< يوحنَّا 9 >

وَفِيمَا كَانَ يَسُوعُ مَارّاً، رَأَى رَجُلاً أَعْمَى مُنْذُ وِلادَتِهِ، ١ 1
ओड़ तै जान्दे होए राह म्ह एक यीशु ताहीं जन्म तै आन्धा एक माणस मिला।
فَسَأَلَهُ تَلامِيذُهُ: «يَا مُعَلِّمُ، مَنْ أَخْطَأَ: هَذَا أَمْ وَالِدَاهُ، حَتَّى وُلِدَ أَعْمَى؟» ٢ 2
उसके चेल्यां नै उसतै बुझ्झया, “हे गुरु, किसनै पाप करया था के यो आन्धा पैदा होया, इस माणस नै या इसकै माँ-बाप नै?”
فَأَجَابَهُمْ يَسُوعُ: «لا هُوَ أَخْطَأَ وَلا وَالِدَاهُ، وَلكِنْ حَتَّى تَظْهَرَ فِيهِ أَعْمَالُ اللهِ. ٣ 3
यीशु नै जवाब दिया, “ना तो इसनै पाप करया था, ना इसके माँ-बाप नै पाप करया, पर यो ज्यांतै आन्धा पैदा होया ताके परमेसवर की शक्ति दिखाई जा सकै।
فَعَلَيَّ أَنْ أَعْمَلَ أَعْمَالَ الَّذِي أَرْسَلَنِي مَادَامَ الْوَقْتُ نَهَاراً. فَسَيَأْتِي اللَّيْلُ، وَلا أَحَدَ يَقْدِرُ أَنْ يَعْمَلَ فِيهِ. ٤ 4
जिसनै मेरै ताहीं भेज्या सै, हमनै उसके काम दिन-ए-दिन म्ह करणा जरूरी सै। वा रात आण आळी सै, जिस म्ह कोए माणस काम न्ही कर पावैगा।
وَمَادُمْتُ فِي الْعَالَمِ، فَأَنَا نُورُ الْعَالَمِ». ٥ 5
जिब ताहीं मै दुनिया म्ह सूं, जद ताहीं दुनिया का चान्दणा सूं।”
قَالَ هَذَا، وَتَفَلَ فِي التُّرَابِ، وَجَبَلَ مِنَ التُّفْلِ طِيناً، ثُمَّ وَضَعَهُ عَلَى عَيْنَيِ الأَعْمَى، ٦ 6
न्यू कहकै यीशु नै धरती पै थुक्या, अर उस थूक तै माट्टी का लेप बणाया, अर उस लेप ताहीं आंधै की आँखां पै लगाकै।
وَقَالَ لَهُ: «اذْهَبِ اغْتَسِلْ فِي بِرْكَةِ سِلْوَامَ»، أَيِ الْمُرسَلِ. فَذَهَبَ وَاغْتَسَلَ وَعَادَ بَصِيراً. ٧ 7
उसतै बोल्या, “जा,” “शीलोह कै कुण्ड म्ह” (शीलोह का मतलब भेज्या होया सै)। उसनै जाकै अपणा मुँह धोया, अर जिब वो बोहड़ा तो उसनै दिक्खण लाग्या।
فَتَسَاءَلَ الْجِيرَانُ وَالَّذِينَ كَانُوا يَرَوْنَهُ مِنْ قَبْلُ يَسْتَعْطِي: «أَلَيْسَ هَذَا هُوَ نَفْسَهُ الَّذِي كَانَ يَجْلِسُ لِيَسْتَعْطِيَ؟» ٨ 8
फेर भिखारी के पड़ोसी अर उन माणसां नै जिननै उस ताहीं पैहल्या भीख माँगदे देख्या था, एक-दुसरे तै कहण लाग्गे, “के यो वोए न्ही सै, जो बेठ्या भीख माँगया करै था?”
قَالَ بَعْضُهُمْ: «هَذَا هُوَ». وَآخَرُونَ: «لا، وَلكِنَّهُ يُشْبِهُهُ!» أَمَّا هُوَ فَرَدَّ قَائِلاً: «بَلْ أَنَا هُوَ!» ٩ 9
कई माणस बोल्ले, “यो वोए सै,” दुसरे बोल्ले, “कोनी, पर उसकै जिसा सै।” उसनै कह्या, “मै वोए सूं।”
فَقَالُوا لَهُ: «وَكَيْفَ انْفَتَحَتْ عَيْنَاكَ؟» ١٠ 10
फेर वे उसतै बुझ्झण लाग्गे, “तेरी आँखां की रोशनी किस तरियां आगी?”
أَجَابَ: «الرَّجُلُ الَّذِي اسْمُهُ يَسُوعُ جَبَلَ طِيناً دَهَنَ بِهِ عَيْنَيَّ، وَقَالَ لِيَ: اذْهَبْ إِلَى بِرْكَةِ سِلْوَامَ وَاغْتَسِلْ فِيهَا. فَذَهَبْتُ وَاغْتَسَلْتُ فَأَبْصَرْتُ!» ١١ 11
उसनै जवाब दिया, “यीशु नामक एक माणस नै माट्टी का लेप बणाया, अर मेरी आँखां पै लाकै मेरै ताहीं बोल्या, ‘जा, शीलोह म्ह जाकै अपणा मुँह धो ले,’ बस फेर के था मै गया अर अपणा मुँह धोया अर देक्खण लाग्या।”
فَسَأَلُوهُ: «وَأَيْنَ هُوَ الآنَ؟» فَقَالَ: «لا أَعْرِفُ!» ١٢ 12
उननै उसतै बुझ्झया, “वो माणस कित्त सै?” वो बोल्या, “मै कोनी जाण्दा।”
فَذَهَبُوا بِالرَّجُلِ الَّذِي كَانَ أَعْمَى إِلَى الْفَرِّيسِيِّينَ. ١٣ 13
माणस उसनै जो आन्धा था फरीसियाँ कै धोरै ले आए।
وَكَانَ الْيَوْمُ الَّذِي جَبَلَ فِيهِ يَسُوعُ الطِّينَ وَفَتَحَ عَيْنَيِ الأَعْمَى، يَوْمَ سَبْتٍ. ١٤ 14
जिस दिन यीशु नै माट्टी लगाकै उसकी आँख खोल्ली थी, वो आराम का दिन था।
فَسَأَلَهُ الْفَرِّيسِيُّونَ أَيْضاً كَيْفَ أَبْصَرَ. فَأَجَابَ: «وضَعَ طِيناً عَلَى عَيْنَيَّ، وَاغْتَسَلْتُ، وَهَا أَنَا أُبْصِرُ!» ١٥ 15
फेर फरीसियाँ नै भी उनतै बुझ्झया के उसकी आँखां की रोशनी किस ढाळ मिली। उसनै उन ताहीं कह्या, “उसनै मेरी आँखां पै माट्टी लाई, फेर मन्नै अपणा मुँह धो लिया, अर इब देक्खूँ सूं।”
فَقَالَ بَعْضُ الْفَرِّيسِيِّينَ: «لا يُمْكِنُ أَنْ يَكُونَ هَذَا الرَّجُلُ مِنَ اللهِ، لأَنَّهُ يُخَالِفُ سُنَّةَ السَّبْتِ». وَلكِنَّ بَعْضَهُمْ قَالُوا: «كَيْفَ يَقْدِرُ رَجُلٌ خَاطِئٌ أَنْ يَعْمَلَ مِثْلَ هذِهِ الآيَاتِ؟» فَوَقَعَ الْخِلافُ بَيْنَهُمْ. ١٦ 16
इसपै कई फरीसी कहण लाग्गे, “यो माणस परमेसवर की ओड़ तै कोनी, क्यूँके वो आराम कै दिन नै कोनी मान्दा।” दुसरे बोल्ले, “पापी माणस इसे अचम्भे के काम किस ढाळ दिखा सकै सै?” आखर म्ह उन म्ह फूट पड़गी।
وَعَادُوا يَسْأَلُونَ الَّذِي كَانَ أَعْمَى: «وَمَا رَأْيُكَ أَنْتَ فِيهِ مَادَامَ قَدْ فَتَحَ عَيْنَيْكَ؟» فَأَجَابَهُمْ: «إِنَّهُ نَبِيٌّ!» ١٧ 17
उननै उस आंधै तै फेर कह्या, “जिस माणस नै तेरे ताहीं आँखां की रोशनी दी सै। तू उसकै बारै म्ह के कहणा चाहवै सै?” उसनै कह्या, “वो नबी सै।”
وَرَفَضَ الْيَهُودُ أَنْ يُصَدِّقُوا أَنَّهُ كَانَ أَعْمَى فَأَبْصَرَ، فَاسْتَدْعَوْا وَالِدَيْهِ ١٨ 18
पर यहूदी अगुवां नै बिश्वास कोनी होया, के वो आन्धा था, अर इब वो देक्खै सै, इस खात्तर उननै उसके माँ-बाप ताहीं बुलाया।
وَسَأَلُوهُمَا: «أَهَذَا ابْنُكُمَا الْمَوْلُودُ أَعْمَى كَمَا تَقُولانِ؟ فَكَيْفَ يُبْصِرُ الآنَ؟» ١٩ 19
अर उनतै बुझ्झया, “के यो थारा बेट्टा सै, जिसके बारें मै थम कहों सों, के वो जन्म तै आन्धा था? फेर इब वो किस तरियां देक्खै सै?”
أَجَابَهُمُ الْوَالِدَانِ: «نَعْلَمُ أَنَّ هَذَا ابْنُنَا وَأَنَّهُ وُلِدَ أَعْمَى. ٢٠ 20
उसकै माँ-बाप नै जवाब दिया, “हाँ, या तो जाणा सा के यो म्हारा बेट्टा सै, अर या भी के यो आन्धा जन्मा था,
وَلكِنَّنَا لَا نَعْلَمُ كَيْفَ يُبْصِرُ الآنَ، وَلا مَنْ فَتَحَ عَيْنَيْهِ. إِنَّهُ كَامِلُ السِّنِّ، يُجِيبُكُمْ عَنْ نَفْسِهِ، فَاسْأَلُوهُ!» ٢١ 21
पर न्यू कोनी जाणदे, के इब यो किस तरियां देक्खण लाग्या, अर ना न्यू जाणदे के किसनै इसकी आँखां की रोशनी दी सै। वो बाळक कोनी सै, उस्से तै बुझल्यो, वो अपणे बारै म्ह खुद ए बतावैगा।”
وَقَدْ قَالَ وَالِدَاهُ هَذَا لِخَوْفِهِمَا مِنَ الْيَهُودِ، لأَنَّ الْيَهُودَ كَانُوا قَدِ اتَّفَقُوا أَنْ يَطْرُدُوا مِنَ الْمَجْمَعِ كُلَّ مَنْ يَعْتَرِفُ أَنَّ يَسُوعَ هُوَ الْمَسِيحُ. ٢٢ 22
ये बात उसकै माँ-बाप नै ज्यांतै कही क्यूँके वे यहूदी अगुवां तै डरै थे, क्यूँके यहूदी अगुवां नै एक्का कर लिया था, के जै कोए कहवै के वो मसीह सै, तो उस ताहीं आराधनालय म्ह तै लिकाड़ दिया जावैगा।
لِذلِكَ قَالا: «إِنَّهُ كَامِلُ السِّنِّ فَاسْأَلُوهُ». ٢٣ 23
इस्से कारण उसकै माँ-बाप नै कह्या, “वो बाळक कोनी, उस्से तै बुझल्यो।”
ثُمَّ اسْتَدْعَى الْفَرِّيسِيُّونَ، الرَّجُلَ الَّذِي كَانَ أَعْمَى مَرَّةً ثَانِيَةً، وَقَالُوا لَهُ: «مَجِّدِ اللهَ! نَحْنُ نَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الرَّجُلَ خَاطِئٌ». ٢٤ 24
फेर यहूदी अगुवां नै उस माणस ताहीं जो आन्धा था, दुसरी बर बुलाकै उसतै कह्या, “सच बता अर जो तू ठीक होया सै, तो तू सच बोलकै परमेसवर की महिमा कर, हम जाणां सां के वो माणस पापी सै।”
فَأَجَابَ: «أَخَاطِئٌ هُوَ، لَسْتُ أَعْلَمُ! إِنَّمَا أَعْلَمُ شَيْئاً وَاحِداً: أَنِّي كُنْتُ أَعْمَى وَالآنَ أُبْصِرُ!» ٢٥ 25
उसनै जवाब दिया, “मै न्ही जाण्दा, के वो पापी सै के न्ही, मै एक बात जाणु सूं, के मै आन्धा था अर इब देक्खूँ सूं।”
فَسَأَلُوهُ ثَانِيَةً: «مَاذَا فَعَلَ بِكَ؟ كَيْفَ فَتَحَ عَيْنَيْكَ؟» ٢٦ 26
उननै उस ताहीं फेर दुबारै कह्या, “उसनै तेरे गेल्या के करया? अर किस ढाळ तेरी आँखां की रोशनी आगी?”
أَجَابَهُمْ: «قَدْ قُلْتُ لَكُمْ وَلَمْ تَسْمَعُوا لِي، فَلِمَاذَا تُرِيدُونَ أَنْ تَسْمَعُوا مَرَّةً ثَانِيَةً؟ أَلَعَلَّكُمْ تُرِيدُونَ أَنْتُمْ أَيْضاً أَنْ تَصِيرُوا تَلامِيذَ لَهُ؟» ٢٧ 27
उसनै उन ताहीं कह्या, “मन्नै तो थारे ताहीं पैहले भी बता दिया, पर थम उस बात नै सुणते कोनी, इब दुसरी बर क्यांतै सुणणा चाहवो सो? के थम भी उसके चेल्लें बणाणा चाहवो सो?”
فَشَتَمُوهُ وَقَالُوا لَهُ: «بَلْ أَنْتَ تِلْمِيذُهُ! أَمَّا نَحْنُ فَتَلامِيذُ مُوسَى. ٢٨ 28
फेर वे उसतै आच्छा-भुन्ड़ा कहकै बोल्ले, “तूए उसका चेल्ला सै, हम तो मूसा नबी के चेल्लें सां।
نَحْنُ نَعْلَمُ أَنَّ مُوسَى كَلَّمَهُ اللهُ؛ أَمَّا هَذَا، فَلا نَعْلَمُ لَهُ أَصْلاً!» ٢٩ 29
हम जाणा सां, के परमेसवर नै मूसा नबी तै बात करी, पर इस माणस नै कोनी जाणदे के कड़ै तै आया सै।”
فَأَجَابَهُمُ الرَّجُلُ: «إِنَّ فِي ذلِكَ عَجَباً! إِنَّهُ فَتَحَ عَيْنَيَّ، وَتَقُولُونَ إِنَّكُمْ لَا تَعْلَمُونَ لَهُ أَصْلاً! ٣٠ 30
उसनै उन ताहीं जवाब दिया, “या तो अचम्भे की बात सै, के थम न्ही जाणदे के वो कित्त का सै, फेर भी उसनै मेरी आँखां की रोशनी दे दी।
نَحْنُ نَعْلَمُ أَنَّ اللهَ لَا يَسْتَجِيبُ لِلْخَاطِئِينَ، وَلكِنَّهُ يَسْتَمِعُ لِمَنْ يَتَّقِيهِ وَيَعْمَلُ بِإِرَادَتِهِ، ٣١ 31
हम जाणां सां, के परमेसवर पापियाँ की कोनी सुणदा, पर जै कोए परमेसवर का भगत हो अर उसकी मर्जी पै चाल्दा हो, तो वो उसकी जरुर सुणै सै।
وَلَمْ يُسْمَعْ عَلَى مَدَى الأَجْيَالِ أَنَّ أَحَداً فَتَحَ عَيْنَيْ مَوْلُودٍ أَعْمَى! (aiōn g165) ٣٢ 32
दुनिया कै शरुआत तै यो कदे सुणनै म्ह कोनी आया, के किसे नै जन्म तै आन्धै की आँखां की रोशनी दी हो। (aiōn g165)
فَلَوْ لَمْ يَكُنْ هُوَ مِنَ اللهِ، لَمَا اسْتَطَاعَ أَنْ يَعْمَلَ شَيْئاً». ٣٣ 33
जै यो माणस परमेसवर कै कान्ही तै न्ही होन्दा, तो किमे भी कोनी कर सकदा।”
فَصَاحُوا بِهِ: «أَنْتَ بِكَامِلِكَ وُلِدْتَ فِي الْخَطِيئَةِ وَتُعَلِّمُنَا!» ثُمَّ طَرَدُوهُ خَارِجَ الْمَجْمَعِ. ٣٤ 34
उननै उस ताहीं जवाब दिया, “तू तो जमाए पापां म्ह जन्मा सै, तू हमनै के सिखावै सै?” अर उननै उस ताहीं आराधनालय तै बाहरणै लिकाड़ दिया।
وَعَرَفَ يَسُوعُ بِطَرْدِهِ خَارِجاً، فَقَصَدَ إِلَيْهِ وَسَأَلَهُ: «أَتُؤْمِنُ بِابْنِ اللهِ؟» ٣٥ 35
यीशु नै सुण्या के उननै उस ताहीं बाहरणै लिकाड़ दिया सै, अर जिब उसतै मिल्या तो बोल्या, “के तू परमेसवर कै बेट्टै पै बिश्वास करै सै?”
أَجَابَ: «مَنْ هُوَ يَا سَيِّدُ حَتَّى أُومِنَ بِهِ؟» ٣٦ 36
उसनै जवाब दिया, “हे जनाब, परमेसवर का बेट्टा कौण सै, के मै उसपै बिश्वास करुँ?”
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «الَّذِي قَدْ رَأَيْتَهُ، وَالَّذِي يُكَلِّمُكَ، هُوَ نَفْسُهُ!» ٣٧ 37
यीशु नै उस ताहीं कह्या, “तन्नै उस ताहीं देख्या भी सै, अर जो तेरे गेल्या बात करण लाग रह्या सै, वो मै ए सूं।”
فَقَالَ: «أُومِنُ يَا سَيِّدُ!» وَسَجَدَ لَهُ. ٣٨ 38
उसनै कह्या, “हे प्रभु, मै तेरे पै बिश्वास करुँ सूं।” अर उस ताहीं मोध्धा पड़कै प्रणाम करया।
فَقَالَ يَسُوعُ: «لِدَيْنُونَةٍ أَتَيْتُ إِلَى هَذَا الْعَالَمِ: لِيُبْصِرَ الْعُمْيَانُ، وَيَعْمَى الْمُبْصِرُونَ!» ٣٩ 39
फेर यीशु बोल्या, “मै इस दुनिया म्ह न्याय खात्तर आया सूं, ताके जो आन्धे सै, वे देक्खै, अर जो देक्खै सै, वे आन्धे हो जावै।”
فَسَمِعَ ذَلِكَ بَعْضُ الْفَرِّيسِيِّينَ الَّذِينَ كَانُوا مَعَهُ فَسَأَلُوهُ: «وَهَلْ نَحْنُ أَيْضاً عُمْيَانٌ؟» ٤٠ 40
जो फरीसी उसकै गेल्या थे, उननै या बात सुणकै उस ताहीं कह्या, “के हम भी आन्धे सां?”
فَأَجَابَهُمْ يَسُوعُ: «لَوْ كُنْتُمْ عُمْيَاناً بِالْفِعْلِ، لَمَا كَانَتْ عَلَيْكُمْ خَطِيئَةٌ. وَلَكِنَّكُمْ تَدَّعُونَ أَنَّكُمْ تُبْصِرُونَ، وَلِذلِكَ فَإِنَّ خَطِيئَتَكُمْ بَاقِيَةٌ». ٤١ 41
यीशु नै उन ताहीं कह्या, “जै थम आन्धे होन्दे तो पापी कोनी होते, पर इब जिसा के थम कहो सो, के थम देक्खों सों, तो सच म्ह थारा पाप माफ न्ही हो सकदा।”

< يوحنَّا 9 >