< أيُّوب 5 >
ادْعُ الآنَ، فَهَلْ مِنْ مُجِيبٍ؟ وَإِلَى أَيِّ القِدِّيسِينَ تَلْتَفِتُ؟ | ١ 1 |
“इसी समय पुकारकर देख. है कोई जो इसे सुनेगा? तुम किस सज्जन व्यक्ति से सहायता की आशा करोगे?
الْغَيْظُ يَقْتُلُ الأَحْمَقَ، وَالْغَيْرَةُ تُمِيتُ الأَبْلَهَ. | ٢ 2 |
क्रोध ही मूर्ख व्यक्ति के विनाश का कारण हो जाता है, तथा जलन भोले के लिए घातक होती है.
لَقَدْ شَاهَدْتُ الْغَبِيَّ يَتَأَصَّلُ، ثُمَّ لَمْ أَلْبَثْ أَنْ لَعَنْتُ مَسْكَنَهُ. | ٣ 3 |
मैंने मूर्ख को जड़ पकडे देखा है, किंतु तत्काल ही मैंने उसके घर को शाप दे दिया.
أَبْنَاؤُهُ لَا أَمْنَ لَهُمْ. يَتَحَطَّمُونَ عِنْدَ الْبَابِ وَلا مُنْقِذَ. | ٤ 4 |
उसकी संतान सुरक्षित नहीं है, नगर चौक में वे कष्ट के लक्ष्य बने हुए हैं, कोई भी वहां नहीं, जो उनको छुड़वाएगा,
يَأْكُلُ الْجَائِعُ حَصِيدَهُمْ، وَيَلْتَهِمُهُ حَتَّى مِنْ بَيْنِ الشَّوْكِ، وَيَمْتَصُّ الظَّامِئُ ثَرْوَتَهُمْ. | ٥ 5 |
उसकी कटी हुई उपज भूखे लोग खा जाते हैं, कंटीले क्षेत्र की उपज भी वे नहीं छोड़ते. लोभी उसकी संपत्ति हड़पने के लिए प्यासे हैं.
إِنَّ الْبَلِيَّةَ لَا تَخْرُجُ مِنَ التُّرَابِ، وَالْمَشَقَّاتِ لَا تَنْبُتُ مِنَ الأَرْضِ، | ٦ 6 |
कष्ट का उत्पन्न धूल से नहीं होता और न विपत्ति भूमि से उपजती है.
وَمَعَ ذَلِكَ فَإِنَّ الإِنْسَانَ مَوْلُودٌ لِمُعَانَاةِ الْمَتَاعِبِ، كَمَا وُلِدَتِ الْجَوَارِحُ لِتُحَلِّقَ بِأَجْنِحَتِهَا. | ٧ 7 |
जिस प्रकार चिंगारियां ऊपर दिशा में ही बढ़ती हैं उसी प्रकार मनुष्य का जन्म होता ही है यातनाओं के लिए.
لَوْ كُنْتُ فِي مَكَانِكَ لاتَّجَهْتُ إِلَى اللهِ وَعَرَضْتُ أَمْرِي عَلَيْهِ. | ٨ 8 |
“हां, मैं तो परमेश्वर की खोज करूंगा; मैं अपना पक्ष परमेश्वर के सामने प्रस्तुत करूंगा.
هُوَ صَانِعُ عَجَائِبَ لَا تُفْحَصُ وَعَظَائِمَ لَا تُحْصَى. | ٩ 9 |
वही विलक्षण एवं अगम्य कार्य करते हैं, असंख्य हैं आपके चमत्कार.
يُهْطِلُ الْغَيْثَ عَلَى وَجْهِ الأَرْضِ، وَيُرْسِلُ الْمِيَاهَ إِلَى الْحُقُولِ. | ١٠ 10 |
वही पृथ्वी पर वृष्टि बरसाते तथा खेतों को पानी पहुंचाते हैं.
يُقِيمُ الْمُتَوَاضِعِينَ فِي الْعُلَى، وَيَرْفَعُ النَّائِحِينَ إِلَى مَكَانِ الطُّمَأْنِينَةِ. | ١١ 11 |
तब वह विनम्रों को ऊंचे स्थान पर बैठाते हैं, जो विलाप कर रहे हैं, उन्हें सुरक्षा प्रदान करते हैं.
يُبْطِلُ تَدْبِيرَاتِ الْمُحْتَالِينَ فَيُخْفِقُونَ، | ١٢ 12 |
वह चालाक के षड़्यंत्र को विफल कर देते हैं, परिणामस्वरूप उनके कार्य सफल हो ही नहीं पाते.
أَوْ يُوْقِعُ الْحُكَمَاءَ فِي خِدْعَتِهِمْ، فَتَتَلاشَى مَشُورَةُ الْمَاكِرِينَ. | ١٣ 13 |
वह बुद्धिमानों को उन्हीं की युक्ति में उलझा देते हैं तथा धूर्त का परामर्श तत्काल विफल हो जाता है.
يَكْتَنِفُهُمْ ظَلامٌ فِي النَّهَارِ، وَيَتَحَسَّسُونَ طَرِيقَهُمْ فِي الظَّهِيرَةِ، كَمَنْ يَمْشِي فِي اللَّيْلِ. | ١٤ 14 |
दिन में ही वे अंधकार में जा पड़ते हैं तथा मध्याह्न पर उन्हें रात्रि के समान टटोलना पड़ता है.
يُنَجِّي الْبَائِسِينَ مِنْ سَيْفِ فَمِهِمْ، وَمِنْ قَبْضَةِ الْقَوِيِّ يُنْقِذُهُمْ، | ١٥ 15 |
किंतु प्रतिरक्षा के लिए परमेश्वर का वचन है उनके मुख की तलवार; वह बलवानों की शक्ति से दीन की रक्षा करते हैं.
فَيُصْبِحُ لِلْمِسْكِينِ رَجَاءٌ، وَالظُّلْمُ يَسُدُّ فَمَهُ. | ١٦ 16 |
तब निस्सहाय के लिए आशा है, अनिवार्य है कि बुरे लोग चुप रहें.
طُوبَى لِلرَّجُلِ الَّذِي يُقَوِّمُهُ اللهُ، فَلا تَرْفُضْ تَأْدِيبَ الْقَدِيرِ. | ١٧ 17 |
“ध्यान दो, कैसा प्रसन्न है वह व्यक्ति जिसको परमेश्वर ताड़ना देते हैं; तब सर्वशक्तिमान के द्वारा की जा रही ताड़ना से घृणा न करना.
لأَنَّ اللهَ يَجْرَحُ وَيَعْصِبُ، يَسْحَقُ وَيَدَاهُ تُبْرِئَانِ. | ١٨ 18 |
चोट पहुंचाना और मरहम पट्टी करना, दोनों ही उनके द्वारा होते हैं; वही घाव लगाते और स्वास्थ्य भी वही प्रदान करते हैं.
مِنْ سِتِّ بَلايَا يُنَجِّيكَ، وَفِي سَبْعٍ لَا يَقَعُ بِكَ أَذىً. | ١٩ 19 |
वह छः कष्टों से तुम्हारा निकास करेंगे, सात में भी अनिष्ट तुम्हारा स्पर्श नहीं कर सकेगा.
يَفْدِيكَ مِنَ الْمَوْتِ جُوعاً، وَفِي الْحَرْبِ مِنَ الْمَوْتِ بِحَدِّ السَّيْفِ. | ٢٠ 20 |
अकाल की स्थिति में परमेश्वर तुम्हें मृत्यु से बचाएंगे, वैसे ही युद्ध में तलवार के प्रहार से.
يَقِيكَ مِنْ لَذَعَاتِ اللِّسَانِ، فَلا تَخَافُ مِنَ الدَّمَارِ إِذَا أَقْبَلَ. | ٢١ 21 |
तुम चाबुक समान जीभ से सुरक्षित रहोगे, तथा तुम्हें हिंसा भयभीत न कर सकेगी.
تَسْخَرُ مِنَ الدَّمَارِ وَالْمَجَاعَةِ، وَلا تَخْشَى وُحُوشَ الأَرْضِ، | ٢٢ 22 |
हिंसा तथा अकाल तुम्हारे लिए उपहास के विषय होंगे, तुम्हें हिंसक पशुओं का भय न होगा.
لأَنَّ عَهْدَكَ مَعَ حِجَارَةِ الْحَقْلِ، وَوُحُوشُ الصَّحْرَاءِ تُسَالِمُكَ. | ٢٣ 23 |
तुम खेत के पत्थरों के साथ रहोगे तथा वन-पशुओं से तुम्हारी मैत्री हो जाएगी.
فَتُدْرِكُ أَنَّ خَيْمَتَكَ آمِنَةٌ، وَتَتَعَهَّدُ حَظِيرَتَكَ فَلا تَفْقِدُ شَيْئاً. | ٢٤ 24 |
तुम्हें यह तो मालूम हो जाएगा कि तुम्हारा डेरा सुरक्षित है; तुम अपने घर में जाओगे और तुम्हें किसी भी हानि का भय न होगा.
عِنْدَئِذٍ تَعْلَمُ أَنَّ ذُرِّيَّتَكَ كَثِيرَةٌ، وَأَنَّ نَسْلَكَ كَعُشْبِ الأَرْضِ، | ٢٥ 25 |
तुम्हें यह भी बोध हो जाएगा कि तुम्हारे वंशजों की संख्या बड़ी होगी, तुम्हारी सन्तति भूमि की घास समान होगी.
وَتَدْخُلُ الْقَبْرَ فِي شَيْبَةٍ نَاضِجَةٍ، كَمَا يُرْفَعُ كُدْسُ الْقَمْحِ فِي مَوْسِمِهِ. | ٢٦ 26 |
मृत्यु की बेला में भी तुम्हारे शौर्य का ह्रास न हुआ होगा, जिस प्रकार परिपक्व अन्न एकत्र किया जाता है.
فَانْظُرْ. هَذَا مَا بَحَثْنَا عَنْهُ، وَهُوَ حَقٌّ، فَاسْمَعْهُ وَاخْتَبِرْهُ بِنَفْسِكَ». | ٢٧ 27 |
“इस पर ध्यान दो: हमने इसे परख लिया है यह ऐसा ही है. इसे सुनो तथा स्वयं इसे पहचान लो.”