< إرْمِيا 6 >

«لُوذُوا بِالْنَّجَاةِ يَا ذُرِّيَّةَ بِنْيَامِينَ، وَاهْرُبُوا مِنْ وَسَطِ أُورُشَلِيمَ. انْفُخُوا بِالْبُوقِ فِي تَقُوعَ، وَأَشْعِلُوا عَلَمَ نَارٍ عَلَى بَيْتِ هَكَّارِيمَ، لأَنَّ الشَّرَّ قَدْ أَقْبَلَ مِنَ الشِّمَالِ لِيَعِيثَ فِي الأَرْضِ خَرَاباً. ١ 1
हे बिन्यामीनियों, यरूशलेम में से अपना-अपना सामान लेकर भागो! तकोआ में नरसिंगा फूँको, और बेथक्केरेम पर झण्डा ऊँचा करो; क्योंकि उत्तर की दिशा से आनेवाली विपत्ति बड़ी और विनाश लानेवाली है।
هَا أَنَا أُهْلِكُ أُورُشَلِيمَ الْجَمِيلَةَ الْمُتْرَفَةَ ابْنَةَ صِهْيَوْنَ، ٢ 2
सिय्योन की सुन्दर और सुकुमार बेटी को मैं नाश करने पर हूँ।
فَيَحُلُّ بِها الرُّعَاةُ مَعَ قُطْعَانِهِمْ، وَيَضْرِبُونَ حَوْلَهَا خِيَامَهُمْ، وَيَرْعَى كُلٌّ مِنْهُمْ حَيْثُ نَزَلَ. ٣ 3
चरवाहे अपनी-अपनी भेड़-बकरियाँ संग लिए हुए उस पर चढ़कर उसके चारों ओर अपने तम्बू खड़े करेंगे, वे अपने-अपने पास की घास चरा लेंगे।
أَعِدُّوا عَلَيْهَا حَرْباً. قُومُوا نُهَاجِمُهَا عِنْدَ الظَّهِيرَةِ. وَيْلٌ لَنَا فَقَدْ مَالَ النَّهَارُ وَانْتَشَرَتْ ظِلالُ الْمَسَاءِ. ٤ 4
“आओ, उसके विरुद्ध युद्ध की तैयारी करो; उठो, हम दोपहर को चढ़ाई करें!” “हाय, हाय, दिन ढलता जाता है, और साँझ की परछाई लम्बी हो चली है!”
هُبُّوا لِنَهْجُمَ فِي اللَّيْلِ وَنَهْدِمَ قُصُورَهَا». ٥ 5
“उठो, हम रात ही रात चढ़ाई करें और उसके महलों को ढा दें।”
لأَنَّ هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ: «اقْطَعُوا الشَّجَرَ، وَأَقِيمُوا مِتْرَسَةً حَوْلَ أُورُشَلِيمَ، إِذْ يَجِبُ أَنْ تُعَاقَبَ هَذِهِ الْمَدِينَةُ، لأَنَّ دَاخِلَهَا مُفْعَمٌ بِالظُّلْمِ. ٦ 6
सेनाओं का यहोवा तुम से कहता है, “वृक्ष काट-काटकर यरूशलेम के विरुद्ध मोर्चा बाँधो! यह वही नगर है जो दण्ड के योग्य है; इसमें अंधेर ही अंधेर भरा हुआ है।
وَكَمَا تُنْبِعُ الْعَيْنُ مِيَاهَهَا كَذَلِكَ هِيَ تُنْبِعُ شَرَّهَا. يَتَرَدَّدُ فِي أَرْجَائِهَا الظُّلْمُ وَيَعُمُّهَا السَّلْبُ، وَأَمَامِي دَائِماً مَرَضٌ وَبَلايَا. ٧ 7
जैसा कुएँ में से नित्य नया जल निकला करता है, वैसा ही इस नगर में से नित्य नई बुराई निकलती है; इसमें उत्पात और उपद्रव का कोलाहल मचा रहता है; चोट और मारपीट मेरे देखने में निरन्तर आती है।
فَاحْذَرِي يَا أُورُشَلِيمُ لِئَلَّا أَجْفُوَكِ وَأَجْعَلَكِ مُوْحِشَةً وَأَرْضاً مَهْجُورَةً». ٨ 8
हे यरूशलेम, ताड़ना से ही मान ले, नहीं तो तू मेरे मन से भी उतर जाएगी; और, मैं तुझको उजाड़ कर निर्जन कर डालूँगा।”
وَهَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ: «لِيَجْمَعُوا بِدِقَّةٍ لِقَاطَ بَقِيَّةِ إِسْرَائِيلَ كَمَا يَجْمَعُونَ لِقَاطَ كَرْمَةٍ. رُدَّ يَدَكَ إِلَى الأَغْصَانِ ثَانِيَةً كَلاقِطِ الْعِنَبِ». ٩ 9
सेनाओं का यहोवा यह कहता है, “इस्राएल के सब बचे हुए दाखलता के समान ढूँढ़कर तोड़े जाएँगे; दाख के तोड़नेवाले के समान उस लता की डालियों पर फिर अपना हाथ लगा।”
لِمَنْ أَتَحَدَّثُ وَأُنْذِرُ حَتَّى يَسْمَعُوا؟ انْظُرْ! إِنَّ آذَانَهُمْ صَمَّاءُ فَلا يَسْمَعُونَ، وَكَلِمَةَ الرَّبِّ مَثَارُ خِزْيٍ لَهُمْ فَلا يُسَرُّونَ بِها. ١٠ 10
१०मैं किस से बोलूँ और किसको चिताकर कहूँ कि वे मानें? देख, ये ऊँचा सुनते हैं, वे ध्यान भी नहीं दे सकते; देख, यहोवा के वचन की वे निन्दा करते और उसे नहीं चाहते हैं।
لِذَلِكَ امْتَلَأْتُ مِنْ سَخَطِ الرَّبِّ وَأَعْيَانِي كَبْتُهُ. «أَسْكُبُهُ عَلَى الأَوْلادِ فِي الطَّرِيقِ وَعَلَى الشُّبَّانِ الْمُجْتَمِعِينَ فِي مَجَالِسِهِمْ، فَيُصِيبُ الرَّجُلَ وَزَوْجَتَهُ وَالشَّيْخَ وَالطَّاعِنَ فِي السِّنِّ. ١١ 11
११इस कारण यहोवा का कोप मेरे मन में भर गया है; मैं उसे रोकते-रोकते थक गया हूँ। “बाजारों में बच्चों पर और जवानों की सभा में भी उसे उण्डेल दे; क्योंकि पति अपनी पत्नी के साथ और अधेड़ बूढ़े के साथ पकड़ा जाएगा।
وَتَتَحَوَّلُ بُيُوتُهُمْ وَحقُولُهُمْ لآخَرِينَ، وَكَذَلِكَ نِسَاؤُهُمْ، لأَنِّي أَبْسُطُ يَدِي ضِدَّ سُكَّانِ الأَرْضِ» يَقُولُ الرَّبُّ ١٢ 12
१२उन लोगों के घर और खेत और स्त्रियाँ सब दूसरों की हो जाएँगीं; क्योंकि मैं इस देश के रहनेवालों पर हाथ बढ़ाऊँगा,” यहोवा की यही वाणी है।
«لأَنَّهُمْ جَمِيعاً، صِغَارَهُمْ وَكِبَارَهُمْ، مُوْلَعُونَ بالرِّبْحِ الْحَرَامِ. حَتَّى النَّبِيُّ وَالْكَاهِنُ يَرْتَكِبَانِ الزُّورَ فِي أَعْمَالِهِمَا. ١٣ 13
१३“क्योंकि उनमें छोटे से लेकर बड़े तक सब के सब लालची हैं; और क्या भविष्यद्वक्ता क्या याजक सब के सब छल से काम करते हैं।
يُعَالِجُونَ جِرَاحَ شَعْبِي بِاسْتِخْفَافٍ قَائِلِينَ:’سَلامٌ، سَلامٌ.‘فِي حِينِ لَا يُوْجَدُ سَلامٌ. ١٤ 14
१४वे, ‘शान्ति है, शान्ति’, ऐसा कह कहकर मेरी प्रजा के घाव को ऊपर ही ऊपर चंगा करते हैं, परन्तु शान्ति कुछ भी नहीं।
هَلْ خَجِلُوا لأَنَّهُمُ اقْتَرَفُوا الرِّجْسَ؟ كَلا! لَمْ يَخْزَوْا قَطُّ وَلَمْ يَعْرِفُوا الْخَجَلَ، لِذَلِكَ سَيَسْقُطُونَ بَيْنَ السَّاقِطِينَ، وَحِينَ أُعَاقِبُهُمْ يُطَوَّحُ بِهِمْ». ١٥ 15
१५क्या वे कभी अपने घृणित कामों के कारण लज्जित हुए? नहीं, वे कुछ भी लज्जित नहीं हुए; वे लज्जित होना जानते ही नहीं; इस कारण जब और लोग नीचे गिरें, तब वे भी गिरेंगे, और जब मैं उनको दण्ड देने लगूँगा, तब वे ठोकर खाकर गिरेंगे,” यहोवा का यही वचन है।
وَهَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ: «قِفُوا فِي الطُّرُقَاتِ وَانْظُرُوا، وَاسْأَلُوا عَنِ الْمَسَالِكِ الصَّالِحَةِ الْقَدِيمَةِ وَاطْرُقُوهَا، فَتَجِدُوا رَاحَةً لِنُفُوسِكُمْ. وَلَكِنَّكُمْ قُلْتُمْ:’لَنْ نَسِيرَ فِيهَا.‘ ١٦ 16
१६यहोवा यह भी कहता है, “सड़कों पर खड़े होकर देखो, और पूछो कि प्राचीनकाल का अच्छा मार्ग कौन सा है, उसी में चलो, और तुम अपने-अपने मन में चैन पाओगे। पर उन्होंने कहा, ‘हम उस पर न चलेंगे।’
فَأَقَمْتُ عَلَيْكُمْ رُقَبَاءَ قَائِلاً: اسْمَعُوا دَوِيَّ الْبُوقِ. وَلَكِنَّكُمْ قُلْتُمْ:’لَنْ نَسْمَعَ!‘ ١٧ 17
१७मैंने तुम्हारे लिये पहरुए बैठाकर कहा, ‘नरसिंगे का शब्द ध्यान से सुनना!’ पर उन्होंने कहा, ‘हम न सुनेंगे।’
لِذَلِكَ اسْمَعُوا أَيُّهَا الأُمَمُ، وَاعْلَمِي أَيَّتُهَا الْجَمَاعَةُ مَاذَا يَحُلُّ بِهِمْ. ١٨ 18
१८इसलिए, हे जातियों, सुनो, और हे मण्डली, देख, कि इन लोगों में क्या हो रहा है।
اسْمَعِي أَيَّتُهَا الأَرْضُ وَانْظُرِي، لأَنِّي جَالِبٌ شَرّاً عَلَى هَذَا الشَّعْبِ عِقَاباً لَهُمْ عَلَى أَفْكَارِهِمِ الأَثِيمَةِ، لأَنَّهُمْ لَمْ يُطِيعُوا كَلِمَاتِي وَتَنَكَّرُوا لِشَرِيعَتِي. ١٩ 19
१९हे पृथ्वी, सुन; देख, कि मैं इस जाति पर वह विपत्ति ले आऊँगा जो उनकी कल्पनाओं का फल है, क्योंकि इन्होंने मेरे वचनों पर ध्यान नहीं लगाया, और मेरी शिक्षा को इन्होंने निकम्मी जाना है।
لأَيِّ غَرَضٍ يَصْعَدُ إِلَيَّ الْبَخُورُ مِنْ شَبَا، وَقَصَبُ الطِّيبِ مِنْ أَرْضٍ نَائِيَةٍ؟ مُحْرَقَاتُكُمْ مَرْفُوضَةٌ، وَتَقْدِمَاتُكُمْ لَا تَسُرُّنِي». ٢٠ 20
२०मेरे लिये जो लोबान शेबा से, और सुगन्धित नरकट जो दूर देश से आता है, इसका क्या प्रयोजन है? तुम्हारे होमबलियों से मैं प्रसन्न नहीं हूँ, और न तुम्हारे मेलबलि मुझे मीठे लगते हैं।
لِذَلِكَ يُعْلِنُ الرَّبُّ: «هَا أَنَا أُقِيمُ لِهَذَا الشَّعْبِ مَعَاثِرَ يَتَعَثَّرُ بِها الآبَاءُ وَالأَبْنَاءُ مَعاً، وَيَهْلِكُ بِها الْجَارُ وَصَدِيقُهُ». ٢١ 21
२१“इस कारण यहोवा ने यह कहा है, ‘देखो, मैं इस प्रजा के आगे ठोकर रखूँगा, और बाप और बेटा, पड़ोसी और मित्र, सब के सब ठोकर खाकर नाश होंगे।’”
«انْظُرُوا، هَا شَعْبٌ زَاحِفٌ مِنَ الشِّمَالِ، وَأُمَّةٌ عَظِيمَةٌ تَهُبُّ مِنْ أَقَاصِي الأَرْضِ، ٢٢ 22
२२यहोवा यह कहता है, “देखो, उत्तर से वरन् पृथ्वी की छोर से एक बड़ी जाति के लोग इस देश के विरोध में उभारे जाएँगे।
تَسَلَّحَتْ بِالْقَوْسِ وَالرُّمْحِ، وَهِيَ قَاسِيَةٌ لَا تَرْحَمُ. جَلَبَتُهَا كَهَدِيرِ الْبَحْرِ وَهِيَ مُقْبِلَةٌ عَلَى صَهَوَاتِ الْخَيْلِ. قَدِ اصْطَفَّتْ كَإِنْسَانٍ وَاحِدٍ لِمُحَارَبَتِكِ يَا أُورُشَلِيمُ». ٢٣ 23
२३वे धनुष और बर्छी धारण किए हुए आएँगे, वे क्रूर और निर्दयी हैं, और जब वे बोलते हैं तब मानो समुद्र गरजता है; वे घोड़ों पर चढ़े हुए आएँगे, हे सिय्योन, वे वीर के समान सशस्त्र होकर तुझ पर चढ़ाई करेंगे।”
سَمِعْنَا أَخْبَارَهُمُ الْمُرْعِبَةَ فَدَبَّ الضَّعْفُ فِي أَيْدِينَا، وَتَوَلّانَا كَرْبٌ وَأَلَمٌ كَأَلَمِ امْرَأَةٍ تُعَانِي مِنَ الْمَخَاضِ. ٢٤ 24
२४इसका समाचार सुनते ही हमारे हाथ ढीले पड़ गए हैं; हम संकट में पड़े हैं; जच्चा की सी पीड़ा हमको उठी है।
لَا تَخْرُجُوا إِلَى الْحَقْلِ وَلا تَمْشُوا فِي الطَّرِيقِ، فَلِلْعَدُوِّ سَيْفٌ، وَالْهَوْلُ مُحْدِقٌ مِنْ كُلِّ جِهَةٍ. ٢٥ 25
२५मैदान में मत निकलो, मार्ग में भी न चलो; क्योंकि वहाँ शत्रु की तलवार और चारों ओर भय दिखाई पड़ता है।
فَيَا أُورُشَلِيمُ ارْتَدِي الْمُسُوحَ وَتَمَرَّغِي فِي الرَّمَادِ، وَنُوحِي كَمَنْ يَنُوحُ عَلَى وَحِيدِهِ، وَانْتَحِبِي نَحِيباً مُرّاً، لأَنَّ الْمُدَمِّرَ يَنْقَضُّ عَلَيْنَا فَجْأَةً. ٢٦ 26
२६हे मेरी प्रजा कमर में टाट बाँध, और राख में लोट; जैसा एकलौते पुत्र के लिये विलाप होता है वैसा ही बड़ा शोकमय विलाप कर; क्योंकि नाश करनेवाला हम पर अचानक आ पड़ेगा।
«إِنِّي أَقَمْتُكَ مُمْتَحِناً لِلْمَعْدِنِ، وَجَعَلْتُ شَعْبِي مَادَّةَ خَامٍ لِكَيْ تَعْرِفَ طُرُقَهُمْ وَتَفْحَصَهَا. ٢٧ 27
२७“मैंने इसलिए तुझे अपनी प्रजा के बीच गुम्मट और गढ़ ठहरा दिया कि तू उनकी चाल परखे और जान ले।
فَكُلُّهُمْ عُصَاةٌ مُتَمَرِّدُونَ سَاعُونَ فِي النَّمِيمَةِ. هُمْ نُحَاسٌ وَحَدِيدٌ وَكُلُّهُمْ فَاسِدُونَ. ٢٨ 28
२८वे सब बहुत ही हठी हैं, वे लुतराई करते फिरते हैं; उन सभी की चाल बिगड़ी है, वे निरा तांबा और लोहा ही हैं।
لَشَدَّ مَا تُضْرِمُ رِيحُ المِنْفَاخِ الشَّدِيدَةُ النَّارَ فَتَلْتَهِمُ الرَّصَاصَ وَلَكِنْ كَمَا يَتَعَذَّرُ تَنْقِيَتُهُ مِنَ الزَّغَلِ كَذَلِكَ يَتَعَذَّرُ فَصْلُ الأَشْرَارِ. ٢٩ 29
२९धौंकनी जल गई, सीसा आग में जल गया; ढालनेवाले ने व्यर्थ ही ढाला है; क्योंकि बुरे लोग नहीं निकाले गए।
وَهُمْ يُدْعَوْنَ حُثَالَةَ الْفِضَّةِ الْمَرْذُولَةِ، لأَنَّ الرَّبَّ قَدْ رَفَضَهُمْ». ٣٠ 30
३०उनका नाम खोटी चाँदी पड़ेगा, क्योंकि यहोवा ने उनको खोटा पाया है।”

< إرْمِيا 6 >