< أيُّوب 41 >
أَيُمْكِنُ أَنْ تَصْطَادَ لَوِيَاثَانَ (الْحَيَوَانَ الْبَحْرِيَّ) بِشِصٍّ، أَوْ تَرْبِطَ لِسَانَهُ بِحَبْلٍ؟ | ١ 1 |
क्या तू मगर कोशिस्त से बाहर निकाल सकता है या रस्सी से उसकी ज़बान को दबा सकता है?
أَتَقْدِرُ أَنْ تَضَعَ خِزَامَةً فِي أَنْفِهِ، أَوْ تَثْقُبَ فَكَّهُ بِخُطَّافٍ؟ | ٢ 2 |
क्या तू उसकी नाक में रस्सी डाल सकता है? या उसका जबड़ा मेख़ से छेद सकता है?
أَيُكْثِرُ مِنْ تَضَرُّعَاتِهِ إِلَيْكَ أَمْ يَسْتَعْطِفُكَ؟ | ٣ 3 |
क्या वह तेरी बहुत मिन्नत समाजत करेगा? या तुझ से मीठी मीठी बातें कहेगा?
أَيُبْرِمُ مَعَكَ عَهْداً لِتَتَّخِذَهُ عَبْداً مُؤَبَّداً لَكَ؟ | ٤ 4 |
क्या वह तेरे साथ 'अहद बांधेगा, कि तू उसे हमेशा के लिए नौकर बना ले?
أَتُلاعِبُهُ كَمَا تُلاعِبُ الْعُصْفُورَ، أَمْ تُطَوِّقُهُ بِتُرْسٍ لِيَكُونَ لُعْبَةً لِفَتَيَاتِكَ؟ | ٥ 5 |
क्या तू उससे ऐसे खेलेगा जैसे परिन्दे से? या क्या तू उसे अपनी लड़कियों के लिए बाँध देगा?
أَيُسَاوِمُ عَلَيْهِ التُّجَّارُ، أَمْ يَتَقَاسَمُونَهُ بَيْنَهُمْ؟ | ٦ 6 |
क्या लोग उसकी तिजारत करेंगे? क्या वह उसे सौदागरों में तक़सीम करेंगे?
أَتَمْلأُ جِلْدَهُ بِالْحِرَابِ وَرَأْسَهُ بِأَسِنَّةِ الرِّمَاحِ؟ | ٧ 7 |
क्या तू उसकी खाल को भालों से, या उसके सिर को माहीगीर के तरसूलों से भर सकता है?
إِنْ حَاوَلْتَ الْقَبْضَ عَلَيْهِ بِيَدِكَ فَإِنَّكَ سَتَذْكُرُ ضَرَاوَةَ قِتَالِهِ وَلا تَعُودُ تُقْدِمُ عَلَى ذَلِكَ ثَانِيَةً! | ٨ 8 |
तू अपना हाथ उस पर धरे, तो लड़ाई को याद रख्खेगा और फिर ऐसा न करेगा।
أَيُّ أَمَلٍ فِي إِخْضَاعِهِ قَدْ خَابَ، وَمُجَرَّدُ النَّظَرِ إِلَيْهِ يَبْعَثُ عَلَى الفَزَعِ. | ٩ 9 |
देख, उसके बारे में उम्मीद बेफ़ायदा है। क्या कोई उसे देखते ही गिर न पड़ेगा?
لَا أَحَدَ يَمْلِكُ جُرْأَةً كَافِيَةً لِيَسْتَثِيرَهُ. فَمَنْ إِذاً، يَقْوَى عَلَى مُجَابَهَتِي؟ | ١٠ 10 |
कोई ऐसा तुन्दख़ू नहीं जो उसे छेड़ने की हिम्मत न करे। फिर वह कौन है जो मेरे सामने खड़ा होसके?
لِمَنْ أَنَا مَدِينٌ فَأُوفِيَهُ؟ كُلُّ مَا تَحْتَ جَمِيعِ السَّمَاوَاتِ هُوَ لِي. | ١١ 11 |
किस ने मुझे पहले कुछ दिया है कि मैं उसे अदा करूँ? जो कुछ सारे आसमान के नीचे है वह मेरा है।
دَعْنِي أُحَدِّثُكَ عَنْ أَطْرَافِ لَوِيَاثَانَ وَعَنْ قُوَّتِهِ وَتَنَاسُقِ قَامَتِهِ. | ١٢ 12 |
न मैं उसके 'आज़ा के बारे में ख़ामोश रहूँगा न उसकी ताक़त और ख़ूबसूरत डील डोल के बारे में।
مَنْ يَخْلَعُ كِسَاءَهُ أَوْ يَدْنُو مِنْ مُتَنَاوَلِ صَفَّيْ أَضْرَاسِهِ؟ | ١٣ 13 |
उसके ऊपर का लिबास कौन उतार सकता है? उसके जबड़ों के बीच कौन आएगा?
مَنْ يَفْتَحُ شَدْقَيْهِ؟ إِنَّ دَائِرَةَ أَسْنَانِهِ مُرْعِبَةٌ! | ١٤ 14 |
उसके मुँह के किवाड़ों को कौन खोल सकता है? उसके दाँतों का दायरा दहशत नाक है।
ظَهْرُهُ مَصْنُوعٌ مِنْ حَرَاشِفَ كَتُرُوسٍ مَصْفُوفَةٍ مُتَلاصِقَةٍ بِإِحْكَامٍ، وَكَأَنَّهَا مَضْغُوطَةٌ بِخَاتَمٍ، | ١٥ 15 |
उसकी ढालें उसका फ़ख़्र हैं; जो जैसा सख़्त मुहर से पैवस्ता की गई हैं।
مُتَلاصِقَةٌ لَا يَنْفُذُ مِنْ بَيْنِهَا الْهَوَاءُ، | ١٦ 16 |
वह एक दूसरी से ऐसी जुड़ी हुई हैं, कि उनके बीच हवा भी नहीं आ सकती।
مُتَّصِلَةٌ بَعْضُهَا بِبَعْضٍ، مُتَلَبِّدَةٌ لَا تَنْفَصِلُ. | ١٧ 17 |
वह एक दूसरी से एक साथ पैवस्ता हैं; वह आपस में ऐसी जुड़ी हैं कि जुदा नहीं हो सकतीं।
عِطَاسُهُ يُوْمِضُ نُوراً، وَعَيْنَاهُ كَأَجْفَانِ الْفَجْرِ، | ١٨ 18 |
उसकी छींकें नूर अफ़्शानी करती हैं उसकी आँखें सुबह के पपोटों की तरह हैं।
مِنْ فَمِهِ تَخْرُجُ مَشَاعِلُ مُلْتَهِبَةٌ، وَيَتَطَايَرُ مِنْهُ شَرَارُ نَارٍ، | ١٩ 19 |
उसके मुँह से जलती मश'अलें निकलती हैं, और आग की चिंगारियाँ उड़ती हैं।
يَنْبَعِثُ مِنْ مِنْخَرَيْهِ دُخَانٌ وَكَأَنَّهُ مِن قِدْرٍ يَغْلِي أَوْ مِرْجَلٍ. | ٢٠ 20 |
उसके नथनों से धुवाँ निकलता है, जैसे खौलती देग और सुलगते सरकंडे से।
يُضْرِمُ نَفَسُهُ الْجَمْرَ، وَمِنْ فَمِهِ يَنْطَلِقُ اللَّهَبُ. | ٢١ 21 |
उसका साँस से कोयलों को दहका देता है, और उसके मुँह से शो'ले निकलते हैं।
فِي عُنُقِهِ تَكْمُنُ قُوَّةٌ، وَأَمَامَ عَيْنَيْهِ يَعْدُو الْهَوْلُ. | ٢٢ 22 |
ताक़त उसकी गर्दन में बसती है, और दहशत उसके आगे आगे चलती “है।
ثَنَايَا لَحْمِهِ مُحْكَمَةُ التَّمَاسُكِ، مَسْبُوكَةٌ عَلَيْهِ لَا تَتَحَرَّكُ. | ٢٣ 23 |
उसके गोश्त की तहें आपस में जुड़ी हुई हैं; वह उस पर ख़ूब जुड़ी हैं और हट नहीं सकतीं।
قَلْبُهُ صُلْبٌ كَالصَّخْرِ، صَلْدٌ كَالرَّحَى السُّفْلَى. | ٢٤ 24 |
उसका दिल पत्थर की तरह मज़बूत है, बल्कि चक्की के निचले पाट की तरह।
عِنْدَمَا يَنْهَضُ يَدِبُّ الْفَزَعُ فِي الأَقْوِيَاءِ، وَمِنْ جَلَبَتِهِ يَعْتَرِيهِمْ شَلَلٌ. | ٢٥ 25 |
जब ख़ुदा उठ खड़ा होता है, तो ज़बरदस्त लोग डर जाते हैं, और घबराकर ख़ौफ़ज़दा हो जाते हैं।
لَا يَنَالُ مِنْهُ السَّيْفُ الَّذِي يُصِيبُهُ، وَلا الرُّمْحُ وَلا السَّهْمُ وَلا الْحَرْبَةُ. | ٢٦ 26 |
अगर कोई उस पर तलवार चलाए, तो उससे कुछ नहीं बनता: न भाले, न तीर, न बरछी से।
يَحْسِبُ الْحَدِيدَ كَالْقَشِّ وَالنُّحَاسَ كَالْخَشَبِ النَّخِرِ. | ٢٧ 27 |
वह लोहे को भूसा समझता है, और पीतल को गली हुई लकड़ी।
لَا يُرْغِمُهُ السَّهْمُ عَلَى الْفِرَارِ، وَحِجَارَةُ الْمِقْلاعِ لَدَيْهِ كَالْقَشِّ. | ٢٨ 28 |
तीर उसे भगा नहीं सकता, फ़लाख़न के पत्थर उस पर तिनके से हैं।
الْهِرَاوَةُ فِي عَيْنَيْهِ كَالْعُصَافَةِ، وَيَهْزَأُ بِاهْتِزَازِ الرُّمْحِ الْمُصَوَّبِ إِلَيْهِ. | ٢٩ 29 |
लाठियाँ जैसे तिनके हैं, वह बर्छी के चलने पर हँसता है।
بَطْنُهُ كَقِطَعِ الْخَزَفِ الْحَادَّةِ. إِذَا تَمَدَّدَ عَلَى الطِّينِ يَتْرُكُ آثَاراً مُمَاثِلَةً لِآثَارِ النَّوْرَجِ. | ٣٠ 30 |
उसके नीचे के हिस्से तेज़ ठीकरों की तरह हैं; वह कीचड़ पर जैसे हेंगा फेरता है।
يَجْعَلُ اللُّجَّةَ تَغْلِي كَالْقِدْرِ، وَالْبَحْرَ يَجِيشُ كَقِدْرِ الطِّيبِ. | ٣١ 31 |
वह गहराव को देग की तरह खौलाता, और समुन्दर को मरहम की तरह बना देता है।
يَتْرُكُ خَلْفَهُ خَطّاً مِنْ زَبَدٍ أَبْيَضَ، فَيُخَالُ أَنَّ الْبَحْرَ قَدْ أَصَابَهُ الشَّيْبُ. | ٣٢ 32 |
वह अपने पीछे चमकीला निशान छोड़ जाता है; गहराव गोया सफ़ेद नज़र आने लगता है।
لَا نَظِيرَ لَهُ فَوْقَ الأَرْضِ لأَنَّهُ مَخْلُوقٌ عَدِيمُ الْخَوْفِ. | ٣٣ 33 |
ज़मीन पर उसका नज़ीर नहीं, जो ऐसा बेख़ौफ़ पैदा हुआ हो।
يَحْتَقِرُ كُلَّ مَا هُوَ مُتَعَالٍ، وَهُوَ مَلِكٌ عَلَى ذَوِي الْكِبْرِيَاءِ». | ٣٤ 34 |
वह हर ऊँची चीज़ को देखता है, और सब मग़रूरों का बादशाह है।”