< إرْمِيا 44 >
هَذِهِ هِيَ النُّبُوءَةُ الَّتِي أُوْحِيَ بِها إِلَى إِرْمِيَا عَنِ الْيَهُودِ الْمُقِيمِينَ فِي مِصْرَ، النَّازِلِينَ فِي مَجْدَلَ وَفِي تَحَفَنْحِيسَ وَمَمْفِيسَ وَفِي مِنْطَقَةِ جَنُوبِ مِصْرَ. | ١ 1 |
वह कलाम जो उन सब यहूदियों के बारे में जो मुल्क — ए — मिस्र में मिजदाल के 'इलाक़े और तहफ़नीस और नूफ़ और फ़तरूस में बसते थे, यरमियाह पर नाज़िल हुआ:
«هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: قَدْ شَهِدْتُمْ كُلَّ مَا أَوْقَعْتُهُ مِنْ شَرٍّ بِأُورُشَلِيمَ وَبِكَافَّةِ مُدُنِ يَهُوذَا. هَا هِيَ الْيَوْمَ خَرِبَةٌ مَهْجُورَةٌ | ٢ 2 |
कि 'रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: तुम ने वह तमाम मुसीबत जो मैं येरूशलेम पर और यहूदाह के सब शहरों पर लाया हूँ, देखी; और देखो, अब वह वीरान और ग़ैर आबाद हैं।
لِشَرِّ أَهْلِهَا الَّذِي ارْتَكَبُوهُ لِيُثِيرُوا سُخْطِي، إِذْ ذَهَبُوا لِيُحْرِقُوا بَخُوراً وَيَعْبُدُوا آلِهَةً أُخْرَى مِنَ الأَصْنَامِ لَمْ يَعْرِفُوهَا هُمْ وَلا أَنْتُمْ وَلا آبَاؤُكُمْ. | ٣ 3 |
उस शरारत की वजह से जो उन्होंने मुझे गज़बनाक करने को की, क्यूँकि वह ग़ैर — मा'बूदों के आगे ख़ुशबू जलाने को गए, और उनकी इबादत की जिनको न वह जानते थे, न तुम न तुम्हारे बाप — दादा।
وَقَدْ أَرْسَلْتُ إِلَيْكُمْ مُنْذِراً مُنْذُ الْبَدْءِ جَمِيعَ عَبِيدِي الأَنْبِيَاءِ قَائِلاً: لَا تَقْتَرِفُوا رِجْساً مِثْلَ هَذَا لأَنِّي أَمْقُتُهُ، | ٤ 4 |
और मैंने अपने तमाम ख़िदमत — गुज़ार नबियों को तुम्हारे पास भेजा, उनको वक़्त पर यूँ कह कर भेजा कि तुम यह नफ़रती काम, जिससे मैं नफ़रत रखता हूँ, न करो।
فَلَمْ يَرْتَدِعُوا وَلا سَمِعُوا لِيَتُوبُوا وَيَكُفُّوا عَنْ إِحْرَاقِ الْبَخُورِ لِتِلْكَ الأَصْنَامِ، | ٥ 5 |
लेकिन उन्होंने न सुना, न कान लगाया कि अपनी बुराई से बाज़ आएँ, और ग़ैर — मा'बूदों के आगे ख़ुशबू न जलाएँ।
فَانْصَبَّ غَيْظِي وَحَنَقِي، وَأَشْعَلا مُدُنَ يَهُوذَا وَشَوَارِعَ أُورُشَلِيمَ حَتَّى أَصْبَحَتْ جَمِيعاً أَطْلالاً وَخَرَاباً كَمَا هِيَ فِي هَذَا الْيَوْمِ. | ٦ 6 |
इसलिए मेरा क़हर — ओ — ग़ज़ब नाज़िल हुआ, और यहूदाह के शहरों और येरूशलेम के बाज़ारों पर भड़का; और वह ख़राब और वीरान हुए जैसे अब हैं।
وَالآنَ هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: لِمَاذَا تَرْتَكِبُونَ هَذَا الشَّرَّ الْعَظِيمَ فِي حَقِّ أَنْفُسِكُمْ، لِيَنْقَرِضَ مِنْكُمُ الرَّجُلُ وَالْمَرْأَةُ وَالطِّفْلُ وَالرَّضِيعُ مِنْ بَيْنِ شَعْبِ يَهُوذَا وَلا تَبْقَى مِنْكُمْ بَقِيَّةٌ؟ | ٧ 7 |
और अब ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: तुम क्यूँ अपनी जानों से ऐसी बड़ी बुराई करते हो, कि यहूदाह में से मर्द — ओ — ज़न और तिफ़्ल — ओ — शीर ख़्वार काट डालें जाएँ और तुम्हारा कोई बाक़ी न रहे;
لِمَاذَا تُغِيظُونَنِي بِاقْتِرَافِ الإِثْمِ إِذْ تُحْرِقُونَ بَخُوراً لِآلِهَةِ أَصْنَامِ مِصْرَ الَّتِي هَاجَرْتُمْ إِلَيْهَا لِتَتَغَرَّبُوا فِيهَا، فَتَنْقَرِضُونَ وَتُصْبِحُونَ لَعْنَةً وَعَاراً بَيْنَ كُلِّ أُمَمِ الأَرْضِ؟ | ٨ 8 |
कि तुम मुल्क — ए — मिस्र में, जहाँ तुम बसने को गए हो, अपने 'आमाल से और ग़ैर — मा'बूदों के आगे ख़ुशबू जलाकर मुझको ग़ज़बनाक करते हो, कि हलाक किए जाओ और इस ज़मीन की सब क़ौमों के बीच ला'नत — ओ — मलामत का ज़रिया' बनो।
هَلْ نَسِيتُمْ شُرُورَ آبَائِكُمْ وَشُرُورَ مُلُوكِ يَهُوذَا وَشُرُورَ نِسَائِهِمْ، وَشُرُورَكُمْ وَشُرُورَ نِسَائِكُمْ الَّتِي ارْتُكِبَتْ فِي أَرْضِ يَهُوذَا وَفِي شَوَارِعِ أُورُشَلِيمَ؟ | ٩ 9 |
क्या तुम अपने बाप — दादा की शरारत और यहूदाह के बादशाहों और उनकी बीवियों की और ख़ुद अपनी और अपनी बीवियों की शरारत, जो तुम ने यहूदाह के मुल्क में और येरूशलेम के बाज़ारों में की, भूल गए हो?
إِنَّهُمْ لَمْ يَتَذَلَّلُوا إِلَى هَذَا الْيَوْمِ وَلا اتَّقُوا وَلا سَلَكُوا فِي شَرِيعَتِي وَفَرَائِضِي الَّتِي سَنَنْتُهَا لَكُمْ وَلِآبَائِكُمْ. | ١٠ 10 |
वह आज के दिन तक न फ़रोतन हुए, न डरे और मेरी शरी'अत — ओ — आईन पर, जिनको मैंने तुम्हारे और तुम्हारे बाप — दादा के सामने रख्खा, न चले।
لِذَلِكَ هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: هَا أَنَا أَتَرَصَّدُكُمْ لأُجَازِيَكُمْ شَرّاً لَا خَيْراً، لأَسْتَأْصِلَكُمْ مِنْ يَهُوذَا. | ١١ 11 |
“इसलिए रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है: देखो, मैं तुम्हारे ख़िलाफ़ ज़ियानकारी पर आमादा हूँ ताकि तमाम यहूदाह को हलाक करूँ।
وَآخُذُ بَقِيَّةَ يَهُوذَا الَّذِينَ وَطَّدُوا الْعَزْمَ عَلَى الرَّحِيلِ إِلَى مِصْرَ لِيَتَغَرَّبُوا فِيهَا، وَأُفْنِيهِمْ كُلَّهُمْ هُنَاكَ، فَيَهْلِكُونَ بِالسَّيْفِ وَالْجُوعِ مِنْ صَغِيرِهِمْ إِلَى كَبِيرِهِمْ، فَيَمُوتُونَ وَيُصْبِحُونَ سُبَّةً وَدَهْشَةً وَلَعْنَةً وَعَاراً. | ١٢ 12 |
और मैं यहूदाह के बाक़ी लोगों को, जिन्होंने मुल्क — ए — मिस्र का रुख़ किया है कि वहाँ जाकर बसें, पकड़ूँगा; और वह मुल्क — ए — मिस्र ही में हलाक होंगे, वह तलवार और काल से हलाक होंगे; उनके अदना — ओ — 'आला हलाक होंगे और वह तलवार और काल से फ़ना हो जाएँगे; और ला'नत — ओ — हैरत और ता'न — ओ — तशनी' का ज़रिया' होंगे।
وَأُعَاقِبُ الْمُقِيمِينَ فِي مِصْرَ كَمَا عَاقَبْتُ أَهْلَ أُورُشَلِيمَ بِالسَّيْفِ وَالْجُوعِ وَالْوَبَاءِ، | ١٣ 13 |
और मैं उनको जो मुल्क — ए — मिस्र में बसने को जाते हैं, उसी तरह सज़ा दूँगा जिस तरह मैंने येरूशलेम को तलवार और काल और वबा से सज़ा दी है;
فَلا يُفْلِتُ مِنْهُمْ نَاجٍ، وَلا يَسْلَمُ أَحَدٌ مِنْ بَقِيَّةِ يَهُوذَا الْمُرْتَحِلِينَ لِيَتَغَرَّبُوا هُنَاكَ فِي مِصْرَ، لِيَرْجِعَ إِلَى أَرْضِ يَهُوذَا الَّتِي يَتُوقُ لِلْعَوْدَةِ إِلَيْهَا وَالإِقَامَةِ فِيهَا، لأَنَّهُ لَنْ يَرْجِعَ إِلَيْهَا إِلا قِلَّةٌ مِنَ الطَّرِيدِينَ». | ١٤ 14 |
तब यहूदाह के बाक़ी लोगों में से, जो मुल्क — ए — मिस्र में बसने को जाते हैं, न कोई बचेगा, न बाक़ी रहेगा कि वह यहूदाह की सरज़मीन में वापस आएँ, जिसमें आकर बसने के वह मुश्ताक़ हैं; क्यूँकि भाग कर बच निकलने वालों के अलावा कोई वापस न आएगा।”
غَيْرَ أَنَّ جَمِيعَ الرِّجَالِ الَّذِينَ يَعْرِفُونَ أَنَّ نِسَاءَهُمْ يُحْرِقْنَ بَخُوراً لآلِهَةِ الأَصْنَامِ، وَكَذَلِكَ النِّسَاءَ الْحَاضِرَاتِ، وَسَائِرَ الْمُقِيمِينَ فِي الْمِنْطَقَةِ الْجَنُوبِيَّةِ فِي مِصْرَ، وَهُمْ عَدَدٌ كَبِيرٌ قَالُوا لإِرْمِيَا: | ١٥ 15 |
तब सब मर्दों ने, जो जानते थे कि उनकी बीवियों ने ग़ैर — मा'बूदों के लिए ख़ुशबू जलायी है, और सब 'औरतों ने जो पास खड़ी थीं, एक बड़ी जमा'अत या'नी सब लोगों ने जो मुल्क — ए — मिस्र में फ़तरूस में जा बसे थे, यरमियाह को यूँ जवाब दिया:
«لَنْ نُطِيعَكَ فِي مَا خَاطَبْتَنَا بِهِ مِنْ كَلامٍ بِاسْمِ الرَّبِّ، | ١٦ 16 |
कि “यह बात जो तूने ख़ुदावन्द का नाम लेकर हम से कही, हम कभी न मानेंगे।
بَلْ نَعْمَلَ بِمُقْتَضَى مَا تَعَهَّدْنَا بِهِ، فَنُحْرِقُ بَخُوراً لِمَلِكَةِ السَّمَاءِ وَنُقَرِّبُ لَهَا السَّكَائِبَ كَمَا سَبَقَ أَنْ فَعَلْنَا نَحْنُ وَآبَاؤُنَا وَمُلُوكُنَا وَرُؤَسَاؤُنَا فِي مُدُنِ يَهُوذَا وَفِي شَوَارِعِ أُورُشَلِيمَ، فَكَانَتْ لَنَا وَفْرَةٌ مِنَ الطَّعَامِ وَتَمَتَّعْنَا بِالْخَيْرِ وَلَمْ يُصِبْنَا شَرٌّ. | ١٧ 17 |
बल्कि हम तो उसी बात पर 'अमल करेंगे, जो हम ख़ुद कहते हैं कि हम आसमान की मलिका के लिए ख़ुशबू जलाएँगे और तपावन तपाएँगे, जिस तरह हम और हमारे बाप — दादा, हमारे बादशाह और हमारे सरदार, यहूदाह के शहरों और येरूशलेम के बाज़ारों में किया करते थे; क्यूँकि उस वक़्त हम ख़ूब खाते — पीते और ख़ुशहाल और मुसीबतों से महफ़ूज़ थे।
وَلَكِنْ مُنْذُ أَنْ أَهْمَلْنَا إِحْرَاقَ الْبَخُورِ لِمَلِكَةِ السَّمَاءِ وَتَقْرِيبَ السَّكَائِبِ لَهَا، افْتَقَرْنَا إِلَى كُلِّ شَيْءٍ، وَفَنِينَا بِالسَّيْفِ وَالْجُوعِ». | ١٨ 18 |
लेकिन जबसे हम ने आसमान की मलिका के लिए ख़ुशबू जलाना और तपावन तपाना छोड़ दिया, तब से हम हर चीज़ के मोहताज हैं, और तलवार और काल से फ़ना हो रहे हैं।
وَقَالَتِ النِّسَاءُ: «عِنْدَمَا أَحْرَقْنَا الْبَخُورَ لِمَلِكَةِ السَّمَاءِ وَقَرَّبْنَا لَهَا السَّكَائِبَ وَعَمِلْنَا أَقْرَاصاً مُمَاثِلَةً لِصُورَتِهَا، وَقَرَّبْنَا السَّكَائِبَ لَهَا، هَلْ فَعَلْنَا ذَلِكَ بِغَيْرِ عِلْمِ أَزْوَاجِنَا؟». | ١٩ 19 |
और जब हम आसमान की मलिका के लिए ख़ुशबू जलाती और तपावन तपाती थीं, तो क्या हम ने अपने शौहरों के बग़ैर, उसकी इबादत के लिए कुल्चे पकाए और तपावन तपाए थे?”
فَقَالَ إِرْمِيَا لِلْقَوْمِ مِنْ رِجَالٍ وَنِسَاءٍ وَسَائِرِ الشَّعْبِ الَّذِينَ أَجَابُوهُ بِهَذَا الْكَلامِ: | ٢٠ 20 |
तब यरमियाह ने उन सब मर्दों और 'औरतों या'नी उन सब लोगों से, जिन्होंने उसे जवाब दिया था, कहा,
«أَلَيْسَ مَا أَحْرَقْتُمُوهُ مِنْ بَخُورٍ فِي مُدُنِ يَهُوذَا وَفِي شَوَارِعِ أُورُشَلِيمَ أَنْتُمْ وَآبَاؤُكُمْ وَمُلُوكُكُمْ وَرُؤَسَاؤُكُمْ وَسُكَّانُ الأَرْضِ، هُوَ الَّذِي ذَكَرَهُ الرَّبُّ وَخَطَرَ عَلَى بَالِهِ؟ | ٢١ 21 |
“क्या वह ख़ुशबू, जो तुम ने और तुम्हारे बाप दादा और तुम्हारे बादशाहों और हाकिम ने र'इयत के साथ यहूदाह के शहरों और येरूशलेम के बाज़ारों में जलाया, ख़ुदावन्द को याद नहीं? क्या वह उसके ख़याल में नहीं आया?
فَلَمْ يُطِقِ الرَّبُّ بَعْدُ تَحَمُّلَ مَا ارْتَكَبْتُمْ مِنْ شَرٍّ وَمَا اقْتَرَفْتُمْ مِنْ أَرْجَاسٍ، فَصَارَتْ أَرْضُكُمْ أَطْلالاً وَمَثَارَ دَهْشَةٍ وَلَعْنَةٍ وَمَهْجُورَةً كَالْعَهْدِ بِها فِي هَذَا الْيَوْمِ. | ٢٢ 22 |
इसलिए तुम्हारे बद'आमाल और नफ़रती कामों की वजह से ख़ुदावन्द बर्दाश्त न कर सका; इसलिए तुम्हारा मुल्क वीरान हुआ और हैरत — ओ — ला'नत का ज़रिया' बना, जिसमें कोई बसने वाला न रहा, जैसा कि आज के दिन है।
إِنَّ الْبَلاءَ الَّذِي حَلَّ بِكُمْ كَمَا فِي هَذَا الْيَوْمِ هُوَ عِقَابٌ لَكُمْ عَلَى إحْرَاقِكُمُ الْبَخُورَ وَتَعَدِّيكُمْ عَلَى الرَّبِّ وَعِصْيَانِكُمْ لِصَوْتِهِ، وَعَدَمِ سُلُوكِكُمْ فِي شَرِيعَتِهِ وَفَرَائِضِهِ وَشَهَادَاتِهِ.» | ٢٣ 23 |
चूँकि तुम ने ख़ुशबू जलाया और ख़ुदावन्द के गुनाहगार ठहरे, और उसकी आवाज़ को न सुना और न उसकी शरी'अत, न उसके क़ानून, न उसकी शहादतों पर चले; इसलिए यह मुसीबत जैसी कि अब है, तुम पर आ पड़ी।”
وَالآنَ اسْمَعُوا قَضَاءَ الرَّبِّ يَا جَمِيعَ أَهْلِ يَهُوذَا الْمُقِيمِينَ فِي مِصْرَ: | ٢٤ 24 |
और यरमियाह ने सब लोगों और सब 'औरतों से यूँ कहा कि “ऐ तमाम बनी यहूदाह, जो मुल्क — ए — मिस्र में हो, ख़ुदावन्द का कलाम सुनो।
هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: «قَدْ نَطَقْتُمْ بِأَفْوَاهِكُمْ أَنْتُمْ وَنِسَاؤُكُمْ، وَنَفَّذْتُمْ بِأَيْدِيكُمْ مَا نَطَقْتُمْ بِهِ قَائِلِينَ:’إِنَّنَا نَفِي بِنُذُورِنَا الَّتِي نَذَرْنَاهَا بِأَنْ نُحْرِقَ الْبَخُورَ لِمَلِكَةِ السَّمَاءِ، وَنُقَرِّبَ لَهَا السَّكَائِبَ‘، فَهَيَّا إِذاً أَوْفُوا نُذُورَكُمْ وَأَنْجِزُوهَا.» | ٢٥ 25 |
रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: तुम ने और तुम्हारी बीवियों ने अपनी ज़बान से कहा कि 'आसमान की मलिका के लिए ख़ुशबू जलाने और तपावन तपाने की जो नज़्रें हम ने मानी हैं, ज़रूर अदा करेंगे, और तुमने अपने हाथों से ऐसा ही किया; इसलिए अब तुम अपनी नज़्रों को क़ाईम रख्खो और अदा करो
لِذَلِكَ اسْمَعُوا كَلِمَةَ الرَّبِّ يَا جَمِيعَ شَعْبِ يَهُوذَا الْمُقِيمِينَ فِي مِصْرَ: «هَا أَنَا قَدْ أَقْسَمْتُ بِاسْمِي الْعَظِيمِ يَقُولُ الرَّبُّ، أَنْ لَا يَتَرَدَّدَ اسْمِي مِنْ بَعْدُ عَلَى فَمِ أَحَدٍ مِنْ شَعْبِ يَهُوذَا فِي كَافَّةِ دِيَارِ مِصْرَ قَائِلاً:’حَيٌّ هُوَ السَّيِّدُ الرَّبُّ‘. | ٢٦ 26 |
इसलिए ऐ तमाम बनी यहूदाह, जो मुल्क — ए — मिस्र में बसते हो, ख़ुदावन्द का कलाम सुनो; देखो, ख़ुदावन्द फ़रमाता है: मैंने अपने बुज़ुर्ग नाम की क़सम खाई है कि अब मेरा नाम यहूदाह के लोगों में तमाम मुल्क — ए — मिस्र में किसी के मुँह से न निकलेगा, कि वह कहें ज़िन्दा ख़ुदावन्द ख़ुदा की क़सम।
هَا أَنَا أَتَرَصَّدُهُمْ لأُوْقِعَ بِهِمْ شَرّاً لَا خَيْراً، فَيَهْلِكُ كُلُّ رِجَالِ يَهُوذَا الَّذِينَ فِي أَرْضِ مِصْرَ بِالسَّيْفِ وَالْجُوعِ حَتَّى يَتِمَّ اسْتِئْصَالُهُمْ. | ٢٧ 27 |
देखो, मैं नेकी कि लिए नहीं, बल्कि बुराई के लिए उन पर निगरान हूँगा; और यहूदाह के सब लोग, जो मुल्क — ए — मिस्र में हैं, तलवार और काल से हलाक होंगे यहाँ तक कि बिल्कुल नेस्त हो जाएँगे।
وَتَرْجِعُ الْقِلَّةُ النَّاجِيَةُ مِنَ السَّيْفِ مِنْ مِصْرَ إِلَى أَرْضِ يَهُوذَا، فَتَعْلَمُ كُلُّ بَقِيَّةِ يَهُوذَا الَّذِينَ هَاجَرُوا إِلَى مِصْرَ لِيَتَغَرَّبُوا فِيهَا أَيَّ كَلامٍ يَتَحَقَّقُ: كَلامِي أَمْ كَلامُهُمْ؟» | ٢٨ 28 |
और वह जो तलवार से बचकर मुल्क — ए — मिस्र से यहूदाह के मुल्क में वापस आएँगे, थोड़े से होंगे और यहूदाह के तमाम बाक़ी लोग, जो मुल्क — ए — मिस्र में बसने को गए, जानेंगे कि किसकी बात क़ाईम रही, मेरी या उनकी।
وَيَقُولُ الرَّبُّ: «وَهَذِهِ لَكُمْ عَلامَةٌ أَنَّنِي أُعَاقِبُكُمْ فِي هَذَا الْمَوْضِعِ بِالذَّاتِ، لِتُدْرِكُوا أَنَّ قَضَائِي عَلَيْكُمْ بِالشَّرِّ حَتْماً يَتِمُّ. | ٢٩ 29 |
और तुम्हारे लिए यह निशान है, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, कि मैं इसी जगह तुम को सज़ा दूँगा, ताकि तुम जानो कि तुम्हारे ख़िलाफ़ मेरी बातें मुसीबत के बारे में यक़ीनन क़ाईम रहेंगी:
هَا أَنَا أُسَلِّمُ فِرْعَوْنَ حَفْرَعَ مَلِكَ مِصْرَ إِلَى يَدِ أَعْدَائِهِ وَطَالِبِي نَفْسِهِ كَمَا أَسْلَمْتُ صِدْقِيَّا مَلِكَ يَهُوذَا إِلَى يَدِ نَبُوخَذْنَصَّرَ مَلِكِ بَابِلَ عَدُوِّهِ وَطَالِبِ نَفْسِهِ». | ٣٠ 30 |
ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है, कि देखो, मैं शाह — ए — मिस्र फ़िर'औन हुफ़रा' को उसके मुख़ालिफ़ों और जानी दुश्मनों के हवाले कर दूँगा; जिस तरह मैंने शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह को शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र के हवाले कर दिया, जो उसका मुख़ालिफ़ और जानी दुश्मन था।”