< إشَعْياء 8 >
ثُمَّ قَالَ الرَّبُّ لِي: «خُذْ لِنَفْسِكَ لَوْحاً كَبِيراً، وَاكْتُبْ عَلَيْهِ بِحُرُوفٍ وَاضِحَةٍ’مَهَيْرَ شَلالَ حَاشَ بَزَ‘(بِمَعْنَى مُسْرِعٍ إِلَى الْغَنِيمَةِ).» | ١ 1 |
फिर ख़ुदावन्द ने मुझे फ़रमाया, कि एक बड़ी तख़्ती ले और उस पर साफ़ साफ़ लिख महीर शालाल हाश्बज़ के लिए,'
فَاخْتَرْتُ لِنَفْسِي شَاهِدَيْنِ أَمِينَيْنِ، هُمَا أُورِيَّا الْكَاهِنُ وَزَكَرِيَّا بْنُ يَبْرَخْيَا. | ٢ 2 |
और दो दियानतदार गवाहों को या'नी ऊरिय्याह काहिन को और ज़करियाह बिन यबरकियाह को गवाह बना।
ثُمَّ عَاشَرْتُ النَّبِيَّةَ فَحَمَلَتْ وَأَنْجَبَتِ ابْناً. فَقَالَ لِي الرَّبُّ: «ادْعُ اسْمَهُ مَهَيْرَ شَلالَ حَاشَ بَزَ، | ٣ 3 |
और मैं नबीय्या के पास गया; तब वह हामिला हुई और बेटा पैदा हुआ। तब ख़ुदावन्द ने मुझे फ़रमाया, कि उसका नाम “महीर — शालाल हाशबज़ रख,
وَقَبْلَ أَنْ يَعْرِفَ الصَّبِيُّ كَيْفَ يُنَادِي: يَا أَبِي أَوْ يَا أُمِّي، تُحْمَلُ ثَرْوَةُ دِمَشْقَ وَغَنَائِمُ السَّامِرَةِ أَمَامَ مَلِكِ أَشُّورَ». | ٤ 4 |
क्यूँकि इससे पहले कि ये लड़का अब्बा और अम्मा कहना सीखे दमिश्क़ का माल और सामरिया की लूट को उठवाकर शाह — ए — असूर के सामने ले जाएँगे।”
ثُمَّ كَلَّمَنِي الرَّبُّ ثَانِيَةً قَائِلاً: | ٥ 5 |
फिर ख़ुदावन्द ने मुझ से फ़रमाया,
«مِنْ حَيْثُ إِنَّ هَذَا الشَّعْبَ قَدْ رَفَضَ مِيَاهَ شِيلُوهَ الجَارِيَةَ الْهَادِئَةَ، وَتَهَافَتُوا عَلَى رَصِينَ وَفَقْحَ بْنِ رَمَلْيَا، | ٦ 6 |
“चूँकि इन लोगों ने चश्मा — ए — शीलोख़ के आहिस्ता रो पानी को रद्द किया, और रज़ीन और रमलियाह के बेटे पर माइल हुए;
فَإِنَّ الرَّبَّ مُزْمِعٌ أَنْ يُغْرِقَهُمْ بِمِيَاهِ النَّهْرِ الفَيَّاضَةِ، أَيْ مَلِكِ أَشُّورَ بِكُلِّ جَبَرُوتِهِ، فَيَكُونُ (كَنَهْرِ الفُرَاتِ) يَطْغَى جَيَشَانُهُ عَلَى جَدَاوِلِهِ وَيَفِيضُ عَلَى ضِفَافِهِ | ٧ 7 |
इसलिए अब देख, ख़ुदावन्द दरिया — ए — फ़रात के सख़्त शदीद सैलाब को या 'नी शाह — ए — असूर और उसकी सारी शौकत को, इन पर चढ़ा लाएगा; और वह अपने सब नालों पर और अपने सब किनारों से बह निकलेगा;
فَيَكْتَسِحُ أَرْضَ يَهُوذَا، وَيَطْفُو مُرْتَفِعاً إِلَى الأَعْنَاقِ، وَتَنْتَشِرُ جُيُوشُهُ فِي عَرْضِ أَرْضِكَ يَا عِمَّانُوئِيلُ». | ٨ 8 |
और वह यहूदाह में बढ़ता चला जाएगा, और उसकी तुग़ियानी बढ़ती जाएगी, वह गर्दन तक पहुँचेगा; और उसके परों के फैलाव से तेरे मुल्क की सारी वुस'अत ऐ इम्मानुएल, छिप जायेगी।”
افْعَلُوا مَا شِئْتُمْ أَيُّهَا الشُّعُوبُ وَانْهَزِمُوا. أَصْغِي يَا جَمِيعَ أَقَاصِي الأَرْضِ. تَأَهَّبُوا لِلْمَعْرَكَةِ وَانْهَزِمُوا. | ٩ 9 |
ऐ लोगों, धूम मचाओ, लेकिन तुम टुकड़े — टुकड़े किए जाओगे; और ऐ दूर — दूर के मुल्कों के बाशिन्दो, सुनो: कमर बाँधों, लेकिन तुम्हारे टुकड़े — टुकड़े किए जाएँगे; कमर बाँधो, लेकिन तुम्हारे पुर्जे़ — पुर्जे़ होंगे।
تَشَاوَرُوا مَعاً وَلَكِنْ عَلَى غَيْرِ طَائِلٍ، ارْسِمُوا الْخُطَطَ فَلا تَتَحَقَّقَ لأَنَّ اللهَ مَعْنَا. | ١٠ 10 |
तुम मन्सूबा बाँधो, लेकिन वह बातिल होगा; तुम कुछ कहो, और उसे क़याम न होगा; क्यूँकि ख़ुदा हमारे साथ है।
لأَنَّ الرَّبَّ خَاطَبَنِي حِينَ وَضَعَ يَدَهُ عَلَيَّ وَأَنْذَرَنِي أَنْ لَا أَسْلُكَ فِي طَرِيقِ هَذَا الشَّعْبِ قَائِلاً: | ١١ 11 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द ने जब उसका हाथ मुझ पर ग़ालिब हुआ, और इन लोगों के रास्ते में चलने से मुझे मना' किया तो मुझ से यूँ फ़रमाया कि,
«لا تَقُلْ إِنَّهَا مُؤَامَرَةٌ لِكُلِّ مَا يَدَّعِي هَذَا الشَّعْبُ أَنَّهُ مُؤَامَرَةٌ. لَا تَخْشَ مَا يَخْشَوْنَ وَلا تَخَفْ. | ١٢ 12 |
“तुम उस सबको जिसे यह लोग साज़िश कहते हैं, साज़िश न कहो, और जिससे वह डरते हैं, तुम न डरो और न घबराओ।
قَدِّسُوا الرَّبَّ الْقَدِيرَ لأَنَّهُ هُوَ خَوْفُكُمْ وَرَهْبَتُكُمْ، | ١٣ 13 |
तुम रब्ब — उल — अफ़वाज ही को पाक जानो, और उसी से डरो और उसी से ख़ाइफ़ रहो।
فَيَكُونَ لَكُمْ مَقْدِساً. أَمَّا لِبَيْتَيْ إِسْرَائِيلَ، فَيَكُونُ حَجَرَ صَدْمَةٍ وَصَخْرَةَ عَثْرَةٍ، وَفَخّاً وَشَرَكاً لِسَاكِنِي أُورُشَلِيمَ، | ١٤ 14 |
और वह एक मक़दिस होगा, लेकिन इस्राईल के दोनों घरानों के लिए सदमा और ठोकर का पत्थर, और येरूशलेम के बाशिन्दों के लिए फन्दा और दाम होगा।
فَيَعْثُرُ بِها كَثِيرُونَ وَيَسْقُطُونَ وَيَتَحَطَّمُونَ وَيَقَعُونَ فِي الْفَخِّ وَيُقْتَنَصُونَ». | ١٥ 15 |
उनमें से बहुत से उससे ठोकर खायेंगे और गिरेंगे और पाश पाश होंगे, और दाम में फँसेंगे और पकड़े जाएँगे।
فَادَّخِرِ الشَّهَادَةَ وَأَوْدِعِ الشَّرِيعَةَ فِي قُلُوبِ تَلامِيذِي. | ١٦ 16 |
शहादत नामा बन्द कर दो, और मेरे शागिर्दो के लिए शरी'अत पर मुहर करो।
سَأَنْتَظِرُ الرَّبَّ الَّذِي يَحْجُبُ وَجْهَهُ عَنْ بَيْتِ يَعْقُوبَ وَأَتَوَكَّلُ عَلَيْهِ. | ١٧ 17 |
मैं भी ख़ुदावन्द की राह देखूँगा, जो अब या'क़ूब के घराने से अपना मुँह छिपाता है; मैं उसका इन्तिज़ार करूँगा।
انْظُرُوا هَا أَنَا وَالأَبْنَاءُ الَّذِينَ رَزَقَنِي إِيَّاهُمُ الرَّبُّ، آيَاتٍ وَمُعْجِزَاتٍ فِي إِسْرَائِيلَ مِنْ عِنْدِ الرَّبِّ الْقَدِيرِ السَّاكِنِ فِي جَبَلِ صِهْيَوْنَ. | ١٨ 18 |
देख, मैं उन लड़कों के साथ जो ख़ुदावन्द ने मुझे बख़्शे, रब्ब — उल — अफ़वाज की तरफ़ से जो सिय्यून पहाड़ में रहता है, बनी — इस्राईल के बीच निशान — आत और 'अजायब — ओ — ग़राइब के लिए हूँ।
وَعِنْدَمَا يَقُولُ النَّاسُ لَكَ: اسْأَلْ أَصْحَابَ التَّوَابِعِ وَالْعَرَّافِينَ الْمُتَهَامِسِينَ الْمُجَمْجِمِينَ قُلْ: أَلَيْسَ عَلَى الشَّعْبِ أَنْ يَسْأَلَ إِلَهَهُ؟ أَعَلَيْهِمْ أَنْ يَسْأَلُوا الأَمْوَاتَ عَنِ الأَحْيَاءِ؟ | ١٩ 19 |
और जब वह तुमसे कहें, तुम जिन्नात के यारों और अफ़सूँगरों की जो फुसफुसाते और बड़बड़ाते हैं तलाश करो, तो तुम कहो, क्या लोगों को मुनासिब नहीं कि अपने ख़ुदा के तालिब हों? क्या ज़िन्दों के बारे में मुर्दों से सवाल करें?”
فَإِلَى الشَّرِيعَةِ وَإِلَى الشَّهَادَةِ: وَمَنْ لَا يَنْطِقْ بِمِثْلِ هَذَا الْقَوْلِ، فَلا فَجْرَ لَهُ. | ٢٠ 20 |
शरी'अत और शहादत पर नज़र करो! अगर वह इस कलाम के मुताबिक़ न बोलें तो उनके लिए सुबह न होगी।
فَإِنَّهُمْ يَتِيهُونَ فِي الأَرْضِ مُكْتَئِبِينَ جَائِعِينَ، وَعِنْدَمَا يَعُضُّهُمُ الْجُوعُ بِنَابِهِ يَأْخُذُهُمُ الْغَضَبُ وَيَلْعَنُونَ مَلِكَهُمْ وَإِلَهَهُمْ وَيَلْتَفِتُونَ إِلَى الْعَلاءِ، | ٢١ 21 |
तब वह मुल्क में भूके और ख़स्ताहाल फिरेंगे और यूँ होगा कि जब वह भूके हों तो जान से बेज़ार होंगे, और अपने बादशाह और अपने ख़ुदा पर ला'नत करेंगे और अपने मुँह आसमान की तरफ़ उठाएँगे;
ثُمَّ يَنْظُرُونَ إِلَى الأَرْضِ فَلا يَجِدُونَ سِوَى الْكَرْبِ وَالظُّلْمَةِ وَالضَّنْكِ وَالْعَذَابِ، وَيُطْرَدُونَ إِلَى الظَّلامِ. | ٢٢ 22 |
फिर ज़मीन की तरफ़ देखेंगे और नागहान तंगी और तारीकी, या'नी ज़ुल्मत — ए — अन्दोह और तीरगी में खदेड़े जाएँगें।