और अब यहां आया हूं.” यहोशू ने भूमि पर गिरकर दंडवत किया और कहा, “महोदय, मेरे प्रभु का उनके सेवक के लिए क्या आदेश है?”
فَقَالَ رَئِيسُ جُنْدِ الرَّبِّ لِيَشُوعَ: «اخْلَعْ نَعْلَيْكَ، لأَنَّ الْمَوْضِعَ الَّذِي أَنْتَ وَاقِفٌ عَلَيْهِ مُقَدَّسٌ». فَنَفَّذَ يَشُوعُ الأَمْرَ. | ١٥ 15 |
याहवेह के दूत ने यहोशू को उत्तर दिया, “पांव से अपनी जूती उतार दो, क्योंकि तुम जिस जगह पर खड़े हो, वह पवित्र स्थान है.” यहोशू ने वैसा ही किया.