< إشَعْياء 56 >
هَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ: أَجْرُوا الْحَقَّ، وَاصْنَعُوا الْعَدْلَ، لأَنَّ خَلاصِي بَاتَ وَشِيكاً وَبِرِّي حَانَ أَنْ يُسْتَعْلَنَ. | ١ 1 |
१यहोवा यह कहता है, “न्याय का पालन करो, और धर्म के काम करो; क्योंकि मैं शीघ्र तुम्हारा उद्धार करूँगा, और मेरा धर्मी होना प्रगट होगा।
طُوبَى لِمَنْ يُمَارِسُ هَذِهِ وَيَعْمَلُ بِها وَيُكَرِّمُ سُبُوتِي؛ وَطُوبَى لِمَنْ يَصُونُ يَدَهُ عَنِ ارْتِكَابِ الشَّرِّ. | ٢ 2 |
२क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो ऐसा ही करता, और वह आदमी जो इस पर स्थिर रहता है, जो विश्रामदिन को पवित्र मानता और अपवित्र करने से बचा रहता है, और अपने हाथ को सब भाँति की बुराई करने से रोकता है।”
لَا يَقُلِ ابْنُ الْغَرِيبِ الْمُنْضَمُّ إِلَى الرَّبِّ: إِنَّ الرَّبَّ يَفْصِلُنِي عَنْ شَعْبِهِ. وَلا يَقُولَنَّ الْخَصِيُّ: أَنَا شَجَرَةٌ يَابِسَةٌ. | ٣ 3 |
३जो परदेशी यहोवा से मिल गए हैं, वे न कहें, “यहोवा हमें अपनी प्रजा से निश्चय अलग करेगा;” और खोजे भी न कहें, “हम तो सूखे वृक्ष हैं।”
لأَنَّ هَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ لِلْخِصْيَانِ الَّذِينَ يُحَافِظُونَ عَلَى سُبُوتِي، وَيَخْتَارُونَ مَا يَسُرُّنِي وَيَتَمَسَّكُونَ بِعَهْدِي: | ٤ 4 |
४“क्योंकि जो खोजे मेरे विश्रामदिन को मानते और जिस बात से मैं प्रसन्न रहता हूँ उसी को अपनाते और मेरी वाचा का पालन करते हैं,” उनके विषय यहोवा यह कहता है,
أَهَبُهُمْ دَاخِلَ بَيْتِي وَأَسْوَارِي نَصِيباً وَاسْماً أَفْضَلَ مِنَ الْبَنِينَ وَالْبَنَاتِ. أُعْطِيهِمِ اسْماً مُخَلَّداً لَا يَنْقَرِضُ. | ٥ 5 |
५“मैं अपने भवन और अपनी शहरपनाह के भीतर उनको ऐसा नाम दूँगा जो पुत्र-पुत्रियों से कहीं उत्तम होगा; मैं उनका नाम सदा बनाए रखूँगा और वह कभी न मिटाया जाएगा।
وَأَمَّا أَبْنَاءُ الْغُرَبَاءِ الْمُنْضَمُّونَ إِلَى الرَّبِّ لِيَخْدِمُوهُ وَيُحِبُّوا اسْمَهُ لِيَكُونُوا لَهُ عَبِيداً، فَكُلُّ مَنْ يُحَافِظُ عَلَى السَّبْتِ مِنْهُمْ وَلا يَنْقُضُهُ، وَيَتَمَسَّكُ بِعَهْدِي، | ٦ 6 |
६“परदेशी भी जो यहोवा के साथ इस इच्छा से मिले हुए हैं कि उसकी सेवा टहल करें और यहोवा के नाम से प्रीति रखें और उसके दास हो जाएँ, जितने विश्रामदिन को अपवित्र करने से बचे रहते और मेरी वाचा को पालते हैं,
فَهَؤُلاءِ آتِي بِهِمْ إِلَى جَبَلِي الْمُقَدَّسِ وَأَفِيضُ عَلَيْهِمِ الْفَرَحَ فِي بَيْتِ صَلاتِي، وَتَكُونُ مُحْرَقَاتُهُمْ وَقَرَابِينُهُمْ مَقْبُولَةً عَلَى مَذْبَحِي، لأَنَّ بَيْتِي سَيُدْعَى بَيْتَ الصَّلاةِ لِجَمِيعِ الأُمَمِ. | ٧ 7 |
७उनको मैं अपने पवित्र पर्वत पर ले आकर अपने प्रार्थना के भवन में आनन्दित करूँगा; उनके होमबलि और मेलबलि मेरी वेदी पर ग्रहण किए जाएँगे; क्योंकि मेरा भवन सब देशों के लोगों के लिये प्रार्थना का घर कहलाएगा।
وَهَذَا مَا يَقُولُهُ السَّيِّدُ الرَّبُّ الَّذِي يَلُمُّ شَتَاتَ إِسْرَائِيلَ: سَأَجْمَعُ إِلَيْهِ آخَرِينَ بَعْدُ، فَضْلاً عَنِ الَّذِينَ جَمَعْتُهُمْ. | ٨ 8 |
८प्रभु यहोवा, जो निकाले हुए इस्राएलियों को इकट्ठे करनेवाला है, उसकी यह वाणी है कि जो इकट्ठे किए गए हैं उनके साथ मैं औरों को भी इकट्ठे करके मिला दूँगा।”
تَعَالَيْ يَا جَمِيعَ وُحُوشِ الصَّحْرَاءِ لِلالْتِهَامِ، وَيَا جَمِيعَ وُحُوشِ الْغَابِ أَيْضاً. | ٩ 9 |
९हे मैदान के सब जन्तुओं, हे वन के सब पशुओं, खाने के लिये आओ।
فَإِنَّ رُقَبَاءَهُمْ عُمْيٌ، وَكُلَّهُمْ جُهَّالٌ، وَكِلابٌ بُكْمٌ عَاجِزُونَ عَنِ النِّبَاحِ، حَالِمُونَ رَاقِدُونَ مُوْلَعُونَ بِالنَّوْمِ. | ١٠ 10 |
१०उसके पहरुए अंधे हैं, वे सब के सब अज्ञानी हैं, वे सब के सब गूँगे कुत्ते हैं जो भौंक नहीं सकते; वे स्वप्न देखनेवाले और लेटे रहकर सोते रहना चाहते हैं।
هُمْ كِلابٌ نَهِمَةٌ لَا تَعْرِفُ الشَّبَعَ، وَرُعَاةٌ أَيْضاً مُجَرَّدُونَ مِنَ الْفَهْمِ، كُلٌّ مَالَ إِلَى طَرِيقِهِ طَمَعاً فِي الرِّبْحِ، | ١١ 11 |
११वे मरभूखे कुत्ते हैं जो कभी तृप्त नहीं होते। वे चरवाहे हैं जिनमें समझ ही नहीं; उन सभी ने अपने-अपने लाभ के लिये अपना-अपना मार्ग लिया है।
قَائِلِينَ: تَعَالَوْا نَأْتِي بِالْخَمْرِ، وَنَشْرَبُ مُسْكِراً حَتَّى الثُّمَالَةِ، فَالْغَدُ يَكُونُ مُمَاثِلاً لِهَذَا الْيَوْمِ، بَلْ أَعْظَمَ مِنْهُ. | ١٢ 12 |
१२वे कहते हैं, “आओ, हम दाखमधु ले आएँ, आओ मदिरा पीकर छक जाएँ; कल का दिन भी तो आज ही के समान अत्यन्त सुहावना होगा।”