< يُونان 2 >
ثُمَّ صَلَّى يُونَانُ إِلَى الرَّبِّ إِلَهِهِ مِنْ جَوْفِ الْحُوتِ، | ١ 1 |
तब मछली के पेट में से योनाह ने याहवेह अपने परमेश्वर से प्रार्थना की.
قَائِلاً: «اسْتَغَثْتُ بِالرَّبِّ فِي ضِيقِي فَاسْتَجَابَ لِي، وَمِنْ جَوْفِ الْهَاوِيَةِ ابْتَهَلْتُ فَسَمِعْتَ صَوْتِي. (Sheol ) | ٢ 2 |
उसने कहा: “अपने संकट में मैंने याहवेह को पुकारा, और उन्होंने मुझे उत्तर दिया. मृत्युलोक की गहराई में से मैंने सहायता की याचना की, और आपने मेरी याचना सुन ली. (Sheol )
لأَنَّكَ طَرَحْتَنِي إِلَى اللُّجَجِ الْعَمِيقَةِ فِي قَلْبِ الْبِحَارِ، فَاكْتَنَفَنِي الْغَمْرُ وَأَحَاطَتْ بِي تَيَّارَاتُكَ وَأَمْوَاجُكَ | ٣ 3 |
आपने मुझे गहराई में, समुद्र के गहराई में डाल दिया, मैं समुद्र के जल प्रवाह में समा गया; आप ही की लहरें टकराकर मेरे ऊपर से प्रवाहित होती रहीं.
فَقُلْتُ: قَدْ طُرِدْتُ مِنْ حَضْرَتِكَ، وَلَنْ أَعُودَ أَتَفَرَّسُ فِي هَيْكَلِكَ الْمُقَدَّسِ. | ٤ 4 |
मैंने कहा, ‘मुझे आपके सामने से निकाल दिया गया है; फिर भी मैं आपके पवित्र मंदिर की ओर फिर ताकूंगा.’
قَدْ غَمَرَتْنِي الْمِيَاهُ وَأَحْدَقَتْ بِيَ اللُّجَجُ، وَالْتَفَّ عُشْبُ الْبَحْرِ حَوْلَ رَأْسِي. | ٥ 5 |
डुबानेवाला पानी मुझे डरा रहा था, गहराई मेरे चारों तरफ थी; समुद्री घांसपात से मेरा सिर लिपटा हुआ था.
انْحَدَرْتُ إِلَى أُسُسِ الْجِبَالِ وَهَبَطْتُ إِلَى أَعْمَاقِ الأَرْضِ حَيْثُ أُغْلِقَتْ عَلَيَّ مَزَالِيجُهَا إِلَى الأَبَدِ. وَلَكِنَّكَ تُصْعِدُ حَيَاتِي مِنَ الْهَاوِيَةِ أَيُّهَا الرَّبُّ إِلَهِي. | ٦ 6 |
समुद्र में मैं तो पर्वतों के जड़ तक उतर गया; पृथ्वी के तल ने मुझे सदा के लिए जकड़ लिया था. किंतु आपने, हे याहवेह मेरे परमेश्वर, मुझे गड्ढे में से निकाल लिया.
عِنْدَمَا وَهَنَتْ نَفْسِي فِي دَاخِلِي، تَذَكَّرْتُ إِلَهِي، فَحَلَّقَتْ صَلاتِي إِلَيْكَ، إِلَى هَيْكَلِكَ الْمُقَدَّسِ. | ٧ 7 |
“जब मेरे जीवन का अंत हो रहा था, हे याहवेह, मैंने आपको स्मरण किया, और मेरी प्रार्थना आपके पास, आपके पवित्र मंदिर में पहुंची.
إِنَّ الَّذِينَ يُبَجِّلُونَ الأَصْنَامَ الْبَاطِلَةَ يَتَخَلَّوْنَ عَنْ مَصْدَرِ نِعْمَتِهِمْ. | ٨ 8 |
“वे जो बेकार की मूर्तियों पर मन लगाते हैं वे अपने आपको परमेश्वर के प्रेम से दूर रखते हैं.
أَمَّا أَنَا فَبِهُتَافِ الْحَمْدِ أَذْبَحُ لَكَ، وَمَا نَذَرْتُهُ أُوفِي بِهِ، لأَنَّ لِلرَّبِّ الْخَلاصَ». | ٩ 9 |
पर मैं कृतज्ञता से भरे प्रशंसा के ऊंचे शब्दों के साथ, आपके लिये बलिदान चढ़ाऊंगा. जो मन्नत मैंने मानी है, उसे मैं पूरी करूंगा. मैं कहूंगा, ‘उद्धार याहवेह ही से होता है.’”
فَأَمَرَ الرَّبُّ الْحُوتَ فَقَذَفَ بِيُونَانَ إِلَى الشَّاطِئِ. | ١٠ 10 |
तब याहवेह ने उस मछली को आज्ञा दी, और उसने योनाह को सूखी भूमि पर उगल दिया.