< أيُّوب 8 >

فَأَجَابَ بِلْدَدُ الشُّوحِيُّ: ١ 1
तब बिलदद सूखी कहने लगा,
«إِلَى مَتَى تَظَلُّ تَتَكَلَّمُ بِهَذِهِ الأَقْوَالِ، فَتَخْرُجَ مِنْ فَمِكَ كَرِيحٍ شَدِيدَةٍ؟ ٢ 2
तू कब तक ऐसे ही बकता रहेगा, और तेरे मुँह की बातें कब तक आँधी की तरह होंगी?
أَيُحَرِّفُ اللهُ الْقَضَاءَ، أَمْ يَعْكِسُ الْقَدِيرُ مَا هُوَ حَقٌّ؟ ٣ 3
क्या ख़ुदा बेइन्साफ़ी करता है? क्या क़ादिर — ए — मुतलक़ इन्साफ़ का खू़न करता है?
إِنْ كَانَ أَبْنَاؤُكَ أَخْطَأُوا فَقَدْ أَوْقَعَ بِهِمْ جَزَاءَ مَعَاصِيهِمْ. ٤ 4
अगर तेरे फ़र्ज़न्दों ने उसका गुनाह किया है, और उसने उन्हें उन ही की ख़ता के हवाले कर दिया।
فَإِنْ أَسْرَعْتَ وَطَلَبْتَ وَجْهَ اللهِ وَتَضَرَّعْتَ إِلَى الْقَدِيرِ، ٥ 5
तोभी अगर तू ख़ुदा को खू़ब ढूँडता, और क़ादिर — ए — मुतलक़ के सामने मिन्नत करता,
وَإِنْ كُنْتَ نَقِيًّا صَالِحاً، فَإِنَّهُ حَتْماً يَلْتَفِتُ إِلَيْكَ وَيُكَافِئُكَ بِمَسْكَنِ بِرٍّ. ٦ 6
तो अगर तू पाक दिल और रास्तबाज़ होता, तो वह ज़रूर अब तेरे लिए बेदार हो जाता, और तेरी रास्तबाज़ी के घर को बढ़ाता।
وَإِنْ تَكُنْ أُولاكَ مُتَوَاضِعَةً، فَإِنَّ آخِرَتَكَ تَكُونُ عَظِيمَةً جِدّاً. ٧ 7
और अगरचे तेरा आग़ाज़ छोटा सा था, तोभी तेरा अंजाम बहुत बड़ा होता
اسْأَلِ الأَجْيَالَ الْغَابِرَةَ، وَتَأَمَّلْ مَا اخْتَبَرَهُ الآبَاءُ، ٨ 8
ज़रा पिछले ज़माने के लोंगों से पू छ और जो कुछ उनके बाप दादा ने तहक़ीक़ की है उस पर ध्यान कर।
فَإِنَّنَا قَدْ وُلِدْنَا بِالأَمْسِ الْقَرِيبِ، وَلا نَعْرِفُ شَيْئاً، لأَنَّ أَيَّامَنَا عَلَى الأَرْضِ ظِلٌّ. ٩ 9
क्यूँकि हम तो कल ही के हैं, और कुछ नहीं जानते और हमारे दिन ज़मीन पर साये की तरह हैं।
أَلا يُعْلِمُونَكَ وَيُخْبِرُونَكَ وَيَبُثُّونَكَ مَا فِي نُفُوسِهِمْ قَائِلِينَ: ١٠ 10
क्या वह तुझे न सिखाएँगे और न बताएँगे और अपने दिल की बातें नहीं करेंगे?
أَيَنْمُو الْبَرْدِيُّ حَيْثُ لَا مُسْتَنْقَعَ، أَمْ تَنْبُتُ الْحَلْفَاءُ مِنْ غَيْرِ مَاءٍ؟ ١١ 11
क्या नागरमोंथा बग़ैर कीचड़ के उग सकता है क्या सरकंडों को बिना पानी के बढ़ा किया जा सकता है?
إِنَّهَا تَيْبَسُ قَبْلَ سَائِرِ الْعُشْبِ، وَهِيَ فِي نَضَارَتِهَا لَمْ تُقْطَعْ. ١٢ 12
जब वह हरा ही है और काटा भी नहीं गया तोभी और पौदों से पहले सूख जाता है।
هَكَذَا يَكُونُ مَصِيرُ كُلِّ مَنْ يَنْسَى اللهَ، وَهَكَذَا يَخِيبُ رَجَاءُ الْفَاجِرِ. ١٣ 13
ऐसी ही उन सब की राहें हैं, जो ख़ुदा को भूल जाते हैं बे ख़ुदा आदमी की उम्मीद टूट जाएगी
يَنْهَارُ مَا يَعْتَمِدُ عَلَيْهِ، وَيُصْبِحُ مِثْلَ بَيْتِ الْعَنْكَبُوتِ. ١٤ 14
उसका ऐतमा'द जाता रहेगा और उसका भरोसा मकड़ी का जाला है।
يَتَّكِئُ عَلَيْهِ فَيَنْهَدِمُ، وَيَتَعَلَّقُ بِهِ فَلا يَثْبُتُ. ١٥ 15
वह अपने घर पर टेक लगाएगा लेकिन वह खड़ा न रहेगा, वह उसे मज़बूती से थामेगा लेकिन वह क़ाईम न रहेगा।
يَزْدَهِرُ كَشَجَرَةٍ أَمَامَ الشَّمْسِ، تَنْتَشِرُ أَغْصَانُهَا فَوْقَ بُسْتَانِهَا. ١٦ 16
वह धूप पाकर हरा भरा हो जाता है और उसकी डालियाँ उसी के बाग़ में फैलतीं हैं
تَتَشَابَكُ أُصُولُهُ حَوْلَ كَوْمَةِ الْحِجَارَةِ، وَتَلْتَفُّ حَوْلَ الصُّخُورِ. ١٧ 17
उसकी जड़ें ढेर में लिपटी हुई रहती हैं, वह पत्थर की जगह को देख लेता है।
وَلَكِنْ حَالَمَا يُسْتَأْصَلُ مِنْ مَوْضِعِهِ يُنْكِرُهُ مَكَانُهُ قَائِلاً:’مَا رَأَيْتُكَ قَطُّ!‘ ١٨ 18
अगर वह अपनी जगह से हलाक किया जाए तो वह उसका इन्कार करके कहने लगेंगी, कि मैंने तुझे देखा ही नहीं।
هَكَذَا تَكُونُ بَهْجَةُ طَرِيقِهِ. وَلَكِنْ مِنَ التُّرَابِ يَأْتِي آخَرُونَ وَيأْخُذُونَ مَكَانَهُ. ١٩ 19
देख उसके रस्ते की ख़ुशी इतनी ही है, और मिटटी में से दूसरे उग आएगें।
إِنَّ اللهَ لَا يَنْبِذُ الإِنْسَانَ الْكَامِلَ وَلا يَمُدُّ يَدَ الْعَوْنِ لِفَاعِلِي الشَّرِّ. ٢٠ 20
देख ख़ुदा कामिल आदमी को छोड़ न देगा, न वह बदकिरदारों को सम्भालेगा।
يَمْلأُ فَمَكَ ضَحِكاً وَشَفَتَيْكَ هُتَافاً، ٢١ 21
वह अब भी तेरे मुँह को हँसी से भर देगा और तेरे लबों की ललकार की आवाज़ से।
عِنْدَئِذٍ يَرْتَدِي مُبْغِضُوكَ الْخِزْيَ، وَبَيْتُ الأَشْرَارِ يَنْهَارُ». ٢٢ 22
तेरे नफ़रत करने वाले शर्म का जामा' पहनेंगे और शरीरों का ख़ेमा क़ाईम न रहेगा

< أيُّوب 8 >