< يَعقُوب 4 >

مِنْ أَيْنَ النِّزَاعُ وَالْخِصَامُ بَيْنَكُمْ؟ أَلَيْسَ مِنْ لَذَّاتِكُمْ تِلْكَ الْمُتَصَارِعَةِ فِي أَعْضَائِكُمْ؟ ١ 1
थारे म्ह लड़ाई झगड़े का कारण के सै? के थारे भित्तर उन बुरी लालसा तै न्ही, जो थारे म्ह लड़ै-भीड़ै सै?
فَأَنْتُمْ تَرْغَبُونَ فِي امْتِلاكِ مَا لَا يَخُصُّكُمْ، لَكِنَّ ذَلِكَ لَا يَتَحَقَّقُ لَكُمْ، فَتَقْتُلُونَ، وَتَحْسُدُونَ، وَلا تَتَمَكَّنُونَ مِنْ بُلُوغِ غَايَتِكُمْ. وَهَكَذَا تَتَخَاصَمُونَ وَتَتَصَارَعُونَ! إِنَّكُمْ لَا تَمْتَلِكُونَ مَا تُرِيدُونَهُ، لأَنَّكُمْ لَا تَطْلُبُونَهُ مِنَ اللهِ. ٢ 2
थम लालसा राक्खो सों, पर थमनै मिलता कोनी, ज्यातै थम हत्या करण का भी इरादा राक्खों सों। थम जळण करो सों, अर कुछ पान्दे कोनी, इस करकै थम लड़ो अर झगड़ो सों। थमनै इस करकै न्ही मिलदा क्यूँके थम परमेसवर तै माँगते कोनी।
وَإذَا طَلَبْتُمْ مِنْهُ شَيْئاً، فَإِنَّكُمْ لَا تَحْصُلُونَ عَلَيْهِ: لأَنَّكُمْ تَطْلُبُونَ بِدَافِعٍ شِرِّيرٍ، إِذْ تَنْوُونَ أَنْ تَسْتَهْلِكُوا مَا تَنَالُونَهُ لإِشْبَاعِ شَهْوَاتِكُمْ فَقَطْ. ٣ 3
हालाकि थम माँग्गो सों, फेर भी थमनै मिलता कोनी, क्यूँके भुंडी इच्छा तै माँग्गो सों, ताके अपणे ऐसो-आराम म्ह उड़ा द्यो।
أَيُّهَا الْخَوَنَةُ! أَلَسْتُمْ تَعْلَمُونَ أَنَّ مُصَادَقَةَ الْعَالَمِ هِيَ مُعَادَاةٌ لِلهِ؟ فَالَّذِي يُرِيدُ أَنْ يُصَادِقَ الْعَالَمَ، يَجْعَلُ نَفْسَهُ عَدُوّاً لِلهِ. ٤ 4
हे बेईमान माणसों, के थम न्ही जाणते, दुनिया की चिज्जां तै प्यार करणा, परमेसवर तै बैर करणा सै। इस करकै जो कोए संसार का साथी बणणा चाहवै सै, वो अपणे-आपनै परमेसवर का बैरी बणावै सै।
أَتَظُنُّونَ أَنَّ الْكِتَابَ يَتَكَلَّمُ عَبَثاً! هَلِ الرُّوحُ الَّذِي حَلَّ فِي دَاخِلِنَا يَغَارُ عَنْ حَسَدٍ؟ ٥ 5
के थम पवित्र ग्रन्थ म्ह लिखी होई इस बात नै बेकार समझों सों, जिस म्ह लिख्या सै, “जिस पवित्र आत्मा ताहीं परमेसवर नै म्हारै भित्तर बसाया सै, वो बड़ी लालसा करै सै, के हम परमेसवर तै प्यार करां।”
لا، بَلْ إِنَّهُ يَجُودُ عَلَيْنَا بِنِعْمَةٍ أَعْظَمَ. لِذَلِكَ يَقُولُ الْكِتَابُ: «إِنَّ اللهَ يُقَاوِمُ الْمُتَكَبِّرِينَ، وَلَكِنَّهُ يُعْطِي الْمُتَوَاضِعِينَ نِعْمَةً». ٦ 6
पर परमेसवर तो और भी अनुग्रह करै सै, ताके हम बुरी इच्छा तै लड़ सकां, इस कारण पवित्र शास्त्र म्ह यो लिख्या सै, “परमेसवर घमण्ड करण आळा का बिरोध करै सै, पर दीन माणसां पै अनुग्रह करै सै।”
إِذَنْ، كُونُوا خَاضِعِينَ لِلهِ. وَقَاوِمُوا إِبْلِيسَ فَيَهْرُبَ مِنْكُمْ. ٧ 7
इस करकै परमेसवर कै अधीन हो जाओ, अर शैतान का बिरोध करो, तो वो थारे धोरै तै भाग ज्यागा।
اقْتَرِبُوا إِلَى اللهِ فَيَقْتَرِبَ إِلَيْكُمْ. أَيُّهَا الْخَاطِئُونَ نَظِّفُوا أَيْدِيَكُمْ، وَيَا أَصْحَابَ الرَّأْيَيْنِ طَهِّرُوا قُلُوبَكُمْ. ٨ 8
परमेसवर कै धोरै आओ तो वो भी थारे धोरै आवैगा। हे पापियों, अपणे जीवन तै पाप दूर करो, अर हे दोगले माणसों अपणे मन नै पवित्र करो।
احْزَنُوا مُوَلْوِلِينَ وَنَائِحِينَ وَبَاكِينَ. لِيَتَحَوَّلْ ضَحِكُكُمْ إِلَى نُوَاحٍ، وَفَرَحُكُمْ إِلَى كَآبَةٍ. ٩ 9
अपणे पापां के कारण दुखी होओ, अर शोक करो, रोओ। थारी हाँसी शोक म्ह अर थारा आनन्द उदासी म्ह बदल जावै।
تَوَاضَعُوا فِي حَضْرَةِ الرَّبِّ فَيَرْفَعَكُمْ! ١٠ 10
प्रभु कै स्याम्ही नरम बणो तो वो थमनै आदर मान देवैगा।
وَيَا إِخْوَتِي، لَا تَذُمُّوا بَعْضُكُمْ بَعْضاً. فَمَنْ يَفْعَلْ هَذَا وَيَحْكُمْ عَلَى أَخِيهِ، يَطْعَنْ فِي شَرِيعَةِ اللهِ وَيَحْكُمْ عَلَيْهَا. فَإِنْ كُنْتَ تَحْكُمُ عَلَى الشَّرِيعَةِ، لَا تَكُونُ عَامِلاً بِها بَلْ تَجْعَلُ نَفْسَكَ قَاضِياً لَهَا. ١١ 11
हे बिश्वासी भाईयो, एक-दुसरे की बदनामी ना करया करो। जो अपणे बिश्वासी भाई की बदनामी करै सै या उसपै दोष लगावै सै, वो मूसा के नियम-कायदा का बिरोध्द करै सै, अर जै तू मूसा के नियम-कायदा का बिरोध्द करै सै, तो तू नियम-कायदा पै चाल्लण आळा कोनी, पर उसपै न्याय करण आळा बणग्या।
وَلَيْسَ لِلشَّرِيعَةِ إِلا قَاضٍ وَاحِدٌ، هُوَ اللهُ وَاضِعُهَا، وَهُوَ وَحْدَهُ الْقَادِرُ أَنْ يَحْكُمَ بِالْخَلاصِ أَوْ بِالْهَلاكِ. فَمَنْ تَكُونُ أَنْتَ لِتَحْكُمَ عَلَى الآخَرِينَ؟ ١٢ 12
मूसा के नियम-कायदे देण आळा अर न्याय करण आळा एके सै, जो परमेसवर सै, जो बचाण अर नाश करण म्ह दोनुआ का हक राक्खै सै, पर तन्नै किसे पै इल्जाम लगाण का कोए हक कोनी।
وَأَنْتُمْ، يَا مَنْ تُخَطِّطُونَ قَائِلِينَ: «الْيَوْمَ أَوْ غَداً، نَذْهَبُ إِلَى مَدِينَةِ كَذَا، وَنَقْضِي هُنَاكَ سَنَةً، فَنُتَاجِرُ وَنَرْبَحُ». ١٣ 13
थम जो या कहो सों, “आज या तड़कै हम किसे और नगर म्ह जाकै ओड़ै एक साल बितावागें, अर व्यापार करकै फायदा कमावागें।”
مَهْلاً! فَأَنْتُمْ لَا تَعْرِفُونَ مَاذَا يَحْدُثُ غَداً! وَمَا هِيَ حَيَاتُكُمْ؟ إِنَّهَا بُخَارٌ، يَظْهَرُ فَتْرَةً قَصِيرَةً ثُمَّ يَتَلاشَى! ١٤ 14
पर थम यो न्ही जाण्दे के कल के होवैगा? सुण तो ल्यो, थारा जीवन सै ए के? थम तो धुंध की तरियां सों, जो थोड़ी देर दिक्खै सै फेर खू ज्या सै।
بَدَلاً مِنْ ذَلِكَ، كَانَ يَجِبُ أَنْ تَقُولُوا: «إِنْ شَاءَ الرَّبُّ، نَعِيشُ وَنَعْمَلُ هَذَا الأَمْرَ أَوْ ذَاكَ!» ١٥ 15
इसकी बजाए थमनै या कहणा चाहिए, “जै प्रभु चाहवै तो हम जिन्दा रहवांगें, अर यो काम भी करागें।”
وَإلَّا، فَإِنَّكُمْ تَفْتَخِرُونَ مُتَكَبِّرِينَ. وَكُلُّ افْتِخَارٍ كَهَذَا، هُوَ افْتِخَارٌ رَدِيءٌ. ١٦ 16
पर इब थम अपणे-आप पै घमण्ड करो सों, यो घमण्ड पाप सै।
فَمَنْ يَعْرِفْ أَنْ يَعْمَلَ الصَّوَابَ، وَلا يَعْمَلُهُ، فَإِنَّ ذَلِكَ يُحْسَبُ لَهُ خَطِيئَةً. ١٧ 17
इस करकै जो कोए भलाई करणा जाणै सै, अर कोनी करदा, उसकै खात्तर यो पाप सै।

< يَعقُوب 4 >