< إرْمِيا 11 >

هَذِهِ هِيَ النُّبُوءَةُ الَّتِي أَوْحَى بِها الرَّبُّ لإِرْمِيَا: ١ 1
वह संदेश जो याहवेह द्वारा येरेमियाह के लिए प्रगट किया गया:
«اسْتَمِعْ كَلامَ هَذَا الْعَهْدِ وَخَاطِبْ رِجَالَ يَهُوذَا وَأَهْلَ أُورُشَلِيمَ، ٢ 2
“इस वाचा के वचन पर ध्यान दो, और फिर जाकर यहूदिया तथा येरूशलेम के निवासियों के समक्ष इसकी बात करो.
وَقُلْ لَهُمْ: هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: مَلْعُونٌ الَّذِي لَا يَسْمَعُ كَلِمَاتِ هَذَا الْعَهْدِ، ٣ 3
उनसे कहना, याहवेह इस्राएल के परमेश्वर का संदेश यह है: ‘श्रापित है वह व्यक्ति जो इस वाचा की विषय-वस्तु की ओर ध्यान नहीं देता;
الَّذِي أَوْصَيْتُ بِهِ آبَاءَكُمْ حِينَ أَخْرَجْتُهُمْ مِنْ مِصْرَ مِنْ كُورِ الْحَدِيدِ قَائِلاً: اسْتَمِعُوا إِلَى صَوْتِي وَاعْمَلُوا بِمُقْتَضَى مَا أَمَرْتُكُمْ بِهِ، فَتَكُونُوا لِي شَعْباً وَأَنَا أَكُونُ لَكُمْ إِلَهاً، ٤ 4
जिसका आदेश मैंने तुम्हारे पूर्वजों को उस समय दिया था, जब मैंने उन्हें मिस्र देश से लौह-भट्टी से यह कहते हुए निराश किया था. मेरे आदेश का पालन करो तथा मेरे आदेशों का आचरण करो, कि तुम मेरी प्रजा हो जाओ तथा मैं तुम्हारा परमेश्वर.
فَأَفِي بِالْقَسَمِ الَّذِي أَقْسَمْتُ بِهِ لِآبَائِكُمْ أَنْ أَهَبَهُمْ أَرْضاً تَفِيضُ لَبَناً وَعَسَلاً، كَمَا فِي هَذَا الْيَوْمِ». فَأَجَبْتُ قَائِلاً: «آمِينَ يَا رَبُّ». ٥ 5
कि मैं तुम्हारे पूर्वजों को एक देश प्रदान करने की शपथ पूर्ण करूं, जिस देश में दुग्ध एवं मधु धारा-सदृश विपुलता में प्रवाहित होते रहते हैं,’ जैसा कि यह वर्तमान में भी है.” यह सुन मैं कह उठा, “याहवेह, ऐसा ही होने दीजिए.”
ثُمَّ قَالَ لِيَ الرَّبُّ: «أَذِعْ كُلَّ هَذَا الْكَلامِ فِي مُدُنِ يَهُوذَا وَفِي شَوَارِعِ أُورُشَلِيمَ: اسْمَعُوا كَلِمَاتِ هَذَا الْعَهْدِ وَاعْمَلُوا بِها. ٦ 6
याहवेह ने मुझे उत्तर दिया, “यहूदिया के नगरों में तथा येरूशलेम की गलियों में इस वचन की वाणी करो: ‘इस वाचा के वचन को सुनो तथा उसका अनुकरण करो.
فَإِنِّي مُنْذُ أَنْ أَخْرَجْتُ آبَاءَكُمْ مِنْ مِصْرَ حَتَّى هَذَا الْيَوْمِ، أَشْهَدْتُ عَلَيْهِمِ الْمَرَّةَ تِلْوَ الأُخْرَى قَائِلاً: أَطِيعُوا صَوْتِي. ٧ 7
क्योंकि मैंने तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र देश से बाहर लाते समय उन्हें गंभीर चेतावनी दी थी, आज भी मैं उन्हें आग्रही चेतावनी दे रहा हूं, “मेरे आदेश सुनो.”
لَكِنَّهُمْ لَمْ يُطِيعُوا وَلَمْ يَسْمَعُوا، إِنَّمَا سَلَكَ كُلُّ وَاحِدٍ بِمُوْجِبِ عِنَادِ قَلْبِهِ الشِّرِّيرِ. فَأَجْرَيْتُ عَلَيْهِمْ كُلَّ كَلامِ هَذَا الْعَهْدِ الَّذِي أَمَرْتُهُمْ بِهِ وَلَمْ يُنَفِّذُوهُ». ٨ 8
फिर भी न तो उन्होंने मेरे आदेश का पालन किया और न ही उन पर ध्यान देना उपयुक्त समझा; बल्कि, उनमें से हर एक अपने कुटिल हृदय की हठीली उत्प्रेरणा में मनमानी करता रहा. जब उन्होंने मेरे इन आदेशों का पालन नहीं किया, मैंने वाचा में बताए सारे शाप उन पर अधीन कर दिए.’”
ثُمَّ خَاطَبَنِي الرَّبُّ: «قَدْ شَاعَتْ فِتْنَةٌ بَيْنَ رِجَالِ يَهُوذَا وَأَهْلِ أُورُشَلِيمَ. ٩ 9
तब याहवेह ने मुझ पर प्रकट किया, “यहूदिया की प्रजा में तथा येरूशलेम वासियों में एक षड़्‍यंत्र का भेद खुला है.
فَقَدِ ارْتَدُّوا إِلَى آثَامِ أَسْلافِهِمِ الَّذِينَ أَبَوْا الاسْتِمَاعَ إِلَى كَلِمَاتِي، ضَلُّوا وَرَاءَ الأَصْنَامِ لِيَعْبُدُوهَا، وَقَدْ نَكَثَ شَعْبُ إِسْرَائِيلَ وَشَعْبُ يَهُوذَا عَهْدِي الَّذِي أَبْرَمْتُهُ مَعَ آبَائِهِمْ. ١٠ 10
वे अपने उन्हीं पूर्वजों के अधर्म में लौट चुके हैं, जिन्होंने मेरे आदेशों का पालन करना अस्वीकार कर दिया था और वे परकीय देवताओं की उपासना करने लगे. इस्राएल वंशज तथा यहूदाह गोत्रजों ने मेरी वह वाचा भंग कर दी है, जो मैंने उनके पूर्वजों के साथ स्थापित की थी.
لِذَلِكَ هَا أَنَا أُنْزِلُ بِهِمْ شَرّاً لَنْ يُفْلِتُوا مِنْهُ، فَيَسْتَغِيثُونَ بِي فَلا أَسْتَجِيبُ لَهُمْ. ١١ 11
इसलिये यह याहवेह की वाणी है: ‘यह देखना कि मैं उन पर ऐसी विपत्ति लाने पर हूं जिससे उनका बच निकलना असंभव होगा, यद्यपि वे मेरी ओर गिड़गिड़ाने लगें.
فَيَلْجَأُ سُكَّانُ مُدُنِ يَهُوذَا وَأَهْلُ أُورُشَلِيمَ إِلَى الأَصْنَامِ الَّتِي أَحْرَقُوا لَهَا الْبَخُورَ لِيَسْتَغِيثُوا بِها، وَلَكِنَّهَا لَنْ تُغِيثَهُمْ فِي سَاعَةِ الْمِحْنَةِ. ١٢ 12
जिनकी उपासना में वे धूप जलाया करते हैं, किंतु उनकी विपत्ति के समय वे निश्चयतः उनकी रक्षा न कर सकेंगे.
صَارَ عَدَدُ آلِهَتِكَ يَا يَهُوذَا كَعَدَدِ مُدُنِكَ، وَأَضْحَتْ مَذَابِحُكَ الَّتِي نَصَبْتَهَا لِلْخِزْيِ وَلإِصْعَادِ الْبَخُورِ لِلْبَعْلَ بِعَدَدِ شَوَارِعِ أُورُشَلِيمَ. ١٣ 13
क्योंकि यहूदिया, तुम्हारे इन देवताओं की संख्या उतनी ही है; जितनी तुम्हारे नगरों की तथा उस घृणित कार्य के लिए उतनी ही वेदियां हैं—वे वेदियां जिन पर तुम बाल के लिए धूप जलाते हो—जितनी येरूशलेम की गलियां.’
فَلا تَبْتَهِلَنَّ مِنْ أَجْلِ هَذَا الشَّعْبِ، وَلا تَرْفَعَنَّ لأَجْلِهِمْ دُعَاءً وَلا صَلاةً، فَإِنِّي لَنْ أَسْمَعَ لَهُمْ وَقْتَ اسْتِغَاثَتِهِمْ بِي مِنْ مِحْنَتِهِمْ. ١٤ 14
“इसलिये इन लोगों के लिए प्रार्थना मत करो और न उनके लिए मध्यस्थ होकर बिनती करो, क्योंकि जब वे अपने संकट के अवसर पर मेरे पास गिड़गिड़ाने लगे फिर भी मैं उनकी न सुनूंगा.
أَيُّ حَقٍّ لِحَبِيبَتِي فِي بَيْتِي بَعْدَ أَنِ ارْتَكَبَتِ الْمُوبِقَاتِ الْكَثِيرَةَ؟ أَيُمْكِنُ لِلَحْمِ الذَّبَائِحِ الْمُقَدَّسِ أَنْ يَصْرِفَ عَنْكِ عِقَابَكِ؟ عِنْدَمَا تَنْغَمِسِينَ فِي شَرِّكِ آنَئِذٍ تَبْتَهِجِينَ». ١٥ 15
“अब मेरी प्रिया का मेरे परिवार में क्या स्थान रह गया है जब वह अनेक कुकर्म कर चुकी है? क्या तुम्हारे द्वारा अर्पित की गई बलि तुमसे तुम्हारी विपत्ति दूर कर देगी, कि तुम आनंद मना सको?”
قَدْ دَعَاكِ الرَّبُّ مَرَّةً زَيْتُونَةً خَضْرَاءَ ذَاتَ ثَمَرٍ بَهِيجِ الْمَنْظَرِ. أَمَّا الآنَ فَبِزَمْجَرةٍ عَاصِفَةٍ رَهِيبَةٍ يُضْرِمُ فِيهَا نَاراً تَلْتَهِمُ أَغْصَانَهَا. ١٦ 16
याहवेह ने तुम्हें नाम दिया था सुंदर आकार तथा मनोरम फल से युक्त हरा जैतून वृक्ष. किंतु अशांति की उच्च ध्वनि के साथ याहवेह ने इसमें आग लगा दी है, अब इसकी शाखाएं किसी योग्य न रहीं.
إِنَّ الرَّبَّ الْقَدِيرَ الَّذِي غَرَسَكِ قَدْ قَضَى بِالشَّرِّ عَلَيْكِ عِقَاباً لِمَا ارْتَكَبَهُ شَعْبُ إِسْرَائِيلَ وَشَعْبُ يَهُوذَا مِنْ إِثْمٍ، فَأَثَارُوا غَيْظِي بِإِحْرَاقِ الْبَخُورِ لِلْبَعْلِ. ١٧ 17
सेनाओं के याहवेह ने, जिन्होंने तुम्हें रोपित किया, इस्राएल वंश तथा यहूदाह के वंश के द्वारा किए गए संकट के कारण तुम पर संकट का उच्चारण किया है. यह उन्होंने बाल को धूप जलाने के द्वारा मेरे कोप को भड़काने के लिए यह किया है.
وَقَدْ أَطْلَعَنِي الرَّبُّ عَلَى ذَلِكَ فَعَرَفْتُ؛ ثُمَّ أَرَيْتَنِي أَعْمَالَهُمُ الْمُنْكَرَةَ. ١٨ 18
इसके सिवा याहवेह ने मुझ पर यह प्रकट किया, इसलिये मुझे इसका ज्ञान मिल गया, तब याहवेह आपने मुझ पर उनके कृत्य प्रकाशित किए.
وَلَكِنِّي كُنْتُ كَحَمَلٍ أَلِيفٍ يُسَاقُ إِلَى الذَّبْحِ، لَمْ أُدْرِكْ أَنَّهُمْ يَتَآمَرُونَ عَلَيَّ قَائِلِينَ: «لِنُتْلِفِ الشَّجَرَةَ وَثِمَارَهَا، وَلْنَسْتَأْصِلْهُ مِنْ أَرْضِ الأَحْيَاءِ فَيَنْدَثِرَ اسْمُهُ إِلَى الأَبَدِ.» ١٩ 19
मुझे यह बोध ही न था कि वे मेरे विरुद्ध षड़्‍यंत्र रच रहें हैं; मेरी स्थिति वैसी ही थी जैसी वध के लिए ले जाए जा रहे मेमने की होती है, वे परस्पर परामर्श कर रहे हैं, “चलो, हम इस वृक्ष को इसके फलों सहित नष्ट कर दें; हम इसे जीव-लोक से ही मिटा दें, कि उसके नाम का ही उल्लेख पुनः न हो सके.”
وَلَكِنْ أَيُّهَا الرَّبُّ الْقَدِيرُ، الْقَاضِي بِالإِنْصَافِ، الْفَاحِصُ الْقُلُوبِ وَالنَّوَايَا، دَعْنِي أَشْهَدُ انْتِقَامَكَ مِنْهُمْ لأَنِّي إِلَيْكَ رَفَعْتُ دَعْوَايَ. ٢٠ 20
सेनाओं के याहवेह, आप वह हैं, जो नीतिपूर्ण निर्णय देते हैं आप जो भावनाओं तथा हृदय को परखते रहते हैं, मुझे उन पर आपके बदले को देखने का सुअवसर प्रदान कीजिए, क्योंकि अपनी समस्या मैंने आप ही को सौंप दी है.
«لِذَلِكَ، هَكَذَا يَقُولُ الرَّبُّ عَنْ رِجَالِ عَنَاثُوثَ الَّذِينَ يَلْتَمِسُونَ نَفْسَكَ قَائِلِينَ: لَا تَتَنَبَّأْ بِاسْمِ الرَّبِّ لِئَلَّا تَمُوتَ بِأَيْدِينَا. ٢١ 21
इसलिये अनाथोथ के उन व्यक्तियों के संबंध में जो तुम्हारे प्राण लेने को तैयार हैं, जिन्होंने तुम्हें यह धमकी दी है, “याहवेह के नाम में कोई भविष्यवाणी न करना, कि तुम हमारे द्वारा वध किए न जाओ”—
لِهَذَا يُعْلِنُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ: هَا أَنَا أُعَاقِبُهُمْ فَيَمُوتُ شَبَابُهُمْ بِحَدِّ السَّيْفِ، وَيَهْلِكُ أَبْنَاؤُهُمْ وَبَنَاتُهُمْ جُوْعاً. ٢٢ 22
इसलिये सेनाओं के याहवेह की वाणी यह है: “यह देखना कि मैं उन्हें दंड देने पर हूं! जवान पुरुष तलवार से घात किए जाएंगे, उनकी संतान की मृत्यु लड़ाई में हो जाएगी.
وَلا تُفْلِتُ مِنْهُمْ بَقِيَّةٌ، لأَنِّي فِي سَنَةِ عِقَابِهِمْ أَجْلِبُ شَرّاً عَلَى رِجَالِ عَنَاثُوثَ». ٢٣ 23
उनके कोई भी लोग न रहेंगे, क्योंकि मैं अनाथोथ की प्रजा पर विनाश लेकर आ रहा हूं, यह उनके लिए दंड का वर्ष होगा.”

< إرْمِيا 11 >